Table of Contents
Dhurandhar पर विवाद: निर्देशक व आरोप और कानूनी जद्दोजहद
Aditya Dhar की फिल्म “Dhurandhar” की रिलीज से पहले ही उसके चारों तरफ़ विवाद का बड़ा तूफ़ान खड़ा हो गया था। सबसे पहले मामला उठा Major Mohit Sharma के परिवार की तरफ़ से जो कि अशोक चक्र और सेना मेडल से सम्मानित, देश के बेहद बहादुर अफ़सर थे।
उनके परिजनों का कहना था कि फिल्म के ट्रेलर और उसमें दिखाए गए कुछ हिंसक, तीखे और भावनात्मक दृश्य उनकी निजी यादों, उनके मिशनों और उनकी ज़िंदगी के संवेदनशील हिस्सों से काफी हद तक मेल खाते दिख रहे हैं। उनका आरोप था कि भले ही फिल्म में नाम न लिया गया हो, लेकिन कहानी और उसका अंदाज़ ऐसा लग रहा है जैसे किसी शहीद की ज़िंदगी को मनोरंजन और मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हो जो उनके लिए दिल दुखाने वाली बात है।
इसके अलावा, फिल्म के ट्रेलर में मौजूद तेज़ हिंसा, खून-खराबा और कुछ बोल्ड सीन भी लोगों के निशाने पर आ गए। मशहूर कंटेंट क्रिएटर Dhruv Rathee ने इसे साफ-साफ “गंदी, सस्ती किस्म का मनोरंजन” कहा और यह भी आरोप लगाया कि फिल्म की हिंसा इतनी ज़्यादा है कि यह आम दर्शकों ख़ासकर युवाओं पर नकारात्मक असर डाल सकती है। उनकी राय थी कि इस तरह की बेकाबू हिंसा किसी भी समाज के लिए ज़हर की तरह होती है।
इसी दौरान एक और विवाद सामने आया इस बार पाकिस्तान के मशहूर पुलिस अफ़सर Chaudhary Aslam की पत्नी Naureen Aslam ने कड़ा एतराज़ जताया। उनका कहना था कि ट्रेलर में उनके दिवंगत पति को “जिन्न” या किसी “देवता” जैसी ताक़त वाला दिखाया गया, जो उनके मुताबिक़ ग़ैर-वाज़िब और बेइज़्ज़ती करने जैसा है। उन्होंने साफ कहा कि अगर फिल्म में उनके पति की छवि गलत तरीके से दिखाई गई, तो वो कानूनी कार्रवाई करने में देर नहीं करेंगी।
इन तमाम बातों की वजह से “Dhurandhar” एक ही झटके में धार्मिक, नैतिक, भावनात्मक और सामाजिक—हर स्तर पर विवादों का केंद्र बन गया। लोग इसे लेकर बंटने लगे कुछ इसे कला मान रहे थे, कुछ इसे हद से आगे जाने वाला कदम।
लेकिन इन सब के बावजूद, तमाम कानूनी रुकावटों, सोशल मीडिया विवादों और कठोर आलोचनाओं को पार करते हुए फिल्म आखिरकार रिलीज़ हो ही गई। जो बात साफ है, वो ये कि “Dhurandhar” का सफ़र रिलीज़ से पहले ही उतना ड्रामेटिक और हंगामेदार रहा, जितना किसी बड़े एक्शन फिल्म का क्लाइमैक्स होता है।

सर्टिफिकेशन और प्रमाण पत्र: CBFC की सफाई और A-certificate
दिल्ली हाई कोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई, तो उसके बाद CBFC ने “Dhurandhar” को दोबारा पूरे ध्यान से देखा और परखा। बोर्ड ने अपनी तरफ़ से साफ-साफ यह बात रख दी कि फिल्म का किसी भी तरह से Major Mohit Sharma की असल ज़िंदगी, उनके करियर, उनके मिशन या उनके निजी ऑपरेशनों से सीधा कोई लेना-देना नहीं है। यानी, उनके मुताबिक़ ये फिल्म पूरी तरह से “कहानी पर आधारित, यानी एक फ़िक्शन वर्क” है न यह किसी की बायोग्राफी है, न किसी वास्तविक घटना की नकल।
हालाँकि, फिल्म में कई ऐसे दृश्य थे जो ज़्यादा हिंसक, संवेदनशील और तीखे माने गए साथ ही कुछ डायलॉग और भाषा भी थोड़ी भारी और गरम मिज़ाज वाली थी। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर CBFC ने मेकर्स से कुछ कटौती, कुछ बदलाव और कुछ सख़्त चेतावनियाँ लगाने की मांग की ताकि दर्शकों को पहले ही अंदाज़ा रहे कि फिल्म में क्या-क्या दिखाया जाने वाला है।
इन संशोधनों के बाद बोर्ड ने “Dhurandhar” को A-certificate दिया, यानी यह फिल्म सिर्फ़ वयस्क दर्शकों के लिए ही उपयुक्त मानी गई। इसके साथ ही एक और दिलचस्प जानकारी सामने आई कि फिल्म की कुल लंबाई लगभग 3 घंटे 34 मिनट है। यह अवधि इतनी बड़ी है कि पिछले 17 सालों में बॉलीवुड में Jodhaa Akbar (2008) के बाद इतनी लंबी फिल्म शायद ही आई हो। यानी, यह फिल्म अपनी कहानी और स्केल में भी “वसी़अ” (बहुत विस्तृत) है।
इन सारी प्रक्रियाओं कोर्ट की सुनवाई, CBFC का पुनर्मूल्यांकन, जरूरी बदलाव, और A-certificate के बाद आख़िरकार फिल्म की रिलीज़ का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया। यूँ कहें कि जिन उथल-पुथल और एतराज़ात (आपत्तियों) ने फिल्म को घेर रखा था, उनके बावजूद “Dhurandhar” ने बड़ी मुश्किलों और सख्त जांच से गुज़रकर अंत में पर्दे तक पहुँचने का हक़ पा लिया।
विवादों के बीच फिल्म के निर्माताओं व कलाकारों की प्रतिक्रिया
फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर Mukesh Chhabra ने शुरुआत से ही सोशल मीडिया पर फैल रही उन सारी नकारात्मक खबरों को पूरी तरह बेबुनियाद और पक्षपात से भरी हुई बताया। उनका कहना था कि कई लोग तो ऐसे थे जिन्होंने फिल्म की एक झलक तक नहीं देखी थी, लेकिन फिर भी पहले से ही आलोचना करने और बुराई निकालने के लिए तैयार बैठे थे।

इसी बात पर उन्होंने खुलकर कहा “किसी ने फिल्म देखी भी नहीं, लेकिन निगेटिव बोलने को सब तैयार… ये फिल्म बॉक्स ऑफिस फाड़ देगी!” उनके लहज़े से साफ लग रहा था कि टीम को अपनी मेहनत और फिल्म की काबिलियत पर पूरा एतमाद (भरोसा) है।
इसी के आगे, निर्देशक Aditya Dhar की पत्नी और जानी-मानी अभिनेत्री Yami Gautam भी सामने आईं और उन्होंने एक लंबा, दिल से लिखा हुआ बयान जारी किया। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में फैल चुकी ‘पेड निगेटिविटी’, यानी पैसे लेकर जानबूझकर नकारात्मक माहौल बनाने की आदत को सख़्ती से गलत और निंदनीय बताया।
उनका कहना था कि कभी-कभी जब किसी फिल्म को सही समय पर अच्छा प्रमोशन नहीं मिलता, तो कुछ लोग या कुछ समूह झूठी, बढ़ा-चढ़ाकर लिखी गई कहानियाँ फैलाते हैं, ताकि फिल्म की छवि खराब हो जाए। उन्होंने इसे “तक़सीम पैदा करने वाली और गैर-इंसाफ़ी भरी प्रवृत्ति” कहा।
इन दोनों के बयानों से एक बात बहुत साफ निकलकर आती है कि चाहे जितने भी विवाद हों, कितनी भी आलोचना हो, और सोशल मीडिया कितना भी हलचल मचा दे, “Dhurandhar” की टीम शुरू से आख़िर तक अपनी फिल्म, अपनी कहानी और अपनी रचनात्मक आज़ादी पर मज़बूती से कायम रही। उन्होंने हर नकारात्मक आवाज़ के बीच भी यही जताया कि उनका भरोसा अपने काम पर है और वही उन्हें आगे ले जाएगा।
बॉक्स ऑफिस पर “Dhurandhar”: धुआंधार शुरुआत सफलता या सवाल?
अब बात करते हैं उस हिस्से की, जिसका इंतज़ार हर किसी को रहता है यानी बॉक्स ऑफिस की असली तस्वीर। जितना शोर, जितनी बहसें और जितने विवाद फिल्म के चारों तरफ़ बने हुए थे, उतना ही ज़्यादा धमाका “Dhurandhar” ने रिलीज़ के पहले ही दिन कर दिया। फिल्म ने शुरुआत से ही कलेक्शन की ऐसी तेज़ रफ़्तार पकड़ी कि आलोचक भी कुछ देर के लिए ख़ामोश हो गए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, सिर्फ़ पहले चार दिनों में ही भारत में फिल्म का नेट बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ₹130.80 करोड़ तक पहुँच गया जो आजकल के माहौल में बेहद बड़ा आंकड़ा माना जाता है। फिल्म का ओपनिंग वीकेंड, यानी दिन 1 से दिन 3, कुल मिलाकर ₹106.50 करोड़ रहा, जो बताता है कि दर्शकों ने फिल्म को शुरू से ही मज़बूत प्यार और भरपूर रिस्पॉन्स दिया।
रिलीज़ के पांचवें दिन, यानी शनिवार तक आते-आते, अंदरूनी कारोबार रिपोर्टों के हिसाब से “Dhurandhar” ने भारत में ₹150 करोड़ से ज़्यादा कमा लिए थे। और अगर वर्ल्डवाइड कलेक्शन को देखें, तो कुल आंकड़ा ₹225 करोड़ के भी ऊपर निकल गया जो किसी भी विवादित फिल्म के लिए एक बहुत बड़ी कामयाबी है।
इतनी ज़बरदस्त कमाई के बाद एक और दिलचस्प बात सामने आई कि “Dhurandhar” अब Ranveer Singh की टॉप-5 सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल हो चुकी है। यानी, जितनी बातें फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर बन रही थीं, जितनी “नेगेटिव हवा” उड़ाई जा रही थी, उसके बावजूद फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा दिखाया और सबको साफ संदेश दिया कि आख़िर में फ़ैसला दर्शक ही करते हैं।
कुल मिलाकर, विवादों के तूफ़ान के बीच भी “Dhurandhar” ने बॉक्स ऑफिस पर अपनी इज़्ज़त, हैसियत और दमदार मौजूदगी दोनों साबित कर दी है। यह बता दिया कि कभी-कभी फिल्म की असली ताक़त शोर से नहीं, बल्कि टिकट खिड़की पर मिलने वाली मोहब्बत से मापी जाती है।
निष्कर्ष: विवाद से लेकर कमाई तक“Dhurandhar”
“Dhurandhar” का पूरा सफ़र कभी विवादों का तूफ़ान, कभी कानूनी दाव–पेच, कभी सोशल मीडिया की सख़्त आलोचनाएँ, और फिर उसके बावजूद बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त सफलता बॉलीवुड के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। सवाल यह कि क्या आज भी बड़ी फिल्मों की कामयाबी का फॉर्मूला वही है बड़ा बजट, बड़ा स्टार और बड़ा विवाद? फिल्म की कामयाबी देखकर तो लगता है कि हाँ, कई बार यही पुराना नुस्ख़ा अब भी असर दिखा जाता है।
“Dhurandhar” ने यह साबित कर दिया कि चाहे कितनी भी आलोचना हो जाए, चाहे कोई मुद्दा कितना भी निजी, संवेदनशील या राजनीतिक क्यों न हो अगर फिल्म में दमदार कहानी, चमकदार स्टारकास्ट और तगड़ा मार्केटिंग मसाला मौजूद हो, तो दर्शक बड़े आराम से थिएटर तक खिंचे चले आते हैं। इसके कलेक्शन साफ बताते हैं कि आलोचक अलग बात करते रहे, लेकिन जनता ने अपनी पसंद और अपनी प्राथमिकता बिलकुल अलग बनाई।
यह सब देखकर एक बात समझ आती है कि बाज़ार, आलोचक और दर्शकों की सोच हमेशा एक जैसी नहीं होती। कई बार जिन्हें लगता है कि फिल्म मुश्किल में है, वही फिल्म टिकट खिड़की पर चमत्कार कर देती है। यानी, सोशल मीडिया की नकारात्मकता और असली दर्शक दोनों की दुनिया कई बार एक-दूसरे से काफी अलग होती है।
लेकिन इस सफलता के साथ-साथ यह मौका भी मिल जाता है कि इंडस्ट्री और दर्शक दोनों थोड़ा रुककर सोचें कि क्या सिर्फ़ कमाई ही फिल्म की असली सफलता है? क्या फिल्म की नैतिक ज़िम्मेदारी, संवेदनशीलता की हदें और हिंसा की सीमाएँ भी उतनी ही अहम नहीं हैं? क्या हर बार मसालेदार कंटेंट दिखाने से आगे जाकर फिल्में कुछ जिम्मेदारी भी निभाएँ?
“Dhurandhar” के बाद यह सवाल और ज़्यादा गूंजने लगा है। कई लोग पूछ रहे हैं कि क्या हम फिल्मों को सिर्फ़ मनोरंजन समझें, या उनके समाज पर पड़ने वाले असर को भी तवज्जो दें? कुल मिलाकर, फिल्म की सफलता जितनी बड़ी है, उससे जुड़े सवाल भी उतने ही गहरे और सोचने पर मजबूर करने वाले हैं।
यह भी पढ़ें –



