Skip to content

Ikkis Trailer Breakdown: Agastya Nanda बने सच्चे हीरो, 21 साल के brave सैनिक की अनकही कहानी ने छू लिया दिल लोगों ने कहा Pure Army Emotions!

Ikkis Trailer Breakdown: Agastya Nanda बने सच्चे हीरो, 21 साल के brave सैनिक की अनकही कहानी ने छू लिया दिल लोगों ने कहा Pure Army Emotions!

Ikkis का ट्रेलर रिलीज़ एक दिल झकझोर देने वाला अनुभव

Ikkis – The Untold True Story of Second Lieutenant Arun Khetarpal: भारतीय सिनेमा में जब भी देशभक्ति, फ़ौजी जज़्बे और शहादत की बातें होती हैं, तो दिल अपने आप भर आता है। ऐसा लगता है जैसे परदे पर सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उन लाखों जवानों की रूह बोल रही हो जिन्होंने वतन की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी।

ठीक उसी एहसास को एक बार फिर ज़िंदा कर रही है आने वाली फिल्म “Ikkis – The Untold True Story of Second Lieutenant Arun Khetarpal” । इसका ट्रेलर हाल ही में रिलीज़ हुआ है, और सोशल मीडिया से लेकर फिल्म इंडस्ट्री तक, हर जगह इसकी गूंज सुनाई दे रही है।

Ikkis ट्रेलर ने लोगों के दिलों में वो पुराना जोश, वो देशप्रेम, और वो गहरी इज़्ज़त दोबारा जगा दी है जो हम अपने जवानों के लिए महसूस करते हैं। आइए, इस लेख में आसान ज़ुबान में बात करते हैं कि आखिर इस ट्रेलर में ऐसा क्या है जो इसे इतना ख़ास बनाता है|

क्या मैसेज देता है, कौन से सीन दिल को छू जाते हैं, और क्यों “Ikkis” का ये ट्रेलर सिर्फ एक फिल्म का प्रोमो नहीं बल्कि जज़्बातों, शौर्य और जवानी के जोश का मिलन लगता है। कहानी की झलक और ट्रेलर की शुरुआतवो कहता है, “अगला परमवीर चक्र हमारा होगा।” और यही लाइन पूरे ट्रेलर की जान बन जाती है।

Ikkis ट्रेलर में दिखा जज़्बातों का सैलाब ट्रेलर में सिर्फ गोलियाँ और टैंक नहीं हैं, बल्कि एक बेटे की कहानी है, जो अपने वतन से इतना मोहब्बत करता है कि मौत भी उसे डराती नहीं। उसके चेहरे पर जब धूल लगती है, तब भी उसकी आँखों में चमक है जैसे कह रही हो, “यह मिट्टी ही तो मेरा ताज है।”

अरुण का अपने साथियों के साथ रिश्ता, उनकी हँसी-मज़ाक, और फिर युद्ध के मैदान में सबको खो देने का दर्द सब कुछ इतनी सच्चाई से दिखाया गया है कि दिल भारी हो जाता है। ट्रेलर का हर फ्रेम, हर डायलॉग, हर बैकग्राउंड म्यूज़िक आपको खींचकर उस दौर में ले जाता है जहाँ एक जवान ने 21 की उम्र में इतिहास रच दिया था।

क्यों ‘Ikkis’ बाकी फिल्मों से अलग है?

भारत में बहुत सी देशभक्ति फिल्में बनी हैं Border, LOC Kargil, Shershaah जैसी। लेकिन “Ikkis” की सबसे बड़ी खूबी है इसकी सादगी। यह फिल्म एक चमकदार हीरो की कहानी नहीं, बल्कि एक साधारण लड़के की कहानी है जो अपनी ड्यूटी को सबसे ऊपर रखता है।

इसमें दिखाया गया है कि “हीरो बनना” कोई इरादा नहीं होता, बल्कि हालात और हिम्मत मिलकर किसी को हीरो बना देते हैं। “Ikkis” का ट्रेलर देखकर जो एहसास होता है, वो दिल में उतर जाता है। ये हमें याद दिलाता है कि असली देशभक्ति नारे लगाने में नहीं, बल्कि अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी निभाने में है। अरुण खेत्रपाल की कहानी हमें सिखाती है कि उम्र छोटी हो सकती है, मगर इरादे बड़े होने चाहिए।

अगर ट्रेलर इतना असरदार है, तो फिल्म का प्रभाव सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। “Ikkis” सिर्फ एक मूवी नहीं बल्कि हर हिंदुस्तानी दिल के लिए एक सलाम है, उन जवानों को जिन्होंने बिना किसी शोर-शराबे के अपना सब कुछ वतन पर कुर्बान कर दिया।

Ikkis ट्रेलर का आरंभ और इसकी थीम

Ikkis ट्रेलर की शुरुआत बहुत ही सादगी लेकिन गहराई से होती है। सामने आता है एक नौजवान, अरुण खेत्रपाल, जो अभी एक कैडेट है यानि कि एक ऐसा जवान जो अपनी ज़िंदगी को फ़ौज और मुल्क की सेवा के लिए तैयार कर रहा है।

ट्रेलर के शुरुआती सीन में ही एनडीए यानी नेशनल डिफेंस अकादमी का माहौल दिखाया गया है जहाँ सुबह की परेड, सख़्त ट्रेनिंग, सीनियर्स की डाँट, और साथियों के बीच की दोस्ती सब कुछ असलियत के साथ दिखाया गया है। हर फ्रेम में उस मेहनत की खुशबू आती है जो एक सिपाही बनने में लगती है।

इन सीन्स में अरुण के चेहरे पर जो मासूमियत और जो जोश नज़र आता है, वो दिल छू जाता है। वो सिर्फ एक कैडेट नहीं लगता, बल्कि जैसे हर उस नौजवान की आवाज़ है जो अपने दिल में देश के लिए कुछ करने का ख्वाब रखता है।

Ikkis ट्रेलर का सबसे दिल को छू लेने वाला पल वो है जब अरुण बड़ी सादगी लेकिन पूरे आत्मविश्वास से कहता है “अगला परमवीर चक्र हमारा होगा।” बस, यही डायलॉग पूरे ट्रेलर की रूह है। इसमें एक 21 साल के जवान का जज़्बा है, उसका यक़ीन है और वो निडरपन है जो मौत को भी मात दे देता है।

यहीं से साफ़ समझ आ जाता है कि “Ikkis” सिर्फ एक वॉर फिल्म नहीं है ये एक जवान के अंदर के सफ़र की कहानी है। एक ऐसा सफ़र जिसमें उसके सपने हैं, उसके आदर्श हैं, उसकी परेशानियाँ हैं, और आखिर में उसका बलिदान है। ये कहानी हमें दिखाती है कि एक सैनिक सिर्फ बंदूक लेकर लड़ने वाला इंसान नहीं होता वो जज़्बातों, हिम्मत और उम्मीदों का पूरा समंदर होता है।

अभिनय की तैयारी और लीड कलाकारों का जलवा

अब अगर बात करें एक्टिंग की तो Agastya Nanda ने इस ट्रेलर में सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। वो अरुण खेत्रपाल के किरदार में पूरी तरह ढल गए हैं। उनका चेहरा, उनकी बॉडी लैंग्वेज, और वो हल्की सी मुस्कान सब कुछ इस बात की गवाही देता है कि उन्होंने इस रोल के लिए बहुत मेहनत की है।

सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफ़ करते नहीं थक रहे। किसी ने लिखा, “अगस्त्य ने तो उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छा किया है।” तो किसी ने कहा, “वो सिर्फ अमिताभ बच्चन का पोता नहीं, बल्कि एक सच्चा कलाकार बनकर उभर रहा है।”

Agastya Nanda का फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन भी कमाल का है। उनकी बॉडी में वो सिपाही वाली टफ़नेस दिखती है, लेकिन चेहरे पर अब भी एक जवान लड़के की मासूमियत बनी हुई है और यही बात इस किरदार को असली बनाती है।

Agastya Nanda ने ट्रेलर के हर फ्रेम में दिखा दिया कि उन्होंने वॉर ड्रिल्स, टैंक ट्रेनिंग और सैनिकों की डेली लाइफ़ को गहराई से समझा है। वो सिर्फ डायलॉग नहीं बोल रहे वो उसे जी रहे हैं। ये उनके करियर की शायद सबसे अहम शुरुआत मानी जाएगी, क्योंकि इस फिल्म में सिर्फ एक्टिंग नहीं, जज़्बा और ईमानदारी की भी ज़रूरत थी और अगस्त्य ने दोनों चीज़ों में बाज़ी मार ली है।

इस तरह “Ikkis” का ट्रेलर हमें सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं दिखाता, बल्कि एक नौजवान की ज़िंदगी का वो हिस्सा दिखाता है जिसमें जोश है, तकलीफ़ है, और सबसे बड़ी बात वतन से मोहब्बत है। अरुण खेत्रपाल की आँखों में जो चमक है, वो हमें याद दिलाती है कि सच्चे हीरो हमेशा यूनिफ़ॉर्म में नहीं आते लेकिन जब आते हैं, तो इतिहास लिख जाते हैं।

निर्देशन, पैकेजिंग और सिनेमैटोग्राफी

फिल्म के डायरेक्टर श्रीराम राघवन ने “Ikkis” को जिस अंदाज़ में पेश किया है, वो वाक़ई क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। उन्होंने इसे सिर्फ एक वार ड्रामा की तरह नहीं दिखाया, बल्कि इसमें जवानों का जोश, उनकी बहादुरी, और दिल को छू जाने वाले जज़्बात भी खूबसूरती से पिरोए हैं।

राघवन साहब ने हमेशा अपनी फिल्मों में एक अलग स्टाइल रखा है लेकिन इस बार उन्होंने कुछ और ही किया है। ट्रेलर देखकर साफ़ महसूस होता है कि उन्होंने कहानी को बहुत दिल से समझा है। यहाँ सिर्फ गोलियों की आवाज़ नहीं, बल्कि उस जवान की धड़कनें भी सुनाई देती हैं जो अपने मुल्क के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार है।

ट्रेलर में युद्ध के सीन जिस तरह से दिखाए गए हैं वो न तो ज़रूरत से ज़्यादा ओवरड्रामेटिक लगते हैं, न ही नकली। हर फ्रेम में एक सच्चाई है, एक सादगी है। आपको लगता है जैसे आप खुद उसी मैदान में खड़े हैं, जहाँ टैंक चल रहे हैं, धूल उड़ रही है, और एक नौजवान अपनी आख़िरी साँस तक लड़ रहा है।

वहीं दूसरी तरफ़, ट्रेनिंग कैंप्स के सीन भी बड़े असरदार हैं। कैडेट्स का पसीना, उनकी थकान, और फिर भी चेहरे पर मुस्कान सब कुछ बहुत रियल और ईमानदार लगता है।राघवन ने ट्रेनिंग और वॉर के बीच जो बैलेंस बनाया है, वही ट्रेलर की सबसे बड़ी ताक़त है।

अब बात करें विज़ुअल्स की तो भाई, कैमरे का काम ग़ज़ब का है। हर सीन में रंगों का इस्तेमाल (कलर पैलेट) बहुत सोच-समझकर किया गया है। जहाँ युद्ध के दृश्यों में धूल, धुआँ और लाल रंग का गर्माहट भरा माहौल है, वहीं परिवार या ट्रेनिंग वाले सीन में हल्के, शांत रंगों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे भावनाएँ और गहराई महसूस होती है।

कैमरे की मूवमेंट इतनी स्मूद है कि आप खुद-ब-खुद स्क्रीन से नज़रें नहीं हटा पाते। कहीं कैमरा ज़मीन के बहुत करीब से टैंक की हरकत दिखाता है, तो कहीं आसमान से सैनिकों की हिम्मत को कैद करता है और ये सब देखकर दिल में बस एक ही बात आती है: “वाह राघवन साहब, आपने तो इस कहानी को जिंदा कर दिया।”

कुल मिलाकर, श्रीराम राघवन ने “Ikkis” को सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक जज़्बाती सफ़र बना दिया है। उन्होंने इस ट्रेलर में इतना दिल लगाया है कि दर्शक खुद को रोक नहीं पा रहे हर कोई कह रहा है कि अगर ट्रेलर इतना दमदार है, तो फिल्म तो वाकई कमाल की होगी।

भावनात्मक लेयर और मानवीय ड्रामा

ट्रेलर में सिर्फ गोलियों की गूंज या टैंकों की दहाड़ नहीं है, बल्कि अरुण का दिल, उसका घर, और उसके अपने रिश्ते भी पूरे एहसास के साथ दिखाए गए हैं। ये वो हिस्सा है जो कहानी को और भी गहराई देता है जहाँ हमें एक सिपाही नहीं, बल्कि एक बेटा, एक दोस्त, और एक इंसान दिखाई देता है।

हम देखते हैं कि अरुण का रिश्ता अपनी माँ-पिता से बहुत प्यारा है। एक सीन में उसकी माँ बड़े प्यार से कहती हैं “बाघ की तरह लड़कर आना।” उस पल में जो भाव हैं, वो दिल को छू लेते हैं। एक तरफ माँ की दुआ है, और दूसरी तरफ बेटे का वादा कि वो अपने मुल्क के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटेगा। इस सीन में न कोई ओवरड्रामा है, न बनावट बस एक सच्ची भावना है, जो हर माँ-बेटे के दिल में होती है।

फिर आता है अरुण का प्यार और उसकी मासूमियत। ट्रेलर में उसकी एक हल्की-सी प्रेम कहानी की झलक भी दिखती है छोटी, लेकिन बेहद खूबसूरत। वो पल जब वो मुस्कुराता है, या किसी से हल्की-फुल्की बातें करता है, वहाँ आप भूल जाते हैं कि ये वही लड़का है जो कल जंग के मैदान में जाने वाला है।

यहीं पर ट्रेलर की सबसे बड़ी खूबसूरती छिपी है ये दिखाता है कि हर जवान, लड़ने से पहले भी एक इंसान होता है। उसकी भी अपनी ख्वाहिशें, सपने, मोहब्बतें होती हैं लेकिन जब बात वतन की आती है, तो वो सब कुछ पीछे छोड़ देता है।

ट्रेलर में यूनिट-मम्मा से हुई बातचीत भी दिल को छू जाने वाली है। वो सीन ऐसा लगता है जैसे दो लोग नहीं, बल्कि दो पीढ़ियाँ एक-दूसरे से बात कर रही हों एक जो देश के लिए सब कुछ दे चुकी है, और दूसरी जो देने को तैयार है। उनके बीच की बातें बहुत सादा हैं, मगर असर बहुत गहरा छोड़ जाती हैं।

यही पर “Ikkis” का ट्रेलर अपने असली मकसद तक पहुँचता है। ये सिर्फ एक वार मूवी का प्रोमो नहीं है, बल्कि एक जवान की ज़िंदगी की झलक है जहाँ जज़्बात, कर्तव्य, मोहब्बत और बलिदान सब एक साथ दिखाई देते हैं।

जब ट्रेलर अपने अंतिम हिस्से में पहुँचता है, और अरुण की आँखों में वो चमक दिखाई देती है तो दिल खुद-ब-खुद कह उठता है, “यही है वो जज़्बा जो हर सिपाही को ‘अरुण खेत्रपाल’ बना देता है।”

ट्रेलर ने दर्शकों पर क्या प्रभाव छोड़ा है?

ट्रेलर रिलीज़ होते ही सोशल मीडिया पर जैसे तूफ़ान आ गया। हर जगह बस “Ikkis” की बातें हो रही हैं कोई कह रहा है “यही होती है असली देशभक्ति वाली फिल्म!”, तो कोई लिख रहा है “This is how patriotic films should be made pure emotions, pure army spirit!” ट्रेलर ने लोगों के दिलों में वो पुराना “जबानी गर्व” का एहसास फिर से जगा दिया है जो सीने में जोश भी भर देता है और आँखों में नमी भी लाता है।

लोगों को सबसे ज़्यादा ये बात पसंद आई है कि ट्रेलर सिर्फ युद्ध या ऐक्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें इंसानियत, रिश्ते और जज़्बात भी बराबर झलकते हैं। कई दर्शकों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “इसमें गोली-बारूद के साथ दिल की बातें भी हैं।” और सच कहें तो यही बात इसे अलग बनाती है।

ख़ास तौर पर युवा दर्शक इस फिल्म से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। क्योंकि कहानी किसी 40 या 50 साल पुराने हीरो की नहीं, बल्कि एक 21 साल के जवान की है एक ऐसे नौजवान की जो सपने भी देखता है, हँसता भी है, प्यार भी करता है और फिर बिना किसी डर के देश के लिए जान भी दे देता है। आज के युवाओं के अंदर जो जुनून और जज़्बा है, वही इस ट्रेलर में दिखता है।

अब बात करें कुछ सवालों की, जो ट्रेलर देखने के बाद ज़ेहन में घूमने लगते हैं। क्या “Ikkis” सिर्फ एक war drama होगी या उसमें ज़्यादा मानवीय पहलू भी देखने को मिलेंगे? ट्रेलर देखकर तो यही लगता है कि फिल्म दोनों पहलूओं को बखूबी जोड़ती है ट्रेनिंग का संघर्ष, परिवार का प्यार, मोहब्बत की मासूमियत और फिर जंग का दर्द। यानी ये फिल्म सिर्फ बंदूक की आवाज़ नहीं, बल्कि दिल की धड़कनों को भी बयान करेगी।

एक और दिलचस्प बात जो लोगों ने नोट की वो है संघर्ष और बलिदान का अंदाज़। ट्रेलर में दिखाया गया है कि अरुण आदेश के विरुद्ध जाकर भी लड़ने का फैसला करता है वो पल सीधा दिल में उतर जाता है। वो दिखाता है कि कभी-कभी नियमों से ज़्यादा ज़रूरी होता है जज़्बा, और यही एक सच्चे सिपाही की पहचान है।

अब सवाल उठता है क्या अगस्त्या नंदा इतने बड़े किरदार को निभाने के लिए तैयार थे? ट्रेलर देखकर तो जवाब साफ़ है हाँ, बिल्कुल तैयार थे! उनका लुक, उनकी आवाज़, और आँखों में वो जो चमक है सब कुछ बहुत नैचुरल और असरदार लगता है। उनमें वो “रॉनेस” है जो एक नौजवान सैनिक के किरदार के लिए चाहिए। सोशल मीडिया पर भी लोग कह रहे हैं कि “अगस्त्या नंदा का टाइम आ गया है।”

और फिर आता है नाम “Ikkis”, यानी 21 साल का जवान। ये सिर्फ एक टाइटल नहीं, बल्कि एक प्रतीक है उस उम्र का जहाँ इंसान सपने देखता है, और अगर वो सैनिक हो, तो वो सपने अपने देश के नाम कर देता है। ये नाम खुद में ही गर्व, हिम्मत और कुर्बानी की कहानी सुनाता है।

ट्रेलर हमें संघर्ष, दृढ़ता और बलिदान का वो रंग दिखाता है जो आज की फ़िल्मों में कम ही देखने को मिलता है। हर फ्रेम, हर डायलॉग, हर नज़र में एक सच्चाई झलकती है जैसे ये कहानी सिर्फ किसी किताब की नहीं, बल्कि हर उस माँ-बेटे की है जिसने देश के लिए कुछ खोया या पाया है।

और अगर फिल्म ने वही जज़्बा बरकरार रखा जो ट्रेलर ने दिखाया है, तो यकीन मानिए “Ikkis” सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं होगी, बल्कि लोगों के दिलों में अमर हो जाएगी। ये फिल्म हमें याद दिलाएगी कि देशभक्ति सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक एहसास है जो हर दिल में बसता है, बस उसे जगाने की देर है।

यह भी पढ़े –

OPPO Find X9 और Find X9 Pro Launched: Premium फ्लैगशिप की New Definition

Emraan Hashmi की ‘Haq’: महिलाओं के Right और Justice पर बनी एक Empowered फिल्म

Subscribe

Join WhatsApp Channel