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कौन हैं Kulman Ghising? Gen Z Group Protests 2025 के बाद, क्या बनेंगे Nepal की जनता की New उम्मीद ?

कौन हैं Kulman Ghising? Gen Z Group Protests 2025 के बाद, क्या बनेंगे Nepal की जनता की New उम्मीद ?

Kulman Ghising एक टेक्नोक्रेट से संभावित नेता तक

नेपाल का वो वक़्त याद कीजिए जब load-shedding यानी बिजली कटौती आम बात थी। हालात ऐसे थे कि लोगों के लिए दिन हो या रात, बिजली मिलना किसी ख्वाब से कम नहीं था। घरों में अंधेरा, गली-मुहल्लों में सन्नाटा, और लोग मजबूर होकर मोमबत्ती या लैम्प जलाकर गुज़ारा करते थे। उस वक़्त की ज़िंदगी सचमुच अंधेरों में डूबी हुई महसूस होती थी।

इसी घने अंधेरे के दौर में एक शख़्स सामने आया जिसने लोगों को उम्मीद की रोशनी दिखाई – Kulman Ghising। लोग उन्हें सिर्फ़ एक इंजीनियर नहीं, बल्कि मुसीबत में मसीहा समझने लगे। वजह साफ थी| उनकी नीयत पाक, सोच साफ़ और काम करने का अंदाज़ बिल्कुल जुदा।

Kulman Ghising किसी आम अफ़सर की तरह फाइलों और दफ़्तरों में गुम नहीं हुए, बल्कि ज़मीन पर उतरकर लोगों की मुश्किल समझी और हल ढूंढा। उनकी तकनीकी जानकारी, सच्चाई और मेहनत ने उन्हें जनता के दिलों में अलग जगह दिला दी।

आज वही कुलमान घिसिंग सिर्फ़ बिजली और रोशनी के हीरो नहीं, बल्कि नेपाल की सियासत के मोड़ पर खड़े एक अहम इंसान बन चुके हैं। लोग उनसे अब सिर्फ़ बिजली की उम्मीद नहीं, बल्कि पूरे मुल्क के लिए एक नई राह की तलाश कर रहे हैं।

Kulman Ghising प्रारंभिक जीवन

कुलमान घिसिंग का सफ़र बड़े ही सादे माहौल से शुरू हुआ। उनका जन्म 1970 में नेपाल के Ramechhap जिले के Bethan गाँव में हुआ था। गाँव का माहौल बहुत ही सीधा-सादा था — न कोई बड़ी सुविधाएँ, न ही ज़्यादा संसाधन। लेकिन यही सादगी उनके बचपन की पहचान बनी। मिट्टी के घर, गाँव की गलियाँ और पढ़ाई के छोटे-छोटे स्कूल — इन्हीं के बीच उनका बचपन गुज़रा।

शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गाँव और आसपास के इलाकों में ही हुई। पढ़ाई में हमेशा आगे रहने वाले कुलमान बचपन से ही मेहनती और लगन वाले थे। उनकी आँखों में ख्वाब बड़े थे, और इरादे उससे भी मज़बूत। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी पढ़ाई का सफर गाँव से शहर की तरफ बढ़ाया।

आगे चलकर वे भारत आए और Regional Institute of Technology, Jamshedpur से Electrical Engineering की डिग्री हासिल की। उस ज़माने में नेपाल से बाहर जाकर पढ़ाई करना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी, और कुलमान ने इसे अपनी मेहनत से सच कर दिखाया।

इसके बाद उनका सफर यहीं नहीं रुका। वो नेपाल लौटे और Pulchowk Engineering College से आगे की पढ़ाई पूरी की। इस तरह उन्होंने सिर्फ डिग्री ही नहीं पाई, बल्कि बिजली और ऊर्जा (Energy) के क्षेत्र में गहरी समझ और हुनर भी विकसित किया।

Kulman Ghising का Nepal विद्युत प्राधिकरण (NEA) में सफर और सफलता

Kulman Ghising ने अपना करियर एक साधारण इंजीनियर के तौर पर शुरू किया था। न कोई बड़ी सियासी पकड़, न ही ऊँचे रिश्ते-नाते। बस मेहनत, ईमानदारी और अपने काम के लिए दीवानगी — यही उनकी पहचान बनी।

धीरे-धीरे उनका सफर Nepal Electricity Authority (NEA) तक पहुँचा और वहाँ भी उन्होंने अपने काम से अलग पहचान बनाई। साल 2016 में जब पहली बार उन्हें NEA का Managing Director बनाया गया, तो लोगों को लगा शायद ये भी बस एक अफ़सर होंगे, जो कुर्सी पर बैठकर फाइलें पलटेंगे। लेकिन कुलमान घिसिंग बिल्कुल अलग निकले।

उनका मक़सद साफ़ था — नेपाल से load-shedding यानी बिजली कटौती को पूरी तरह ख़त्म करना। उस वक़्त हालत ये थी कि लोग दिन में 12-14 घंटे अंधेरे में रहते थे। कारोबार ठप, बच्चे मोमबत्ती में पढ़ाई करते और अस्पतालों तक में दिक़्क़तें आती थीं।

कुलमान ने सबसे पहले बिजली उत्पादन और वितरण की नीतियों को दुरुस्त किया। जहाँ-जहाँ छोटे बिजली प्रोजेक्ट बंद पड़े थे, उन्हें दोबारा चालू कराया। बिजली का distribution system मज़बूत किया। Peak hours यानी जब बिजली की मांग सबसे ज़्यादा होती थी, उस वक़्त खपत को कंट्रोल करने के लिए उन्होंने लोगों में जागरूकता अभियान चलाया।

बड़े उद्योगों और आम लोगों के बीच बिजली बाँटने में भी पारदर्शिता लाई। पहले जो लोग शिकायत करते थे कि “बड़े कारख़ानों को बिजली मिल रही है, लेकिन घरों में अंधेरा है” — उस सिस्टम को बदल दिया गया।

धीरे-धीरे हालात ऐसे बदले कि जो नेपाल हमेशा अंधेरे में डूबा रहता था, वहाँ शहरों में बिजली कटौती लगभग ख़त्म हो गई।

यही वो पल था जब जनता ने महसूस किया कि कुलमान घिसिंग सिर्फ़ बातें बनाने वाले शख़्स नहीं, बल्कि काम से बदलाव लाने वाले असली लीडर हैं। बिना कोई प्रॉपगैंडा, बिना फ़ालतू राजनीति — बस ईमानदारी से किया गया काम। और यही वजह रही कि लोगों ने उन पर भरोसा किया, उन्हें सर-आंखों पर बैठाया।

Kulman Ghising के जीवन का संघर्ष

लेकिन जैसा कहते हैं — कामयाबी की राह कभी आसान नहीं होती। कुलमान घिसिंग के साथ भी यही हुआ।

जब उन्होंने नेपाल को अंधेरों से निकालकर रोशनी दिखाई, तो लाखों लोगों ने उन्हें दिल से दुआ दी। लेकिन सत्ता के गलियारों में सबको उनका ये अंदाज़ पसंद नहीं आया। कुछ मंत्री और अफ़सर उनसे खफ़ा रहने लगे। वजह ये थी कि कुलमान ने बड़े-बड़े उद्योगपतियों से बकाया बिजली बिल (dues) वसूलने में बिल्कुल भी नरमी नहीं दिखाई। जहाँ पहले रिवाज़ था कि बड़े उद्योगों के ऊपर हाथ हल्का रखा जाए, वहाँ कुलमान ने साफ़ कह दिया — “बिजली सबकी है, तो उसका पैसा भी सबको देना होगा।”

यही सख़्ती कई रसूख़दार लोगों को चुभ गई। नतीजा ये हुआ कि मार्च 2025 में सरकार ने अचानक फैसला लिया और उन्हें NEA के Managing Director के पद से हटा दिया| जबकि उनका कार्यकाल अभी पूरा भी नहीं हुआ था।

इस खबर ने जैसे ही तूल पकड़ा, जनता भड़क उठी। लोगों ने इसे साफ़-साफ़ नाइंसाफी कहा। सोशल मीडिया से लेकर गली-कूचों तक, हर जगह एक ही बात गूंजने लगी “कुलमान घिसिंग को हटाना, जनता की उम्मीदों से खेलना है।”

यहाँ तक कि कुछ राजनीतिक दलों ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए।

कुलमान ने भी चुपचाप यह सब बर्दाश्त करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उन्होंने इस फ़ैसले को चुनौती दी। कोर्ट ने भले ही तत्काल आदेश नहीं दिया कि उन्हें तुरंत वापस बहाल किया जाए, लेकिन इस केस को तेज़ी से सुनने के लिए प्राथमिकता दी।

यानी लड़ाई अभी जारी है, और जनता अब भी उम्मीद लगाए बैठी है कि उनका हीरो फिर से वो जगह पाएगा जहाँ से उन्होंने नेपाल को रोशनी दी थी।

Kulman Ghising का राजनीति की ओर झुकाव

Kulman Ghising अब वो शख़्स नहीं रहे जिन्हें लोग सिर्फ़ एक इंजीनियर या तकनीकी अफ़सर के तौर पर जानते थे। आज उनकी लोकप्रियता और इज़्ज़त इतनी बढ़ चुकी है कि वो सीधे सियासत की दुनिया तक पहुँच गए हैं।

नेपाल की जनता, जिसने उन्हें अंधेरे से निकालकर रोशनी लाने वाले “हीरो” की तरह देखा, अब चाहती है कि वही शख़्स मुल्क की सियासी बागडोर भी संभाले। यही वजह है कि कई रिपोर्ट्स और चर्चाओं में उनका नाम अंतरिम प्रधानमंत्री (Interim PM) के दावेदारों में सबसे आगे गिना जा रहा है।

पिछले कुछ महीनों में नेपाल में जो पुलिस और युवाओं के आंदोलन हुए, उनमें जनता की मांग साफ़-साफ़ सुनाई दी — “हमें पारदर्शी और जवाबदेह हुकूमत चाहिए।” ऐसे हालात में कुलमान घिसिंग जैसा नाम लोगों को उम्मीद की तरह लगता है।

कुछ खबरें ये भी कहती हैं कि Maoist Center पार्टी उन्हें आने वाले चुनावों में अपने उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। लेकिन अभी तक तस्वीर पूरी तरह साफ़ नहीं है। सवाल ये बना हुआ है कि क्या घिसिंग किसी पार्टी का हिस्सा बनेंगे या फिर स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर अपनी राह चुनेंगे।

जनता में मगर एक भरोसा गहराता जा रहा है,कि Kulman Ghising चाहे जिस भी रास्ते से आएं, वो सियासत में वही ईमानदारी, सादगी और पारदर्शिता लेकर आएंगे, जिसने उन्हें नेपाल का “रोशनी वाला हीरो” बनाया।

Kulman Ghising उम्मीद की किरण

कुलमान घिसिंग की सबसे बड़ी ताक़त उनका काम का रिकॉर्ड है। उन्होंने जो कर दिखाया, वो सिर्फ़ बातों या वादों में नहीं था, बल्कि ज़मीनी हक़ीक़त में था। बिजली कटौती जैसी पुरानी और तकलीफ़देह समस्या को उन्होंने व्यावहारिक समाधान से ख़त्म किया।

लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी बदली — घरों में उजाला लौटा, कारोबार पटरी पर आया, और बच्चों को बिना रुकावट पढ़ाई का मौका मिला। जब जनता ने देखा कि बिना राजनीति किए भी कोई शख़्स इतना बड़ा बदलाव ला सकता है, तो उनका भरोसा और गहरा हो गया।

घिसिंग की पहचान है कि वो एक तकनीकी इंसान हैं| मतलब, न वो भाषणबाज़ी करते हैं, न बेकार के वादे। उनके पास है अनुभव, ईमानदारी, पारदर्शिता और कड़ी मेहनत की मिसाल। यही वजह है कि आज के युवा वर्ग में उनकी छवि बहुत मज़बूत और असरदार है।

नेपाल की जनता, जो बरसों से भ्रष्टाचार और नाकामी से तंग आ चुकी है, कुलमान घिसिंग को एक “नया चेहरा” मानती है। वो उन्हें ऐसे इंसान के तौर पर देखती है जो व्यवस्था में असली सुधार ला सकता है।

लेकिन ये भी सच है कि राजनीति में उतरना आसान नहीं है। यहाँ सिर्फ़ मेहनत और नीयत काफी नहीं, बल्कि शक्ति संतुलन, गठबंधन की राजनीति, दबाव और संसदीय समर्थन जैसे कई मोर्चों पर जीतना पड़ता है।

अगर वक़्त ने कुलमान घिसिंग को प्रधानमंत्री या किसी बड़े सियासी पद तक पहुँचा दिया, तो उनसे उम्मीद यही रहेगी कि वो वही करें जो उन्होंने बिजली सुधार में किया था — वादे सिर्फ़ हों नहीं, बल्कि पूरे भी हों।

विपक्षी दल, मीडिया और जनता सबकी निगाह उन पर होगी। यहाँ सिर्फ़ administrator बनने से काम नहीं चलेगा, अब उन्हें असली “लीडर” बनकर दिखाना होगा।

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