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Bihar Election 2025 Prediction: क्या इस बार Survey होंगे Accurate या फिर एक और Shocking Twist?

Bihar Election 2025 Prediction: क्या इस बार Survey होंगे Accurate या फिर एक और Shocking Twist?

Bihar Election 2025 में Prediction की सटीकता: एक विश्लेषण

Bihar Election 2025 हमेशा से ही बड़ी दिलचस्प और गर्मजोश रही है यहाँ की राजनीति में जात-पात, इलाके का असर और अलग-अलग पार्टियों के बीच गठजोड़ का खेल इतना पेचीदा होता है कि किसी का भी दिमाग घूम जाए। यही वजह है कि हर बार जब Bihar Election 2025 नज़दीक आते हैं, तो लोग सबसे ज़्यादा उत्सुक रहते हैं यह जानने के लिए कि “आख़िर जीत किसकी होगी?” और मीडिया या सर्वे एजेंसियों के हर नए अनुमान पर चर्चा छिड़ जाती है।

अब ज़रा सोचिए इतने उतार-चढ़ाव और राजनीति के तगड़े समीकरणों वाले बिहार में कोई भी सर्वे कितना सही निकल सकता है? फिर भी, हर बार कुछ एजेंसियाँ चुनाव से पहले अपने पूर्वानुमान पेश करती हैं कभी सीटों का अंदाज़ा लगाती हैं, कभी वोट शेयर का। मगर जैसा कि कहते हैं, “अंदाज़ा लगाना आसान है, लेकिन असलियत वही जानता है जो ज़मीन पर उतरता है।”

Bihar Election 2025 के चुनाव से पहले भी यही माहौल है तमाम सर्वे एजेंसियाँ मैदान में उतर चुकी हैं और अपने-अपने आँकड़े पेश कर रही हैं। SPICK Media Network के एक सर्वे में बताया गया है कि इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को करीब 158 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महागठबंधन को 66 सीटों तक सीमित रहने का अनुमान है। सुनने में यह आंकड़ा NDA के लिए शानदार लग सकता है, मगर बिहार की सियासत में कब क्या हो जाए, ये कोई नहीं जानता।

असल बात यह है कि केवल “अंदाज़ा” लगाना आसान होता है, मगर उस अंदाज़े का हकीकत से मेल खाना बहुत मुश्किल। क्योंकि Bihar में हवा अक्सर आख़िरी हफ़्ते में बदल जाती है जो लहर शुरुआत में दिखती है, वो मतदान से पहले पूरी तरह पलट भी सकती है। लोग मुद्दों से ज़्यादा अपने सामाजिक समीकरणों और स्थानीय उम्मीदवारों को देखते हैं।

और यही वजह है कि पिछले कई चुनावों में भी देखा गया है कि बड़े-बड़े सर्वे फेल हो गए। टीवी चैनलों के एग्ज़िट पोल्स ने एक बात कही, और नतीजे कुछ और निकले। कभी NDA को भारी बहुमत बताया गया, तो कभी महागठबंधन को; लेकिन असल में परिणाम उलट गए।

मसलन, 2020 के चुनाव में ज़्यादातर सर्वे यह कह रहे थे कि महागठबंधन को बढ़त मिलेगी लेकिन नतीजा आया तो NDA ने सरकार बना ली। वहीँ 2015 में ज्यादातर एजेंसियाँ चूक गईं, मगर Axis My India ने लगभग सटीक अनुमान लगाया था।

इसलिए अब जब Bihar Election 2025 का चुनाव नज़दीक है, तो जनता भी थोड़ी समझदार हो गई है वो जानती है कि “सर्वे” किसी हद तक दिशा दिखा सकता है, मगर पूरा सच नहीं बता सकता। बिहार की ज़मीन का मिज़ाज आख़िरी दिन तक रहस्यमयी रहता है।

तो कुल मिलाकर बात ये है कि चाहे मीडिया कुछ भी दिखाए, सोशल मीडिया पर आंकड़े उड़ें, या एजेंसियाँ ग्राफ़्स बनाएं बिहार की जनता आख़िरी वोट डालने के दिन ही तय करती है कि “राज तिलक किसे मिलेगा।” इसलिए इस बार जब आप खबरें देखें या किसी नए सर्वे का नतीजा पढ़ें, तो ज़रा मुस्कुरा कर कहिए “अभी तो बिहार की हवा चलनी बाकी है!”

पिछली गलतियों और सही अनुमान

2020 के Bihar Election की बात करें तो वो वाकई बहुत ही दिलचस्प रहा था। उस वक़्त ज़्यादातर एग्ज़िट पोल्स और सर्वे एजेंसियाँ ये कह रही थीं कि इस बार महागठबंधन की जीत तय है। चारों तरफ माहौल भी कुछ ऐसा ही बनाया जा रहा था जैसे कि नीतीश कुमार की सरकार जाने वाली है और तेजस्वी यादव की एंट्री तय है।

मगर जब असली नतीजे आए, तो सबके चेहरे पर हैरानी साफ दिखी क्योंकि NDA ने फिर से सरकार बना ली! यानी जो तस्वीर सर्वे ने दिखाई थी, वो हकीकत में बिल्कुल उलट निकली।

हालांकि, कुछ एजेंसियों ने काफ़ी हद तक सही अनुमान लगाया था। जैसे कि ABP-CVoter का सर्वे सबसे ज़्यादा क़रीब साबित हुआ। उन्होंने कहा था कि NDA को 104 से 128 सीटें मिल सकती हैं और महागठबंधन को 108 से 131 सीटें मिल सकती हैं। अब ज़रा असल नतीजे देखिए NDA को मिली लगभग 125 सीटें। यानी उनका अनुमान लगभग निशाने पर बैठा!

अब अगर हम 2015 के Bihar Election की बात करें, तो वहाँ भी कहानी कुछ ऐसी ही रही थी। ज़्यादातर चैनल और सर्वे एजेंसियाँ उस वक्त भटक गई थीं, लेकिन Axis My India ने एक ऐसा सर्वे किया था जो लगभग 100% सही निकला। बस अफसोस ये रहा कि उनका नतीजा उस वक़्त टीवी पर प्रसारित ही नहीं हुआ, वरना वो सबसे सटीक भविष्यवाणी का तमगा अपने नाम कर लेते।

इन दोनों चुनावों की मिसाल से साफ समझ आता है कि “पूर्वानुमान” और “सटीक अनुमान” में बहुत बड़ा फ़र्क होता है। कई बार एजेंसियाँ अपने फॉर्मूले, सैंपल साइज या वोटर डेटा के आधार पर कुछ आंकड़े निकालती हैं पर असलियत में बिहार का वोटर आख़िरी वक़्त में गेम पलट देता है।

यानी सर्वे कभी-कभी बहुत करीब पहुँच जाते हैं, लेकिन अक्सर असल नतीजों से फिसल जाते हैं। Bihar की सियासत में हवा इतनी तेज़ी से बदलती है कि सबसे अनुभवी एक्सपर्ट भी कभी-कभी धोखा खा जाते हैं। और यही तो बिहार की राजनीति की खूबसूरती भी है यहाँ हर चुनाव एक नई कहानी लिखता है। यहाँ की जनता किसी की “लहर” नहीं देखती, बल्कि अपना “दिल” देखती है।

कभी जात-पात का असर हावी होता है, कभी विकास और रोज़गार का, तो कभी सिर्फ़ उम्मीदवार की छवि सब पर भारी पड़ जाती है। इसलिए जब भी कोई नया सर्वे आता है, तो बिहार के लोग मुस्कुराते हुए कहते हैं “भाई, बिहार में आख़िरी वोट गिनती तक कुछ भी हो सकता है!”

सबसे भरोसेमंद कौन?

अगर हम पिछली चुनावों को देखें:

Axis My India को 2015 के Bihar चुनाव में सबसे भरोसेमंद एजेंसी कहा गया था और वजह भी वाजिब थी। उस वक़्त जब लगभग सारे चैनल और सर्वे एजेंसियाँ उलझी पड़ी थीं, Axis My India ने सही गठबंधन की जीत का अनुमान लगाकर सबको चौंका दिया था। उनका अनुमान न सिर्फ़ नज़दीक बल्कि लगभग सटीक था।

फिर आया 2020 का Bihar Election, जहाँ तस्वीर बिल्कुल अलग थी। इस बार ज़्यादातर सर्वे एजेंसियाँ महागठबंधन की जीत का दावा कर रही थीं। लेकिन नतीजे में जीत मिली NDA को।

फिर भी, अगर किसी का अनुमान उस वक़्त असली नतीजों के करीब रहा, तो वो था ABP-CVoter का सर्वे। उन्होंने गठबंधन-वार भविष्यवाणी कुछ इस तरह की थी NDA को 104 से 128 सीटें, महागठबंधन को 108 से 131 सीटें। और जब रिज़ल्ट आया NDA को लगभग 125 सीटें मिलीं! यानी उनकी दिशा सही थी, भले पार्टी-वार कुछ सीटों का फर्क रहा हो।

इन दोनों चुनावों से एक बात साफ़ निकलकर सामने आती है कि कोई भी सर्वे एजेंसी हर बार सही नहीं निकलती। कभी Axis My India सबसे भरोसेमंद लगती है, कभी ABP-CVoter निशाने के करीब पहुँच जाता है। लेकिन हाँ, कुछ एजेंसियाँ वाकई ऐसा “ट्रैक रिकॉर्ड” बना चुकी हैं कि उनके आंकड़ों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

अब बात करते हैं Bihar Election 2025 के चुनावों की तो इस बार माहौल पहले से कहीं ज़्यादा दिलचस्प और बदला हुआ है। बिहार की राजनीति में अब पुराने समीकरण नहीं बचे हैं। नए गठबंधन बन रहे हैं, पुरानी पार्टियाँ टूटकर नए नामों में ढल रही हैं, और सबसे बड़ी बात मतदाताओं का मूड भी बदल रहा है।

उदाहरण के तौर पर, जन सुराज पार्टी जैसे नए दलों की एंट्री ने माहौल में नई हलचल पैदा कर दी है। कई युवा अब “परंपरागत राजनीति” से हटकर कुछ अलग सोच रहे हैं। सोशल मीडिया और ग्राउंड लेवल कैंपेनिंग ने भी इस बार वोटिंग पैटर्न को काफी प्रभावित किया है। यानी अब सिर्फ़ जाति या इलाकाई समीकरण नहीं चलेंगे मुद्दे, चेहरे और भरोसे की राजनीति अहम होगी।

इसीलिए इस बार जो भी सर्वे या एग्ज़िट पोल सामने आएँगे, उन पर जनता की नज़र रहेगी लेकिन भरोसा सिर्फ़ उन्हीं पर किया जाएगा जो अपने आँकड़े ज़मीन की सच्चाई से जोड़कर पेश करेंगे। लोग अब समझदार हो गए हैं। उन्हें पता है कि “हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती” और हर एग्ज़िट पोल सही नहीं निकलता।

तो Bihar Election 2025 का चुनाव बिहार के लिए सिर्फ़ एक और राजनीतिक परीक्षा नहीं है, बल्कि ये सर्वे एजेंसियों के लिए भी एक बड़ा इम्तेहान होगा। देखना ये है कि इस बार कौन सा सर्वे सच के सबसे करीब पहुँचता है और कौन हवा में तीर चलाकर चूक जाता है। क्योंकि बिहार में तो कहते हैं “यहाँ जनता आख़िरी मिनट में भी बाज़ी पलट देती है, और जो उस पल को समझ गया — वही असली विजेता कहलाता है।”

इस बार किन बातों का ख्याल रखें

इस बार के Bihar Election को लेकर जो माहौल बन रहा है, उसमें ज़्यादातर सर्वेक्षण NDA को मजबूत स्थिति में दिखा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, Phalodi Satta Bazar ने तो साफ़-साफ़ कहा है कि NDA को 128 से 134 सीटें तक मिल सकती हैं। अब सुनने में ये आंकड़ा NDA के लिए बहुत शानदार लगता है लेकिन अगर हम पिछले अनुभवों को देखें, तो बात इतनी सीधी नहीं होती।

असल में, बिहार की राजनीति में सर्वेक्षणों की सटीकता हमेशा सवालों के घेरे में रही है। कई बार दिशा सही होती है यानी कौन-सा गठबंधन आगे रहेगा, इसका अंदाज़ा लग जाता है मगर सीटों की सही संख्या अक्सर चूक जाती है। कभी 10 सीट का फर्क, कभी 20 या उससे भी ज़्यादा का। यानी सर्वे का निशाना अक्सर “पास” जाता है, मगर “सटीक” नहीं लगता।

यही वजह है कि इस बार भी समझदारी इसी में है कि हम सर्वे को एक संकेत की तरह देखें, न कि अंतिम सच की तरह। मतलब, सीटों की गिनती पर ज़्यादा भरोसा न करें, बल्कि गठबंधन के रुझान की दिशा पर ध्यान दें।

अगर थोड़ा पीछे मुड़कर देखें तो बिहार के चुनावों में सर्वेक्षणों का ट्रैक रिकॉर्ड मिला-जुला रहा है। कभी-कभी कुछ एजेंसियाँ इतनी सटीक भविष्यवाणी कर जाती हैं कि हर कोई दंग रह जाता है, और कभी सारे बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स भी हवा में तीर चला बैठते हैं।

2015 के चुनाव में याद कीजिए उस वक़्त Axis My India ने ऐसा अनुमान लगाया था जो लगभग बिल्कुल सही निकला। उन्होंने गठबंधन के नतीजे को बारीकी से समझा और मैदान में जो माहौल था, उसी को संख्याओं में उतार दिया।

वहीं 2020 में यह कारनामा ABP-CVoter ने कर दिखाया। उन्होंने भले पार्टी-वार आंकड़े पूरी तरह सटीक न दिए हों, लेकिन गठबंधन की दिशा उन्होंने बिल्कुल सही पकड़ी थी जब लगभग सारे सर्वे महागठबंधन की जीत बता रहे थे, तब ABP-CVoter ने NDA की बढ़त की भविष्यवाणी की थी, और वही नतीजा निकला।

इन सब उदाहरणों से यही साबित होता है कि सर्वे मार्गदर्शक हो सकता है, मगर भविष्यवक्ता नहीं। क्योंकि बिहार की राजनीति में “गणित” से ज़्यादा “दिल और ज़मीन” की अहमियत होती है। कौन सा नेता जनता से कितना जुड़ा है, कौन सा उम्मीदवार अपने इलाके में कितना भरोसेमंद है, और कौन से गठबंधन में आपसी तालमेल है ये बातें नतीजों को पूरी तरह बदल देती हैं।

और हाँ, यह भी ध्यान रहे कि चुनावी Prediction में आम तौर पर ±15 से 20 सीटों का अंतर तो बहुत “नॉर्मल” माना जाता है। कई बार यह फर्क उससे भी ज़्यादा हो जाता है, और पूरा समीकरण ही बदल जाता है।

इसलिए Bihar Election 2025 के चुनाव में जब भी कोई नया सर्वे या पोल रिज़ल्ट सामने आए, तो उसे “निशान” या “इशारा” समझिए लेकिन “अंकित भविष्यवाणी” मत मानिए। सीटों के आंकड़े पर बहस हो सकती है, लेकिन असल सच्चाई तो तभी सामने आएगी जब जनता अपने वोट से फैसला सुनाएगी।

और जैसा कि बिहार के लोग कहते हैं “यहाँ की राजनीति में आख़िरी दौर की हवा ही सब कुछ तय करती है।” इस बार देखना यही दिलचस्प रहेगा कि कौन-सी एजेंसी अपने आंकड़ों से सटीक निशाना लगाती है, और कौन फिर से Bihar Election 2025 की बदलती सियासी बयार में रास्ता भटक जाती है। आख़िर में यही कहा जा सकता है Bihar Election सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि जनता की नब्ज़ और ज़मीन की आवाज़ का असली इम्तिहान हैं।

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