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Ismail Darbar ने तोड़ी चुप्पी, पत्नी आयशा ने धर्म परिवर्तन से जुड़ी Rumors को किया Exposed जानें पूरी खबर

Ismail Darbar ने तोड़ी चुप्पी, पत्नी आयशा ने धर्म परिवर्तन से जुड़ी Rumors को किया Exposed जानें पूरी खबर

Ismail Darbar ने चुप्पी तोड़ी क्या है पूरा मामला?

मशहूर म्यूज़िक डायरेक्टर Ismail Darbar इन दिनों एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं लेकिन इस बार वजह कोई नया गाना नहीं, बल्कि उनकी पर्सनल लाइफ़ है। सोशल मीडिया पर उनकी पत्नी प्रीति, जो अब आयशा नाम से जानी जा रही हैं, को लेकर काफी चर्चाएँ चल रही हैं। धर्म परिवर्तन से लेकर उनके रिश्ते तक, कई तरह की अफवाहें फैलीं। अब खुद इस्माइल दरबार ने चुप्पी तोड़ते हुए इस पूरे मामले पर साफ़ और खुलकर बात की है।

Ismail Darbar ने कहा कि आयशा का इस्लाम अपनाना पूरी तरह उनका अपना फ़ैसला था, इसमें किसी का ज़बरदस्ती या दबाव नहीं था। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि “लोगों को ये समझना चाहिए कि किसी का धर्म बदलना उसकी अपनी सोच और आत्मिक यात्रा का हिस्सा होता है। हर किसी को अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने का हक़ है और आयशा ने वही किया है।”

Ismail Darbar ने उन अफवाहों को भी सिरे से खारिज किया जिनमें कहा जा रहा था कि दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ चुके हैं या वे अलग रह रहे हैं। इस्माइल दरबार बोले, “हर शादी में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि रिश्ता खत्म हो गया। हम दोनों अब भी साथ हैं और एक-दूसरे की इज़्ज़त करते हैं।”

सोशल मीडिया पर चल रहे “infidelity” यानी बेवफाई के आरोपों पर उन्होंने कहा, “लोग जो मन में आता है, वही लिख देते हैं। लेकिन सच्चाई कोई पूछने नहीं आता। हम एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, और यही हमारी शादी की असली ताकत है।”

Ismail Darbar ने मीडिया और पब्लिक से भी अपील की कि बिना सच्चाई जाने किसी के निजी रिश्ते पर उंगली उठाना ठीक नहीं होता। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें। जो बातें सोशल मीडिया पर फैलती हैं, उनमें से ज़्यादातर झूठ होती हैं। हमारी ज़िंदगी हमारी अपनी है, और हम दोनों उसे शांति और इज़्ज़त के साथ जीना चाहते हैं।”

इस दौरान Ismail Darbar ने अपनी पत्नी आयशा की तारीफ़ भी की। उन्होंने कहा कि “आयशा एक समझदार और मज़बूत औरत हैं। उन्होंने जो फैसला लिया, वो सोच-समझकर और अपने दिल की सुनकर लिया। मैं उनकी इस हिम्मत की कद्र करता हूं।”

लोगों ने जब Ismail Darbar से पूछा कि क्या आयशा का धर्म परिवर्तन उनके रिश्ते को प्रभावित करता है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “रिश्ता दिलों का होता है, मज़हब का नहीं। जब दिल साफ़ हों, तो धर्म कोई दीवार नहीं बनता।”

उन्होंने कहा कि दोनों के बीच प्यार और इज़्ज़त पहले की तरह ही बरकरार है। “हम दोनों अपने-अपने काम में व्यस्त रहते हैं, लेकिन जब वक्त मिलता है, तो साथ बैठकर बातें करते हैं, खाना खाते हैं, और ज़िंदगी को सुकून से जीने की कोशिश करते हैं।”

Ismail Darbar ने यह भी जोड़ा कि वे किसी भी तरह की नेगेटिविटी से दूर रहना पसंद करते हैं। “मुझे सोशल मीडिया पर झगड़ने या सफाई देने में यक़ीन नहीं है। मैं अपना काम करता हूं, और चाहने वाले लोग हमेशा सच्चाई समझ ही लेते हैं।”

पिछले कुछ दिनों में “Preeti aka Ayesha conversion” वाला टॉपिक इंटरनेट पर खूब ट्रेंड कर रहा था। कुछ लोगों ने इसे धर्म के नाम पर बहस बना दिया, तो कुछ ने इसे पर्सनल चॉइस बताया। लेकिन अब इस्माइल दरबार की साफ़-सुथरी बयानबाज़ी के बाद ये मामला काफ़ी हद तक स्पष्ट हो गया है।

अंत में उन्होंने कहा “ज़िंदगी में सुकून तभी मिलता है जब आप दूसरों की नज़र से नहीं, अपने दिल की नज़र से जीते हैं। मैंने और आयशा ने वही किया है। जो लोग हमें समझते हैं, उनका शुक्रिया और जो नहीं समझते, उनके लिए बस दुआ है।”

धर्म परिवर्तन मामले में खुलकर बोले Ismail Darbar

Ismail Darbar ने एक बार फिर साफ़-साफ़ कहा कि आयशा ने धर्म परिवर्तन पूरी तरह अपनी मर्ज़ी से किया, किसी ने उन पर कोई दबाव नहीं डाला। उन्होंने खुलकर कहा “She did it of her own free will.” यानी ये फैसला आयशा का अपना था, किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया।

Ismail Darbar ने बताया कि आयशा ने ये कदम बहुत सोच-समझकर उठाया था। उन्होंने लंबे वक्त तक इस पर विचार किया, समझा, और फिर अपने दिल की आवाज़ पर अमल किया। उन्होंने कहा कि “आयशा ने जो किया, वो उनके ईमान और आत्मा की तसल्ली के लिए था, न कि किसी के कहने पर।”

इसके साथ ही Ismail Darbar ने बताया कि आयशा ने अब ग्लैमर इंडस्ट्री से दूरी बना ली है। वो अब लाइमलाइट या शोहरत के पीछे नहीं भागतीं, बल्कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी को एक सुकूनभरे रास्ते पर ले जाने का फैसला किया है। दरबार के मुताबिक, “अब आयशा अपनी फैमिली और घर को पहली तरजीह देती हैं। उन्हें अब कैमरों की चमक या शोहरत की हड़बड़ी में दिलचस्पी नहीं रही।”

उन्होंने आगे कहा कि बहुत से लोग सोशल मीडिया पर ये बात फैला रहे थे कि धर्म परिवर्तन शायद किसी दबाव, प्रलोभन या दखल की वजह से हुआ होगा। लेकिन दरबार ने साफ़ कहा “ये सब झूठ है। आयशा ने किसी के दबाव में आकर कुछ नहीं किया। वो जो करती हैं, सोच-समझकर करती हैं।”

इस्माइल दरबार के लहजे से साफ़ झलकता है कि वो अपनी पत्नी के फैसले की पूरी इज़्ज़त करते हैं। उन्होंने कहा कि, “जब कोई औरत अपने दिल की सुनकर कोई बड़ा फैसला लेती है, तो समाज को उसे समझने की कोशिश करनी चाहिए, न कि उसकी नीयत पर शक करना।”

उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को किसी की निजी ज़िंदगी में उंगली उठाने से पहले दो बार सोचना चाहिए। “हर किसी की अपनी सोच, अपना सफर होता है। आयशा का फैसला उनका खुद का था — और मैं हमेशा उनके साथ हूं,” दरबार ने कहा।

उनका ये बयान उन सबको एक सीधा जवाब लगता है जो सोशल मीडिया पर कह रहे थे कि आयशा ने धर्म परिवर्तन किसी दबाव या लालच में आकर किया है। इस्माइल दरबार ने बड़ी सादगी से कहा, “हमारा रिश्ता भरोसे पर टिका है, और यही भरोसा हमारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ताक़त है।”

उनके इन बयानों से ये बात साफ़ हो जाती है कि दरबार और आयशा दोनों अपनी ज़िंदगी को सुकून, इज़्ज़त और समझदारी से जीना चाहते हैंऔर बाहरी दुनिया की बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते।

अफवाहों और आरोपों का खंडन

Ismail Darbar ने यह भी साफ़ किया कि उन पर जो बेवफ़ाई (infidelity) के आरोप लगाए गए थे, वे पूरी तरह गलत और बेवजह थे। उन्होंने कहा कि उनके और आयशा के बीच भरोसा अब भी उतना ही मजबूत है और ऐसे आरोपों को वह पूरी तरह नकारते हैं।

Ismail Darbar ने मीडिया और जनता से भी गुज़ारिश की कि वे बिना सच्चाई जाने अफवाहों पर विश्वास न करें। उन्होंने कहा कि किसी की निजी ज़िंदगी पर बिना जांच-पड़ताल के राय बनाना सही नहीं है और लोग केवल तथ्यों और सही जानकारी पर भरोसा करें।

उनके इस बयान से ये साफ़ हो जाता है कि रिश्ते की इज़्ज़त और परिवार की गरिमा उनके लिए सबसे अहम है, और वह किसी भी तरह की झूठी अफवाहों को फैलने नहीं देना चाहते।

परिवार और सामाजिक दबाव

Ismail Darbar ने यह भी बताया कि घर और परिवार को इन अफवाहों, सुर्ख़ियों और विवादों की वजह से काफी मानसिक दबाव और सामाजिक परेशानियाँ झेलनी पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया और लोग अक्सर हर कदम पर नज़र रखते हैं, और उनकी छोटी-छोटी टिप्पणियाँ या अनुमान कभी-कभी उनके आत्मसम्मान और इज़्ज़त पर चोट पहुंचा देते हैं।

प्रीति (आयशा) के धर्म परिवर्तन को लेकर सवाल उठाने के पीछे कई लोग सामाजिक, सांस्कृतिक या धार्मिक पूर्वाग्रह को भी जिम्मेदार मानते हैं। जैसे कि ये मान लेना कि किसी महिला को अपने धर्म परिवर्तन के बारे में हर बार जवाब देना चाहिए, या मीडिया का इसे ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना।

Ismail Darbar के बयान से साफ़ झलकता है कि वे केवल अपनी प्रतिष्ठा की ही नहीं, बल्कि अपने परिवार की शांति और गरिमा की भी पूरी रक्षा करना चाहते हैं। उनका मकसद है कि लोग अफवाहों पर विश्वास न करें और उनके निजी जीवन का सम्मान करें।

बयान का महत्व और आसपास की प्रतिक्रियाएँ

यह खुलासा ऐसे समय में सामने आया है जब मीडिया और लोग अक्सर कथित सुसाइड नोट्स, सोशल मीडिया पोस्ट या अफवाहों के आधार पर जल्दी-जल्दी निष्कर्ष निकाल लेते हैं। इस मामले में इस्माइल दरबार ने साफ़ कर दिया कि उनके और आयशा के सभी निर्णय व्यक्तिगत, सोच-विचार और आपसी सहमति से लिए गए थे।

दरबार का बयान इस बात को भी उजागर करता है कि हर सार्वजनिक व्यक्ति की निजी ज़िंदगी पर चर्चा करना कितना संवेदनशील मामला हो सकता है। अफवाहें और अटकलें जब सच के साथ मिल जाती हैं, तो ये इंसान को मानसिक दबाव में डाल सकती हैं।

इस खुलासे के बाद कई लोगों ने इस्माइल दरबार का समर्थन किया और कहा कि हर इंसान को सम्मान और निजता का हक़ मिलना चाहिए। वहीं कुछ आलोचक यह मानते हैं कि जब कोई सार्वजनिक शख़्स होता है, तो उसकी ज़िंदगी पर निगरानी और जांच होना स्वाभाविक है लेकिन यह हमेशा निष्पक्ष और तथ्य आधारित होनी चाहिए।

इस खुलासे से कुछ सकारात्मक पहलू भी सामने आते हैं:

समझौता और संवाद: मीडिया और जनता के बीच संवाद शुरू होने का रास्ता खुल सकता है, जिससे आपसी समझ बढ़े। मीडिया व्यवहार की समीक्षा: सवाल उठ सकते हैं कि कितनी हद तक किसी की निजी ज़िंदगी की रिपोर्टिंग करना सही है। निजता की रक्षा के लिए कानूनी कदम: यदि आरोप झूठे साबित होते हैं, तो दरबार या उनकी पत्नी कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं।

समाज की सोच बदलना: यह मामला समाज को यह संदेश दे सकता है कि धर्म परिवर्तन, निजी फैसले और पारिवारिक जीवन व्यक्ति की मर्ज़ी का हिस्सा हैं इन पर उन्माद और आरोप लगाना इंसानियत के खिलाफ हो सकता है।

इस तरह इस्माइल दरबार ने न केवल अपनी पत्नी की गरिमा और उनके फैसले की रक्षा की है, बल्कि मीडिया, जनता और समाज को यह भी संदेश दिया है कि जहाँ प्यार, भरोसा और समझ है, वहाँ सम्मान और पहचान की जरूरत सबसे ज़्यादा है।

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