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Varinder Singh Ghuman निधन की घटना
पंजाबी फिल्मों और बॉडीबिल्डिंग की दुनिया का एक चमकता सितारा, Varinder Singh Ghuman, अब इस दुनिया में नहीं रहा। ये खबर सुनकर हर किसी का दिल दहल गया चाहे वो पंजाब का कोई नौजवान हो जो उनके जैसा बनना चाहता था, या कोई फिटनेस लवर जो उन्हें रोल मॉडल मानता था।

Varinder Singh Ghuman का नाम सुनते ही एक मजबूत, मुस्कुराता और जोशीला चेहरा आँखों के सामने आ जाता था। लेकिन ज़िंदगी का खेल भी कितना अजीब है जो शख्स लोगों को ताक़त और जोश की मिसाल देता था, वही अचानक सबको रुला गया।
Times of India के मुताबिक, 9 अक्टूबर 2025 की शाम को अमृतसर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल से ये दुखभरी खबर सामने आई। बताया जा रहा है कि Varinder Singh Ghuman जी एक मामूली सर्जरी करवाने गए थे उनके बायसेप यानी बाँह की मांसपेशी या कंधे में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन छोटा है, बस एक दिन का मामला है। लेकिन किसे पता था कि किस्मत कुछ और ही लिख चुकी है।
ऑपरेशन ठीक-ठाक हो गया, सब नॉर्मल लग रहा था। वरिंदर जी से मिलने आए दोस्तों ने भी कहा कि वो हँसते-मुस्कुराते दिखे। मगर अचानक उनके दिल की धड़कन रुक गई। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, CPR दी, दवाइयाँ दीं, लेकिन दिल का दौरा (Cardiac Arrest) इतना ज़ोरदार था कि ज़िंदगी हार गई और मौत जीत गई।
परिवार की तरफ़ से इस खबर की पुष्टि की जा चुकी है। उनके एक करीबी रिश्तेदार ने बताया “जी हाँ, Varinder Singh Ghuman को दिल का दौरा पड़ा था। डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।”
अस्पताल की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान (official statement) नहीं आया है। अमृतसर के Fortis Hospital, जहाँ उनका इलाज हुआ था, वहाँ के स्टाफ़ ने बस इतना कहा कि मामला संवेदनशील है और परिवार की रज़ामंदी के बिना कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी।
सोशल मीडिया पर जैसे ही ये खबर फैली, हर तरफ़ शोक की लहर दौड़ गई। फिटनेस जगत, पंजाबी फ़िल्म इंडस्ट्री और उनके चाहने वाले हर शख्स ने ग़म ज़ाहिर किया। किसी ने लिखा “शेर चला गया, पर उसकी गरज हमेशा रहेगी…” तो किसी ने कहा “जिन्होंने हमें ताक़तवर बनने की प्रेरणा दी, वो खुद इतनी जल्दी चले गए…”
Varinder Singh Ghuman सिर्फ़ एक बॉडीबिल्डर नहीं थे, वो एक ब्रांड, एक आइकॉन थे। दुनिया के पहले ऐसे शाकाहारी (Vegetarian) प्रोफेशनल बॉडीबिल्डर जिनका नाम मिस्टर इंडिया और मिस्टर एशिया जैसे खिताबों में लिया जाता है। उन्होंने कई इंटरनेशनल प्लेटफ़ॉर्म्स पर भारत का नाम रोशन किया था।
उनकी कद-काठी, उनकी मेहनत और उनका आत्मविश्वास लोगों को दीवाना बना देता था। पंजाबी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करवाई खासकर उन किरदारों में जहाँ मर्दानगी, जूनून और जज़्बे की बात होती थी।
उनका जाना सिर्फ़ एक इंसान का जाना नहीं है, बल्कि एक सोच का जाना है वो सोच जो कहती थी कि “शरीर की ताक़त से पहले ज़रूरी है दिल की सच्चाई और मेहनत की लगन।” अब जब लोग जिम में डम्बल उठाएँगे, तो शायद किसी को उनका चेहरा याद आ जाएगा। जब कोई पंजाबी गाना चलेगा जिसमें मर्दानगी की बात होगी, तो वरिंदर घुम्मन की झलक ज़रूर आएगी
Varinder Singh Ghuman संघर्ष, अभिरुचि और पहला कदम
Varinder Singh Ghuman का जन्म साल 1983 में पंजाब की पवित्र धरती पर हुआ था। उनका पैतृक गाँव गुरदासपुर ज़िले में है वही जगह जहाँ खेतों की मिट्टी में मेहनत की ख़ुशबू और दिलों में सच्चाई बसी होती है। बचपन से ही वरिंदर एक सादे परिवार में पले-बढ़े। उनके पिता भूपिंदर सिंह, पंजाब पुलिस में सहायक उपनिरीक्षक (Assistant Sub-Inspector) के पद पर थे। घर का माहौल अनुशासन और ईमानदारी से भरा था।
वरिंदर की ज़िंदगी शुरू से आसान नहीं रही। न कोई बड़े साधन थे, न कोई स्पॉन्सर। लेकिन उनके अंदर एक आग थी कुछ कर दिखाने की, कुछ बन जाने की, जो हर आम इंसान को ख़ास बनाती है।
बचपन और जवानी के दिनों में वरिंदर को खेलों से बेहद लगाव था। स्कूल के वक्त में वो डिस्कस थ्रो (discus throw) और शॉटपुट (shot put) जैसे ताक़त वाले खेलों में हिस्सा लेते थे। उनकी बाँहों की ताक़त और शरीर की बनावट देखकर सब कहते थे, “ये लड़का कुछ बड़ा करेगा।” धीरे-धीरे उनका ध्यान बॉडीबिल्डिंग की तरफ़ चला गया।
Varinder Singh Ghuman ने जब जालंधर में रहना शुरू किया, तो वहीं से उनकी असल जर्नी की शुरुआत हुई। दिन-रात मेहनत, जिम में घंटों पसीना, सख़्त डाइट, और लोहे से दोस्ती यही उनका जीवन बन गया। उन्होंने कभी समझौता नहीं किया, चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों।
सबसे ख़ास बात ये थी कि Varinder Singh Ghuman पूरी तरह शाकाहारी (Vegetarian) थे। जबकि बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में ये माना जाता है कि बिना मीट या नॉन-वेज प्रोटीन के मसल्स बनाना मुश्किल होता है। लेकिन वरिंदर ने इस सोच को ग़लत साबित कर दिया। उन्होंने अपने शाकाहारी शरीर से पूरी दुनिया को दिखाया कि “ज़िद हो तो रास्ते खुद बनते हैं।”
मीडिया ने उन्हें “दुनिया का पहला शाकाहारी प्रोफेशनल बॉडीबिल्डर” कहा और ये बात पूरी तरह सच थी। Varinder Singh Ghuman का नाम उन लोगों में शामिल हो गया जो सिर्फ़ अपने शरीर से नहीं, बल्कि अपनी सोच और जीवनशैली से लोगों को इंस्पायर (प्रेरित) करते हैं। उनके चेहरे पर हमेशा एक शांति रहती थी, और बोलचाल में सादगी। जो भी उनसे मिलता, कहता कि “इतने बड़े इंसान में भी इतना अपनापन!” यही उनकी सबसे बड़ी खूबी थी दिल बड़ा होना।
Varinder Singh Ghuman का कहना था: “मसल्स सिर्फ़ लोहे से नहीं बनते, वो दिल की लगन से बनते हैं।” आज जब हम उनके सफर को देखते हैं, तो समझ आता है कि वो सिर्फ़ एक बॉडीबिल्डर नहीं थे वो मेहनत, सादगी और हौसले का प्रतीक थे। गुरदासपुर की मिट्टी से उठकर उन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि पंजाब का जवान जब ठान ले, तो नाम रोशन करना उसकी फितरत होती है।
Varinder Singh Ghuman – सफलताएँ, नाम और पहचान
Varinder Singh Ghuman एक ऐसा नाम जिसने हदों को तोड़कर नई मिसाल कायम की| वरिंदर सिंह घुम्मन की ज़िंदगी सिर्फ़ एक इंसान की कहानी नहीं, बल्कि जुनून, मेहनत और हिम्मत की मिसाल है। वो उन लोगों के लिए प्रेरणा बन गए जो यह मानते हैं कि सीमाएँ सिर्फ़ सोच में होती हैं, हकीकत में नहीं। बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में चमकता सितारा वरिंदर ने बॉडीबिल्डिंग में वो मुकाम हासिल किया, जहाँ पहुँचने का सपना हर नौजवान देखता है।
Mr. India 2009 –
यही वो साल था जब वरिंदर ने अपनी ज़िंदगी का पहला बड़ा मुकाम हासिल किया। Mr. India का खिताब जीतकर उन्होंने पूरे देश को यह एहसास दिलाया कि पंजाब का बेटा किसी से कम नहीं। इस जीत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और उनके करियर की असली शुरुआत यहीं से हुई।
Mr. Asia में दूसरा स्थान –
Mr. India के बाद वरिंदर ने एशियाई मंच पर भी अपना लोहा मनवाया। Mr. Asia प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल करना आसान बात नहीं थी, लेकिन वरिंदर की मेहनत और फिटनेस के जुनून ने यह नामुमकिन भी मुमकिन कर दिखाया।
IFBB Pro Card –
यह तो जैसे उनके करियर का सोने पर सुहागा था। IFBB Pro Card वो पहचान होती है जो किसी बॉडीबिल्डर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेशेवर दर्जा (Professional status) देती है। यह कार्ड सिर्फ़ उन्हीं को मिलता है जिन्होंने अपने शरीर, अनुशासन और प्रदर्शन से वाकई दुनिया को प्रभावित किया हो और वरिंदर ने ये कर दिखाया।
Arnold Schwarzenegger का सम्मान –
Varinder Singh Ghuman की मेहनत और फिटनेस के प्रति लगन इतनी ज़बरदस्त थी कि खुद हॉलीवुड और बॉडीबिल्डिंग के लीजेंड Arnold Schwarzenegger ने उन्हें एशिया में अपने हेल्थ प्रोडक्ट्स का ब्रांड एंबेसडर बनाया। सोचिए, ये कितना बड़ा सम्मान था! दुनिया के सबसे बड़े फिटनेस आइकॉन का नाम वरिंदर के साथ जुड़ना अपने आप में एक इतिहास बन गया।
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ –
उन्होंने भारत का नाम कई जगहों पर रोशन किया। साल 2011 में IFBB Australian Pro Grand Prix XI जैसी बड़ी इंटरनेशनल बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता में उन्होंने हिस्सा लिया और अपनी ताक़त, शरीर और आत्मविश्वास से सबका ध्यान खींच लिया।
बॉक्सिंग रिंग से फिल्मी पर्दे तक का सफर
Varinder Singh Ghuman सिर्फ़ लोहे के खिलाड़ी नहीं थे वो सिल्वर स्क्रीन के स्टार भी बन गए। जब उन्होंने फिल्मों की दुनिया में कदम रखा, तो सबको लगा कि इतने बड़े बॉडीबिल्डर का कैमरे के सामने टिक पाना मुश्किल होगा, लेकिन उन्होंने यहाँ भी कमाल कर दिया।
Kabaddi Once Again (2012) – ये वरिंदर की पहली पंजाबी फिल्म थी, जिसमें उन्होंने मुख्य किरदार निभाया। फिल्म में उनकी फिटनेस और दमदार स्क्रीन प्रेज़ेन्स देखकर दर्शकों ने उन्हें तुरंत अपना लिया।
Roar: Tigers of the Sundarbans (2014) – फिर वरिंदर ने बॉलीवुड की ओर रुख किया। इस फिल्म में उन्होंने जंगल के माहौल और ऐक्शन सीक्वेंसेज़ में अपनी ताक़त और अभिनय दोनों का जबरदस्त प्रदर्शन किया।
Marjaavaan (2019) – इस फिल्म में उनका किरदार छोटा जरूर था, लेकिन स्क्रीन पर उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि लोग उन्हें याद रखे बिना नहीं रह सके।
Tiger 3 (2023) – सलमान खान की सुपरहिट फ्रेंचाइज़ी Tiger सीरीज़ में वरिंदर ने “शकील” नाम के पाकिस्तानी जेलर का रोल निभाया। उनके इस किरदार ने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। उनके चेहरे का सख़्त अंदाज़ और दमदार बॉडी ने इस रोल को ज़िंदा कर दिया।
पंजाब से दुनिया तक
इन सभी उपलब्धियों ने वरिंदर घुम्मन को सिर्फ़ पंजाब या भारत तक सीमित नहीं रखा उन्होंने दुनिया भर में अपने नाम का डंका बजाया। चाहे जिम में हो, या परदे पर, या किसी इंटरव्यू में उनकी बातों में हमेशा एक ही संदेश होता था:“मेहनत करो, सच्चाई से जीयो, और खुद को कभी कम मत समझो।” वरिंदर की ये बातें आज भी लाखों युवाओं के लिए राह दिखाने वाली प्रेरणा हैं। उन्होंने साबित किया कि अगर दिल में जुनून हो तो पंजाब की मिट्टी से उठकर भी दुनिया जीती जा सकती है।
सामाजिक प्रभाव, प्रेरणा और विचार
Varinder Singh Ghuman एक नाम, जो सिर्फ़ ताक़त नहीं बल्कि सोच की मिसाल भी बन गया| वरिंदर सिंह घुम्मन सिर्फ़ एक बॉडीबिल्डर या एक्टर नहीं थे, बल्कि वो एक ऐसी प्रेरणा (inspiration) थे जिन्होंने हज़ारों युवाओं के दिलों में हिम्मत की चिंगारी जला दी। वो उन लोगों के लिए मिसाल बन गए जो सीमाओं को रुकावट नहीं, बल्कि चुनौती मानते हैं।
शाकाहारी जीवनशैली और हेल्दी सोच
आज के समय में जहाँ लोग फिटनेस के लिए तरह-तरह के सप्लीमेंट्स, मीट और नॉन-वेज डाइट पर भरोसा करते हैं, वहीं वरिंदर ने सबको दिखा दिया कि “बिना मांस खाए भी लोहे जैसा शरीर बनाया जा सकता है।”
वो पूरी तरह शाकाहारी (Vegetarian) थे — यहाँ तक कि वो अंडा (Egg) भी नहीं खाते थे। उनका मानना था कि फिटनेस सिर्फ़ खाने से नहीं, सोच, अनुशासन और मेहनत से आती है। उन्होंने अपने हर इंटरव्यू में यही कहा कि अगर आप दिल से चाहो तो प्राकृतिक (Natural) तरीके से भी शरीर को मज़बूत बनाया जा सकता है। उनकी ये सोच युवाओं के लिए एक नई दिशा बन गई कि फिटनेस सिर्फ़ शरीर नहीं, बल्कि एक जीवनशैली (Lifestyle) है।
अनुशासन, मेहनत और डेडिकेशन का उदाहरण
Varinder Singh Ghuman की ज़िंदगी का हर पल यही सिखाता है कि सफलता मेहनत और अनुशासन से मिलती है, शॉर्टकट से नहीं। वो हर दिन सुबह जल्दी उठते, घंटों ट्रेनिंग करते, सख़्त डाइट फॉलो करते और फिर भी मुस्कुराते रहते। उनके चेहरे पर कभी थकान नहीं दिखती थी, क्योंकि उनके अंदर का जोश और लगन हमेशा ज़िंदा रहती थी। वो कहते “अगर तुम रोज़ खुद को थोड़ा-थोड़ा बेहतर बनाते रहो, तो एक दिन पूरी दुनिया बदल जाएगी।”
संघर्ष से सफलता तक का सफर
Varinder Singh Ghuman का सफर आसान नहीं था। पंजाब के एक छोटे से परिवार से उठकर उन्होंने जो नाम कमाया, वो सिर्फ़ मेहनत और जुनून का नतीजा था। ना उनके पास शुरू में बड़े जिम थे, ना गाइडेंस, ना सपोर्ट।
लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी काबिलियत, अनुशासन और आत्मविश्वास से वो मुकाम हासिल किया जहाँ तक पहुँचना कई लोगों का सपना रह जाता है।उन्होंने अपने पसीने और संघर्ष से ये साबित कर दिया कि अगर इरादा मज़बूत हो, तो हालात भी झुक जाते हैं।
प्रेरणा और विरासत
आज जब वरिंदर हमारे बीच नहीं हैं, फिर भी उनकी यादें, बातें और उपलब्धियाँ हर फिटनेस लवर, हर नौजवान और हर सपने देखने वाले इंसान के लिए एक रोशनी हैं।
उनकी ज़िंदगी सिखाती है कि “ज़िंदगी में फर्क इस बात से नहीं पड़ता कि आपके पास क्या नहीं है, बल्कि इस बात से पड़ता है कि आप जो भी हैं, उसे कितना ईमानदारी से निभाते हैं।”
फिटनेस, एक्टिंग, अनुशासन और सादगी वरिंदर घुम्मन इन चारों का सुंदर संगम थे। उन्होंने जो राह दिखाई, वो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल और प्रेरणा बन चुकी है। आज भी जब कोई नौजवान जिम में जाकर वज़न उठाता है, तो कहीं न कहीं उसके मन में ये ख्याल ज़रूर आता है “वरिंदर घुम्मन जैसा बनना है।”
प्रतिक्रिया और श्रद्धांजलि
Varinder Singh Ghuman को नम आँखों से अलविद
जैसे ही Varinder Singh Ghuman के निधन की खबर सामने आई, ट्विटर, इंस्टाग्राम और बाकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर श्रद्धांजलि की बाढ़ सी आ गई। हर कोई इस खबर से सदमे में था चाहने वाले, दोस्त, फिटनेस लवर्स, बॉडीबिल्डिंग कम्युनिटी और फिल्म इंडस्ट्री के साथी कलाकार सबने उन्हें याद किया, उनके लिए दिल से संदेश लिखे।
पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी ट्वीट कर शोक जताया। उन्होंने लिखा कि “वरिंदर घुम्मन ने पंजाब का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। उनका जाना एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।”
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि उनकी मौत से सिर्फ़ एक दिन पहले, वरिंदर ने मशहूर पंजाबी सिंगर राजवीर जावंदा के निधन पर सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि पोस्ट की थी। कई लोगों ने इस बात को बेहद भावुक नज़रिए से देखा मानो उन्होंने खुद अपने जाने की आहट पहले ही दे दी थी।
उनके जाने से पूरा एंटरटेनमेंट जगत और फिटनेस समुदाय शोक में डूब गया। जिम, ट्रेनिंग सेंटर्स और सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालों ने मोमबत्तियाँ जलाकर, पोस्ट और वीडियोज़ के ज़रिए अपने हीरो को याद किया।
एक वीर का विश्राम
Varinder Singh Ghuman की मौत अचानक और बेहद दर्दनाक रही ऐसी घटना जिसने सबको झकझोर दिया। लेकिन कहते हैं, “असली इंसान मरता नहीं, उसकी कहानी ज़िंदा रहती है।” वरिंदर की कहानी, उनके सपने, उनकी मेहनत और उनका जज़्बा आज भी लोगों के दिलों में धड़कता है।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि अगर इरादा मज़बूत हो, तो रास्ते खुद बनते हैं। उन्होंने यह साबित किया कि अनुशासन, विश्वास और निरंतर मेहनत से इंसान किसी भी ऊँचाई तक पहुँच सकता है। हाँ, आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़, प्रेरणा और आत्मबल आने वाली पीढ़ियों को ताक़त देते रहेंगे। भारत ने आज एक बड़ा सितारा खो दिया है, लेकिन उसकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ेगी।
Varinder Singh Ghuman सिर्फ़ एक नाम नहीं थे वो हौसले, मेहनत और सादगी का प्रतीक थे। आज जब हम उन्हें अलविदा कह रहे हैं, तो दिल से बस एक ही दुआ निकलती है “आराम से विश्राम करो, वरिंदर सिंह घुम्मन।” आपकी मेहनत, आपका जुनून और आपकी धड़कन हमेशा हमारी यादों में ज़िंदा रहेगी।
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