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Zubeen Garg की Death Accident है या Murder 2025: जब सन्नाटा सवालों से टूटने लगा Shekhar Jyoti Goswami का दावा

Zubeen Garg की Death Accident है या Murder 2025: जब सन्नाटा सवालों से टूटने लगा Shekhar Jyoti Goswami का दावा

Zubeen Garg की मौत हादसा या हत्या

मशहूर असमिया और हिंदी सिंगर Zubeen Garg के निधन की खबर ने पूरे संगीत जगत और उनके चाहने वालों को गहरे सदमे में डाल दिया है। शुरू-शुरू में तो लोगों को लगा कि ये कोई पानी से जुड़ा हुआ हादसा था शायद कोई दुर्भाग्यपूर्ण एक्सीडेंट। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई, वैसे-वैसे कहानी में नए मोड़ आने लगे।

अब मामला पहले जैसा सीधा नहीं लग रहा। हाल ही में ज़ुबिन के ही बैंड के एक साथी, शेखर ज्योति गोस्वामी, ने बड़ा धमाका करते हुए कहा कि ज़ुबिन को उनके मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा ने ज़हर दिया। इस दावे ने पूरे केस को हिला कर रख दिया है। जो बात अब तक एक साधारण हादसा लग रही थी, वो अब रहस्यमयी और शक़ से भरी कहानी बन चुकी है।

लोगों के दिलों में अब कई सवाल उठने लगे हैं क्या वाक़ई ये एक हादसा था या फिर इसके पीछे कोई गहरी साज़िश छिपी है? क्या किसी ने Zubeen Garg को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया? या फिर ये सब सिर्फ़ अफवाहों का तूफ़ान है जो सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल रहा है?

Zubeen Garg सिर्फ़ एक सिंगर नहीं थे, वो इमोशन थे, आवाज़ थे, और हर असमिया दिल की धड़कन थे। उनके गानों में जो सादगी और जादू था, वो सीधे दिल को छू जाता था। हिंदी में भी उन्होंने “या अली”, “दिल तू ही बता” जैसे कई हिट गाने दिए, जो आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में ज़िंदा हैं।

अब जब उनके निधन के बाद ऐसे सनसनीखेज़ आरोप सामने आए हैं, तो फैंस का दुख और भी गहरा हो गया है। कोई यक़ीन ही नहीं कर पा रहा कि जो इंसान हमेशा मुस्कराता था, जो ज़िंदगी को संगीत में ढाल देता था — उसके साथ ऐसा कुछ हो सकता है।

घटना की पृष्ठभूमि: मौत की प्रारंभिक रिपोर्ट

Zubeen Garg की मौत की खबर ने हर किसी को अंदर तक झकझोर दिया। बात 19 सितंबर 2025 की है, जब ज़ुबिन अपने कुछ दोस्तों और टीम के लोगों के साथ सिंगापुर के लैजारस आइलैंड इलाके में एक यॉट ट्रिप पर गए थे। सबकुछ बिल्कुल सामान्य चल रहा था — संगीत, मस्ती, समंदर की ठंडी हवा — लेकिन कुछ ही देर में वो सफ़र ज़िंदगी का आख़िरी सफ़र बन गया।

अचानक खबर आई कि Zubeen Garg की यॉट पर तबीयत बिगड़ गई और फिर वो पानी में गिर गए। शुरू में सभी ने यही समझा कि ये बस एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा था शायद फिसल गए होंगे, या किसी वजह से संतुलन बिगड़ गया होगा। पुलिस ने भी शुरुआती रिपोर्ट में इसे डूबने से हुई मौत बताया।

लेकिन फिर सवाल उठने लगे —
जो इंसान तैराकी में माहिर था, जो बचपन से पानी में खेला और बड़ा हुआ, वो यूँ ही कैसे डूब सकता है? क्या वाक़ई ये सिर्फ़ एक हादसा था, या इसके पीछे कुछ और छिपा हुआ है?

Zubeen Garg के पार्थिव शरीर को बाद में असम लाया गया, जहाँ लाखों फैंस ने आँखों में आँसू और दिल में दर्द लिए उन्हें अंतिम विदाई दी। उनकी अस्थियाँ पूरे सम्मान और प्रेम के साथ विसर्जित की गईं, और पूरा असम उस दिन जैसे रुक सा गया। लोग सड़कों पर उतर आए, “ज़ुबिन अमर रहें” के नारे गूंजने लगे।

शुरुआत में सबने सोचा — चलो, ज़िंदगी का एक दुखद मोड़ था, किस्मत का लिखा हुआ हादसा। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, बातें बदलने लगीं। कुछ नए खुलासे, कुछ अजीब बयान, और कुछ संदिग्ध हालात सामने आए, जिन्होंने इस पूरी कहानी का रुख़ पलट कर रख दिया।

अब मामला सिर्फ़ “डूबने का हादसा” नहीं रहा, बल्कि एक रहस्य, एक साज़िश, और शायद एक कत्ल की कहानी जैसा लगने लगा है।

हर कोई अब यही पूछ रहा है “क्या Zubeen Garg की मौत के पीछे कोई हाथ था?” “क्या किसी ने उन्हें जान-बूझकर नुकसान पहुँचाया?” और सबसे अहम बात “आख़िर सच क्या है?”

Zubeen Garg के जाने के बाद जो खालीपन पैदा हुआ है, उसे कोई भी भर नहीं सकता। उनकी आवाज़, उनका जुनून, उनकी मुस्कराहट — सब लोगों के दिलों में आज भी ज़िंदा है। लेकिन अब ज़ुबिन के फैंस सिर्फ़ एक चीज़ चाहते हैं सच्चाई सामने आए, और ज़ुबिन को इंसाफ़ मिले।

आरोपों का मोड़: Shekhar Jyoti Goswami का बयान

शेखर ज्योति गोस्वामी का बड़ा दावा
Zubeen Garg के करीबी साथी और बैंडमेट Shekhar Jyoti Goswami ने इस पूरे मामले में चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने साफ़ कहा — “ये कोई हादसा नहीं था, बल्कि मुमकिन है कि ये एक हत्या थी।”

Shekhar Jyoti Goswami का कहना है कि उस दिन उन्होंने कुछ ऐसी बातें देखीं जो उन्हें अजीब लगीं। उनके मुताबिक़, ज़ुबिन के खाने और ड्रिंक में कुछ मिलाया गया था, और उसके बाद ज़ुबिन का बर्ताव अचानक बदल गया। वो बेचैन से लग रहे थे, और उनका चेहरा भी फीका पड़ गया था।

Shekhar Jyoti Goswami ने आरोप लगाया कि ये सब ज़ुबिन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा और एक इवेंट आयोजक श्यामकनु माहँता ने किया। उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ, वो किसी हादसे जैसा नहीं बल्कि एक सोची-समझी साज़िश जैसा लग रहा था।

उनके इस बयान ने पूरे केस की दिशा ही बदल दी। अब मामला सिर्फ़ “डूबने की मौत” नहीं रहा, बल्कि एक शक़ और जुर्म की कहानी बन गया। लोग अब पूछने लगे हैं “क्या वाक़ई ज़ुबिन को ज़हर दिया गया था?”
“कौन था इस सबके पीछे?”

गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
जैसे ही शेखर का बयान मीडिया में फैला, पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की। ज़ुबिन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा और आयोजक श्यामकनु माहँता को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया और बाद में गुवाहाटी लाया गया।

दोनों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं — धारा 302 (हत्या), आपराधिक साज़िश (Criminal Conspiracy) और ग़ैर-इरादतन हत्या (Culpable Homicide not amounting to murder) फिलहाल दोनों 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं और पुलिस उनसे लगातार पूछताछ कर रही है।

पुलिस और सीआईडी की जांच
इस केस की कमान अब असम पुलिस और सीआईडी के हाथों में है। शुरुआती रिपोर्ट में इसे डूबने का मामला बताया गया था, लेकिन जब जांच में कुछ नए सबूत और मेडिकल रिपोर्ट सामने आईं, तो मामले को हत्या के एंगल से देखा जाने लगा।

राज्य सरकार ने भी साफ़ निर्देश दिए हैं कि इस केस की पूरी पारदर्शिता से जांच की जाए और किसी भी राजनीतिक या बाहरी दबाव को जगह न मिले।

फिलहाल पुलिस हर पहलू को बारीकी से खंगाल रही है कौन-कौन ज़ुबिन के साथ यॉट पर था? ड्रिंक और खाना किसने सर्व किया था? ज़ुबिन की तबीयत बिगड़ने के बाद क्या तुरंत मदद दी गई थी या देरी की गई? हर सवाल का जवाब ढूँढने की कोशिश जारी है। लोगों की निगाहें अब अदालत पर हैं

ज़ुबिन के चाहने वालों और देशभर के फैंस की निगाहें अब न्यायिक प्रक्रिया पर टिकी हैं। सब चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए — चाहे वो कितनी भी दर्दनाक क्यों न हो।

कई लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं “अगर ज़ुबिन के साथ सच में कुछ गलत हुआ है, तो दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए।”
“हम बस इंसाफ़ चाहते हैं, बदला नहीं।”

ज़ुबिन गार्ग की मौत अब सिर्फ़ एक दुखद घटना नहीं रही, बल्कि संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य बन चुकी है।

विवादित बिंदु और चुनौतियाँ

इस पूरे केस में अब कई अहम सवाल खड़े हो गए हैं, जो इसे और जटिल और पेचीदा बना देते हैं। सबसे पहले बात सबूतों की — अभी तक शुरुआती तथ्य तो सामने आए हैं, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। ना तो कोई पहचानने योग्य ज़हर मिला, ना ही कोई साक्षी, और ना ही खाने-पीने की फोरेंसिक रिपोर्ट। ऐसे में इसे साबित करना आसान नहीं।

दूसरी बड़ी बात है ज़ुबिन का तैराकी कौशल। जो इंसान पानी में माहिर हो, उसके अचानक डूबने का दावा स्वाभाविक नहीं लगता। यही वजह है कि “डूबने की दुर्घटना” वाला सिद्धांत अब कमजोर पड़ गया है।

तीसरा पहलू है मौके पर मौजूद लोगों का व्यवहार और उनका संपर्क। यॉट ट्रिप जैसी जगह पर, जहां मैनेजर, आयोजक और बैंड मेंबर सभी करीब होते हैं, उनकी हर गतिविधि, हर संवाद, और हर कदम जांच के लिए बेहद अहम हो जाता है। अगर उस दिन कैमरा फुटेज, रिकॉर्डिंग या कोई दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं, तो मामला और उलझ जाता है।

चौथा बड़ा दबाव है मीडिया और जनता का। जैसे ही ये खबर फैलती है, सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनल और आम जनता के अभिप्राय और राय मामले पर असर डालने लगते हैं। कुछ लोग आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर देते हैं, कुछ अफवाहों पर भरोसा कर लेते हैं। इससे जांच पर अप्रत्यक्ष दबाव बन सकता है और मामला और जटिल हो जाता है।

Zubeen Garg की बहन की प्रतिक्रिया

इस पूरे केस में अब कई अहम सवाल खड़े हो गए हैं, जो इसे और जटिल और पेचीदा बना देते हैं।

सबसे पहले बात सबूतों की — अभी तक शुरुआती तथ्य तो सामने आए हैं, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। ना तो कोई पहचानने योग्य ज़हर मिला, ना ही कोई साक्षी, और ना ही खाने-पीने की फोरेंसिक रिपोर्ट। ऐसे में इसे साबित करना आसान नहीं।

दूसरी बड़ी बात है ज़ुबिन का तैराकी कौशल। जो इंसान पानी में माहिर हो, उसके अचानक डूबने का दावा स्वाभाविक नहीं लगता। यही वजह है कि “डूबने की दुर्घटना” वाला सिद्धांत अब कमजोर पड़ गया है।

तीसरा पहलू है मौके पर मौजूद लोगों का व्यवहार और उनका संपर्क। यॉट ट्रिप जैसी जगह पर, जहां मैनेजर, आयोजक और बैंड मेंबर सभी करीब होते हैं, उनकी हर गतिविधि, हर संवाद, और हर कदम जांच के लिए बेहद अहम हो जाता है। अगर उस दिन कैमरा फुटेज, रिकॉर्डिंग या कोई दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं, तो मामला और उलझ जाता है।

चौथा बड़ा दबाव है मीडिया और जनता का। जैसे ही ये खबर फैलती है, सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनल और आम जनता के अभिप्राय और राय मामले पर असर डालने लगते हैं। कुछ लोग आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर देते हैं, कुछ अफवाहों पर भरोसा कर लेते हैं। इससे जांच पर अप्रत्यक्ष दबाव बन सकता है और मामला और जटिल हो जाता है।

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