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Teja Sajja की Mirai Movie Review 2025: Fantasy और Action का भरपूर धमाका! क्या मिराई बनेगी साल की सबसे बड़ी Pan India Hit

Teja Sajja की Mirai Movie Review 2025: Fantasy और Action का भरपूर धमाका! क्या मिराई बनेगी साल की सबसे बड़ी Pan India Hit

Mirai तमिल / तेलुगु / पैन-इंडिया Release

“Mirai” दरअसल एक बड़ी फैंटेसी-एक्शन फ़िल्म है जो तमिल, तेलुगु और पैन-इंडिया लेवल पर बनाई गई है। इसको डायरेक्ट किया है कार्तिक घट्टमनेनी ने। कहानी का पूरा दारोमदार हीरो तेजा सज्जा पर है, जो इसमें वेदा प्रजापति नाम के सुपर योद्धा का किरदार निभा रहे हैं। उनके साथ-साथ और भी बड़े नाम जुड़े हैं| मनचु मनोज, ऋतिका नायक, श्रिया सरन, जगपति बाबू और जयराम।

फ़िल्म का बजट भी कम नहीं है, लगभग साठ करोड़ रुपये लगाया गया है। इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है इसके VFX और बड़े-बड़े एक्शन सीन, जो थिएटर में बैठकर देखने पर वाक़ई जानदार लगते हैं।

“Mirai” की रिलीज़ डेट रही 12 सितम्बर 2025। दिलचस्प बात ये है कि इसे सिर्फ़ तेलुगु या तमिल तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि कई ज़बानों में डब करके रिलीज़ किया गया है| हिंदी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, बंगाली और मराठी। यानी जो भी ज़बान आप समझते हैं, उस भाषा में इस फिल्म का मज़ा ले सकते हैं।

जानें Mirai की कहानी आधार है

इस फ़िल्म की कहानी सीधी-सादी नहीं है, बल्कि इसमें मिथक, इतिहास और फैंटेसी तीनों का मिलाजुला तड़का है। बात शुरू होती है सम्राट अशोक से। कलिंग युद्ध में जब खून-खराबा देखकर उनका दिल टूट गया, तो उन्होंने इंसानियत और अमन की खातिर नौ पवित्र किताबें (Sacred Books) बनाई। ये किताबें ऐसी थीं जिनमें दुनिया को बदल देने वाला इल्म और राज़ छुपा हुआ था। अशोक ने इन्हें आम लोगों से बचाकर रखने के लिए ख़ास “गुप्त रक्षक” नियुक्त कर दिए, ताकि कोई ज़ालिम या खुदगर्ज़ इंसान इन्हें अपने क़ब्ज़े में न कर ले।

अब कहानी आती है आज के ज़माने में। यहाँ दाख़िल होता है असली विलेन — महाबीर लामा (Manchu Manoj)। उसका मक़सद है इन नौ किताबों को ढूंढ निकालना और अपने हाथ में करना, ताकि वो अमरत्व पा सके। यानी न मौत उसे छू पाए और न ही कोई ताक़त उसको रोक सके। ये ताक़त पाकर वो पूरी दुनिया को अपनी ज़ुल्म और हुकूमत से हिला देना चाहता है।

इसी बीच कहानी का असली हीरो वेला (Teja Sajja) सामने आता है। एक आम सा नौजवान, लेकिन क़िस्मत उस पर ऐसा भार डाल देती है कि उसे इन ग्रंथों की हिफ़ाज़त करनी पड़ती है। अब वेला को न सिर्फ़ अपनी असली पहचान से वाक़िफ़ होना है, बल्कि अपनी ताक़त को समझना है और सही-ग़लत, यानी धर्म और अधर्म की इस जंग में क़दम रखना है।

फ़िल्म में कई जगह रामायण से भी इंस्पिरेशन नज़र आती है। ख़ासकर राम का चरित्र, अच्छाई-बुराई की लड़ाई, और सच की तलाश। जब क्लाइमैक्स आता है, तो परदे पर एक ऐसी जंग छिड़ जाती है जिसमें धर्म, ईमान और शेरदिल बहादुरी की अहमियत पूरे जोश से महसूस होती है।

कलाकार और उनके अभिनय

फ़िल्म में तेजा सज्जा ने वेला (या वेद) का किरदार निभाया है, जिसे लोग “सुपर योद्धा” भी कहते हैं। उनका रोल काफ़ी दमदार बना है। चाहे जोशीले ऐक्शन सीन हों या दिल को छू लेने वाले इमोशनल पल — दोनों जगह उन्होंने अपना कमाल दिखाया है। स्क्रीन पर उनका जोश और जज़्बा साफ़ नज़र आता है।

वहीं दूसरी तरफ़ असली चौंकाने वाला परफ़ॉरमेंस दिया है मनचु मनोज ने, जिन्होंने विलेन महाबीर लामा का किरदार निभाया है। उनका अंदाज़ ही कुछ ऐसा है कि जब भी वो स्क्रीन पर आते हैं, तो सारा ध्यान उन्हीं पर टिक जाता है। उनकी एक्टिंग में एक तीख़ापन और असर है, जिसकी वजह से उनका किरदार और भी ख़तरनाक और यादगार बन गया है। दर्शक और समीक्षक दोनों ही उनकी तारीफ़ करते नहीं थक रहे।

ऋतिका नायक ने इस कहानी की लीड हीरोइन का रोल निभाया है। उनकी मौजूदगी फ़िल्म को और भी रंगीन बना देती है। उनके हावभाव, मासूमियत और इमोशनल सीन में उनकी अदाकारी ने लोगों का दिल जीत लिया है।

श्रिया सरन ने वेला की माँ अंबिका का रोल अदा किया है। ये किरदार बहुत अहम है क्योंकि कहानी की इस जद्दोजहद में माँ हमेशा बेटे के लिए हिम्मत और जज़्बे का सहारा बनती है। श्रिया ने इस रोल में वह नर्मी, वह ममता और वह गहराई दिखाई है जो पूरे फ़िल्म को एक भावनात्मक ताक़त देती है।

Mirai निर्देशन और Cinematography

फ़िल्म की सबसे बड़ी ताक़त है इसका दृश्य-चित्रण, यानी Cinematography और VFX। परदे पर जो नज़ारे दिखाए गए हैं, वो सचमुच आँखों को चौंका देने वाले हैं। बड़े-बड़े सेट, शानदार ऐक्शन सीन और जबरदस्त विज़ुअल इफेक्ट्स ने कहानी को और भी दमदार बना दिया है। ट्रेलर से ही लोगों को अंदाज़ा हो गया था कि ये फ़िल्म विज़ुअली कमाल करने वाली है, और रिलीज़ के बाद उसके कई सीन ने वाक़ई दर्शकों को हैरान कर दिया।

संगीत की बात करें तो गौरा हरी ने म्यूज़िक दिया है। उनका बनाया हुआ बैकग्राउंड स्कोर और गाने फ़िल्म की रूह बन जाते हैं। जहाँ ज़रूरत हो वहाँ बीट्स तेज़ होकर रोमांच बढ़ा देते हैं, और जहाँ भावनाओं की गहराई चाहिए, वहाँ धुनें दिल को छू लेती हैं। ख़ासकर कुछ आध्यात्मिक और दिव्य से भरे सीन में म्यूज़िक ने फ़िल्म को और ऊँचाई दी है।

निर्देशन की बात करें तो कार्तिक घट्टमनेनी ने अपनी सोच और नज़र (vision) से ये साबित कर दिया कि वो बड़े परदे के लिए क्या-क्या कर सकते हैं। उन्होंने बड़े चतुराई से मिथक, इतिहास और मॉडर्न फैंटेसी — इन सबको मिलाकर एक ऐसी कहानी पेश की है जो थिएटर में और भी असरदार लगती है।

हाँ, कहानी की गति (Pacing) पर थोड़ी चर्चा ज़रूरी है। शुरू के हिस्से में फ़िल्म थोड़ा समय लेती है — दुनिया और किरदारों को जमाने में। कुछ दर्शकों को यहाँ कहानी थोड़ी धीमी लग सकती है। लेकिन जैसे-जैसे इंटरवल आता है, फिल्म की रफ़्तार तेज़ होती जाती है और क्लाइमैक्स पर तो ज़बरदस्त धमाका होता है। आख़िरी के सीन आपको सीट से बाँधकर रख देते हैं और यही वजह है कि लोग थिएटर से निकलते वक़्त तालियाँ बजाते हैं।

Mirai की कमजोरियाँ

हर फ़िल्म की तरह “Mirai” भी पूरी तरह बेदाग़ नहीं है। इसमें कुछ कमियाँ भी हैं जिन पर लोग ध्यान दिला रहे हैं।

सबसे पहली बात आती है इसके VFX की। हालाँकि ज़्यादातर विज़ुअल्स शानदार लगे, मगर कुछ जगहों पर साफ़ झलक जाता है कि बजट और वक़्त की कमी रही है। कुछ CGI वाले शॉट्स उतने परफ़ेक्ट नहीं बन पाए जितनी उम्मीद थी। कई दर्शकों ने सोशल मीडिया पर ये बात शेयर भी की कि कुछ सीन थोड़े कृत्रिम (artificial) से लगे।

दूसरी कमी है फ़िल्म का पहला हिस्सा। कहानी को जमाने और पूरी दुनिया (universe) को समझाने के चक्कर में शुरुआती आधा हिस्सा थोड़ा भारी और लंबा लगने लगता है। कुछ किरदार और सबप्लॉट ऐसे हैं जिन्हें अगर थोड़ा छोटा कर दिया जाता तो रफ़्तार और बेहतर हो सकती थी। दर्शकों में से कई लोगों ने माना कि “इंटरवल के बाद फ़िल्म ज़्यादा जान पकड़ती है।”

तीसरी बात है कॉमेडी और हल्के-फुल्के सबप्लॉट्स। जगह-जगह ऐसे छोटे-छोटे हास्य सीन डाले गए हैं जो हर बार असरदार नहीं लगते। कई बार तो लगता है कि ये मुख्य कहानी से ध्यान भटका देते हैं। कुछ समीक्षकों का कहना है कि अगर कॉमेडी को थोड़ा कंट्रोल किया जाता और सीधे-सीधे कहानी पर फोकस रखा जाता, तो फ़िल्म और ज़्यादा दमदार बन सकती थी।

दर्शकों द्वारा Mirai Review 

सोशल मीडिया पर दर्शकों की प्रतिक्रियाएँ वाक़ई उम्मीद से कहीं ज़्यादा शानदार रही हैं। ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब रिव्यूज़ में हर जगह “Mirai” की चर्चा जोरों पर है। ख़ास तौर पर लोग इंटरवल सीन और क्लाइमैक्स के बारे में इतना बोल रहे हैं कि जैसे वो फ़िल्म का दिल और जान हों। इंटरवल ब्लॉक आते ही दर्शकों को ऐसा झटका और रोमांच महसूस होता है कि स्क्रीन से नज़रें हटाना मुश्किल हो जाता है। वहीं क्लाइमैक्स में तो इमोशन्स, एक्शन और विज़ुअल्स का ऐसा तड़का है कि हॉल में बैठे लोग सीटियाँ और तालियाँ बजाने से खुद को रोक नहीं पा रहे।

सबसे ज़्यादा चर्चा अगर किसी चीज़ की हो रही है तो वो है मनचु मनोज (Manchu Manoj) का खलनायक अवतार। दर्शक कह रहे हैं कि उनका किरदार सचमुच “सीन चुराने वाला” है — यानी जब भी वो स्क्रीन पर आते हैं, बाकी सब पीछे छूट जाते हैं। उनकी मौजूदगी, उनकी आवाज़ और उनके चेहरे के एक्सप्रेशन्स इतने पावरफुल हैं कि निगाहें अपने-आप उन पर टिक जाती हैं। बहुत से लोग तो ये तक कह रहे हैं कि लंबे वक़्त बाद किसी फ़िल्म में इतना दमदार विलेन देखने को मिला है।

थिएटर एक्सपीरियंस की बात करें तो यहाँ भी फ़िल्म ने बड़ी उम्मीदें जगाई हैं। बड़े पर्दे पर इसके सेट-पीस, विज़ुअल्स और बैकग्राउंड स्कोर का असर दोगुना हो जाता है। डॉल्बी साउंड सिस्टम के साथ जब तलवारें टकराती हैं, धमाके होते हैं या फिर आध्यात्मिक मंत्रों की गूँज सुनाई देती है, तो हॉल का माहौल बिजली सा गूंज उठता है। इसीलिए सोशल मीडिया पर बहुत से लोग सलाह दे रहे हैं कि Mirai को घर पर नहीं, बल्कि सिनेमा हॉल में ही देखो, तभी इसका असली मज़ा मिलेगा।

क्या “Mirai” देखने लायक है?

“Mirai” उन फ़िल्मों में से है जो उम्मीद से कहीं ज़्यादा करके दिखाती हैं। ख़ास तौर पर अगर आप फैंटेसी और मिथक वाली कहानियों के शौक़ीन हैं, तो ये मूवी आपको पूरी तरह बाँध लेती है।

सबसे पहले बात करते हैं इसके मनोरंजन मूल्य (Entertainment Value) की। “Mirai” देखने का असली मज़ा बड़े पर्दे पर आता है। जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस, तलवारों की लड़ाइयाँ, आग और पानी के साथ खेले गए विशाल सेट-पीस… ये सब कुछ इतना भव्य (grand) लगता है कि थिएटर में बैठकर ही असली थ्रिल महसूस होता है। घर की स्क्रीन पर शायद वो मज़ा आधा भी न मिले।

अब आती है बात जज़्बाती जुड़ाव (Emotional Connect) की। वेला यानी तेजा सज्जा का संघर्ष आपको दिल से छू लेता है। धर्म और अधर्म की जंग, माँ-बेटे का रिश्ता, अपने असली मक़सद को पहचानने का सफ़र — ये सब चीज़ें दर्शकों को इमोशनली इन्वॉल्व कर देती हैं। खासकर वेला और उसकी माँ (श्रीया सरन) के बीच के दृश्य बहुत असरदार निकले हैं।

जहाँ तक दृश्य और तमाशे (Spectacle) की बात है, “Mirai” ने यहाँ भी बाज़ी मार ली। क्लाइमैक्स का पैमाना इतना बड़ा है कि थिएटर में बैठकर एक-एक सीन देखकर रूह काँप जाती है। और अशोक के नौ ग्रंथों की खोज पर निकला सफ़र तो ऐसा लगता है जैसे किसी महाकाव्य (epic) की आधुनिक झलक सामने आ रही हो।

मानना पड़ेगा कि इसमें कुछ कमज़ोरियाँ भी हैं। अगर आप हर चीज़ को तर्क (logic) की कसौटी पर तौलने बैठेंगे, तो आपको कुछ हिस्से खिंचे हुए या हल्के लग सकते हैं। CGI और VFX भी हर जगह सौ टका परफ़ेक्ट नहीं हैं। और कुछ साइड-सबप्लॉट्स सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए डाले गए लगते हैं। मगर इन कमियों को आप आसानी से माफ़ कर सकते हैं क्योंकि फ़िल्म का इम्पैक्ट और स्केल इतना बड़ा है कि बाकी छोटी बातें पीछे छूट जाती हैं।

“Mirai” भारतीय सिनेमा में फैंटेसी और मिथक को जोड़ने की दिशा में एक बहुत अहम क़दम है। ये फ़िल्म हमें बताती है कि हमारी पुरानी लोक-कथाएँ, इतिहास और आध्यात्मिक परंपराएँ अगर आधुनिक कहानी और टेक्नोलॉजी के साथ मिल जाएँ, तो एक ऐसा नया और ज़बरदस्त सिनेमाई तजुर्बा पैदा हो सकता है जिसे लोग लंबे वक़्त तक याद रखें।

इसलिए मेरी राय में, अगर आप एक ऐसी फ़िल्म देखना चाहते हैं जो मनोरंजन भी दे, इमोशन भी दे और थिएटर का असली मज़ा भी दे, तो “Mirai” आपके लिए एक परफ़ेक्ट चॉइस है।

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