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Ek Deewane ki Deewaniyat: प्यार की पगडंडी से जुनून की खाई तक
Harshvardhan Rane की नई फिल्म “Ek Deewane Ki Deewaniyat” 21 अक्टूबर 2025 को रिलीज़ हुई “एक दीवाने की दीवानियत” एक ऐसी रोमांटिक ड्रामा फिल्म है जो सीधा दिल में उतर जाती है। इस फिल्म में हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी पहली बार नज़र आई है, और दोनों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री कमाल की है।

मिलाप ज़वेरी ने फिल्म का निर्देशन किया है, और उनकी स्टाइल हमेशा की तरह इमोशन्स, डायलॉग्स और ड्रामा से भरपूर है। कहानी घूमती है विक्रमादित्य भोंसले (Harshvardhan Rane) के इर्द-गिर्द जो एक ताक़तवर और इज़्ज़तदार नेता है।
बाहर से वो सख़्त और तगड़ा नज़र आता है, लेकिन अंदर से उसका दिल मोहब्बत में डूबा हुआ है। एक दिन उसकी मुलाक़ात होती है आदा रंधावा (सोनम बाजवा) से और बस, उसी लम्हे में उसे उससे इश्क़ हो जाता है। ऐसा इश्क़ जो हदों को नहीं जानता, जो अपनी दुनिया खुद बना लेता है।
मगर कहानी यहाँ से दिल तोड़ने वाली बन जाती है क्योंकि आदा उसकी फ़ीलिंग्स को उसी तरह से महसूस नहीं करती। वो उसे चाहती नहीं, मगर विक्रमादित्य के लिए वो उसकी पूरी दुनिया बन चुकी होती है।
वो उसे पाने के लिए हर हद पार कर जाता है मोहब्बत और जुनून के बीच की वो बारीक लकीर मिटा देता है। और यहीं से शुरू होती है उसकी दीवानगी, जो धीरे-धीरे उसे ख़ुद से दूर और अंधेरे में ले जाती है।
फिल्म का थीम साफ़ है कभी-कभी इश्क़, जब हद से बढ़ जाता है, तो वो प्यार नहीं, पागलपन बन जाता है। और यही पागलपन इंसान को आत्म-विनाश की तरफ़ ले जाता है।हर्षवर्धन राणे ने विक्रमादित्य के किरदार में जो गहराई और दर्द दिखाया है, वो दिल छू जाता है। उनकी आँखों में जो बेइंतेहा चाहत और बेक़रारी झलकती है, वही फिल्म की असली जान है।
सोनम बाजवा ने भी आदा के किरदार को बख़ूबी निभाया है वो नर्म, समझदार और फिर भी मज़बूत नज़र आती हैं। फिल्म में डायलॉग्स, बैकग्राउंड म्यूज़िक और विज़ुअल्स सब मिलकर एक इमोशनल सफ़र बना देते हैं जहाँ हर सीन में मोहब्बत की खुशबू है, और दीवानगी की चुभन।
आख़िर में बस इतना कहा जा सकता है “Ek Deewane Ki Deewaniyat” कोई आम लव स्टोरी नहीं है, ये एक ऐसे इश्क़ की कहानी है जो दिल से शुरू होकर बर्बादी पर ख़त्म होती है।
अभिनय: Harshvardhan Rane और सोनम की जोड़ी
Harshvardhan Rane ने विक्रमादित्य के किरदार में जान फूंक दी है। उनका अभिनय ऐसा लगता है जैसे वो इस किरदार को जी रहे हों, निभा नहीं रहे। उनकी परफॉर्मेंस में वो सच्चाई है जो सीधे दिल में उतर जाती है।
उन्होंने मोहब्बत के नर्म एहसास से लेकर दीवानगी की हद तक जाने वाले हर लम्हे को इतनी गहराई से जिया है कि दर्शक खुद को उनकी जगह महसूस करने लगते हैं। उनकी आँखों में वो बेइंतेहा चाहत, वो दर्द, और वो बेचैनी साफ़ नज़र आती है जैसे हर नज़र में कोई अधूरी कहानी छिपी हो।
जब वो “आदा” को देखते हैं, तो उनकी निगाहों में सिर्फ़ प्यार नहीं, एक इबादत झलकती है। दिल कह उठता है “यही तो असली इश्क़ है, जो इंसान को मिटाकर भी ज़िंदा रखता है।” वहीं सोनम बाजवा ने आदा के किरदार को बेहद ख़ूबसूरती और सलीके से निभाया है।
वो नाज़ुक भी हैं, लेकिन अंदर से बहुत मज़बूत। एक ऐसी औरत जो अपने फैसले खुद लेती है, जो किसी की छाया में नहीं, अपनी रोशनी में जीती है। उनका स्क्रीन पर आना ही एक ताज़गी का एहसास देता है। जब वो और हर्षवर्धन एक फ्रेम में आते हैं, तो पर्दा जैसे रौशन हो उठता है उनके बीच की केमिस्ट्री इतनी नेचुरल और सच्ची लगती है कि आप उनके साथ हँसते भी हैं, और दर्द में उनके साथ रो भी पड़ते हैं।
दोनों की परफॉर्मेंस Ek Deewane Ki Deewaniyat फिल्म की रूह है वही रूह जो कहानी को ज़िंदा रखती है। हर्षवर्धन की आँखों का दर्द और सोनम की मुस्कान दोनों मिलकर “एक दीवाने की दीवानियत” को एक एहसास भरा तजुर्बा बना देते हैं| उनकी जोड़ी स्क्रीन पर सिर्फ़ रोमांस नहीं दिखाती, बल्कि प्यार की उस खामोशी को बयां करती है जो दिल के सबसे गहरे कोने में उतर जाती है।
निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी: जुनून को विज़ुअल कविता में बदला
मिलाप ज़वेरी ने Ek Deewane Ki Deewaniyat फिल्म को अपने खास अंदाज़ में पेश किया है पुराने ज़माने की रोमांटिक ड्रामा फिल्मों की रूह लिए हुए, लेकिन आज के दौर की चमक के साथ। उन्होंने कहानी को प्यार, दर्द और जुनून के उस रंग में रंगा है जो दिल को सीधा छू जाता है।
Ek Deewane Ki Deewaniyat की सिनेमैटोग्राफी काबिल-ए-तारीफ़ है हर फ्रेम में एक अलग सी खूबसूरती झलकती है। कहीं लाइटिंग के ज़रिए भावनाओं का उतार-चढ़ाव दिखाया गया है, तो कहीं रंगों की गहराई से किरदारों की फीलिंग्स को बयान किया गया है। कई सीन ऐसे हैं जो आपको थियेटर में चुपचाप बैठकर महसूस करने पर मजबूर कर देते हैं।
हाँ, कुछ लोगों का ये भी कहना है कि Ek Deewane Ki Deewaniyat फिल्म की रफ़्तार थोड़ी धीमी है कुछ हिस्सों में ड्रामा थोड़ा ज़्यादा खिंच जाता है। मगर वहीं, ये वही ओवरड्रामेटिक पल हैं जहाँ फिल्म अपने इमोशनल क्लाइमेक्स को छूती है।
जहाँ तक बात संगीत की है तो वो Ek Deewane Ki Deewaniyat फिल्म की जान है। हर गीत में मोहब्बत की मिठास है, जुदाई का दर्द है, और दिल की बेताबी का एहसास है। मिलाप ज़वेरी ने गानों को कहानी के साथ इस तरह जोड़ा है कि वो सिर्फ़ सुनाई नहीं देते, बल्कि महसूस होते हैं। “ek di” विज़ुअली खूबसूरत, इमोशनली टचिंग और दिल से बनाई गई फिल्म लगती है जहाँ हर सीन और हर सुर दिल में उतर जाता है।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर: दर्द की धुनें
फिल्म “Ek Deewane Ki Deewaniyat” को रिलीज़ हुए कुछ ही दिन हुए हैं, और इसने दर्शकों के बीच अच्छी-खासी चर्चा छेड़ दी है। Harshvardhan Rane और सोनम बाजवा की ये रोमांटिक ड्रामा फिल्म लोगों के दिलों में अपनी एक अलग जगह बना रही है। मगर जैसा हर फिल्म के साथ होता है, यहाँ भी रिव्यूज़ मिले-जुले हैं कुछ लोग इसे “दिल छू जाने वाली लव स्टोरी” कह रहे हैं, तो कुछ को ये थोड़ी ज़्यादा “ड्रामेटिक” और “फिल्मी” लगी है।
समीक्षकों का कहना है कि फिल्म Ek Deewane Ki Deewaniyat का पहला हाफ़ काफी इमोशनल और खूबसूरत विज़ुअल्स से भरा है कैमरा हर फ्रेम में जैसे एक कहानी सुनाता है। मिलाप ज़वेरी ने पुराने दौर की रोमांटिक फिल्मों वाला एहसास फिर से जिंदा किया है। लाइटिंग, बैकग्राउंड स्कोर और लोकेशंस सब कुछ मिलकर फिल्म को एक dreamy सा लुक देते हैं जैसे कोई मोहब्बत की डायरी स्क्रीन पर खुल रही हो।
अब बात करें कमजोरियों की तो कुछ लोगों का कहना है कि फिल्म की रफ़्तार थोड़ी धीमी है। कई सीन ऐसे हैं जो खिंच जाते हैं, और कुछ जगहों पर ड्रामा ज़रूरत से ज़्यादा महसूस होता है।
Ek Deewane Ki Deewaniyat कहानी में पुराने बॉलीवुड क्लिशे झलकते हैं “जुनूनी आशिक़”, “अधूरी मोहब्बत” और “क़ुर्बानी वाला प्यार” मगर मिलाप ज़वेरी ने इन्हें आज के दौर की संवेदनशीलता के साथ पेश किया है। तो हाँ, थोड़ा फ़िल्मी है, मगर दिल से बना है।
अब आते हैं उस बात पर जो सबसे दिलचस्प है फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर करीब ₹8.50 करोड़ की कमाई कर ली है। इससे साफ़ झलकता है कि लोगों ने इसे दिल से अपनाया है। हो सकता है समीक्षक इसे मिक्स रिव्यू दे रहे हों, लेकिन दर्शकों के लिए ये फिल्म पुराने ज़माने के सच्चे इश्क़ की याद ताज़ा कर देती है।
वो इश्क़ जो बेनाम होता है, लेकिन दिल में सदियों तक ज़िंदा रहता है। लोगों को इसमें वही दीवानगी, वही तड़प और वही जुनून महसूस हुआ जो आजकल की मॉडर्न लव स्टोरीज़ में कहीं खो सा गया है।
अगर आप उन लोगों में से हैं जो रोमांटिक ड्रामा फिल्मों के दीवाने हैं, जो प्यार को सिर्फ़ एक एहसास नहीं बल्कि एक सफ़र मानते हैं तो “एक दीवाने की दीवानियत” आपको ज़रूर पसंद आएगी। फिल्म के गाने दिल में उतर जाते हैं, डायलॉग्स में वो पुरानी रूह है, और एक्टिंग इतनी सच्ची है कि किरदारों के दर्द को आप अपनी रगों में महसूस कर सकते हैं।
लेकिन हाँ, अगर आप ऐसी फिल्मों के शौकीन हैं जो हक़ीक़त के करीब हों, जहाँ हर सीन ज़िंदगी की सादगी और गहराई को छूता हो तो ये फिल्म शायद आपकी उम्मीदों पर पूरी तरह खरी न उतरे। क्योंकि ये फिल्म हक़ीक़त से ज़्यादा दिल की दुनिया में रहती है वो दुनिया जहाँ प्यार थोड़ा पागलपन है, और दीवानगी एक इबादत।
आख़िर में बस इतना कहा जा सकता है “एक दीवाने की दीवानियत” कोई परफेक्ट फिल्म नहीं है, मगर इसमें वो जज़्बात, वो दर्द और वो दीवानगी है जो इसे दिल के करीब बना देती है। ये फिल्म शायद आपकी सोच नहीं बदलेगी, पर आपके दिल को ज़रूर छू जाएगी।
रेटिंग: ⭐⭐⭐ (4 में से 5) एक खूबसूरत, जज़्बाती और दिल से बनी फिल्म जो यादों में थोड़ी देर नहीं, काफ़ी देर तक ठहर जाती है।
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