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Rahul Gandhi का सदन में जोरदार हमला
9 दिसंबर 2025 को लोकसभा की चर्चा के दौरान माहौल अचानक गरम हो गया, जब विपक्ष के नेता Rahul Gandhi ने बहुत तेज़ और बेबाक अंदाज़ में कहा कि “Vote Chori” यानी वोटरों की सूची में गड़बड़ी करना या चुनावी प्रक्रिया से छेड़छाड़ करके जनता की असली पसंद को बदल देना सबसे बड़ा देशद्रोह है। उनके मुताबिक, जब वोट चोरी हो जाता है, तब सिर्फ़ एक चुनाव नहीं हारता, बल्कि पूरे लोकतंत्र की आत्मा घायल हो जाती है।
Rahul Gandhi ने साफ़ शब्दों में कहा कि भारत के 1.5 अरब लोगों की उम्मीद और भरोसा चुनाव पर टिका होता है। अगर मतदाताओं की मर्ज़ी से खिलवाड़ किया जाए, तो देश की बुनियाद हिल जाती है। उन्होंने यह भी कहा “जिस दिन वोट चोरी होता है, उस दिन भारत की कल्पना ही टूट जाती है।” यानी कि देश की नींव, देश की रूह सब कुछ हिल जाता है।
उनका हमला सिर्फ़ नारों तक नहीं रुका। उन्होंने बिल्कुल स्पष्ट आरोप लगाया कि RSS और सत्ता पक्ष मिलकर लोकतांत्रिक संस्थानों पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि चुनाव और लोकतंत्र की पूरी व्यवस्था पर नियंत्रण बना रहे। राहुल गांधी के अंदाज़ में यह इल्ज़ाम सिर्फ़ राजनीतिक बयान नहीं लगा, बल्कि गुस्से, तड़प और चिंता का मिला-जुला असर दिखा जैसे वो कहना चाह रहे हों कि “अगर वोट की इज़्ज़त नहीं बची तो लोकतंत्र भी कहाँ बचेगा?”
सदन में बैठे कई सांसद उस वक़्त चुप हो गए, माहौल गंभीर हो गया, और एक तरह से पूरे देश का ध्यान इस बात पर टिक गया क्या वाकई चुनावी प्रक्रिया खतरे में है? क्या लोकतंत्र की रीढ़ पर हमला हो रहा है?
Rahul Gandhi के इस बयान में एक बात साफ़ थी वो जनता को संदेश देना चाहते थे कि लोकतंत्र की ताकत वोट है, और अगर वोट सुरक्षित नहीं, तो देश की तामीर (बनावट) ही कमज़ोर पड़ जाएगी।
Rahul Gandhi द्वारा लगाए गए आरोपों की गंभीरता
Rahul Gandhi ने लोकसभा में बहुत सीधे और कड़े लहज़े में आरोप लगाया कि मामला सिर्फ वोटिंग मशीन या चुनाव आयोग का नहीं है बल्कि पूरी संस्थागत व्यवस्था पर कब्ज़ा हो गया है। उनका कहना था कि चुनाव आयोग (ECI) से लेकर जांच एजेंसियाँ, प्रशासनिक तंत्र और कानून लागू करने वाली संस्थाएँ सब पर राजनीतिक पकड़ बढ़ती जा रही है।

Rahul Gandhi ने खास तौर पर यह मुद्दा उठाया कि ECI के चयन पैनल से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) को हटा दिया गया, और इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, पारदर्शिता और न्यायिक संतुलन कमज़ोर हो गया। राहुल गांधी के अनुसार, जब चयन की प्रक्रिया पर नियंत्रण हो जाए, तो फैसले भी निष्पक्ष नहीं रह पाते।
इसके अलावा Rahul Gandhiने 2023 के उस कानून की भी आलोचना की, जिसके तहत चुनाव आयुक्तों को उनके कार्यकाल के दौरान कानूनी कार्रवाई से immunity दी गई थी। राहुल गांधी का तर्क था कि जब किसी पद पर बैठे अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई ही नहीं हो सकती, तो निष्पक्षता कैसे सुनिश्चित होगी?
वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों पर बड़ा हमला
Rahul Gandhi ने दावा किया कि वोटर लिस्ट में भारी पैमाने पर धांधलियाँ हो रही हैं। असली वोटर्स को हटाया जा रहा है और नकली या फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि हरियाणा में एक ही ब्राज़ीलियन महिला का नाम कई इलाकों की लिस्ट में बार-बार दिख रहा है यानी एक अंदरूनी घोटाला चल रहा है।
Rahul Gandhi के अनुसार: duplicate voters + ghost voters = चुनाव की पवित्रता पर हमला उनका कहना था कि जब मतदाता सूची ही सही नहीं होगी तो चुनाव भी जाली हो जाएगा और फिर लोकतंत्र कागज़ पर रह जाएगा, ज़मीन पर नहीं।
यह “देशद्रोह” क्यों कहा?
Rahul Gandhi ने अपनी बात को एक बड़े दर्शन से जोड़ते हुए कहा: भारत 1.5 अरब लोगों का ताना-बाना है, और यह ताना-बाना वोट से बुना गया है। अगर वोट की पवित्रता टूट गई तो भारत की बुनियाद ही बिखर जाएगी।
उनके शब्दों में, वोट चोरी सिर्फ चोरबाज़ारी या चुनावी धोखा नहीं है बल्कि देश की आत्मा, संविधान और 1.5 अरब नागरिकों के विश्वास पर हमला है। उन्होंने चेताया कि अगर वोटर लिस्ट की सफाई, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर ध्यान नहीं दिया गया तो भारत अपनी पहचान खो देगा। 6Rahul Gandhi का मूल संदेश यही था अगर वोट सुरक्षित है तो लोकतंत्र मजबूत है। अगर वोट चोरी हो गया तो देश की रूह भी घायल हो जाती है।
Bharatiya Janata Party (BJP) और RSS को लेकर आरोप
Rahul Gandhi ने सिर्फ वोट चोरी की बात नहीं की उन्होंने सीधे-सीधे यह भी कहा कि RSS की सोच भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद के खिलाफ है। उनके मुताबिक, RSS हर इंसान को बराबर नहीं मानता बल्कि समाज को एक तरह की सीढ़ियों (हायरार्की) में देखता है कोई ऊपर, कोई नीचे। और यही सोच संविधान की उस नींव के खिलाफ है, जो हर नागरिक को बराबरी का हक देती है।
Rahul Gandhi ने कहा कि भारत की हर बड़ी संस्था विश्वविद्यालय, अदालतें, चुनाव आयोग, और प्रशासनिक ढांचा आज राजनैतिक प्रभाव और नियंत्रण के दायरे में आते जा रहे हैं। उनके मुताबिक जब संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से काम करने नहीं दिया जाता, तो लोकतंत्र की चमक फीकी पड़ने लगती है, और धीरे-धीरे वोट की अहमियत और भरोसा खत्म होने लगता है। सदन में बोलते समय Rahul Gandhi ने तीन बड़े सवाल उठाए और हर सवाल ने माहौल को और भी तनावपूर्ण कर दिया:
चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) को क्यों हटाया गया? उन्होंने कहा कि इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और संतुलन दोनों कमज़ोर हो गए “जो संस्था निष्पक्षता को बचाती है, उसे ही प्रक्रिया से दूर कर दिया गया।”
दूसरा सवाल चुनाव आयोग को कार्यकाल के दौरान immunity क्यों दी गई? Rahul Gandhi का तर्क था “जब किसी अधिकारी को उसके कार्यकाल में कोई कार्रवाई का डर ही नहीं रहेगा, तो जवाबदेही कैसे रहेगी?” उनके अनुसार इससे चुनावी प्रक्रिया पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ने का खतरा पैदा होता है।
तीसरा सवाल CCTV फुटेज और चुनावी रिकॉर्ड से जुड़े कानून में बदलाव क्यों किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि इस बदलाव से मतदान और मतगणना की पारदर्शिता कम हो गई “जब कैमरा बंद कर दिया जाए, तो सच भी कागज़ों में बंद हो जाता है।”
सदन में Rahul Gandhi के इन सवालों ने एक बड़ा संदेश दिया वो कहना चाहते थे कि लोकतंत्र को बचाने के लिए पहले वोट बचाना जरूरी है, और वोट को बचाने के लिए संस्थाओं का आज़ाद और निष्पक्ष रहना जरूरी है। Rahul Gandhi की पूरी दलील इसी पर टिकी थी भारत तभी भारत है, जब हर नागरिक की आवाज़ बराबर और सम्मानित हो।
अब क्या होगा: चुनौतियाँ और सुधार की जरूरत
आज के समय में राजनीतिक और संवैधानिक संस्थाओं की आज़ादी और पारदर्शिता पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गई है। Rahul Gandhi का साफ़ कहना है कि वोट की इज़्ज़त बचानी है तो सिस्टम को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना ही पड़ेगा। उन्होंने मांग रखी कि वोटर लिस्ट मशीन-रीडेबल हो और हर पार्टी को समय रहते भेजी जाए, ताकि किसी तरह के खेल, गड़बड़ी या हेरा-फेरी की गुंजाइश न रहे।
उनका संदेश यह भी था कि चुनाव आयोग, जांच एजेंसियों और संवैधानिक संस्थाओं पर राजनीतिक दखल पर सख्त निगरानी रखी जाए क्योंकि लोकतंत्र सिर्फ भाषण, नारे या टीवी डिबेट का नाम नहीं है, यह एक भरोसा है, और वह भरोसा तभी बचता है जब संस्थाएँ आज़ाद और साफ़-सुथरा काम करें।
राहुल गांधी ने नागरिकों को भी ज़िम्मेदारी याद दिलाई। उनका कहना था कि जनता को खुद सजग और जागरूक होना पड़ेगा वोटर लिस्ट में अपना नाम ठीक है या नहीं,
पहचान पत्र की जानकारी सही है या नहीं, मतदान की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी तो नहीं है इन सब पर ध्यान देना ही पड़ेगा। अगर जनता ही जागी नहीं, तो मतदान पूरी तरह निष्पक्ष नहीं रह पाएगा।
संसद में यह बहस एक बहुत अहम मोड़ की तरह देखी जा रही है क्योंकि अब फ़ोकस सिर्फ इतना नहीं कि कौन चुनाव जीत रहा है, बल्कि यह भी कि कैसे जीत रहा है। जीत की ईमानदारी जीत का नैतिक आधार अब असली मुद्दा बन गया है।
Rahul Gandhi की आज की आवाज़ सिर्फ़ राजनीतिक हमला नहीं लग रही थी बल्कि लोकतंत्र की रूह बचाने की पुकार जैसी थी। उनका कहना था कि वोट सिर्फ एक बटन दबा देना नहीं है वोट हर नागरिक की आवाज़ है, उसकी मर्ज़ी है, उसकी उम्मीद है, और उसी पर लोकतंत्र की नींव टिकी है।
अगर वोट की पवित्रता ही खतरे में पड़ जाए, तो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की पहचान ही ख़तरे में चली जाएगी। इसी वजह से उन्होंने “वोट चोरी = देशद्रोह” वाला वाक्य कहा यह सिर्फ नाराज़गी या विरोध नहीं था, बल्कि एक गहरी चेतावनी थी। अब आगे सवाल सिर्फ एक है क्या देश इस चेतावनी को सुनकर जागेगा? या फिर लोकतंत्र की आवाज़ शोर में कहीं खो जाएगी?
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