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Marc Benioff ने कहा- “मैं ChatGPT फिर कभी नहीं उपयोग करूंगा”
ये खबर सुनकर टेक दुनिया सचमुच हिल गई है। Salesforce के CEO Marc Benioff ने खुलकर कह दिया है कि वो अब रोज़-मर्रा के कामों के लिए ChatGPT इस्तेमाल नहीं करेंगे। वजह? Google का नया AI मॉडल Gemini 3।
Marc Benioff ने इसे सिर्फ अच्छा नहीं, बल्कि “झटका देने वाला, गेम-चेंजिंग और दुनिया बदल देने वाला” बताया है। उन्होंने अपने सोशल प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा: “Holy s. मैं पिछले 3 साल से हर दिन ChatGPT इस्तेमाल कर रहा था। अभी 2 घंटे Gemini 3 चलाया और मैं वापस नहीं जा रहा। ये छलांग पागलपन जैसी है reasoning, speed, images, video… सब कुछ तेज़ और तीखा। ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया फिर बदल गई है।”
अब ये बात सिर्फ उनके impressed होने की नहीं है, बल्कि ये एक बड़े बदलाव का इशारा है। पहले AI को लोग टेक्स्ट के लिए इस्तेमाल करते थे जैसे चैटिंग, लिखना, सवाल-जवाब वगैरह। मगर Gemini 3 सिर्फ टेक्स्ट नहीं जनरेट करता, बल्कि: वीडियो समझ सकता है और बना सकता है इमेजेस को पढ़ और analyze कर सकता है ऑडियो और मल्टीमॉडल इनपुट समझ सकता है और उसकी reasoning यानी सोचने-समझने की क्षमता और भी तेज़ बताई जा रही है|
यही वजह है कि अब टेक इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग सोच रहे हैं कि अब भविष्य सिर्फ simple chatbots का नहीं बल्कि ऐसे AI का होगा जो इंसानों की तरह देख, सुन, समझ और जवाब दे सके। सीधी भाषा में बोलें तो: AI अब सिर्फ मददगार नहीं रहा अब वो पार्टनर और decision-maker की तरफ बढ़ रहा है।
Marc Benioff का ये कदम एक संदेश भी है AI वाले मैदान में competition अब और भी गर्म होने वाला है। जो AI वाकई तेज, समझदार और multi-purpose होगा… वही बाज़ी मारेगा। और भाई, सच बोलूं तो ये कहानी सिर्फ Google vs OpenAI की rivalry नहीं है ये आने वाले AI के नए दौर का आगाज़ लग रही है।
क्यों है यह फैसला इतना अहम?
ये जो Marc Benioff का कहना है कि, “मैं अब ChatGPT इस्तेमाल नहीं करूँगा” ये बस यूँ ही कही हुई बात नहीं है। ये एक signals wali बात है। मतलब ये कि अब बड़े लोग और बड़ी कंपनियाँ AI मॉडल चुनने में पहले से कहीं ज़्यादा सोच-विचार कर रही हैं।
पहले तक क्या था?
OpenAI का ChatGPT टॉप पर था सब उसे ही इस्तेमाल करते थे, और वो AI का default नाम बन चुका था। लेकिन अब Google, Meta, Anthropic जैसे बड़े खिलाड़ी बहुत तेज़ी से गेम बदल रहे हैं। और Gemini 3 वही गेम-चेंजर बनकर सामने आया है, जिसने Marc जैसे बड़े CEO को तक बोलने पर मजबूर कर दिया कि “बस, अब बदलना पड़ेगा।”
कंपनियों के नज़रिए में बड़ा मोड़
Salesforce जैसी बड़ी कंपनी पहले OpenAI के साथ partnership में थी मतलब ChatGPT उनके सिस्टम और workflow का हिस्सा था। लेकिन जब उसी कंपनी का CEO मॉडल बदलने की बात करे, तो ये साफ समझ आता है कि: अब मामला सिर्फ “AI इस्तेमाल करने” का नहीं रह गया मामला ये है कि कौन-सा AI दिमाग, रफ्तार, accuracy और versatility में सबसे आगे है।

ये असल में वही logic है जैसे पहले लोग Nokia या Blackberry पर टिके हुए थे मगर जब smartphones आए और performance में फर्क दिखा, तो पूरी दुनिया देखते ही देखते शिफ्ट हो गई।
AI इंडस्ट्री में कम्पटीशन अब और गरम
Marc Benioff की इस statement से एक बात और साफ हो गई है कि ये सिर्फ tech excitement नहीं है ये Industry pressure है। अब कंपनियाँ ये सोचेंगी कि: कौन-सा मॉडल बेहतर reasoning देता है? कौन-सा मॉडल audio-video समझ सकता है? कौन-सा AI real business workflows में कम दिक्कत, ज़्यादा accuracy दे सकता है? और भाई ये सवाल सिर्फ tech वालों के नहीं हैं ये आने वाले महीनों में हर छोटी-बड़ी कंपनी पूछने लगेगी।
सीधी, रोज़मर्रा वाली ज़बान में कहें तो: AI की दुनिया अब emotions से नहीं चल रही अब ये performance, capability और results पर चल रही है। और Marc Benioff ने जो किया है वो शायद इस नए AI दौर का पहला बड़ा इशारा है।
इसका प्रभाव क्या होगा?
अब हालात ऐसे हो गए हैं कि कंपनियाँ पहले की तरह सिर्फ मशहूर या लोकप्रिय मॉडल को नहीं अपनाएँगी। अब वो देखेंगे कि कौन-सा मॉडल कितना तेज़, कितना समझदार और कितना मल्टीमॉडल है। मतलब अब फैसला नाम पर नहीं, बल्कि performance, reasoning aur versatility पर होगा।
नए प्लेटफॉर्म को मिलेगी रफ़्तार
Gemini 3, Claude और दूसरे नए AI मॉडल अब तेजी से लाइमलाइट में आ रहे हैं। अब ChatGPT अकेला राजा नहीं रहा मुकाबला सख़्त हो रहा है और हर मॉडल अपनी ताकत दिखाने में लगा हुआ है। टेक दुनिया में जैसे लहर उठी है वैसे लग रहा है कि ChatGPT का एक-छत्र राज अब हिलने लगा है। यूज़र और डेवलपर्स की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं अब लोग सिर्फ ऐसा AI नहीं चाहते जो बस सवाल-जवाब करे।
अब ज़माना है उस मॉडल का जो: तस्वीर समझ सके वीडियो analyze कर सके कोड लिख सके और debug भी करे आवाज़, टेक्स्ट और visuals सब संभाल सके और सबसे ज़रूरी सोचकर जवाब दे, जल्दी दे और सही दे यानी अब AI को assistant से बढ़कर एक digital दिमाग होना पड़ेगा।
OpenAI के लिए एक warning bell
यह बदलाव OpenAI के लिए एक साफ संदेश है अगर अपडेट तेज़ नहीं हुए, अगर improvements ठोस नहीं हुए, तो बाज़ार और बड़े enterprise ग्राहकों को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
AI दुनिया में loyalty लंबी नहीं चलती जहाँ performance better होगा, वहीं लोग चले जाएँगे। सीधी बात अब AI की दुनिया एक नए मुकाबले में उतर रही है। और जो मॉडल सबसे brainy, fastest और multimodal होगा future उसी का होगा।
चुनौतियाँ और बातें ध्यान देने योग्य
Marc Benioff ने जो बात कही वो सिर्फ शुरुआती अनुभव पर आधारित है। उन्होंने Gemini 3 को बस दो घंटे इस्तेमाल किया और उस दो घंटे ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने खुलकर कहा कि अब वो वापस ChatGPT पर नहीं जाएँगे। लेकिन असल सवाल ये है: क्या दो घंटे का जादू लंबे समय तक टिकेगा? या फिर ये बस “पहली मुलाक़ात वाला excitement” है? ये तो आने वाले हफ़्तों और महीनों में ही पता चलेगा।

बड़े बिजनेस के लिए सिर्फ परफॉर्मेंस काफी नहीं
जब बड़ी कंपनियाँ AI मॉडल चुनती हैं तो वो सिर्फ speed या accuracy नहीं देखतीं। उनके लिए ये चीज़ें भी उतनी ही अहम होती हैं: डेटा सुरक्षित रहता है या नहीं? मॉडल को customize किया जा सकता है या नहीं? लागत कितनी पड़ेगी सस्ती या बहुत भारी? मॉडल कंपनी के existing सिस्टम के साथ compatible है या नहीं? यानी खेल सिर्फ कितना समझदार AI है इसमें नहीं, बल्कि कितना भरोसेमंद AI है, इसमें भी है।
इंसान vs AI नहीं — बल्कि इंसान + AI
AI जितना आगे बढ़ रहा है उतना ही ये सवाल बढ़ रहा है कि इंसानों की क्या भूमिका होगी? AI अब बस chatbot नहीं रहा अब वो decision लेने में भी मदद कर रहा है। पर फिर भी: आख़िरी फैसले, ethics, control और ज़िम्मेदारी अभी भी इंसानों की ही होगी। Marc Benioff पहले भी बोल चुके हैं कि भविष्य में AI agents, automation और मानव-मशीन सहयोग बहुत बड़ा रोल निभाएँगे।
सीधी, आसान, और थोड़ी उर्दू-छौंक वाली भाषा में कहें तो: Gemini 3 ने दिल तो जीत लिया है अब देखना है कि क्या वो भरोसा भी जीतता है या नहीं। क्योंकि टेक की दुनिया में फैसला hype से नहीं, लंबी performance और भरोसे से होता है।
भारत के दृष्टिकोण से क्या मायने रखता है?
भारत में भी AI का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यहाँ एक बड़ी खासियत है भाषाएँ बहुत हैं, और लोग टेक्स्ट के अलावा आवाज़, फोटो, वीडियो सब इस्तेमाल करते हैं| इसलिए इंडिया में वो मॉडल चलेगा जो:बहु-भाषी हो हिंदी, तमिल, बंगाली, मराठी जैसे लोकल भाषाओं में चल सके और मल्टीमॉडल यानी टेक्स्ट + इमेज + वीडियो समझ सके सीधे शब्दों में जो मॉडल भारत जैसी विविधता को समझेगा, वही यहाँ का असली विजेता बनेगा।
डेवलपर्स और कंपनियों का नजरिया भी बदल रहा है पहले लोग सोचते थे “बस AI लगा दो ChatGPT है तो ठीक है।” अब सवाल बदल गया है: “कौन-सा मॉडल मेरा काम सबसे बेहतर कर रहा है?”
यानि अब blindly किसी मॉडल को अपनाने की जगह, कंपनियाँ comparison कर रही हैं कौन तेज़ है, कौन समझदार है, कौन customize हो सकता है, किसकी accuracy strong है।
अगर बड़े खिलाड़ी बदलेंगे तो इंडिया में भी लहर आएगी अगर Salesforce जैसी बड़ी कंपनियाँ Gemini 3 या दूसरे नए मॉडल पर शिफ्ट होती हैं, तो इंडिया में भी उसी टेक के आस-पास: services training fine-tuning और regional language AI solutions का पूरा एक नया ecosystem तैयार हो सकता है।
इंडिया की स्टार्टअप दुनिया इसे बड़े मौके के तौर पर देखेगी। Marc Benioff का बयान सिर्फ एक reaction नहीं ये एक signal है। ये बताता है कि AI अब सिर्फ: chatbot लेखन टूल internet पर जवाब देने वाला मॉडल नहीं रहेगा |
अब AI: मल्टीमॉडल reasoning वाला fast-thinking real-world task करने वाला सिस्टम बनेगा। और जब कोई बड़ा CEO कह दे “मैं वापस नहीं जाऊँगा,” तो बात साफ है: AI की अगली पीढ़ी का दौर शुरू हो चुका है।
हाँ, लेकिन ये भी सच है कि: अभी शुरुआत है अभी लंबे समय का performance देखा जाना बाकी है enterprise-grade reliability, cost efficiency और डेटा-सुरक्षा जैसे मुद्दों की असली परीक्षा अभी आगे है।
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