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Dhurandhar Movie Revie — एक ज़बरदस्त रिव्यू
सच कहें तो शुरू से ही साफ़ दिखाई दे रहा था कि Dhurandhar (2025) उन खास फ़िल्मों में से एक बनने वाली है, जिसने सिर्फ़ ट्रेलर और प्रमोशन के दौरान ही ऐसा तूफ़ान खड़ा कर दिया कि सिनेमाघरों के दीवाने दर्शकों की धड़कनें ही तेज़ हो गई थीं।
मतलब एक-एक झलक में ऐसा दम था कि लोग रिलीज़ का दिन गिन-गिनकर इंतज़ार कर रहे थे सोशल मीडिया पर चर्चा, फैन थ्योरीज़, उम्मीदें… सब आसमान छू रही थीं।
और अब जब फ़िल्म आखिरकार रिलीज़ हो चुकी है, तो सचमुच देखने वाली बात यह है कि इतने हाइप, इतनी उम्मीदों और इतनी एक्साइटमेंट के बीच ये फ़िल्म कितनी खरी उतर पाती है।
कुछ जगह फ़िल्म कमाल करती नज़र आती है दिल जीत लेती है, रोमांच जगा देती है और कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहाँ लगता है कि बस ज़रा सा और काम होता, थोड़ी सी और पॉलिश मिल जाती, तो बात ही अलग हो जाती।
कुल मिलाकर, Dhurandhar एक ऐसी फ़िल्म है जो शुरुआत से ही दर्शकों के दिल और दिमाग़ पर अपनी पकड़ बना चुकी थी और अब रिलीज़ के बाद लोग यह आँक रहे हैं कि क्या ये फ़िल्म अपने नाम की ही तरह वाकई धुरंधर निकली है या फिर कहीं-कहीं कसर बाकी रह गई।
Dhurandhar: कहानी और बैकग्राउंड‘
‘Dhurandhar’ एक दमदार स्पाई–थ्रिलर फ़िल्म है। इसके डायरेक्टर आदित्य धर हैं वही, जिन्होंने पहले भी देशभक्ति और असली घटनाओं से मिलती-जुलती कहानियाँ बड़े पर्दे पर ऐसे उतारी थीं कि लोगों की रगों में जोश दौड़ जाए।

इस बार भी उन्होंने कोशिश की है कि दर्शक कुर्सी पर बैठे-बैठे मिशन की गर्माहट महसूस करें।फ़िल्म की कहानी एक बयान की तरह घूमती है एक ख़ास जासूस के आसपास जिसकी भूमिका निभा रहे हैं Ranveer Singh।
उसे एक ख़तरनाक मिशन पर पाकिस्तान भेजा जाता है, जहाँ उसे एक गैंग में घुसपैठ करनी होती है और उस नेटवर्क को तोड़ना होता है जो देश के खिलाफ साज़िशें बुन रहा है।
मिशन क्या है? खतरों की पूरी किताब गैंगस्टर, आतंकवाद, राजनीतिक साँठ–गाँठ, द्रोह और वो सब कुछ जो देश को भीतर से कमजोर करने की कोशिश करता है। हर कदम पर मौत मंडराती है और एक छोटी सी गलती सब कुछ खत्म कर सकती है।
और कहानी में एक दिल के तार छू देने वाली बात भी मिशन के बीच जासूस की मुलाकात होती है एक स्थानीय लड़की से। धीरे-धीरे बातें बढ़ती हैं, किस्मतें टकराती हैं, एहसास जागते हैं लेकिन वहीं, उसका प्यार ही उसके मिशन को पेचीदा बना देता है।
एक तरफ मुल्क का फ़र्ज़ और दूसरी तरफ दिल का रिश्ता यही टकराव उसे अंदर ही अंदर तोड़ता भी है और आगे बढ़ने की हिम्मत भी देता है।कुल मिलाकर कहानी में जंग भी है, जज़्बात भी हैं ख़तरा भी है, मोहब्बत भी है। जैसे ज़िंदगी के दो रंग एक-दूसरे को काटते हुए साथ चलते हों।
अच्छी बातें — क्या काम किया Dhurandhar ने
जबरदस्त स्केल, बड़ा एक्शन और दमदार निर्देशनधुरंधर की सबसे बड़ी ताक़त उसका एक्शन और थ्रिलर वाला प्लॉट है। शुरुआत से लेकर आख़िर तक ऐसा माहौल बनता है कि दर्शक सीट से टिके रहते हैं।
धमाकेदार एक्शन ड्रामा तेज़-तर्रार ट्विस्ट धोखा और बैक-स्टेबिंगसब कुछ इतना शार्प और तगड़ा लगता है कि पल-पल देखने में मज़ा आता है, जैसे कहानी के अंदर ही खिंच गए हों।

डायरेक्टर आदित्य धर ने एक बार फिर अपना कमाल दिखाया है रियल घटनाओं, किरदारों और माहौल को थ्रिलर के साथ ऐसे मिलाया है कि फिल्म सिर्फ “मनोरंजन” बनकर नहीं आती, बल्कि पूरा अनुभव बनकर सामने आती है।
एक ऐसी सफ़र जैसी, जो दिल और दिमाग दोनों पर असर छोड़ती है। अभिनेताओं की परफॉर्मेंस कोई कम नहीं Ranveer Singh ने इस फिल्म से सच में धुआँधार कमबैक मारा है।
वो यहाँ किसी सुपरहीरो की तरह नहीं दिखते, बल्कि एक सच्चे जासूस की तरह जिसमें डर भी है दबाव भी है चतुराई भी है और देश के लिए जान जोखिम में डालने की हिम्मत भी उनके अलावा बाकी कलाकार भी कमाल हैं —संजय दत्त, आर. माधवन, अर्जुन रामपाल… सबने अपने किरदारों में खोलकर दम डाला है।
लेकिन जिस बारे में सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है, वो है अक्षय खन्ना का किरदार —लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि “अक्षय खन्ना ही असली स्टार है निगाह हट ही नहीं पाती।”
उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस, निगाहों का खतरापन और संवाद डिलीवरी फ़िल्म को एक अलग ही वजन देती है। विषय की गंभीरता — और ज़रूरी संदेशफ़िल्म में जो मुद्दे दिखाए गए हैं पाकिस्तान का गैंग नेटवर्क आतंकवाद राजनीतिक साज़िशें देश के खिलाफ गुप्त खेलये सब आज की दुनिया की सच्चाई हैं।
Dhurandhar इन संवेदनशील विषयों को सिर्फ दिखाती नहीं बल्कि इस तरह प्रस्तुत करती है कि दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाएँ।यानी थ्रिल के साथ-साथ एक अंदर तक उतर जाने वाला सामाजिक संदेश भी मिलता है और यही वजह है कि फिल्म सिर्फ “देखने वाली चीज़” नहीं, बल्कि एक मजबूत आवाज़ बनकर सामने आती है।
Dhurandhar में क्या कमी रह गई
लम्बी रनिंग टाइम – दर्शकों में थकान फ़िल्म की कुल लंबाई लगभग 3 घंटे 34 मिनट (214 मिनट) है। अब ये बात सभी को पसंद आए, ज़रूरी तो नहीं। कई दर्शक और कुछ समीक्षक साफ़ कह रहे हैं कि “यार फ़िल्म अच्छी है, पर बहुत लंबी खिंच गई।”
बीच–बीच में कुछ सीन ऐसे आते हैं जहाँ लगता है कि कहानी थम सी गई है और थिएटर में बैठे दर्शक भी थोड़ा बेचैन होने लगते हैं। अगर एडिटिंग थोड़ी चुस्त, थोड़ी तेज़ होती तो पूरी फ़िल्म और भी जानदार, और भी ‘कड़क’ बन सकती थी। लंबा चलना कभी–कभी दम निकाल देता है, वही यहाँ भी देखने को मिला।
कहानी की रफ़्तार कभी तेज़, कभी सुस्त – फ़िल्म का पहला हाफ ज़बरदस्त पकड़ बनाए रखता है एक्शन, सस्पेंस, इमोशन्स सब बराबर बहते रहते हैं।लेकिन जैसे ही कहानी इंटरवल के बाद आगे बढ़ती है, उसकी चाल कुछ धीमी पड़ जाती है।
कुछ टकराव, कुछ ट्विस्ट, कुछ खुलासे ऐसे आते हैं जिनका असर उतना वज़नदार नहीं बैठता जितनी उम्मीद थी। ऐसा लगता है जैसे मेकर्स “कहानी समझाओ” और “थ्रिल दिखाओ” इन दोनों के बीच तालमेल बैठाते-बैठाते थोड़े उलझ गए।
यानि पेस ऊपर–नीचे होता है, और दर्शक कभी जोश में होते हैं तो कभी सोच में कि “अच्छा, अब आगे कब कुछ बड़ा होगा?”
क्लाइमेक्स – उतना धमाका नहीं जितना वादाकाफी दर्शकों ने ये महसूस किया कि फ़िल्म का क्लाइमेक्स, यानी आख़िरी हिस्सा जितना शॉक, जितनी हैरानी, जितना बड़ा धमाका देने की तैयारी कर रहा था वो लेवल तक पहुँच नहीं पाया।
ऐसा लगा कि कहानी बढ़ते–बढ़ते इतनी दूर आ गई थी कि बस एक ज़बरदस्त पंच चाहिए था… पर वो पूरी ताक़त से लगा ही नहीं।अंत बुरा नहीं है, पर वो “सीटी-ताली वाला, रौंगटे खड़े कर देने वाला” नहीं बन पाया।
जबकि फ़िल्म की ग्रैंड बिल्डअप से दर्शक उसी की उम्मीद कर बैठे थे। कुल मिलाकर फ़िल्म बेहतरीन है, मेहनत दिखती है, स्केल बड़ा है… लेकिन थोड़ा एडिटिंग में तेजी, पेस में मजबूती, और क्लाइमेक्स में जोर आ जाता तो धुरंधर वाकई “हमेशा याद रहने वाली” फ़िल्म बन सकती थी।
Dhurandhar Movie क्रिटिक्स Review और बॉक्स-ऑफिस कलेक्शन
पहले दिन की बॉक्स ऑफिस बौछार – फ़िल्म ने पहले ही दिन लगभग ₹13.6 करोड़ कमा लिए और ट्रेड वालों का मानना है कि ये आंकड़ा 15 से 20 करोड़ तक भी पहुंच सकता है। इससे साफ़ दिख जाता है कि दर्शकों में गजब का जोश है, लोग थिएटर की ओर टूट पड़े हैं।
सोशल मीडिया पर भी Dhurandhar का जोरदार स्वागत हुआ फैंस ट्वीट, रील्स और पोस्ट बनाकर कह रहे हैं कि ये “रणवीर सिंह का धमाकेदार कमबैक” है और “धुरंधर ने शुरुआत से ही हिट होने का ऐलान कर दिया।”
कई क्रिटिक्स ने भी फ़िल्म को “पावर-पैक”, “इंटेंस थ्रिलर”, “सीट-पकड़कर देखने वाली फिल्म” कहा लेकिन साथ ही ये भी इशारा किया कि हर मोड़ पर फिल्म पूरी तरह साफ़ और ट्रांसपेरेंट नहीं रहती, जिससे कुछ जगह उसकी विश्वसनीयता थोड़ी हिलती है। लेकिन फिर भी, पब्लिक के लिहाज़ से फिल्म का रंग जम गया है।
क्या फिल्म देखनी चाहिए?
अगर आप थ्रिलर, स्पाई ड्रामा, देशभक्ति वाला एंगल और धमाकेदार एक्शन देखना पसंद करते हैं… और लंबी फिल्में देखने में परेशान नहीं होते तो dhurandhar आपकी ही फिल्म है।
ये वो फिल्म है जिसे टीवी पर चलते-फिरते देखने की चीज़ नहीं, बल्कि थिएटर में बड़े पर्दे पर महसूस करने वाली चीज़ है।फ़िल्म में सब कुछ है तगड़ा एक्शन, मजबूत कहानी, रणवीर सिंह की जानदार एक्टिंग, इमोशन और इंटेंसिटी और एक ऐसा क्लाइमेक्स जो भले परफेक्ट न हो, लेकिन दिल पर असर ज़रूर छोड़ता है।
यानि पूरा पैकेज एक थ्रिलर जो दर्शक को कुर्सी से बाँधकर रखती है।लेकिन…अगर आपको धीमी गति वाली कहानी, बहुत लंबी फिल्म, या ज़्यादा ड्रामेबाज़ हिस्से पसंद नहीं हैं तो संभव है कि यह फिल्म आपकी उम्मीदों पर 100% खरी न उतरे।
अंतिम फैसला (Conclusion) Dhurandhar जरूर देखी जाए, और बड़े पर्दे पर।क्योंकि ये सिर्फ़ फिल्म नहीं है ये एक एक्सपीरियंस है, एक सफर है, एक जज़्बात है।एक बार थिएटर जाकर देखोगे तो समझोगे कि इसकी असली चमक स्क्रीन पर ही नजर आती है।
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