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Srinagar Nowgam Blast की घटना और घायलों की जानकारी
14 नवंबर की देर रात, लगभग 11:20 बजे, Srinagar के बाहरी इलाक़े में बने Nowgam पुलिस स्टेशन में एक ऐसा जबरदस्त Blast हुआ कि पूरे इलाक़े में दहशत फैल गई। धमाका इतना तेज़ था कि पुलिस स्टेशन की इमारत का बड़ा हिस्सा टूट-फूट गया और आस-पास की कई बिल्डिंग्स भी इसकी चपेट में आ गईं। इस Srinagar Nowgam Blast में कम-से-कम 9 लोगों की मौत हो गई और कई लोग ज़ख्मी हुए।
शुरुआत में लोगों ने इसे आतंकी हमला समझा, क्योंकि धमाका बहुत बड़ा था। लेकिन बाद में गृह मंत्रालय (MHA) और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने साफ-साफ बताया कि यह कोई हमला नहीं था, बल्कि एक दुर्घटनावश हुआ धमाका था।
Srinagar Nowgam Blast आख़िर हुआ कैसे? – MHA और पुलिस का बयान
धमाका जिन विस्फोटकों से हुआ, वो कहाँ से आए थे? पुलिस और जांच एजेंसियों ने बताया कि जिन रसायनों और विस्फोटक पदार्थों पर काम किया जा रहा था, वे फरीदाबाद (हरियाणा) से बरामद किए गए थे। ये सामान एक ऐसे व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था — यानी ऐसे लोग जो दिखने में आम पेशेवर (डॉक्टर, इंजीनियर, बिज़नेसमैन) हों, पर पर्दे के पीछे आतंकी गतिविधियों में शामिल पाए गए।
जिन चीज़ों को जब्त किया गया था, उनमें शामिल थे: अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट, सल्फर और कुल मिलाकर करीब 360 किलो विस्फोटक सामग्री ये सब बेहद संवेदी (sensitive) और अस्थिर (unstable) केमिकल थे, जिनका संभालना काफी मुश्किल माना जाता है।
पुलिस इनमें क्या कर रही थी?
ये बरामद सामग्री जांच और फॉरेंसिक टेस्टिंग के लिए Nowgam पुलिस स्टेशन लाई गई थी। यहाँ FSL (Forensic Science Laboratory) की टीम और पुलिस मिलकर इनके सैंपल तैयार कर रही थी ताकि आगे वैज्ञानिक जांच की जा सके। यह पूरी प्रक्रिया एक-दो घंटे की नहीं, बल्कि दो दिनों से चल रही थी क्योंकि सामग्री की मात्रा बहुत ज़्यादा थी और हर चीज़ को बेहद सावधानी से हैंडल किया जा रहा था।
विस्फोट कैसे हुआ?
पुलिस और FSL टीम के मुताबिक, जब सैंपल तैयार किए जा रहे थे, उसी दौरान एक बड़ी ग़लती या केमिकल रिएक्शन की वजह से अचानक जबर्दस्त धमाका हो गया।
Blast इतना तेज़ था कि: पहले एक बड़ा विस्फोट हुआ, उसके कुछ ही सेकंड बाद कई छोटे-छोटे Blast भी सुनाई दिए, ये छोटे धमाके संभवतः रासायनिक अवशेषों के जलने या फटने से हुए, स्टेशन की दीवारें गिर गईं, खिड़कियाँ टूट गईं, और पूरी इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
हादसे में जान गंवाने वाले लोग — कौन थे?
इस भयानक Blast में 9 लोगों की मौत हो गई। इनमें शामिल थे: 1 SIA (State Investigation Agency) अधिकारी, 3 FSL (Forensic Science Lab) कर्मी, 2 क्राइम-फोटोग्राफर, 2 राजस्व विभाग (Revenue Department) के अधिकारी, 1 दर्जी (Tailor) जो टीम के साथ कपड़े/सामान मैनेज करने के लिए मौजूद था ये सभी लोग उसी वक्त स्टेशन में मौजूद थे और जांच प्रक्रिया में शामिल थे।
घायल कितने लोग हुए?
इस Srinagar Nowgam Blast में – 27 पुलिसकर्मी, 2 राजस्व अधिकारी, 3 आम नागरिक गंभीर रूप से ज़ख्मी हुए। सभी घायलों को तुरंत नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जिनमें कुछ की हालत नाज़ुक बताई गई।

गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा इस धमाके में कोई टेरर एंगल नहीं है यह पूरी तरह एक दुर्घटना है विस्फोटक सामग्री “बहुत संवेदनशील” थी एजेंसियाँ मिलकर इस बात की जांच कर रही हैं कि गलती कहाँ हुई पुलिस ने भी अफवाहों से बचने को कहा है और भरोसा दिलाया कि मामले की वैज्ञानिक और पारदर्शी जांच होगी।
यह घटना दिखाती है कि विस्फोटक पदार्थों की हैंडलिंग कितनी जोखिमभरी होती है इतनी बड़ी मात्रा में अस्थिर केमिकल्स को सुरक्षित तरीके से संभालना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है इस दुर्घटना में कई अनुभवी अधिकारी और फॉरेंसिक विशेषज्ञ जान से हाथ धो बैठे जो एक बहुत बड़ी क्षति है साथ ही, यह “व्हाइट-कॉलर” आतंकी नेटवर्क की गंभीरता को भी उजागर करता है
पुलिस की प्रतिक्रिया और भविष्य की कार्रवाई
जांच और सुरक्षा उपाय
जम्मू–कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने हादसे के बाद मीडिया से बात करते हुए साफ कहा कि यह एक बहुत ही अफ़सोसनाक और नाख़ुशगवार हादसा था। उन्होंने लोगों से गुज़ारिश की कि इस Blast को लेकर अनावश्यक अटकलें और अफवाहें न फैलाएँ, क्योंकि पूरी जांच अभी जारी है और सच जल्द सामने आ जाएगा।
डीजीपी के मुताबिक, फॉरेंसिक की टीम यानी FSL टीम ने विस्फोट के कुछ ही घंटों बाद दोबारा काम शुरू कर दिया। उन्होंने घटना वाली जगह से नए सैंपल इकट्ठा किए, ताकि यह समझा जा सके कि धमाका आखिर कैसे और किस वजह से हुआ। इतनी बड़ी दुर्घटना के बावजूद टीम का तुरंत काम पर लौटना इस बात का सबूत है कि जांच बेहद गंभीरता से हो रही है।
Blast के बाद क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पुलिस ने पूरे इलाक़े की निगरानी बढ़ा दी है, आसपास के मोहल्लों में पेट्रोलिंग तेज़ कर दी गई है, और स्टेशन के चारों तरफ़ सुरक्षा घेरा और मजबूत कर दिया गया है ताकि अगर कोई और केमिकल या विस्फोटक अवशेष हों, तो उन्हें तुरंत नियंत्रित किया जा सके।
Blast का बड़ा संदर्भ यह हादसा इतना अहम क्यों है?
अब बात करते हैं उस व्यापक संदर्भ की, जो इस हादसे को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। दरअसल, फरीदाबाद से जब्त की गई बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री को Nowgam पुलिस स्टेशन में लाया गया था। यहाँ एक तय किए गए ओपन एरिया में इन्हें बड़े एहतियात के साथ रखा गया था क्योंकि इन पदार्थों का स्वभाव ही इतना अस्थिर और संवेदनशील था कि उन्हें बंद जगह में रखना ख़तरनाक माना जाता है।
MHA (गृह मंत्रालय) ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया एक सामान्य फॉरेंसिक जांच का हिस्सा थी। जैसे ही कोई विस्फोटक या रासायनिक सामग्री जब्त होती है, उसके सैंपल लेकर आगे वैज्ञानिक जांच की जाती है ताकि यह पता लग सके कि उसमें कौन-कौन से रसायन हैं, किसके लिए इस्तेमाल हो सकते हैं, और उसका स्रोत क्या है।
लेकिन यहाँ दिक्कत ये थी कि बरामद की गई सामग्री की मात्रा बहुत ज़्यादा थी। इतना माल था कि पूरी टेस्टिंग और सैंपलिंग का काम लगातार दो दिन तक चल रहा था। हर चीज़ को टुकड़ा-टुकड़ा करके अलग रखा जा रहा था, हर सैंपल को अलग से बनाया जा रहा था ताकि कोई गड़बड़ न हो।
गृह मंत्रालय ने यह भी माना कि ये पदार्थ बहुत ही नाज़ुक, अस्थिर और reactive थे। यानी ज़रा-सी गलती या गलत मिलावट भी बड़ा हादसा कर सकती थी। इसलिए यह सारा काम ट्रेंड फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और पुलिस टीम की निगरानी में किया जा रहा था, जो विस्फोटक सामग्री हैंडल करने में प्रशिक्षित होते हैं।
MHA (गृह मंत्रालय) का रुख और चेतावनी
गृह मंत्रालय की तरफ़ से साफ़-साफ़ कहा गया है कि इस Blast में किसी तरह का कोई आतंकवादी हाथ नहीं है। यानी ये कोई “टेरर एंगल” वाला मामला नहीं है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव (J&K डिवीजन) प्रशांत लोखंडे ने बड़े ठहराव और एहतियात के साथ बताया कि जांच अभी भी जारी है, और जब तक पूरी सच्चाई सामने नहीं आ जाती, तब तक तरह-तरह की अटकलें लगाना बिल्कुल भी सही नहीं होगा।
उन्होंने ये भी कहा कि इस वक़्त तमाम एजेंसियाँ जैसे पुलिस, फॉरेंसिक टीम और दूसरी जांच एजेंसियाँ आपस में पूरी तालमेल के साथ, बिल्कुल वैज्ञानिक और मुकम्मल तरीके से काम कर रही हैं। उनका मक़सद बस इतना है कि इस हादसे की असल वजह तक पहुँचा जा सके, ताकि आगे ऐसी कोई गलती या सूरत-ए-हाल दोबारा पैदा न हो।
गृह मंत्रालय ने इस दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के लिए गहरी हमदर्दी और रंज-ओ-ग़म का इज़हार भी किया है। उन्होंने कहा कि जिन ख़ानदानों ने अपने अपनों को खोया है, Ministry उनकी तकलीफ़ को महसूस करती है और उनकी पूरी संवेदनाएँ उनके साथ हैं।
सादा लफ़्ज़ों में कहें तो सरकार का कहना है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन आकस्मिक (accidental) धमाका था। कोई आतंकी लिंक, कोई साज़िश, कोई दहशतगर्दी इसमें नहीं पाई गई है। जांच ईमानदारी और तेजी से चल रही है, और हक़ीक़त बहुत जल्द सबके सामने आ जाएगी।
व्हाइट-कलर आतंक मॉड्यूल का खुलासा
ये Blast दरअसल उस बड़े जाँच अभियान से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, जो एक ऐसे आतंकी नेटवर्क पर चल रहा था जिसे मीडिया में “व्हाइट-कॉलर मॉड्यूल” कहा जा रहा है। ये नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस नेटवर्क में आम गुंडे-मवाली नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे प्रोफ़ेशनल लो जैसे डॉक्टर, टेक्निकल बैकग्राउंड वाले और दूसरे पेशेवर शामिल बताए गए हैं। इन लोगों से जुड़ी ऐसी विस्फोटक सामग्री बरामद हुई थी जो आमतौर पर सिर्फ़ हाई-ग्रेड आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल होती है।

कुछ मीडिया रिपोर्टें ये भी कहती हैं कि ये पूरा मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसी ख़तरनाक आतंकी तंजी़मों से ताल्लुक रखता हो सकता है। अभी ये बात जांच के दायरे में है, लेकिन शुरुआती सुरागों से शक की सुई इसी दिशा में घूमती नज़र आई थी।
फरीदाबाद वाला कनेक्शन – कैसे जुड़ा मामला?
इस पूरे केस में हरियाणा के फरीदाबाद का लिंक भी बेहद अहम माना जा रहा है। असल में जो विस्फोटक और रासायनिक सामग्री जब्त हुई थी, वह फरीदाबाद से पकड़ाई थी। ये कोई मामूली चीज़ें नहीं थीं बल्कि काफी बड़ी मात्रा में ऐसे रसायन, केमिकल्स और विस्फोटक तत्व मिले थे जिनका इस्तेमाल बेहद खतरनाक कामों में किया जा सकता है।
जब इतनी संवेदनशील चीज़ें हाथ लगती हैं, तो फॉरेंसिक टीम को उन्हें टेस्टिंग और एनालिसिस के लिए एक सुरक्षित जगह भेजना पड़ता है। इसी वजह से इन्हें जांच के सिलसिले में श्रीनगर लाया गया था। यह काम बेहद नाज़ुक (delicate) और जोखिम भरा था, क्योंकि ऐसे केमिकल्स में ज़रा-सी चूक भी भारी हादसे की वजह बन सकती है।
फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का काम यहाँ बहुत ही सावधानी, तजुर्बे और धैर्य से करना होता है। यही वजह है कि जांच के दौरान कोई दुर्घटना होने की गुंजाइश हमेशा रहती है। इसी टेस्टिंग प्रोसेस के दौरान ये दुखद धमाका हुआ, जिसमें जान-माल का नुक़सान भी हुआ।
सीधी और आम ज़बान में कहें तो मामला एक बड़े आतंकी मॉड्यूल की छानबीन का था, जिसमें पढ़े-लिखे लोग भी शामिल थे। विस्फोटक फरीदाबाद से मिला, उसे जांच के लिए Srinagar लाया गया, और टेस्टिंग के दौरान हादसा हो गया। अब एजेंसियाँ ये जानने में लगी हैं कि पूरी चेन कैसे चल रही थी, कौन-कौन लोग जुड़े थे और ये सामान आखिर किस मक़सद के लिए इकट्ठा किया गया था।
जांच की चुनौतियाँ
इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक और रसायनों को संभालना कोई आसान काम नहीं होता। ये पूरा मामला शुरू से ही ख़तरे और जोखिम से भरा हुआ था क्योंकि यहाँ जो केमिकल्स थे, वो काफ़ी अस्थिर (unstable) और बेहद संवेदनशील किस्म के थे।
थोड़ा-सा झटका, हल्की-सी चूक, या बस ज़रा-सी गलत हैंडलिंग भी बड़ा हादसा कर सकती थी। यही वजह है कि फॉरेंसिक टीम को पूरे प्रोटोकॉल के साथ, बहुत सुकून और एहतियात से काम करना पड़ रहा था।
Blast के बाद सुरक्षा एजेंसियों के सामने दोहरी जिम्मेदारी आ गई एक तरफ़ घायलों का इलाज और राहत, और दूसरी तरफ़ ये सोचना कि भविष्य में ऐसे Blast दोबारा न हों। इस तरह की घटना अपने साथ कई सवाल भी ले आती है, और जाहिर सी बात है कि लोग घबराते भी हैं।
चूँकि मामला आतंकवाद-रोधी जांच से जुड़ा हुआ था, इसलिए इसका राजनीतिक और सामाजिक असर भी काफ़ी नाज़ुक (sensitive) हो गया है। ऐसे वक्त में सरकार और पुलिस का जनता का भरोसा बनाए रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है।
अब तक सरकार और पुलिस की तरफ़ से जो रुख सामने आया है, वो साफ-साफ ये कह रहा है कि यह कोई जानबूझकर किया गया हमला नहीं, बल्कि एक दुर्घटना थी जब फॉरेंसिक टीम उन खतरनाक और नाज़ुक विस्फोटकों की जांच कर रही थी। लेकिन, सही बात ये भी है कि अभी जांच पूरी हुई नहीं है इसलिए किसी भी चीज़ पर आख़िरी मोहर लगाना थोड़ा जल्दबाज़ी होगा। एजेंसियाँ अभी भी हर पहलू को सूक्ष्म तौर पर देख रही हैं।
ये Blast हमें एक बड़ा सबक भी दे देती है कि विस्फोटक सामग्री की हैंडलिंग कितनी सख़्त, जोखिम भरी और जिम्मेदारियों से भरी होती है, ख़ासकर तब जब सामग्री बड़ी मात्रा में हो और उसकी प्रकृति बेहद अस्थिर हो। आगे आने वाले दिनों में सबकी नज़र इस बात पर रहेगी कि जांच एजेंसियाँ वजहों का कितना वैज्ञानिक, निष्पक्ष और पारदर्शी विश्लेषण करती हैं, और फिर ऐसे हादसों को रोकने के लिए कौन-कौन से एहतियाती कदम उठाए जाते हैं।
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