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Zubeen Garg की Death Scooba Diving करते वक्त हुआ हादसा 52 साल की उम्र में गई जान

Zubeen Garg की Death Scooba Diving करते वक्त हुआ हादसा 52 साल की उम्र में गई जान

Zubeen Garg की 52 साल की उम्र में मौत

19 सितंबर 2025 की दोपहर ने संगीत की दुनिया को ऐसा ज़ख्म दिया है, जिसे भर पाना शायद ही कभी मुमकिन हो। असम की सरज़मीं से उठकर पूरे हिंदुस्तान के दिलों में राज करने वाले चहेते गायक Zubeen Garg अब हमारे बीच नहीं रहे। एक दर्दनाक स्कूबा-डाइविंग हादसे ने उनकी ज़िंदगी से उनकी प्यारी आवाज़ हमेशा के लिए छीन ली।

जिस शख़्स की धुनों ने करोड़ों दिलों को सुकून दिया, वही शख़्स अचानक खामोश हो गया। एक ऐसा सितारा, जो चमकते-चमकते अचानक बुझ गया। उम्र थी महज़ 52 साल, लेकिन इस छोटी सी उम्र में उन्होंने इतना रंगीन सफ़र तय किया कि उनकी यादें, उनकी धुनें और उनका जादू आने वाले दशकों तक ज़िंदा रहेंगे।

उनके गाए गीत, उनकी मुस्कान और उनकी सादगी अब भी चाहने वालों की आँखों में बसती रहेगी। सच कहा जाए तो ज़ुबीन सिर्फ़ गायक नहीं थे, वो एक अहसास थे—एक जज़्बा, जो अब हमेशा हमारी यादों में गूंजता रहेगा।

जानें कैसे हुआ ये हादसा

ज़ुबीन गर्ग इन दिनों सिंगापुर में मौजूद थे। वहाँ वो अपने चाहने वालों के लिए मशहूर “नॉर्थ ईस्ट इंडिया फ़ेस्टिवल” में परफॉर्म करने वाले थे। उनके शो की तारीख़ें तय थीं – 20 और 21 सितंबर। पूरे नॉर्थ ईस्ट से लेकर हिंदुस्तान और बाहर के लोग उनका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।

लेकिन किसे पता था कि ये इंतज़ार अब हमेशा अधूरा रह जाएगा। 19 सितंबर की दोपहर एक दर्दनाक हादसा हुआ। ज़ुबीन साहब स्कूबा-डाइविंग के लिए गए थे, लेकिन अचानक पानी के नीचे उन्हें साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी। बताया जा रहा है कि गहराई में डाइविंग करते हुए उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। गोताख़ोरों ने फ़ौरन उन्हें ऊपर निकाला, लेकिन तब तक हालात नाज़ुक हो चुके थे।

उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, रास्ते भर डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ़ ने पूरी कोशिश की – वेंटिलेशन और सी.पी.आर. (CPR) तक दी गई। लेकिन अफ़सोस, सब नाकाम रहा। अस्पताल पहुँचते ही उन्हें ICU में भर्ती किया गया, डॉक्टरों ने हर संभव प्रयास किया, मगर ज़िंदगी की डोर टूट चुकी थी।

कुछ ही घंटों में ये ख़बर जंगल की आग की तरह फैल गई और करोड़ों चाहने वालों के दिलों को चीर गई। हर कोई यही कह रहा था – “यक़ीन ही नहीं होता कि हमारी ज़ुबीन दा अब नहीं रहे।”

Zubeen Garg ने गीत, संस्कृति और प्रेरणा से भरपूर जिया जीवन

Zubeen Garg सिर्फ़ एक गायक नहीं थे, वो एक जज़्बा थे, एक संस्कृति थे, और एक ऐसी आवाज़ थे जो असम और पूरे भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की पहचान बन गई। उनका जन्म 18 नवंबर 1972 को मेघालय में हुआ था, लेकिन असम के सांस्कृतिक माहौल में उन्होंने अपनी कलाओं की राह चुनी और संगीत की हवा में सांस ली।

ज़ुबीन ने बहुत बड़े पैमाने पर काम किया। असमिया, हिंदी, बंगाली भाषाओं में तो उन्होंने दिल को छू लेने वाले गीत गाए ही, लेकिन कई क्षेत्रीय और मातृभाषाओं में भी उनका संगीत गूंजा। उनका नाम हर उस जगह सुना जाता था, जहां संगीत की कदर होती थी।

उनके करियर का सबसे बड़ा मील का पत्थर था “Ya Ali”—फिल्म Gangster (2006) का यह गीत ज़ुबीन को सिर्फ़ असम में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में पहचान दिलाने वाला बना। इसके अलावा “Dil Tu Hi Bataa”, “O Bondhu Re” जैसे गीतों ने उनके चाहने वालों की संख्या और भी बढ़ा दी।

Zubeen Garg सिर्फ़ गायक नहीं थे, बल्कि बहुआयामी कलाकार थे—गीतकार, संगीतकार, और मल्टी‑इन्स्ट्रूमेंटलिस्ट। वे लगभग 12 वाद्ययंत्र बजा सकते थे, और हर वाद्य में अपनी मासूमियत और जज़्बा झलकता था।

उनकी सबसे बड़ी विरासत है उनका संगीत—ऐसा संगीत जो लोगों की ज़िंदगी से जुड़ा हुआ, उनके अनुभवों का हिस्सा, और उनकी यादों का हिस्सा बन गया। उनका गीत “Ya Ali” आज भी कई जगहों पर गूंजता है, हर किसी की ज़ुबान पर, जैसे कोई कालजयी याद हो।

Zubeen Garg का संगीत सिर्फ़ मनोरंजन तक सीमित नहीं था। इसमें दर्द, प्यार, विरह और उम्मीद की कहानी होती थी। उन्होंने असम और उत्तर-पूर्व की संस्कृति को इस काबिल बनाया कि लोग सिर्फ़ उनके गीत सुनते ही नहीं, बल्कि उसकी ज़मीन, हवा और धड़कन महसूस करते।

यह भी कहना चाहिए कि वे हिंदी सिनेमा में भी पीछे नहीं रहे। विभिन्न भाषाओं में गीत गाने वाले कलाकारों में उनका नाम गर्व के साथ लिया जाता है। उनकी आवाज़ ने भाषाओं और सीमाओं को पार किया, और संगीत की दुनिया में एक अमिट छाप छोड़ी

Zubeen Garg का व्यक्तित्व और इंसानी रूप

Zubeen Garg की सबसे बड़ी खासियत उनकी सादगी और विनम्रता थी। संगीत की बुलंदियों तक पहुँचने के बाद भी, उन्होंने कभी अपने लोगों से दूरी नहीं बनाई। उनके लिए फ़ैन्स, साथी कलाकार, मीडिया—सब बराबर थे। उनकी बड़ी दिलदारी और इंसानियत ही उन्हें और भी खास बनाती थी।

सिर्फ़ गायक ही नहीं, ज़ुबीन एक समाजसेवी और प्रेरक हस्ती भी थे। उदाहरण के तौर पर, कोविड-19 के दौरान उन्होंने असम में अपने दो मंज़िला भवन को लोगों की सेवा के लिए केयर सेंटर बनाने की पेशकश की। उनकी ये पहल साफ़ दिखाती है कि वे केवल संगीत तक सीमित नहीं थे, बल्कि समाज के लिए भी गहरा जज़्बा रखते थे।

उनका सांस्कृतिक और सामाजिक असर भी बेहद गहरा था। असम की भाषा, उसकी संस्कृति और उसकी पहचान को उन्होंने हमेशा अपने गीतों और कार्यों में समाहित किया। उनकी मेहनत और जज़्बा हर किसी को ये अहसास दिलाता था कि असम की आवाज़ केवल एक गायक की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सांस्कृतिक शान की गूँज है।

Social media प्रतिक्रियाएँ

जैसे ही Zubeen Garg की मौत की ख़बर आई, सोशल मीडिया पर और खासकर असम में गहरी तड़प और ग़म फैल गया। मुख्यमंत्री हेमन्त बिस्वा सरमा ने लिखा, “असम ने अपने एक प्यारे बेटे को खो दिया है।” कई कलाकारों, राजनेताओं और आम लोगों ने उन्हें याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

Zubeen Garg का आख़िरी इंस्टाग्राम पोस्ट भी लोगों के दिल को झकझोर गया। सिर्फ़ एक दिन पहले उन्होंने सिंगापुर में होने वाले फेस्टिवल की घोषणा की थी, जहाँ वे आने वाले दिनों में अपने गीतों से सबका दिल जीतने वाले थे।

अब जब Zubeen Garg हमारे बीच नहीं रहे, तो जो ख़ालीपन उन्होंने छोड़ा, उसे भर पाना मुश्किल है। स्टेज होंगे, माइक होंगे, लेकिन वो पट्टी (वोकल टोन), वो जज़्बा, वो इमोशन शायद अब वापस ना आए।

उनके चाहने वालों के लिए यादें हमेशा ताज़ा रहेंगी— वो गीत जो रात की खामोशी में दिल को छू जाता था। वो लाइव परफ़ॉर्मेंस जहाँ संगीत सिर्फ़ सुर नहीं, बल्कि इबादत की तरह महसूस होता था। वो मीठी बातें और सहज अंदाज़, जिससे उन्होंने हमेशा अपने फैंस के दिलों में जगह बनाई।

उनकी यादों का संगीत यहीं से शुरू होता है—हर उस गीत में जो उन्होंने गाया, हर उस लफ़्ज़ में जिसमें उन्होंने यह महसूस कराया कि संगीत सिर्फ़ शब्द नहीं, ज़िंदगी है।शांतिमय हो उनकी आत्मा। संगीत प्रेमियों के दिलों में उनकी आवाज़ हमेशा गूँजती रहेगी, और आने वाली तारीख़ें हमें याद दिलाती रहेंगी कि एक दिन ऐसा कलाकार इस धरती पर रहा, जिसने अपनी आवाज़ से सबका दिल जीत लिया।

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