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Epic Bond: Ranveer Singh और Aditya Dhar की पिता बनने की जर्नी ने कैसे ‘धुरंधर’ को बना दिया एक emotional masterpiece

Epic Bond: Ranveer Singh और Aditya Dhar की पिता बनने की जर्नी ने कैसे ‘धुरंधर’ को बना दिया एक emotional masterpiece

Ranveer Singh और Aditya Dhar का दिल से जुड़ाव

मुंबई: जब Ranveer Singh और डायरेक्टर Aditya Dhar पहली बार एक साथ बड़ी स्क्रीन पर आ रहे हैं, तो बात सिर्फ एक्शन-थ्रिलर की नहीं है। इनके बीच एक नई, सच्ची और दिल को छू लेने वाली दोस्ती भी जवान हो रही है और ये दोस्ती दोनों की पितृत्व की जर्नी से और भी गहरी हो गई है।

‘धुरंधर’ के ट्रेलर लॉन्च में Ranveer Singh ने बड़े ही जज़्बाती अंदाज़ में बताया कि ये फिल्म उनके लिए सिर्फ कोई प्रोफेशनल प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि ज़िंदगी का एक बहुत ही नज़दीकी और personal सफ़र रही है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इस फिल्म पर काम शुरू किया, तब दोनों अपनी ज़िंदगी में बहुत बड़े-बड़े बदलावों से गुज़र रहे थे।

Ranveer Singh ने खुलकर मीडिया के सामने कहा, “जब हम इस फिल्म के लिए मिले थे, हमारी ज़िंदगियाँ एक बेहद अजीब और ग़ैर-मामूली मोड़ पर थीं। पिछले दो सालों में हमने बहुत उतार–चढ़ाव देखे… नई ज़िम्मेदारियों के साथ खुद को संभालना, काम और टीम को मैनेज करना सब कुछ एक साथ चल रहा था।”

यही वजह है कि ‘धुरंधर’ सिर्फ रणवीर की एक्शन वाली फिल्म नहीं, बल्कि एक ऐसा जज़्बाती रास्ता बन गई जिसने इन दोनों कलाकारों को एक पिता होने के अहसास में और भी करीब ला दिया।

Ranveer Singh ने बड़ा नरम और दिल से भरा लम्हा शेयर करते हुए बताया कि कैसे शूट के दौरान दोनों ने एक ही समय पर पिता बनने का खूबसूरत तजुर्बा जिया। आदित्य धर के घर उनके बेटे ने कदम रखा, और रणवीर ने दीपिका पादुकोण संग अपनी प्यारी बेटी को दुनिया में आते देखा।

इस पूरे सफ़र ने उन्हें सिर्फ एक्टर और डायरेक्टर के रिश्ते तक सीमित नहीं रखा। उनकी दोस्ती में मोहब्बत, समझ और रूहानी जुड़ाव की ऐसी गहराई आ गई, जिसने उन्हें एक-दूसरे का सहारा, हमदर्द और रहनुमाई दी। रणवीर के लफ़्ज़ साफ बताते हैं कि उन्होंने इस दौरान एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखा, और दोनों की ज़िंदगी में पितृत्व ने एक नई रोशनी, नई नर्मी और एक नई इंसानियत भर दी।

Aditya Dhar की दृष्टि को किया सलाम

Ranveer Singh ने ‘धुरंधर’ के ट्रेलर लॉन्च के मौके पर Aditya Dhar की डायरेक्टिंग स्किल, उनकी सोच, उनकी नज़र और उनकी फ़नकारी की इतनी दिल से तारीफ़ की कि पूरा माहौल ही और भी गर्मजोशी से भर गया। रणवीर ने बड़े प्यार और इज़्ज़त के साथ कहा कि आदित्य धर इस प्रोजेक्ट पर कई सालों से अपना ख़ून-पसीना बहा रहे थे। उन्होंने हर सीन, हर फ्रेम, हर एक डिटेल पर इतनी मेहनत की है कि देखने वाला भी दंग रह जाए।

रणवीर ने कहा कि Aditya Dhar की सबसे खास बात ये है कि वो किसी भी चीज़ पर कम्प्रोमाइज़ नहीं करते। चाहे कहानी हो, एक्टर की परफॉर्मेंस, कैमरे का काम, म्यूज़िक, या फिल्म का इमोशनल टोन आदित्य धर हर जगह अपनी पूरी जान लगा देते हैं। उनकी इसी लगन, इसी जुनून, और इसी दीवानगी ने रणवीर को गहराई से प्रभावित किया।

स्टेज पर रणवीर ने बड़े अदब और मोहब्बत से आदित्य धर को सम्मान देते हुए कहा: “आपने जिस जुनून, जिस कारीगरी, और जिस मास्टरविज़न के साथ इस फिल्म को गढ़ा है, वो वाकई किसी ख़ज़ाने से कम नहीं। आपकी नज़र में जो गहराई है, आपकी रूह में जो जज़्बा है, और आपके काम में जो ईमानदारी है वो सब मुझे बहुत छू गई। मैं दिल से आपसे मुतासिर हूँ। मुझे सच में फ़ख़्र है कि मैं इस शानदार सफ़र, इस ख़ूबसूरत कहानी और आपकी इस कला का हिस्सा हूँ।”

रणवीर के लहज़े में एक खास नर्मी, एक अपनापन और एक रूहानी एहसास साफ महसूस हो रहा था जैसे वो सिर्फ एक निर्देशक की नहीं, बल्कि एक हमसफ़र कलाकार की तारीफ़ कर रहे हों, जिसके साथ मिलकर उन्होंने एक सपने को हकीकत बनाया हो।

पितृत्व: एक साझा अनुभव, एक गहरा बंधन

रणवीर और Aditya Dhar, दोनों ने एक सुर में कहा कि इस फिल्म को बनाते हुए उनकी पेरेंटहुड की ज़िम्मेदारियाँ सिर्फ उनके घर तक सीमित नहीं रहीं। बल्कि शूट के दौरान, हर दिन, हर लम्हा, उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामा, एक-दूसरे की मदद की, और एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखा।

उनकी दोस्ती, उनकी समझदारी और उनकी आपसी इज़्ज़त इस सफ़र में धीरे-धीरे और भी गहरी, और भी मज़बूत होती चली गई जैसे वक्त ने खुद इन दोनों के बीच एक नई तरह की रिश्ता-दारी बुन दी हो।

Ranveer Singh ने बड़े दिल से कहा, “हम दोनों ने ये सफ़र सिर्फ इसलिए साथ नहीं चलाया कि हम एक फिल्म बना रहे थे… बल्कि इसलिए क्योंकि हम अपनी ज़िंदगी में एक बिल्कुल नई, मासूम और बेहद खूबसूरत शुरुआत कर रहे थे एक बाप होने की शुरुआत। वो एहसास, वो ज़िम्मेदारी, वो प्यार… उसने हमें एक इंसान के तौर पर भी बदल दिया।”

ये रिश्ता सिर्फ दोस्ती का नहीं रहा। ये एक तरह से कलात्मक, भावनात्मक और आत्मिक सहयोग बन गया एक ऐसी साझेदारी, जिसमें दोनों ने अपने दिल के दरवाज़े एक-दूसरे के सामने खोल दिए।

एक्शन से भरपूर फिल्म की तेज़ रफ्तार और धुआंधार सीनों के बीच भी, पीछे कहीं ये दो आदमी अपनी इंसानियत, अपनी नर्मी, अपनी कमज़ोरियाँ, और अपने पैरंटहुड का प्यार महसूस करते रहे। उन्होंने समझा कि कलाकार होने से पहले वो इंसान हैं और इंसान होने से पहले, वो पिता बनने वाले या बन चुके लोग हैं।

इस फिल्म की शूटिंग उनके लिए केवल कैमरा, सीन और एक्शन तक सीमित नहीं रही। यह एक ऐसा सफ़र बन गया जिसमें उन्होंने अपनी रूह में उतरकर अपनी ज़िंदगी की नई जिम्मेदारियों को समझा, एक-दूसरे का सहारा बने, और एक ऐसी दोस्ती रची जो फिल्मों से बहुत आगे, दिलों में बसने वाली है।

‘धुरंधर’ का योगदान सिर्फ एक थ्रिलर नहीं

फिल्म ‘धुरंधर’ की कास्टिंग अपने-आप में इतनी दमदार है कि सिर्फ नाम सुनकर ही अंदाज़ा हो जाता है कि यह फिल्म कितनी बड़े पैमाने पर बनी होगी। रणवीर सिंह के साथ आर. माधवन जैसे बेहद सुलझे हुए एक्टर, अक्षय खन्ना जैसे गहरे और सोच-विचार वाले कलाकार, अर्जुन रामपाल जैसे रफ़ और इंटेंस चेहरे, और संजय दत्त जैसा भारी-भरकम स्टार ये सब एक साथ स्क्रीन पर नज़र आएँगे। यह लाइनअप अपने-आप में दर्शकों को थिएटर तक खींच लाने की ताक़त रखता है।

रणवीर ने कहा कि ‘धुरंधर’ उन्हें हिंदी सिनेमा को एक नई दिशा देने का, नई सीमाएँ छूने का और नए एक्सपेरिमेंट करने का मौका देती है। यह सिर्फ एक फ़ॉर्मूला बेस्ड थ्रिलर नहीं है, बल्कि ऐसी फिल्म है जिसमें एक्शन भी है, गहराई भी है, और एक ऐसी कहानी भी है जो दिल में घर कर जाए। उन्होंने बताया कि फिल्म की स्केल इतनी बड़ी है कि कुछ-कुछ जगहों पर उन्हें खुद भी यक़ीन नहीं होता था कि वे भारतीय सिनेमा में इतना विस्तृत और भव्य कुछ शूट कर रहे हैं।

मंच पर रणवीर ने बेहद दिल से वो बात भी कही जिसने माहौल में एक अलग ही इंसानियत और नर्मी भर दी “उसे बेटा हुआ, मुझे बेटी; हम दोनों एक ही वक़्त पर पिता बने।” रणवीर के इस एक जुमले में वो सारी मोहब्बत, जिम्मेदारी, डर, खुशी और भावनाएँ छिपी थीं, जो एक नए पिता के दिल में उठती हैं।

यह देखकर लगता है कि पर्दे के पीछे की दुनिया कितनी अलग और कितनी सच्ची होती है। ग्लैमर, कैमरा और शोहरत के बीच भी ज़िंदगी अपने असली रंग दिखाती है और वही रंग दो लोगों को दिल से जोड़ देते हैं।

‘धुरंधर’ दरअसल सिर्फ एक फिल्म नहीं है। यह रणवीर और Aditya Dhar की निजी ज़िंदगी का एक दस्तावेज़ है एक ऐसा सफ़र जिसमें दोनों ने न सिर्फ एक साथ काम किया, बल्कि एक साथ बदलते भी गए। दोनों ने अपनी-अपनी ज़िंदगी में पेरेंटहुड की खुशियों, चुनौतियों और जिम्मेदारियों को महसूस किया, और इसी दौरान उनकी दोस्ती एक नई गहराई तक पहुँच गई।

जब ये दोनों 5 दिसंबर, 2025 को ‘धुरंधर’ को जनता के सामने पेश करेंगे, तो दर्शक स्क्रीन पर सिर्फ गोलियाँ, चेज़ सीन, मिशन और सस्पेंस नहीं देखेंगे। उन्हें उस दोस्ती का एहसास भी मिलेगा, जिसने फिल्म को रचा… उन आँसुओं और हँसी का भी अहसास होगा, जो पर्दे के पीछे बहाए गए… और उस भरोसे का भी निशान मिलेगा, जो एक निर्देशक और एक अभिनेता के बीच एक खूबसूरत रिश्ते में बदला।

ये कहानी सिर्फ बॉलीवुड के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए एक मिसाल है जो अपनी निजी और पेशेवर ज़िंदगी के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है।

‘धुरंधर’ की कहानी जितनी रोमांचक है, उसके पीछे की मानवीय भावनाएँ उतनी ही खूबसूरत और दिल को छू लेने वाली हैं। रणवीर और Aditya Dhar ने न सिर्फ काम में दिल लगाया, बल्कि एक-दूसरे की ज़िंदगी के सबसे नाज़ुक और सबसे प्यारे दौर को भी करीब से देखा। शूट के दौरान कई बार ऐसे लम्हे आए जब दोनों एक-दूसरे से पैरेंटहुड के बारे में बात करते, अपने डर, अपनी उम्मीदें और अपनी नई जिम्मेदारियाँ साझा करते।

रणवीर ने कहा कि कई रातों में उन्होंने और आदित्य ने लम्बी-लम्बी बातें कीं न फिल्म की, न एक्शन की, बल्कि ज़िंदगी की… अपने बच्चों के भविष्य की, अपने परिवार की, और एक बेहतर इंसान बनने की। वो कहते हैं कि यही बातचीतें उनकी दोस्ती की रूह बन गईं।

‘धुरंधर’ के सेट पर हर कलाकार ने इस बंधन को महसूस किया। सभी ने देखा कि कैसे दो लोग, जो दुनिया को मनोरंजन देने आए हैं, खुद अपनी निजी दुनिया में एक गहरा परिवर्तन जी रहे हैं और उसे छिपाने के बजाय, अपनी कहानी का हिस्सा बना रहे हैं।

जब दर्शक इस फिल्म को देखेंगे, तो शायद उन्हें कई जगह महसूस होगा कि कहानी सिर्फ स्क्रीन पर नहीं चल रही, बल्कि परदे के पीछे भी धड़क रही है एक ऐसी धड़कन जो कला, प्यार, जिम्मेदारी और इंसानियत से मिलकर बनी है।

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