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Amazon ने क्यों किया 14,000 पदों पर कटौती?
Amazon दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स और क्लाउड कंपनी ने हाल ही में करीब 14,000 कॉर्पोरेट नौकरियाँ खत्म करने का बड़ा फैसला लिया है। ये खबर सुनकर दुनिया भर में लोगों के बीच हलचल मच गई थी। अब कंपनी के CEO Andy Jassy ने पहली बार इस फैसले पर खुलकर अपनी बात रखी है।
जेसी का कहना है कि यह छंटनी पैसे बचाने या AI (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) की वजह से नहीं हुई है, बल्कि यह कदम कंपनी की संस्कृति (कल्चर) को फिर से नया रूप देने की कोशिश का हिस्सा है। यानी Amazon अपने अंदर एक बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है ऐसा बदलाव जो उसे फिर से उस तेज़, फुर्तीले और जिम्मेदार स्टार्टअप की तरह बनाएगा, जैसा वह अपने शुरुआती दिनों में हुआ करता था।
Andy Jassi का बयान
Andy Jassi ने हाल ही में एक क्वार्टरली कॉल के दौरान कहा: “हमारा हालिया ऐलान ज़्यादा फाइनेंशियल या AI-ड्रिवन नहीं है कम से कम अभी तो नहीं। असल में यह पूरी तरह से कल्चर से जुड़ा फैसला है।”
उन्होंने आगे समझाया कि कोरोना महामारी के दौरान कंपनी की ग्रोथ बहुत तेज़ हुई थी। उस वक्त Amazon ने एक के बाद एक नई टीम्स और मैनेजमेंट लेयर्स बना डालीं, जिससे डिसीजन लेने की स्पीड (निर्णय लेने की गति) धीमी पड़ गई। अब कंपनी को महसूस हुआ है कि यह मॉडल उतना असरदार नहीं है, इसलिए उसे फिर से सिंपल और डायरेक्ट स्ट्रक्चर में लौटना होगा।
Amazon: “दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप” बनने की चाह
Andy Jassi ने बड़ी दिलचस्प बात कही उनका कहना है कि Amazon अब खुद को “दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप (The World’s Largest Startup)” बनाना चाहती है। मतलब यह कि कंपनी चाहती है कि उसकी टीमें छोटी हों, चुस्त (agile) हों और हर मेंबर अपने काम की पूरी जिम्मेदारी उठाए।
Andy Jassi ने कहा कि जब टीम छोटी होती है, तो ज़िम्मेदारी बढ़ती है, कम्युनिकेशन साफ़ होता है और काम का नतीजा बेहतर निकलता है। यही वजह है कि Amazon अब अपने ढाँचे को हल्का (lean) और तेज़ रफ़्तार वाला (fast-paced) बना रही है।
अगर सीधी ज़बान में कहें तो Amazon ये समझ गई है कि सिर्फ “बड़ी टीम” होना कामयाबी की गारंटी नहीं है। कभी-कभी ज़रूरत होती है सही लोगों की सही जगह पर तैनाती की ताकि फैसला जल्दी लिया जा सके, और ग्राहक तक असर सीधा पहुँचे।
Andy Jassi का कहना है कि Amazon की ताकत हमेशा से उसकी कस्टमर-फर्स्ट सोच रही है। लेकिन जब लेयर्स बढ़ जाती हैं, तो वही फोकस धीरे-धीरे कम होने लगता है।इसीलिए अब कंपनी पुराने बोझ को हटाकर, खुद को फिर से “तेज़ सोचने वाली कंपनी” में बदलना चाहती है।

कर्मचारियों के लिए क्या मायने रखता है?
कई लोगों के लिए यह खबर दुखद है क्योंकि 14,000 लोगों की नौकरियाँ जाना कोई छोटा मामला नहीं है। लेकिन जेसी का कहना है कि यह फैसला लंबे समय के लिए ज़रूरी था। Amazon कंपनी को ऐसे कर्मचारियों की ज़रूरत है जो नई दिशा में सोच सकें, फैसले खुद ले सकें, और नए जमाने की टेक्नोलॉजी के साथ कदम मिला सकें।
AI की भूमिका “अभी नहीं, लेकिन आने वाले समय में”
Andy Jassi ने साफ़ कहा कि इस बार AI इस फैसले की वजह नहीं है, लेकिन आने वाले वक्त में AI का रोल बहुत बड़ा होने वाला है। उन्होंने कहा कि Amazon पहले से ही AI और जनरेटिव टेक्नोलॉजी पर भारी निवेश कर रही है, और भविष्य में यह उनके बिज़नेस मॉडल का अहम हिस्सा बनेगा।
पैंडेमिक के वक्त अमेज़न ने जिस रफ़्तार से तरक्की की, वो वाक़ई क़ाबिल-ए-तारीफ़ थी। उस समय लोगों की ज़रूरतें ऑनलाइन शॉपिंग की तरफ़ बढ़ गईं, और अमेज़न ने भी उसी हिसाब से अपने बिज़नेस को बड़े स्केल पर फैलाया। मगर इस तेज़ी से बढ़ने का एक दूसरा पहलू भी था कंपनी की कॉर्पोरेट टीम बहुत बड़ी और जटिल (complex) होती चली गई।
Andy jassi का कहना है कि इस तगड़े एक्सपैंशन की वजह से “ओनरशिप” यानी ज़िम्मेदारी की असली भावना कहीं न कहीं कम हो गई थी। जब टीम बहुत बड़ी हो जाती है, तो फैसले लेने की प्रक्रिया धीमी और बोझिल हो जाती है हर बात के लिए कई मंज़िलों से होकर गुजरना पड़ता है।
जेसी का मानना है कि यह वही चीज़ है जो Amazon की पुरानी फुर्ती (agility) को कम कर रही थी। इसलिए अब कंपनी फिर से छोटी, चुस्त और आत्मनिर्भर टीमों की तरफ़ लौटना चाहती है जहाँ हर इंसान अपने काम का मालिक हो।
AI और टेक्नोलॉजी का बढ़ता असर
जेसी ने भले ही यह साफ़ कहा कि इस बार की छंटनी का सीधा कारण AI नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि आने वाले वक़्त में AI और ऑटोमेशन की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है। दुनिया भर की तरह, Amazon भी इन नई टेक्नोलॉजी में तेज़ी से निवेश कर रही है ताकि वो आने वाले डिजिटल दौर में पीछे न रह जाए।
कंपनी खुद मान चुकी है कि AI और ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी तेज़ी से काम की दुनिया को बदल रही हैं। इसका मतलब है कि आगे चलकर बहुत-से काम मशीनों और स्मार्ट सिस्टम्स के ज़रिए होंगे और इसका असर नौकरियों पर भी साफ़ तौर पर पड़ेगा।
रॉयटर्स की रिपोर्ट का ज़िक्र
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, जब Amazon ने लगभग 14,000 पदों की कटौती का ऐलान किया था, उसी वक्त कंपनी ने ये भी बताया कि वो AI और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश बढ़ा रही है। यानि एक तरफ़ कंपनी अपने स्टाफ को छोटा कर रही है|
और दूसरी तरफ़ टेक्नोलॉजी के ज़रिए अपनी ताक़त बढ़ा रही है। इसका सीधा मतलब है कि Amazon अब भविष्य की तैयारी में जुटी हुई है जहाँ इंसानों के साथ-साथ मशीनें और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस सिस्टम मिलकर काम करेंगे।
अगले चरण की तैयारी
अमेज़न का मक़सद अब आने वाले सालों में खुद को और ज़्यादा “लीन, फ्लैट और फास्ट-मूविंग” यानी हल्का, सीधा और तेज़ी से काम करने वाला बनाना है। सीईओ Andy Jassy ने कहा है कि कंपनी फिर से अपना “स्टार्टअप डीएनए” (startup DNA) जगाना चाहती है मतलब वो पुराना जोश, वो सीधी-सादी काम करने की शैली, जहाँ फैसले जल्दी हों, ब्यूरोक्रेसी (bureaucracy) कम हो और ज़िम्मेदारी ज़्यादा हो।
Andy Jassy का कहना है कि Amazon जैसी बड़ी कंपनी में अब वक़्त आ गया है कि हर कर्मचारी खुद को सिर्फ़ एक “पार्ट ऑफ़ सिस्टम” नहीं बल्कि एक ओनर (मालिक) की तरह महसूस करे जो अपने काम का पूरा जवाबदेह हो।
किन विभागों पर पड़ा असर?
इस बार जो कटौती हुई है, वो ज़्यादातर कॉर्पोरेट विभागों (corporate roles) में देखने को मिली है। इनमें HR (Human Resources), डिवाइस टीम्स (जैसे Alexa और Fire TV वाली यूनिट्स), और क्लाउड/एडवर्टाइजिंग डिविज़न शामिल हैं। यानि वे हिस्से जो कंपनी की “बैकएंड” या “मैनेजमेंट” की परतों में आते हैं।
Amazon कंपनी का कहना है कि इस बदलाव का मुख्य मक़सद काम को आसान और तेज़ बनाना है, ताकि एक ही फैसले के लिए कई स्तरों पर जाने की ज़रूरत न पड़े। अब अमेज़न चाहती है कि टीमें छोटी हों, जिम्मेदारियाँ साफ़ हों, और डिसीजन तुरंत लिए जाएं।

Amazon कर्मचारियों के लिए राहत की कोशिश
Amazon ने कहा है कि जिन कर्मचारियों पर यह असर पड़ा है, उन्हें 90 दिन का समय दिया गया है। इस दौरान वे कंपनी के अंदर ही नए रोल या डिपार्टमेंट में आवेदन कर सकते हैं। यानि कंपनी ने उन्हें पूरी तरह बाहर नहीं किया, बल्कि “री-असाइनमेंट” (पुनः नियुक्ति) का मौका दिया है। कई कर्मचारियों के लिए यह एक ट्रांज़िशन पीरियड (परिवर्तन का दौर) है, जहाँ वे अपनी नई भूमिका या दिशा तय कर सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, यह सिर्फ़ पहला चरण हो सकता है। अगर अगले साल तक कंपनी इसी तरह री-स्ट्रक्चरिंग (पुनर्गठन) जारी रखती है, तो कुल मिलाकर 30,000 पदों तक की कटौती भी हो सकती है।
हालाँकि, Amazon कंपनी का कहना है कि यह सब लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा है ताकि Amazon फिर से उस दौर में लौट सके जहाँ वो “दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप” कहलाने के क़ाबिल थी।
Amazon के इस बड़े फैसले के कुछ फायदे भी हैं और कुछ चुनौतियाँ भी। Amazon कंपनी का कहना है कि इस बदलाव के बाद वो पहले से ज़्यादा चुस्त (agile), तेज़-तर्रार और कम जटिल (less complex) बन जाएगी। इससे न सिर्फ़ ग्राहकों को बेहतर सेवा मिलेगी, बल्कि बाज़ार में प्रतिस्पर्धा (competition) के मुकाबले में भी Amazon को बढ़त हासिल हो सकती है।
फायदे कंपनी के लिए नया जोश, नई चाल
Andy Jassy का मानना है कि अब जब टीम छोटी और सटीक होगी, तो हर कर्मचारी में ज़्यादा ज़िम्मेदारी (ownership) की भावना पैदा होगी। यानी हर शख़्स अपने काम का “मालिक” महसूस करेगा, और इससे नवाचार (innovation) को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा।
कम ब्यूरोक्रेसी का मतलब है कि अब फैसले जल्दी लिए जा सकेंगे लंबी मीटिंग्स या मंज़ूरी के इंतज़ार में वक्त ज़ाया नहीं होगा। Amazon कंपनी का कामकाज तेज़ी से चलेगा, और ग्राहक को बेहतर अनुभव मिलेगा यही Amazon का असली लक्ष्य है।
चुनौतियाँ – इंसानी असर और भरोसे की कसौटी
लेकिन जहाँ फायदे हैं, वहीं कुछ मुश्किलें भी कम नहीं। 14,000 लोगों की नौकरियाँ जाना कोई छोटा झटका नहीं है। इन कर्मचारियों के लिए यह दौर अनिश्चितता, आर्थिक दबाव और नए अवसरों की तलाश का है। कई लोगों के लिए यह बदलाव मानसिक और भावनात्मक तौर पर भी भारी साबित हो सकता है।
हालाँकि जेसी ने साफ़ कहा कि यह कटौती AI या पैसों की वजह से नहीं है, मगर कई विश्लेषकों (analysts) का मानना है कि ऐसा पूरी तरह सही नहीं है। Amazon कंपनी जिस तरह से AI और ऑटोमेशन में निवेश बढ़ा रही है|
उसे देखकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या ये सब “संस्कृति सुधार” के नाम पर टेक्नोलॉजी से जुड़ी कटौती तो नहीं? अगर ऐसा है, तो यह कदम कुछ लोगों को “टोन-डेफ़” (tone-deaf) लग सकता है मतलब ऐसा फैसला जो कर्मचारियों की भावनाओं और ज़मीनी हालात को नज़रअंदाज़ करता हो।
आगे क्या हो सकता है?
Times of India, रिपोर्ट्स के अनुसार, आने वाले महीनों में और कटौती या पद-परिवर्तन (role changes) की संभावना भी बनी हुई है। Amazon कंपनी अभी अपने स्ट्रक्चर को रीसेट (reset) कर रही है, और यह प्रक्रिया अगले साल तक भी जारी रह सकती है।
इसलिए अब नज़रें टिकी हैं इस बात पर कि Amazon अपने “स्टार्टअप DNA” को कितनी कामयाबी से फिर से ज़िंदा कर पाती है। क्या यह बदलाव सच में कर्मचारियों में नई ऊर्जा भर पाएगा? क्या इससे इनोवेशन और कस्टमर सैटिस्फैक्शन वाक़ई बेहतर होंगे? या फिर यह सिर्फ़ एक “कॉस्ट-कटिंग” की नई शक्ल साबित होगा यह आने वाला वक्त बताएगा।
Amazon का यह क़दम सिर्फ़ नौकरी की कटौती नहीं, बल्कि एक नई सोच और दिशा की शुरुआत है।“कभी-कभी बड़ी कंपनियों को दोबारा छोटा बनना पड़ता है ताकि वो फिर से तेज़ी से सोच सकें, और अपने असली मक़सद ग्राहक और नवाचार के और क़रीब आ सकें।” यह बदलाव आसान नहीं है, मगर अगर अमेज़न सच में अपने “स्टार्टअप दिल” को फिर से धड़काने में कामयाब रही, तो यह उसकी अगली बड़ी उड़ान की शुरुआत साबित हो सकती है।
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