Table of Contents
Shubman Gill की चोट – भारत के लिए बड़ा झटका
भारत और South Africa (IND vs SA) के पहले टेस्ट match में टीम इंडिया को 30 रन से हार का सामना करना पड़ा। यह हार अचानक से आई एक ऐसी चोट की वजह से और भी भारी महसूस हुई, क्योंकि टीम के कप्तान और सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ Shubman Gill बीच मैच में ही चोटिल होकर मैदान छोड़ने पर मजबूर हो गए।
उनके जाने के बाद टीम की हालत कुछ ऐसी हो गई जैसे कोई जहाज़ अचानक अपने कप्तान के बिना समंदर में भटक जाए। South Africa की जीत में सबसे बड़ा किरदार रहा उनके स्पिनर साइमन हार्मर का जादुई spell, और कप्तान टेम्बा बावुमा की हिम्मत-भरपूर पारी, जिसने टीम को मुश्किल हालात से निकालकर मज़बूत स्थिति में खड़ा कर दिया।
दूसरे दिन जब भारत अपनी दूसरी पारी खेल रहा था, Shubman Gill क्रीज़ पर आए ही थे कि वह सिर्फ तीन गेंदों का सामना करके परेशानी में नज़र आने लगे। हार्मर की एक गेंद पर उन्होंने स्लॉग-स्वीप मारा चार रन तो मिल गए, मगर उसी शॉट के बाद उनकी गर्दन में अचानक तेज़ दर्द उठा। मैदान पर ही फिज़ियो आया, थोड़ी कोशिश की गई कि गिल आगे खेल पाएं, लेकिन दर्द इतना तेज़ था कि उन्हें रिटायर हर्ट होना पड़ा।
कुछ देर बाद हालात बिगड़ते दिखे, तो उन्हें कैरिज-कॉलर पहनाया गया, यानी वो collar जो गर्दन को स्थिर रखता है, ताकि चोट और न बढ़े। फिर एम्बुलेंस के ज़रिए उन्हें सीधे अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी पूरी जांच हुई। BCCI की तरफ़ से बताया गया कि गिल को neck spasm यानी गर्दन की मांसपेशियों में तेज़ ऐंठन हुई है, और उन पर लगातार नज़र रखी जा रही है।
टीम के अंदर से जो ख़बरें आईं, उनसे लगता है कि Shubman Gill की वापसी सिर्फ इस टेस्ट में ही नहीं, बल्कि आगे की पारी या मैचों में भी मुश्किल हो सकती है। गिल की जगह बल्लेबाज़ी के लिए टीम को मजबूरन ऋषभ पंत को भेजना पड़ा ये अपने-आप में इस चोट की seriousness बता देता है।
Shubman Gill के मैदान से हटते ही टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी जैसे कमज़ोर पड़ गई। जिस मजबूती और आत्मविश्वास के साथ भारत chase कर रहा था, वो मानो वहीं रुक सा गया। गिल न सिर्फ कप्तान थे, बल्कि टीम का वो सहारा थे जिस पर बाकी खिलाड़ी भरोसा कर सकते थे।
हार्मर का अनछुआ प्रदर्शन South Africa की सफलता की कुंजी
South Africa के ऑफ़-स्पिनर साइमन हार्मर ने तो इस मैच में कमाल ही कर दिया। सच कहें तो भारत की हार के सबसे बड़े जिम्मेदार वही नज़र आए। पूरे मैच में उन्होंने 8 विकेट चटकाए, और उनकी घूमती हुई गेंदों ने भारतीय बल्लेबाज़ी को बिल्कुल बिखेर कर रख दिया। जिस तरह से उन्होंने लाइन-लेंथ को काबू में रखते हुए हर बल्लेबाज़ को परेशान किया, उसे देखकर लगा जैसे वो गेंद नहीं, कोई जादू बिखेर रहे हों।
खास बात यह रही कि भारत को जीत के लिए सिर्फ 124 रन चाहिए थे—यानी एक ऐसा लक्ष्य, जिसे टीम इंडिया कई बार आसानी से हासिल कर चुकी है। लेकिन हार्मर ने जैसे ही दूसरी पारी में गेंद संभाली, तो मैच का पूरा मिज़ाज बदल गया। उन्होंने सिर्फ 21 रन देकर 4 विकेट निकाल लिए।

उनकी हर गेंद में ऐसा तीखापन था कि भारतीय बल्लेबाज़ क्रीज़ पर टिक ही नहीं पा रहे थे। ध्रुव जुरेल हों या फिर अनुभवी ऋषभ पंत दोनों को उन्होंने ऐसी गेंदों पर आउट किया कि देखने वालों को भी समझ आया कि आज हार्मर का दिन है।
भारतीय टीम के लिए हार्मर की गेंदबाज़ी किसी तूफ़ान की तरह साबित हुई। वो जहां-जहां गेंद डालते, वहां जैसे मुसीबत ही खड़ी हो जाती। बल्लेबाज़ों के पास न संभलने का वक़्त था, न संभालने की गुंजाइश। यही वजह रही कि भारत एक छोटे से लक्ष्य के सामने भी दांव पर लगा और मैच धीरे-धीरे हाथ से फिसल गया।
बावुमा-बॉश की साझेदारी South Africa का दिल
दूसरी पारी में South Africa की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं थी। टीम सिर्फ 93 रन पर 7 विकेट गंवा चुकी थी, और माहौल ऐसा लग रहा था जैसे मैच किसी भी पल भारत की झोली में आ जाए। पूरे स्टेडियम में टेंशन थी, और अफ्रीकी खिलाड़ी साफ़ दबाव में नज़र आ रहे थे। लेकिन तभी मैदान पर आए उनके कप्तान टेम्बा बावुमा, और उन्होंने ऐसी हिम्मत दिखाई कि मैच का रंग ही बदल गया।
बावुमा ने 55 रन की नाबाद पारी खेली वो भी ऐसे विकेट पर, जहां गेंद कभी नीचे जा रही थी, कभी ऊपर उछल रही थी, बाउंड्री भी जैसे आज नखरे दिखा रही थी। लेकिन बावुमा ने न सिर्फ ठहरकर खेला, बल्कि हर एक रन बड़ी समझदारी के साथ बनाया। उनकी यह पारी दक्षिण अफ्रीका के लिए किसी सहारे की रस्सी की तरह थी, जिसने टीम को वापस मैच में खड़ा कर दिया।
उनकी इस जंग में एक मजबूत हाथ मिला कॉरबिन बॉश से, जिन्होंने 25 रन बनाए। बॉश का यह योगदान छोटा जरूर लगता है, लेकिन जब टीम आधी डूब चुकी हो, तब ऐसे 20–25 रन भी नाव को वापस सतह पर ले आते हैं। दोनों ने मिलकर एक ऐसी साझेदारी बनाई, जिसने भारत को अच्छा-खासा सोचने पर मजबूर कर दिया।
यह साझेदारी जितनी runs की थी, उससे कहीं ज़्यादा हिम्मत और सब्र की थी। और यही वजह थी कि भारत, जो एक वक्त मैच में ऊपर था, अचानक से दबाव में आ गया।
ऋषभ पंत ने भी बाद में मान लिया कि बावुमा–बॉश की यह पार्टनरशिप ही थी, जिसने भारत पर लगातार दबाव बनाए रखा और टीम का रिदम बिगाड़ दिया। आख़िरकार वही दबाव अफ्रीकी टीम को जीत की राह दिखाता गया धीरे-धीरे, मगर यकीनी तौर पर।
भारत की बल्लेबाज़ी – उम्मीदों पर पानी
भारत ने दूसरी पारी में सिर्फ 93 रन बनाए। ये वो स्कोर था जिसे टीम इंडिया आम दिनों में आसानी से पार कर लेती है, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल उलटे हो गए। बल्लेबाज़ी ऐसे बिखरी कि देखते ही देखते पूरी टीम ढह गई। सबसे बड़ा कारण था Shubman Gill का मैदान पर न होना।
गिल सिर्फ कप्तान नहीं थे, बल्कि टीम की वह मज़बूत दीवार थे जिस पर पूरी बल्लेबाज़ी टिक जाती थी। उनकी गैरमौजूदगी में भारतीय बल्लेबाज़ों को ऐसा लगा जैसे खेल में कोई दिशा ही नहीं बची हो।
शुरुआत भी बहुत खतरनाक रही। KL राहुल और यशस्वी जायसवाल जैसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ जल्द ही आउट होकर वापस लौट गए। इससे टीम का हौसला जैसे टूट-सा गया और दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज़ों को पूरी तरह हावी होने का मौका मिल गया।
हालाँकि कुछ खिलाड़ियों ने कोशिशें कीं वॉशिंगटन सुंदर ने 31 रन बनाए, और आक्षर पटेल ने 26 रन की अहम पारी खेली। लेकिन इन दोनों की अच्छी कोशिशें भी वो बड़ी साझेदारी नहीं बन सकीं जिसकी टीम को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। एक तरफ विकेट गिरते रहे और दूसरी तरफ रन रुकते चले गए ऐसे में मैच हाथ से फिसलना ही था।

Shubman Gill की चोट ने टीम का संतुलन बहुत बुरी तरह बिगाड़ दिया। उनकी अनुपस्थिति में कोई भी बल्लेबाज़ वह शांति, वह कमान और वह भरोसा नहीं दिखा सका जो गिल मैदान पर लाते हैं। इसी वजह से छोटा-सा लक्ष्य भी पहाड़ जैसा लगने लगा।
अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या भारत को Shubman Gill जैसे कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों पर इतना ज़्यादा निर्भर रहना चाहिए? यह मैच साफ़ दिखाता है कि टीम को उनकी जगह मजबूत बैकअप रणनीति तैयार करनी होगी। क्रिकेट आजकल बहुत तेज़ और लगातार खेला जा रहा है हर फॉर्मेट में खिलाड़ी थक जाते हैं, चोटें भी बढ़ती हैं।
इसी वजह से लोड मैनेजमेंट का मुद्दा फिर सामने आ गया है। क्या गिल को थोड़ा आराम दिया जाना चाहिए था? क्या लगातार खेलने से उनकी फिटनेस पर असर पड़ा? ये सारी बातें अब टीम मैनेजमेंट को गंभीरता से सोचना होंगी, क्यूँकि कप्तान की फिटनेस सिर्फ एक खिलाड़ी की फिटनेस नहीं—पूरी टीम के आत्मविश्वास से जुड़ी होती है।
South Africa की रणनीति और मनोबल
South Africa ने इस मैच में साइमन हार्मर पर जिस भरोसे के साथ दांव लगाया, वो बिल्कुल सही साबित हुआ। उनके कप्तान टेम्बा बावुमा ने हार्मर को बेहद सही वक़्त पर गेंदबाज़ी करने के लिए लगाया, खासकर दूसरी पारी में और वहीं से भारत की हालत बिगड़नी शुरू हो गई।
हार्मर ने जैसे ही गेंद संभाली, भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए जैसे मुसीबत की झड़ी लग गई। दूसरी तरफ़, बावुमा की निडर और जुझारू पारी, और फिर कॉरबिन बॉश की सधी हुई साझेदारी ने ये साबित कर दिया कि दक्षिण अफ्रीका की टीम सिर्फ टैलेंट से नहीं, बल्कि दिल और हिम्मत से भी खेलती है।
मुश्किल हालात में भी वे घबराए नहीं जोश भी दिखाया और संयम भी। उन्होंने धैर्य से खेला, छोटे-छोटे मौके तलाशे और हर गलती का फायदा उठाते हुए मैच को अपने पलड़े में झुका दिया।
यह जीत उन्हें सीरीज़ में सिर्फ बढ़त ही नहीं देती, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी ऊँची उड़ान देती है। दूसरी तरफ़ भारत के लिए यह हार कहीं न कहीं बड़ा झटका साबित हो सकती है। ऐसा लगा जैसे यह मैच टीम इंडिया के लिए एक चेतावनी छोड़ गया हो कि जब कप्तान और प्रमुख बल्लेबाज़ शुभमन गिल नहीं होते, तो टीम कितनी कमज़ोर दिखने लगती है।
गिल की चोट ने सिर्फ एक बल्लेबाज़ को नहीं, बल्कि पूरी टीम की मनोवैज्ञानिक ताक़त को हिला दिया। बल्लेबाज़ी की योजना गड़बड़ा गई, और टीम का आत्मविश्वास भी पहले जैसा नहीं रहा।
उधर साइमन हार्मर ने अपनी सुई जैसी पैनी गेंदबाज़ी से मैच का बहाव ही बदल दिया। बावुमा ने साहस भरी पारी खेलकर टीम को संभाला और ऐसी नींव रखी कि दक्षिण अफ्रीका को मैच जीतने का पूरा मौका मिला।
कुल मिलाकर, यह जीत South Africa के लिए बड़ी उपलब्धि है और भारत के लिए यह वक्त है गहराई से सोचने का। चाहे बात हो चोट प्रबंधन की, या मजबूत बैकअप बल्लेबाज़ों की कमी की, या फिर मुश्किल समय में रणनीति की भारत को कई जगह सुधार की गुंजाइश दिख रही है।
यह भी पढ़ें –



