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Nitish Kumar के 10वीं बार CM शपथ ग्रहण समारोह में नेताओं की मौजूदगी और जनता की Massive भीड़ ने इसे एक Grand Celebration में तब्दील कर दिया

Nitish Kumar के 10वीं बार CM शपथ ग्रहण समारोह में नेताओं की मौजूदगी और जनता की Massive भीड़ ने इसे एक Grand Celebration में तब्दील कर दिया

NDA की बड़ी जीत और Nitish Kumar की ऐतिहासिक वापसी

20 नवंबर 2025 को पटना के मशहूर और ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक बड़ा, रौनक से भरा और यादगार सियासी जलसा हुआ, जहाँ Nitish Kumar ने बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर दसवीं बार शपथ ली।

ये कोई आम-सी रस्म नहीं थी, बल्कि यूँ कहें कि ये बिहार की सियासत में एक नए दौर की शुरुआत का ऐलान था। माहौल ऐसा था जैसे पूरा पटना इस लम्हे को अपनी आँखों में कैद कर लेना चाहता हो चौक-चौराहों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह बस इसी बात की चर्चा थी।

पिछले हफ्ते हुए बिहार विधानसभा चुनावों में NDA (National Democratic Alliance) ने जबरदस्त कमाल दिखाया। 243 सीटों में से 202 सीटें जीतकर उन्होंने ऐसा दबदबा बनाया कि देखने वाले भी हैरान रह गए।

ये जीत सिर्फ बड़ी नहीं थी, बल्कि साफ-साफ बता रही थी कि जनता ने एक बार फिर Nitish Kumar की क़ियादत (नेतृत्व) और उनके तजुर्बे पर भरोसा जताया है। लोगों की ज़बान पर एक ही बात थी “नितीश जी में अभी भी दम है, और बिहार को आगे ले जाने की काबिलियत रखते हैं।”

एनडीए के विधायकों की बैठक में जब Nitish Kumar को सर्वसम्मति से नेता चुना गया, तो ये तय हो गया कि अब तस्वीर बिल्कुल साफ है। इसके बाद वो बड़ी सादगी से राजभवन पहुँचे, जहाँ उन्होंने राज्यपाल अरीफ मोहम्मद खान को अपना इस्तीफ़ा सौंपा और नई सरकार बनाने का दावा भी पेश किया।

पूरा माहौल एक तरफ़ सियासी रफ़्तार से भरा हुआ था, तो दूसरी तरफ़ लोगों के चेहरों पर तसल्ली भी दिख रही थी जैसे सब यही कह रहे हों, “चलो, अब बिहार की गाड़ी फिर से पटरी पर चलेगी।”

कुल मिलाकर, 20 नवंबर का दिन बिहार की सियासत में एक ऐसी तारीख़ बन गया, जिसे लोग लंबे वक़्त तक याद रखेंगे एक तरफ़ रिकॉर्ड 10वीं बार शपथ, दूसरी तरफ़ ऐतिहासिक चुनावी जीत, और इनके बीच एक नेता जिसने फिर साबित कर दिया कि जनता का भरोसा ही असली ताक़त है।

Nitish Kumar शपथ ग्रहण समारोह: भव्यता और शक्ति प्रदर्शन

गांधी मैदान में हुआ ये पूरा जलसा सुबह तकरीबन 11:30 बजे शुरू हुआ। मौसम भी खुशनुमा था और मैदान में एक अलग ही रौनक बिखरी हुई थी। जैसे ही मंच पर राज्यपाल अरीफ मोहम्मद खान आए, तो माहौल और सँवर गया। उन्होंने बड़े सलीके और तहज़ीब के साथ नितीश कुमार को “पद और गोपनीयता” की शपथ दिलवाई। भीड़ तालियों से गूँज उठी जैसे सब लोग इसी लम्हे का इंतज़ार कर रहे हों।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खास तौर से पटना पहुँचे। वो हेलीकॉप्टर से सीधे गांधी मैदान आए, और ये बात अपने-आप में काफ़ी अहम थी, क्योंकि ये पहली दफ़ा था कि पीएम मोदी ने नितीश कुमार के शपथ-ग्रहण समारोह में शिरकत की।

उनकी मौजूदगी ने पूरे कार्यक्रम की अहमियत और भी बढ़ा दी। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता, एनडीए-शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, और कई बड़े-बड़े सियासी चेहरे भी वहाँ मौजूद थे। पूरा मंच नेताओं से खचाखच भरा हुआ था, और माहौल बिल्कुल त्योहार जैसा लग रहा था।

समारोह में कुल 26 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें से 8 मंत्री जेडीयू से थे, 14 बीजेपी के, और बाकी सीटें NDA की दूसरी सहयोगी पार्टियों को दी गईं। सबसे खास बात यह रही कि सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा दोनों ही बीजेपी के दिग्गज नेता को दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाए जाने का एलान हुआ। यह दिखाता है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच तालमेल अभी भी मजबूत है और दोनों पार्टियाँ एक-दूसरे पर पूरा एतमाद (भरोसा) रखती हैं।

कुल मिलाकर, गांधी मैदान का ये नज़ारा किसी बड़े सियासी मेले से कम नहीं था। चारों तरफ़ लाइटें, सुरक्षा, नेता, कार्यकर्ताओं का जोश, और जनता की भीड़ सब मिलकर एक ऐसा माहौल बना रहे थे जिसमें राजनीति कम और जश्न ज़्यादा महसूस हो रहा था।

विकास और वादा: Nitish Kumar का नारा

शपथ ग्रहण के बाद Nitish Kumar ने बड़े दमदार अंदाज़ में कहा कि ये सब बिहार के लिए एक “नई विकास यात्रा” की शुरुआत है। उनकी आवाज़ में वो पुराना भरोसा भी था और आगे बढ़ने की ललक भी। उन्होंने X (ट्विटर) पर एक प्यारा-सा लेकिन असरदार मैसेज लिखा “मैं Nitish Kumar, कसम खाता हूँ… यह बिहार वासियों की अटूट आस्था और आत्म–विश्वास का प्रतीक है।”

ये लाइन लोगों के दिल पर सीधी लगी। इसमें एक तरह की सच्चाई और जज़्बा दोनों झलक रहा था। ऐसा लगा जैसे वो अपने पुराने तजुर्बे और नए जज़्बे को मिलाकर बिहार को फिर से पटरी पर लाने की ठान चुके हों।

उनके इस बयान से साफ़ झलकता है कि आने वाले वक्त में वो अपनी टीम के साथ मिलकर तेज़ विकास, बेहतर प्रशासन और ज़मीनी बदलाव को प्राथमिकता देंगे।
उनकी बॉडी लैंग्वेज भी यही बता रही थी “अभी सफर बाक़ी है, और मुझे इसे पूरा करना है।”

राजनीतिक अहमियत और गठबंधन की ताक़त

Nitish Kumar का ये 10वाँ शपथ ग्रहण सिर्फ एक रूटीन सियासी कार्यक्रम नहीं था ये तो अपने आप में एक इतिहास है।

रिकॉर्ड का रिकॉर्ड

किसी भी राज्य का नेता लगातार 10 बार मुख्यमंत्री बने ये कमाल की बात है। ये सिर्फ कुर्सी की बात नहीं है, बल्कि जनता के यकीन, उनकी उम्मीदों और Nitish Kumar की काम करने की काबिलियत का बड़ा सबूत है। लोग भी यही बोल रहे थे “भाई, इतना लंबा सफ़र कोई यूँ ही नहीं तय करता।”

NDA का दमदार पावर शो

शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और कई बड़े नेताओं की मौजूदगी ने ये साफ़ कर दिया कि एनडीए बिहार में पूरी ताक़त के साथ मौजूद है। ये पूरा कार्यक्रम एक तरह से पावर शो था जैसे NDA कहना चाह रहा हो, “हम यहाँ मजबूत हैं और आगे भी मजबूत रहेंगे।”

गठबंधन में तालमेल

कैबिनेट में बता कर-बाँट कर सभी पार्टियों को जगह दी गई जेडीयू, बीजेपी और दूसरे एनडीए सहयोगी दल। इससे ये साफ़ होता है कि नितीश कुमार ने अपना गठबंधन संतुलित और स्थिर रखने की कोशिश की है।

ये तालमेल अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में सरकार और भी मजबूत तरीके से काम कर सकेगी। कुल मिलाकर, Nitish Kumar का ये शपथ ग्रहण सियासत, संतुलन, नेतृत्व और नई उम्मीदों का मिला-जुला तसल्लीबख्श मंज़र था।

चुनौतियाँ और विपक्ष की नज़रों में सवाल

हालाँकि शपथ ग्रहण का ये मौका पूरी तरह से खुशी और जश्न का था, मगर विपक्ष ने भी अपनी तरफ़ से कुछ कड़े और ठोस सवाल उठाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ़ तौर पर इल्ज़ाम लगाया कि नितीश कुमार और मोदी सरकार, दोनों ने मिलकर बिहार में जो बड़े-बड़े वादे किए थे, उन्हें पूरा करने में अभी भी नाकाम रहे हैं।

उनका कहना था कि “भाई, दस-दस बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद बिहार में बेरोज़गारी की दर, बाहर पलायन की मजबूरी, और ज़मीनी विकास की कमी ये मसले आज भी वैसे ही खड़े हैं।” उनके लहजे में नाराज़गी भी थी और मायूसी भी, जैसे वो कहना चाह रहे हों कि “इतना लंबा वक़्त मिला, मगर हालात अभी भी बेहतर नहीं हुए।”

कुछ आलोचक भी यही बात दोहरा रहे हैं कि नितीश कुमार का दसवीं बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचना ये दिखाता है कि वो सत्ता को बहुत समझदारी से और रणनीति के साथ अपने पास बनाए रखते हैं।

उनके मुताबिक, यह रिकॉर्ड इसलिए भी बना क्योंकि नितीश ने हमेशा परिस्थितियों के हिसाब से गठबंधन बदला, तालमेल बदला, और राजनीति की बिसात को बहुत सोच-समझकर खेला।

लेकिन दूसरी तरफ़ समर्थक इन बातों को बिल्कुल अलग तरीके से देखते हैं। उनका कहना है कि Nitish Kumar का लगातार इतने बार मुख्यमंत्री बनना, किसी सत्ता-लालच का नहीं, बल्कि उनके तजुर्बे, स्थिरता और काम करने की क्षमता का सबूत है।

लोग अक्सर कहते नज़र आए “देखिए साहब, कोई नेता अगर दस बार सत्ता में आता है तो इसकी वजह सिर्फ राजनीति नहीं होती, जनता का भरोसा भी साथ होता है।”

कुल मिलाकर ये पूरा मामला थोड़ा विवादों से भरा और थोड़ा तारीफ़ों से सजा हुआ है। एक तरफ़ उम्मीदें और वादे, तो दूसरी तरफ़ शिकायतें और सवाल यही बिहार की वर्तमान सियासत का असली रंग है।

जनता की चमक-दमक और उम्मीदें

गांधी मैदान में लोगों का सैलाब उमड़ा हुआ था चारों तरफ़ रौनक ही रौनक, कड़ी सिक्योरिटी, और बड़े-बड़े नेताओं की मौजूदगी। ये सब सिर्फ़ एक रस्मी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि लोगों की उम्मीदों, उनके सपनों और एक बेहतर कल की तरफ़ बढ़ने की चाहत का साफ़ इज़हार था। हर कोई बस यही देखना चाहता था कि अब बिहार में क्या नया होने वाला है और नितीश कुमार की नई टीम क्या लेकर आने वाली है।

Nitish Kumar के लिए ये शपथ ग्रहण सिर्फ़ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक नई ज़िम्मेदारी और नए सफ़र की शुरुआत है। बिहार को मज़बूत बनाना, रोज़गार बढ़ाना, क़ानून-व्यवस्था को बेहतर करना, और समाज में इंसाफ़ को यक़ीनी बनाना ये उनकी बड़ी चुनौतियाँ हैं। लोग उनसे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार कुछ अलग होगा, कुछ बेहतर होगा।

Nitish Kumar की ये 10वीं शपथ सच कहें तो बिहार की सियासत में एक बड़ा पड़ाव है। ये दिखाता है कि जनता ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है और NDA ने भी पूरी तैयारी के साथ सरकार बनाने का फ़ैसला किया है। कार्यक्रम की भव्यता, नेताओं की लंबी फ़ेहरिस्त, और मंच पर की गई बातों से साफ़ झलक रहा था कि एक नया दौर शुरू होने वाला है।

लेकिन साथ ही, ज़िम्मेदारियाँ भी कम नहीं हैं। बिहार की मुश्किलें सिर्फ़ बेरोज़गारी या विकास तक सीमित नहीं यहाँ राजनीतिक स्थिरता और दूरगामी प्लानिंग की भी सख़्त ज़रूरत है। नितीश कुमार और उनकी नई कैबिनेट के लिए ये वक्त जश्न से ज़्यादा काम करने का है। अब लोगों की निगाहें उन हर फैसले पर होंगी जो वो आने वाले दिनों में लेने वाले हैं।

देखना ये होगा कि आने वाले हफ्तों और महीनों में यह सरकार कितनी तेजी से ज़मीनी स्तर पर काम दिखाती है। वादे तो हर कोई करता है, लेकिन उन्हें हक़ीक़त में बदलना ही असली कारीगरी है और बस यही चीज़ बिहार की जनता बेसब्री से देखना चाहती है।

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