Gondia News: विस्तृत जानकारी यह है कि 18 फरवरी 2025 को अर्जुनी वनविभाग के अधिकारियों को मिली गोपनीय जानकारी के अनुसार घनश्याम ब्राह्मणकर उम्र (38) सड़क अर्जुनी जिला गोंदिया निवासी आरोपी को अर्जुनी (मोड़) स्थित घर पर दबिश देकर गिरफ्तार किया गया। आरोपी के बयान के आधार पर वन विभाग की टीम ने ही खरीददार बनकर तस्करों से संपर्क किया और मौके पर पहुंची, क्योंकि वे ही तेंदुए की खाल खरीदने वाले थे। दोनों पक्षों ने खाल के सौदे की रकम पर चर्चा शुरू कर दी। तस्करों ने खाल की कीमत 50 लाख रुपये तय की थी। लेकिन चमड़ा खरीदने वाले वन अधिकारी इसे 35 लाख रुपये में खरीदने को तैयार थे।
हालांकि, चूंकि दूसरे पक्ष को 35 लाख रुपये मंजूर नहीं थे, इसलिए सौदा 40 लाख रुपये में मंजूर हुआ। सौदा तय होने के बाद तेंदुए की खाल दिखाई गई और आरोपी नकुल सहारे और जितेंद्र कराड़े को मौके पर ही गिरफ्तार कर सड़क अर्जुनी वन विभाग कार्यालय ले जाया गया।
गढ़चिरौली जिले के बेलगाँव वन क्षेत्र में कोरची से कोचीनारा मार्ग पर हनुमान मंदिर के पास मिले तेंदुए की खाल के साथ दो आरोपी गिरफ्तार गुरुवार, 20 फरवरी, 2025 को शाम करीब 4 बजे गिरफ्तार किया गया और आगे की जांच के लिए 20 फरवरी, 2025 की रात को बेलगाँव वन विभाग को सौंप दिया गया। जब बेलगाँव वन विभाग ने उसे देसाईगंज अदालत में पेश किया, तो उसे आगे की जांच के लिए 7 दिनों के लिए वन हिरासत में भेज दिया गया। लेकिन फरार 3 आरोपियों में से 2 आरोपी इंदर सहारे और महेंद्र सहारे 22 फरवरी 2025 को वन विभाग के समक्ष उपस्थित हुए। आरोपी कारू टेंभुर्ने को 23 फरवरी, 2025 को वन विभाग ने छत्तीसगढ़ राज्य के दंडासुर गांव उनके घर से गिरफ्तार किया गया।
जब पूरी कार्रवाई पूरी करने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने आगे की जांच के लिए आरोपी और तेंदुए की खाल को बेलगाँव वन विभाग को सौंपने का आदेश दिया। उस आधार पर अर्जुनी वन विभाग के अधिकारी मिथुन तारोने ने आरोपी और तेंदुए की खाल बेलगाँव वन विभाग को सौंप दिया। इस घटना को अंजाम देने के लिए सडक अर्जुनी वन परिक्षेत्र अधिकारी मिथुन तारोने, वनरक्षक अमोल चौबे, सतीश शेंद्रे, पुरुषोत्तम पटले, तरुण बेलकर और वन कर्मचारी मुधोलकर ने घटना स्थल पर पहुंचकर घटना को अंजाम दिया।
खास बात यह है कि वडसा वन विभाग के अंतर्गत आने वाले बेलगाँव वन क्षेत्र की जानकारी गोंदिया जिले के सड़क अर्जुनी स्थित वन विभाग के अधिकारियों को थी कि बेलगाँव वन क्षेत्र से तेंदुए की खाल की तस्करी की जा रही है, लेकिन बेलगाँव वन क्षेत्र के वन अधिकारियों को इसकी जानकारी न होना चिंता का विषय है। इसका मतलब यह है कि सरकारी वेतन पर वर्दी पहनना और कुर्सी पर बैठना एक सजावटी वस्तु के रूप में देखा जाता है।
इस कारवाई के बाद बेडगांव वन विभाग के अधिकारी होश में आकर अब खाकी वर्दी पहने लगे हैं वहा के वन क्षेत्र में बडे पैमाने पर बैल तस्करी भी की जाती हैं उस तरफ वन विभाग कभी ध्यान नहीं दिया ना ही कारवाई हुई।
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