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IndiGo संकट पर Indian Railway का बड़ा कदम
पिछले कुछ दिनों से पूरे India में IndiGo एयरलाइन का हाल ऐसा रहा जैसे मानो पूरा सिस्टम ब्लैकआउट में चला गया हो। लोगों की फ्लाइट कभी कैंसिल हो रही थीं, कभी घंटों की देरी से उड़ रही थीं, और कभी शेड्यूल ही बदल जा रहा था।
किसी को समझ नहीं आ रहा था कि वो एयरपोर्ट पर बैठे-बैठे इंतज़ार करे, टिकट कैंसिल कराए, या किसी और रास्ते से सफर करे।लफ़्ज़ों में कहें तो हवाई यात्रा पूरी तरह से अस्त-व्यस्त और बेतरतीब हो चुकी थी — यात्री परेशान, स्टाफ कन्फ्यूज़्ड और एयरलाइन की प्लानिंग ठप।
इसी गड़बड़ी की वजह से हज़ारों लोग मजबूरन फ्लाइट छोड़कर ट्रेन, बस या जो भी वैकल्पिक साधन मिले, उसकी तरफ भागे। एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी, टिकट काउंटरों पर हंगामा, और हवाई यात्रा के खर्च में अचानक उछाल — सबने लोगों को और बेचैन कर दिया।
ऐसे मुश्किल वक़्त में, जब मुसाफ़िर खुद को बेसहारा सा महसूस कर रहे थे, Indian Railway ने आगे बढ़कर एक बड़ा और दिल को राहत देने वाला फैसला लिया।
शुक्रवार (05 दिसंबर 2025) को रेलवे ने एलान किया कि वो देश भर की ट्रेनों में कुल 116 अतिरिक्त कोच जोड़ रही है ताकि जिन लोगों की फ्लाइट अटक गई, कैंसिल हो गई या अनिश्चित हो गई, वो कम से कम सुरक्षित तरीक़े से अपने मंज़िल तक पहुँच सकें।
ये कोच यूं ही कुछ गिनी-चुनी ट्रेनों में नहीं लगाए गए, बल्कि कुल 37 महत्त्वपूर्ण ट्रेनों में जोड़े गए हैं — ताकि भीड़ कम हो, सीट मिलने में आसानी हो, और किसी मुसाफ़िर को लगे कि सफर में उसकी तकलीफ को किसी ने समझा है।
Indian Railway का ये कदम सिर्फ़ “अतिरिक्त कोच जोड़ने” का ए़लान नहीं था बल्कि ये उन परेशान यात्रियों को तसल्ली देने जैसा कदम था जो हवाई सफर में फँसकर इधर-उधर भटक रहे थे।
साफ़ शब्दों में कहें तो, जहां इंडिगो ने यात्रियों को मायूस किया…वहीं रेलवे ने आगे बढ़कर हालात संभाले और ये दिखा दिया कि मुसाफ़िर मुश्किल में हो तो रेलवे उसे अकेला नहीं छोड़ती।

Indian Railway की कौन‑कौन सी ट्रेनें प्रभावित हुईं — और कोच कहां जोड़े गए
Indian Railway ने इस हालात को समझते हुए सीधे सामान्य ट्रेनों में नहीं, बल्कि कुछ सबसे मशहूर, सबसे ज़्यादा चलने वाली और प्रीमियम ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़ना शुरू किया है।
ताकि जिन लोगों की फ्लाइट अटक गई है और जो मजबूरी में ट्रेन से सफ़र कर रहे हैं, उन्हें आराम से सीट या बर्थ मिल जाए और सफर परेशानियों में न कटे।
अब ज़रा ध्यान से देखिए कौन-कौन सी बड़ी ट्रेनें इस लिस्ट में शामिल हुई हैं Jammu–New Delhi Rajdhani Express इस रूट पर हमेशा भीड़ रहती है, और अभी तो हालात और भी टाइट हो गए हैं।
इसलिए इस ट्रेन में एक एक्स्ट्रा 3AC (थर्ड एसी) कोच जोड़ दिया गया है — ताकि लंबा सफर करने वाले मुसाफ़िरों को आराम और सुविधा मिल सके।
Dibrugarh–Delhi Rajdhani Express पूर्वोत्तर से दिल्ली आने-जाने वालों की संख्या अचानक बढ़ गई है। इसी वजह से इस ट्रेन में भी एक और 3AC कोच लगा दिया गया है — ताकि लोगों को वेटिंग की टेंशन कम हो और वो चैन से अपनी सीट पर सफर कर सकें।
Chandigarh–Delhi Shatabdi Express Amritsar–Delhi Shatabdi Expressइन दोनों शताब्दी एक्सप्रेस में भी एक-एक अतिरिक्त चेयर-कार (Chair Car) कोच लगाया गया है।
यानी जो लोग चंडीगढ़ और अमृतसर के बीच आना-जाना कर रहे हैं, उनका सफर अब और आसान और आरामदेह रहेगा कम भीड़, ज्यादा सीटें।
Indian Railway अधिकारियों का कहना है कि यह तो सिर्फ़ पहला कदम है।अगर हालात और बिगड़े या मुसाफ़िरों की संख्या और बढ़ी तो वो और भी कोच जोड़ने, और यहां तक कि स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए भी पूरी तरह तैयार हैं।
यानि कि रेलवे ने साफ-साफ यह बात जता दी है कि: “मुसाफ़िर मुसीबत में है तो रेलवे पीछे नहीं हटेगी जो ज़रूरत पड़ेगी, की जाएगी।”यह फैसला सुनकर यात्रियों को भी थोड़ा सुकून मिला है, क्योंकि IndiGo की फ्लाइटों ने जितनी परेशानी दी, उससे लोगों को लग रहा था कि उनका सफर जैसे पूरी तरह रुक गया है। लेकिन रेलवे के कदम ने दुबारा भरोसा दिलाया कि देश में सफर कभी ठहरता नहीं रास्ता हमेशा निकलता है।
Indian Railway की टिकट बुकिंग बड़ी, प्लेटफार्मों पर भीड़
Indian Railway में मचा हड़कंप — जगह-जगह अफरा-तफरीइंडिगो की लगातार फ्लाइटें रद्द होने के बाद जब हवाई यात्रा का कोई भरोसा नहीं रहा, तो चाहे युवा हों, बुज़ुर्ग हों, ऑफिस जाने वाले हों या घूमने-फिरने वाले ट्रैवलर्स — सबके सब ट्रेन की तरफ टूट पड़े।
जिन लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो फ्लाइट छोड़कर ट्रेन में जाएंगे, वो भी मजबूरी में टिकट तलाशते नज़र आए।खासकर दिल्ली से बाहर जाने वाले रूट्स — जैसे जम्मू अमृतसर कोलकाता मुंबई अहमदाबादइन रूट्स पर टिकट बुकिंग की डिमांड रातों-रात आसमान छूने लगी।

किसी को सीट नहीं मिल रही थी, किसी का टिकट वेटिंग में जा रहा था, और किसी को दर-दर भटकना पड़ रहा था।कुछ लोग टाइम बचाने के लिए तत्काल (Tatkal) टिकट की लाइन में लग गए,तो कुछ लोगों ने 3AC, शताब्दी या किसी भी रिजर्वेशन कोच में सीट पाने के लिए ₹500–₹1000 ज़्यादा देने तक की गुंजाइश छोड़ दी।
लेकिन मांग इतनी ज़्यादा थी कि पूरा बुकिंग सिस्टम हिल गया — ऑनलाइन टिकटिंग प्लेटफॉर्म स्लो ऐप और वेबसाइट पर एरर रिजर्वेशन काउंटरों पर लंबी-लंबी कतार वेटिंग टिकट वालों की मायूसी और गुस्साऔर सिर्फ टिकटिंग ही नहीं —कई बड़े रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफार्म भरे पड़े थे,लोग अलग-अलग पूछताछ काउंटरों पर दौड़ लगा रहे थे,किसके पास सीट है, कौनसी ट्रेन में जगह है — सब बेतरतीबी का माहौल था।
यानी साफ-साफ कहा जाए,ट्रेन में जगह से ज़्यादा जगह मांगने वाले लोग थे।ऐसे में रेलवे के लिए ये सिर्फ भीड़ संभालने का मामला नहीं था —ये एक इमरजेंसी सिचुएशन बन चुकी थी, जिसमें तुरंत राहत भी चाहिए थी और मजबूत मैनेजमेंट भी।
इसी वजह से Indian Railway ने 116 अतिरिक्त कोच जोड़ने का फैसला लिया ताकि लोगों की तकलीफ़ कुछ कम हो, सीटों की कमी का दबाव थोड़ा घटे और कोई भी मुसाफ़िर मजबूरी में सफर छोड़ने पर मजबूर न हो।
लेकिन सवाल ये है क्या सिर्फ इतना काफ़ी है?सच तो ये है कि कदम बड़ा है, सराहनीय है लेकिन हालात उससे भी बड़े हैं।भीड़ कम जरूर होगी, पर क्या पूरी तरह खत्म होगी?लोगों को सीटें मिलेंगी, पर क्या सबको मिलेंगी?यही असल पेचीदगी है।
Indian Railway ने शुरुआत तो मजबूत की है,लेकिन जरूरत पड़ने पर और कोच बढ़ाने, स्पेशल ट्रेनें चलाने और भीड़ कंट्रोल करने की जिम्मेदारी आगे भी बनी रहेगी।क्योंकि मुसाफ़िर उम्मीद कर रहा है कि वो सुरक्षित, आरामदायक और समय पर अपनी मंज़िल पहुंचे —और यही वक़्त रेलवे की असली परीक्षा है।
Indian Railway के लिए चुनौतियाँ और सीमाएं
अब बात ये है कि 116 कोच जोड़ना वाकई में बड़ा और काबिल-ए-तारीफ़ कदम है, लेकिन मौजूदा हालात इतने चुनौती भरे हैं कि कुछ मुद्दों पर Indian Railway को अब भी ज़रा ज़्यादा ध्यान देना पड़ेगा।
यानी राहत मिली है, लेकिन दिक्कतें पूरी तरह ख़त्म नहीं हुईं।सबसे पहले बात करते हैं सीट और बर्थ की बुकिंग की मांग आज भी इतनी ज्यादा है कि कई रूट्स पर टिकट पलक झपकते ही भर जा रहे हैं।
हो सकता है, कुछ लोग फिर भी वेटिंग लिस्ट में चले जाएँ, और टिकट कन्फर्म होने की चिंता उन्हें परेशान करती रहे।क्योंकि भीड़ कम हुई है, लेकिन खत्म नहीं।दूसरा मामला है कोचों के प्रकार और सुविधा का हर मुसाफ़िर AC कोच में सफ़र नहीं करना चाहता।
किसी की जेब जनरल टिकट तक सीमित है, किसी को स्लीपर चाहिए होता है, और किसी की मजबूरी है कि वो कम बजट में लंबा सफर करे।अभी जो कोच बढ़ाए गए हैं, वो ज़्यादातर 3AC और चेयर-कार श्रेणी में हैं यानी प्रीमियम कैटेगरी में।
तो बड़े सवाल ये हैं कि स्लीपर और जनरल क्लास में भी बढ़ोत्तरी का इंतज़ाम कब होगा?क्योंकि असली भीड़ तो वहीं पड़ती है।तीसरा बड़ा मसला है स्टेशनों और प्लेटफार्मों पर भीड़ का प्रबंधन टिकट मिल भी जाए, लेकिन ट्रेन पकड़ने में भी मुश्किलें कम नहीं।
इतनी ज्यादा भीड़ होने से चढ़ना-उतरना मुश्किल, सामान संभालना मुश्किल, सही कोच ढूंढना मुश्किल हर चीज़ में अफरा-तफरी बढ़ सकती है।इसलिए रेलवे को ग्राउंड स्टाफ, सुरक्षा, गाइडेंस और अनाउंसमेंट सिस्टम सब पर कड़ी निगरानी रखनी पड़ेगी।
चौथा मुद्दा है ट्रैफिक-लोड और लंबी दूरी वाली ट्रेनों का दबाव कई रूट्स पर पहले ही ट्रैफिक भारी था,ऊपर से अचानक इतनी बड़ी भीड़ आ गई।तो अतिरिक्त कोच जरूर राहत देंगे, लेकिन पूरे रेलवे नेटवर्क पर दबाव और जिम्मेदारी दोनों बढ़ गए हैं।
कुल मिलाकर बात साफ है इस बवाल के बीच रेलवे के कदम ने ये ज़रूर साबित कर दिया है कि यात्री सुविधा और इमरजेंसी में वैकल्पिक व्यवस्था रेलवे की टॉप प्राथमिकता है।
Indian Railway ने यह इशारा दे दिया है कि मुसाफ़िर मुश्किल में हो तो व्यवस्था बदली जा सकती है, फैसले बड़े लिए जा सकते हैं और लोगों को यूं बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा।यानी सफर में तूफ़ान है, मगर राहत देने वाला हाथ भी मौजूद है।
क्या Indian Railway की यह रेल यात्रा पुनर्जीवित हो सकती है?
क्या बदलने वाला है ट्रेनों का महत्व अबकी बार तस्वीर कुछ अलग दिख रही हैदेखिए, हालात ये बन गए हैं कि जैसे ही हवाई सफ़र में गड़बड़ होती है फ्लाइट कैंसिल होती हैं, टाइम पर नहीं उड़तीं, यात्री एयरपोर्ट पर घंटों परेशान रहते हैं।
लोग तुरंत वापिस ट्रेन की तरफ़ मुड़ जाते हैं। और ये कोई छोटी बात नहीं है। ये साफ़ इशारा है कि रेलवे अभी भी इस मुल्क की असली लाइफ़-लाइन है, और शायद आगे भी रहेगी।ट्रेन की सबसे बड़ी ताक़त यही है भरोसेमंद सफ़र पूरे देश में सबसे बड़ा नेटवर्क किराया जेब-फ्रेंडली ज़्यादातर वक्त पर चलने की कोशिश।
हर तबके के लिए सीट — जनरल से लेकर AC तकइसी वजह से जब हवाई यात्रा डगमगाती है, तो लोग फिर से रेलगाड़ी पर भरोसा करते हैं — दिल से भी और मजबूरी में भी।
Imdian railway के आगे क्या रास्ता है?कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेलवे को सिर्फ़ आज की स्थिति संभालकर नहीं रुकना चाहिए —बल्कि लंबी दूरी की योजना, आधुनिक कोच, और सबसे ज़रूरी जनरल व स्लीपर कोच की संख्या बढ़ाने पर ज़्यादा काम करना होगा।
क्योंकि आम आदमी, मध्यम वर्ग, स्टूडेंट, नौकरीपेशा, व्यापारी सबके लिए ट्रेन ही सबसे ज़्यादा सुगम और भरोसेमंद सफर का ज़रिया है।
Indigo की इस मौजूदा हालत फ्लाइट कैंसिल घंटों की देरी यात्रियों की बेहाल हालत टिकट बदलने/रिफंड की उलझनइन सबने फिर साबित कर दिया है कि जब आसमान का सहारा टूट जाता है पटरियाँ ही सबसे बड़ा सहारा बन जाती हैं।
116 अतिरिक्त कोच एक इमरजेंसी में सही कदमइंडियन रेलवे ने जैसे ही 116 और कोच जोड़े, यात्रियों को सच में राहत मिली।ये कदम यह दिखाता है कि रेलवे सिर्फ ट्रेनों को चलाने वाला सिस्टम नहीं बल्कि आम जनता की तकलीफ़ समझने वाली एक ज़िम्मेदार व्यवस्था भी है।
हाँ इसके साथ मुश्किलें भी आएँगी: भीड़ बढ़ेगी स्टेशन और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट और सख़्त करना पड़ेगा लोकप्रिय रूट्स पर ट्रैफिक लोड बढ़ सकता हैलेकिन इसके बावजूद ये कदम बहुत दमदार और काबिले-तारीफ़ है।
आखिर नतीजा क्या निकलता है?अगर Indian Railway ने इस मौके को सही तरीके से संभाला प्रबंधन मजबूत किया भीड़ को संतुलित किया कोच की संख्या बढ़ाई यात्रियों की जरूरतों के हिसाब से सुविधाएँ दीं तो आने वाले समय में बहुत से लोग ट्रेन को पहला और सबसे भरोसेमंद विकल्प मानना शुरू कर देंगे चाहे सफर बिज़नेस का हो, निजी काम का हो या छुट्टियों का।
सीधी सी बात आज की मुश्किल में Indian Railway ने राहत दी, और कल शायद लोगों का दिल भी जीत ले।रेल सफर सिर्फ़ यात्रा नहीं, बल्कि आम आदमी का सहारा बन सकता है और यही इसकी सबसे बड़ी जीत होगी। हमारे भारत में वैसे भी माध्यम वर्गीय लोग ज्यादा है तो रेल सफर करना पसंद भी करते है और रेल यात्रा ज्यादा सुरक्षित भी होती है।
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