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Sanchar Saathi App 2025 पर “Shocking Privacy Concern”, Government का “Game-Changing Security Move” या नागरिकों की आज़ादी पर खतरा? जाने Sanchar Saathi विवाद का कारण

Sanchar Saathi App 2025 पर “Shocking Privacy Concern”, Government का “Game-Changing Security Move” या नागरिकों की आज़ादी पर खतरा? जाने Sanchar Saathi विवाद का कारण

Sanchar Saathi App क्या है, इसकी क्या सुविधाएँ है?

Sanchar Saathi App असल में Department of Telecommunications (DoT) की तरफ़ से शुरू की गई एक बहुत ही काम की पहल है। इसका मक़सद मोबाइल यूज़र्स को सुरक्षित रखना है मतलब मोबाइल से जुड़े धोखाधड़ी वाले मामलों, नकली फोन, चोरी हुए मोबाइल और फर्जी सिम कार्ड जैसी परेशानियों से लोगों को बचाना।

पहले इसका एक वेब-पोर्टल था, लेकिन लोगों को आसानी हो इसलिए बाद में इसका मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया जो Android और iOS दोनों पर मौजूद था। यानी हर स्मार्टफोन यूज़र इसे इस्तेमाल कर सकता था।

Sanchar Saathi App में क्या-क्या सुविधाएँ थीं?

फोन के IMEI नंबर की जांच, अगर आपको शक हो कि फोन असली है या नकली / चोरी का है तो IMEI चेक करके पता चल जाता है। मतलब कितना क्लियर और सिम्पल बस नंबर डालो और सच सामने।

मोबाइल चोरी या खो जाए तो ब्लॉक/रिपोर्ट करना, मान लीजिए फोन चोरी हो गया, या कहीं गिर गया तो घबराने से पहले इस ऐप पर रिपोर्ट करते ही फोन नेटवर्क-लेवल पर ब्लॉक हो सकता है। चोर के लिए फोन बेकार, और यूज़र के डेटा की सेफ्टी दोनों फायदे।

अपने नाम पर कितनी सिम कार्ड चल रही हैं पता चल जाएगा, कई बार धोखेबाज़ किसी के पहचान दस्तावेज़ का गलत इस्तेमाल करके फ़र्ज़ी सिम कार्ड निकाल लेते हैं Sanchar Saathi App के ज़रिये साफ-साफ दिख जाता है कि आपके नाम पर कितनी सिम सक्रिय हैं। अगर कोई अनजान सिम दिखे तुरंत रिपोर्ट करने का विकल्प भी मौजूद है।

फ्रॉड कॉल / मैसेज की शिकायत करना, कभी कोई संदिग्ध कॉल आए, KYC के नाम पर OTP माँगे, बैंक बदलो, इनाम मिला ऐसा कोई धोखा लगे तो सीधे यहाँ शिकायत दर्ज की जा सकती है। सरकारी सिस्टम उन नंबरों पर कार्रवाई करता है, ताकि ऐसी ठगी आगे ना बढ़ सके।

सरकार का कहना क्या है?

सरकार के मुताबिक़ इस ऐप से नकली और चोरी के मोबाइल, फर्जी सिम कार्ड, कॉल-SMS आधारित साइबर धोखाधड़ी,मोबाइल के दुरुपयोग से जुर्म इन सब पर काफी हद तक रोक लग सकती है। लोग सुरक्षित, डेटा सुरक्षित, मोबाइल सुरक्षित और ठगों की चालाकी खत्म!

नया आदेश अब हर फोन में Sanchar Saathi App प्री-इंस्टॉल

28 नवंबर 2025 को DoT (Department of Telecommunications) ने एक नया और बड़ा निर्देश जारी किया है। इसके मुताबिक़ अब भारत में बिकने वाले हर नए स्मार्टफोन में Sanchar Saathi App पहले से ही इंस्टॉल (pre-installed) रहेगा। मतलब न कोई झंझट, न डाउनलोड करने की टेंशन फोन खरीदते ही ऐप पहले से मौजूद मिलेगा।

ये नियम सिर्फ नए फोन के लिए ही नहीं है। बल्कि जो भी स्मार्टफोन भारत में आयात (import) होकर आते हैं, या बिक्री के लिए मार्केट में लाए जाते हैं उन सब पर ये नियम लागू होगा। सीधी भाषा में अब Sanchar Saathi हर फोन का हिस्सा होगा।

कंपनियों को कितना समय मिला है?

सरकार ने फोन बनाने वाली कंपनियों और आयात करने वालों दोनों को टाइमलाइन भी दे दी है, 90 दिन में Sanchar Saathi App को हर फोन में शामिल (pre-install) करना अनिवार्य। 120 दिन में इस नियम पर पूरी तरह अमल हुआ या नहीं, उसकी रिपोर्ट सरकार को देनी पड़ेगी। यानी अब कंपनियों के पास टाइम तो है लेकिन बचने का रास्ता नहीं।

सरकार ये सब क्यों कर रही है?

सरकार का तर्क बड़ा साफ और मजबूत है सेकंड-हैंड / पुराने फोन खरीदते समय IMEI फर्जी या बदला हुआ है या नहीं ये आसानी से पता चल जाएगा चोरी, नकली और तस्करी वाले फोन पकड़ना बहुत आसान हो जाएगा सिम फ्रॉड, KYC ठगी, बैंक OTP जैसी धोखाधड़ियों पर रोक लगेगी फर्जी मोबाइल से जुड़ा साइबर क्राइम काफी हद तक डाउन होगा लोगों की सुरक्षा पहले और ठगों की चालाकी ख़त्म।

आम आदमी के लिए इसका फायदा कैसे होगा?

बिलकुल आसान शब्दों में समझिए, फोन खो जाए — ऐप खोलकर रिपोर्ट → फोन तुरंत ब्लॉक
नया या सेकंड-हैंड फोन खरीद रहे हों — ऐप से IMEI चेक → असली / नकली साफ़
किसी अजनबी नंबर से फ्रॉड कॉल या मैसेज आए — वहीं से शिकायत → कारवाई शुरू
अपने नाम पर कितनी सिम चल रही हैं — ऐप से तुरंत पता → धोखाधड़ी से बचाव, मतलब स्मार्टफोन जितना स्मार्ट अब यूज़र की सुरक्षा भी उतनी ही स्मार्ट।

क्यों विवाद खड़ा हुआ विपक्ष का आरोप और केंद्र की सफाई ऐप हटाया जा सकता है

विवाद शुरू कैसे हुआ?

देखिए, जैसे ही सरकार ने यह एलान किया कि हर नए स्मार्टफोन में Sanchar Saathi ऐप पहले से इंस्टॉल रहेगा, विपक्ष के कई नेताओं और पार्टियों ने इस पर कड़ा ऐतराज़ जताना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि अगर सरकार किसी ऐप को हर फोन में जबरन डाल सकती है, और वो ऐप फोन के IMEI, कॉल-SMS, डेटा या यूज़र की जानकारी तक पहुंच रखता हो तो यह नागरिकों की निजता (Privacy) और व्यक्तिगत आज़ादी के खिलाफ है।

कुछ नेताओं ने तो इसे “Surveillance” यानी निगरानी का बड़ा खतरा बताया। उनका कहना है कि इससे “Big Brother” वाली स्थिति बन सकती है जहाँ सरकार हर नागरिक के फोन, हर कॉल, और हर गतिविधि पर नजर रख सके। सीधी भाषा में विपक्ष को डर है कि सुरक्षा के नाम पर सरकार लोगों की प्राइवेसी पर दखल दे सकती है।

विपक्ष क्या मांग कर रहा है?

विरोध कर रही पार्टियों की माँग साफ है या तो यह आदेश पूरी तरह वापस लिया जाए या कम से कम ऐप पूरी तरह वैकल्पिक (Optional) हो यानी यूज़र चाहे तो ऐप रखें, चाहे तो न रखें। विपक्ष का कहना है सिक्योरिटी ठीक है, लेकिन लोगों की आज़ादी भी ज़रूरी है।

सरकार की सफाई – विवाद शांत करने की कोशिश

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दूरसंचार मंत्रालय और मंत्री (जिनमें Jyotiraditya Scindia का भी ज़िक्र हुआ) ने आज स्पष्ट बयान दिया है कि: Sanchar Saathi App “अनिवार्य” नहीं है यूज़र चाहे तो इसे अनइंस्टॉल कर सकते हैं मजबूरी नहीं है

सरकार का कहना है हमारा मकसद बस इतना था कि Sanchar Saathi App हर यूज़र के सामने पहुँच जाए ताकि जिसे ज़रूरत हो वो इस्तेमाल कर ले। लेकिन किसी के ऊपर जबरदस्ती ऐप रखना ज़रूरी नहीं किया गया। यह बयान इसीलिए दिया गया ताकि विपक्ष द्वारा लगाए गए “निगरानी / Snooping” के आरोपों को बेबुनियाद दिखाया जा सके।

सरकार की तरफ से और भी आश्वासन

केंद्र सरकार ने आगे यह बात भी साफ की अगर यूज़र Sanchar Saathi App को रजिस्टर या एक्टिव नहीं करता तो ऐप अपने-आप कुछ भी ट्रैक, रिकॉर्ड या लॉग नहीं कर सकता। Sanchar Saathi App से निकला डेटा किसी तीसरे पक्ष (third party) को नहीं दिया जाता, सिवाय इसके कि कानून के तहत किसी जांच में इसकी ज़रूरत पड़े।

सरकार का कहना है “सुरक्षा है, जासूसी नहीं और नागरिकों की प्राइवेसी पूरी तरह सुरक्षित है।” एक लाइन में पूरी तस्वीर पक्ष कह रहा है जनता की सुरक्षा के लिए ऐप ज़रूरी है विपक्ष कह रहा है प्राइवेसी और आज़ादी से खिलवाड़ नहीं चलेगा और इस सब के बीच सच्चाई यह है कि Sanchar Saathi App फोन में तो रहेगा, लेकिन रखना या हटाना यूज़र की अपनी मर्जी होगी।

क्या सच में डिलीट कर सकते हैं?

क्या वाकई Sanchar Saathi App हटाया (Uninstall) जा सकता है? केंद्र सरकार की आज की सफाई और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाँ, अगर आपके फोन में Sanchar Saathi App है, तो आप उसे अनइंस्टॉल कर सकते हैं।

सरकार का कहना है Sanchar Saathi App अनिवार्य (Mandatory) नहीं है इस्तेमाल पूरी तरह वैकल्पिक (Optional) है यानि अगर आप नहीं चाहें, तो न Sanchar Saathi App का इस्तेमाल ज़रूरी है और न ही पंजीकरण (registration) करना ज़रूरी।

कैसे हटाया जा सकता है?

सरल भाषा में जिस तरह कोई और ऐप हटाते हैं, उसी तरह इस ऐप को भी हटाया जा सकता है। फ़ोन की Settings में जाएँ Apps / Application Manager खोलें, Sanchar Saathi App चुनें, और Uninstall पर टैप कर दें यानि “मर्जी आपकी रखना है तो रखें, नहीं रखना तो हटाएँ।”

लेकिन एक ध्यान देने वाली बात

पहले जो सरकारी निर्देश जारी किया गया था, उसमें कंपनियों को कहा गया था कि ऐप फोन में प्री-इंस्टॉल होना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि Sanchar Saathi App आसानी से हटाया न जा सके या फोन सेटअप के दौरान अनदेखा न किया जा सके|

इसका मतलब ये हुआ कि कुछ कंपनियाँ ऐसी सेटिंग लगा सकती हैं जिसमें ऐप को डिलीट या डिसेबल करना मुश्किल हो जाए। सरकार कह रही है ऐप हट सकता है, लेकिन कुछ फोन में तकनीकी रूप से हटाना उतना आसान न भी हो।

तो यूज़र क्या करें?

अगर आपके पास नया फोन है और उस पर Sanchar Saathi पहले से मौजूद है तो सबसे पहले यह चेक करें क्या Sanchar Saathi App Uninstall / Remove हो रहा है? या “Disable / Force Stop” ही दिखा रहा है और हट नहीं रहा?

अगर हट रहा है तो ठीक है। अगर नहीं हट रहा तो बिल्कुल वैध अधिकार के साथ आप फोन कंपनी / कस्टमर केयर से पूछ सकते हैं: उन्होंने DoT के निर्देशों को किस तरह लागू किया है, जब सरकार कह रही है कि ऐप डिलीट करने की अनुमति होनी चाहिए? यानि “सरकार कह रही है कि जबरदस्ती नहीं है तो फिर यूज़र के फोन पर हटाने का ऑप्शन क्यों नहीं है?”

अंत में एक सादा सा सार
सरकार “ऐप रखना आपकी मर्जी” विपक्ष “निगरानी का डर” कंपनियाँ “तकनीकी दिशा-निर्देश का पालन” और आम जनता यही समझने की कोशिश में है कि फोन पर ऐप रखना भी ज़रूरत है या ज़्यादा दखल।

इस विवाद के मायने — सुरक्षा बनाम निजता

इस पूरी बहस का मुद्दा सिर्फ एक ऐप तक सीमित नहीं है। असल सवाल कहीं ज़्यादा बड़ा और गहरा है क्या सरकार को इतना अधिकार होना चाहिए कि वह हर नागरिक के स्मार्टफोन में अपनी पसंद का ऐप या सॉफ़्टवेयर पहले से डाल दे? लोग कह रहे हैं अगर आज एक ऐप प्री-इंस्टॉल हुआ, तो कल एक और फिर परसों और भी। तो क्या यह निजता (Privacy) और व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Individual Autonomy) के खिलाफ नहीं हो जाएगा?

कई सवाल जनता और विशेषज्ञों के मन में उठ रहे हैं “सुरक्षा के नाम पर निगरानी तो नहीं बढ़ रही?” “राज्य की ताक़त बढ़ रही है, या नागरिकों की स्वतंत्रता कम हो रही है?” “अगर Sanchar Saathi App हटाया जा सकता है, तो क्या लोग सच में हटाएंगे या दबाव और डर के कारण इसे अपने फोन में ही रहने देंगे?”

दोनों पक्षों के तर्क: केंद्र सरकार का कहना Sanchar Saathi App सुरक्षा के लिए है, चोरी और धोखाधड़ी से बचाव के लिए है, और इसका उपयोग पूरी तरह वैकल्पिक (Optional) है। जिसे जरूरत है वह रखे, जिसे न हो वह हटा दे बस इतना सा मामला है।

विपक्ष का कहना यह नागरिकों की आज़ादी पर चोट है। आज ऐप सिर्फ सुरक्षा के नाम पर आया है, लेकिन भविष्य में ऐसे ऐप्स के ज़रिये विस्तृत निगरानी (Mass Surveillance) भी संभव है और तब कोई रोक-टोक न बचेगी। सीधी भाषा में एक कह रहा है सुरक्षा, दूसरा कह रहा है आज़ादी पर दख़ल।

“सुरक्षा vs निजता” भारत में पुराना लेकिन बड़ा सवाल

हम डिजिटल युग में हैं। डेटा, मोबाइल और इंटरनेट पर ज़िंदगी चलती है। ऐसे में सुरक्षा भी जरूरी है और निजता (Privacy) भी उतनी ही जरूरी। Sanchar Saathi App इसका ताज़ा उदाहरण है एक तरफ़ ऐप दावा करता है कि वह फोन चोरी, IMEI फ्रॉड, फर्जी सिम और धोखाधड़ी से रक्षा करेगा। दूसरी तरफ़ यह चिंता भी उठती है कि कहीं सुरक्षा के नाम पर धीरे-धीरे निगरानी (Snooping) का तंत्र तो नहीं बनाया जा रहा?

केंद्र की आज की सफाई

आज सरकार ने साफ कह दिया ऐप अनिवार्य नहीं है Sanchar Saathi App को यूज़र डिलीट कर सकते हैं यह बयान विवाद को शांत करने की कोशिश है लेकिन यह भी साफ दिखाता है कि डिजिटल सुरक्षा के हर कदम पर पारदर्शिता, भरोसा और नागरिकों की सहमति बेहद ज़रूरी है। अंत में सच्चाई न डिजिटल सुरक्षा गलत है न नागरिक स्वतंत्रता बेकार है दोनों अपनी जगह ज़रूरी हैं।

लेकिन जब भी बात टेक्नोलॉजी, फोन और डेटा की हो तो हर छोटा कदम भी संवेदनशील बन जाता है। इसलिए सबसे ज़रूरी है: पारदर्शिता विकल्प (ऑप्शन) और नागरिकों की जागरूकता क्योंकि डिजिटल भारत में ताक़त भी डेटा में है, और कमज़ोरी भी डेटा में ही है।

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