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Kantara Chapter 1 Review: Rishabh Shetty का फिर एक बार Amazing magic

Kantara Chapter 1 Review: Rishabh Shetty का फिर एक बार Amazing magic

Kantara Chapter 1 Review

भारतीय सिनेमा में कुछ फ़िल्में ऐसी होती हैं जो सिर्फ़ टाइम पास या मनोरंजन भर नहीं करतीं, बल्कि सीधा दिल और आत्मा को छू जाती हैं। साल 2022 में आई “कांतारा” ऐसी ही फ़िल्म थी जिसने अपनी अनोखी कहानी, स्थानीय संस्कृति और लोककथाओं की ताक़त के दम पर पूरे देश में तहलका मचा दिया था।

लोगों को इस फ़िल्म ने एक अलग ही दुनिया में पहुँचा दिया था – जहाँ परंपराएँ, लोककला और इंसान की आस्था आपस में मिलकर एक गहरी छाप छोड़ते हैं। यही वजह थी कि दर्शक लंबे समय तक इस फ़िल्म को भूल नहीं पाए।

अब उसी का प्रीक्वल यानी “Kantara Chapter 1” सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुका है। इस बार भी रिषभ शेट्टी ने ये साबित कर दिया है कि वो सिर्फ़ शानदार एक्टर ही नहीं हैं, बल्कि एक ज़बरदस्त कहानीकार (स्टोरीटेलर) भी हैं।

फ़िल्म की ख़ासियत ये है कि ये हमें समय की उस धारा में वापस ले जाती है जहाँ इंसानी ज़िंदगी, लोककथाएँ और रहस्यमयी मिथक (Mythology) आपस में टकराते और मिलते हैं। कहानी के ज़रिए दर्शकों को उनकी जड़ों से जोड़ने की कोशिश की गई है – यानी वो सब कुछ दिखाने की कोशिश की गई है जिसे हम आधुनिक दुनिया में अक्सर भूल जाते हैं।

तो चलिए, आइए ज़रा विस्तार से जानते हैं कि आख़िर “कांतारा चैप्टर 1” कैसी फ़िल्म बनी है और क्यों इसे देखना ज़रूरी है।

Kantara Chapter 1 कहानी

कहानी हमें उस ज़माने में ले जाती है, जब “दैव आराधना” और “भूत कोला” महज़ धार्मिक रस्में नहीं होती थीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगी का अहम हिस्सा मानी जाती थीं। यह सिर्फ़ पूजा-पाठ नहीं, बल्कि इंसान और प्रकृति के बीच एक गहरा रिश्ता हुआ करता था।

फ़िल्म का नायक Rishabh Shetty यहाँ एक ऐसा योद्धा है, जिसकी किस्मत उसे समाज और सत्ता की ताक़तों से भिड़ने के रास्ते पर ला खड़ा करती है। उसकी ज़िंदगी एक ऐसी जंग में बदल जाती है जहाँ सत्ता का घमंड, लालच की आग और आध्यात्मिकता की ताक़त – तीनों आमने-सामने होते हैं।

कहानी की असली रीढ़ यही जद्दोजहद है – इंसान अपने स्वार्थ और लालच में पड़कर कैसे प्रकृति और पुरानी परंपराओं को तोड़-मरोड़ देता है, और फिर कैसे धर्म, संस्कृति और लोक आस्था मिलकर उस लालच और नफ़रत के खिलाफ मज़बूती से खड़ी होती हैं।

फ़िल्म का क्लाइमैक्स इतना ज़बरदस्त और जज़्बाती (Emotional) है कि दर्शक अपनी सीट पर बैठकर नहीं रह पाते। सिनेमाघर तालियों, सीटियों और शोर से गूंज उठता है। ऐसा लगता है जैसे पर्दे पर नहीं, बल्कि सच में कोई महाकाव्यिक लड़ाई हमारे सामने हो रही हो।

Rishabh Shetty का अभिनय (Performances)

रिषभ शेट्टी का अभिनय और ज़िम्मेदारी
इस फ़िल्म में Rishabh Shetty ने एक साथ दो बड़ी ज़िम्मेदारियाँ उठाई हैं – लेखक-निर्देशक भी वही हैं और अभिनेता भी वही। और सच कहें तो दोनों भूमिकाओं में उन्होंने कमाल कर दिया है। उनका अभिनय इतना दमदार है कि कई बार रोंगटे खड़े हो जाते हैं। चाहे जंग का उग्र और खून-खराबे वाला दृश्य हो या फिर पूजा और श्रद्धा का शांत पल – हर सीन में उनका अलग ही जादू चलता है।

सिर्फ़ रिषभ ही नहीं, बल्कि बाकी कलाकारों ने भी अपनी तरफ़ से बेहतरीन काम किया है। ख़ासकर महिला किरदार – जिनकी मौजूदगी ने फ़िल्म को और ज़्यादा भावनात्मक, संवेदनशील और गहराई से भरा हुआ बना दिया।

निर्देशन और पटकथा (Direction & Screenplay)
रिषभ शेट्टी का निर्देशन इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ताक़त है। उन्होंने लोककथा, आस्था और यथार्थ – इन तीनों के बीच एक ऐसा अद्भुत संतुलन बनाया है कि दर्शक शुरू से आख़िर तक बंधे रहते हैं। कहानी इतनी कसकर लिखी गई है कि बीच-बीच में कहीं भी बोरियत नहीं होती। हर एक सीन में कोई न कोई छुपा हुआ अर्थ है, कोई न कोई संदेश है, जो सोचने पर मजबूर कर देता है।

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर (Music & BGM)
फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक इसकी असली जान है। “अजनीश लोकनाथ” का दिया हुआ संगीत सीधे आपको उस ज़माने और उस संस्कृति के बीच ले जाता है। ख़ासकर जब-जब भूत कोला का दृश्य आता है, बैकग्राउंड स्कोर दिल की धड़कनों को तेज़ कर देता है। फ़िल्म के लोकधुनों पर बने गाने इसे और भी गहराई और आत्मा से जोड़ देते हैं।

सिनेमैटोग्राफी और विज़ुअल्स (Cinematography & Visuals)
कैमरे का काम इस फ़िल्म में ग़ज़ब का है। हर फ्रेम ऐसा लगता है जैसे किसी ने कैनवास पर सुंदर पेंटिंग बना दी हो। चाहे घना जंगल हो, अथाह समुद्र हो या फिर सादा-सा गाँव – सबकुछ इतनी बारीकी से दिखाया गया है कि स्क्रीन से नज़रें हटाना मुश्किल हो जाता है। एक्शन के दृश्य भी इतने असली और दमदार लगते हैं कि आपको ऐसा लगता है मानो आप खुद उसी माहौल में मौजूद हों।

Kantara Chapter 1 की खास बातें

संस्कृति का नज़ारा – फिल्म में दक्षिण भारत की कहानियाँ और रीति-रिवाज बहुत ही खूबसूरती से दिखाए गए हैं।

कहानी और संदेश – यह हमें इंसान, संस्कृति और कुदरत के रिश्ते को समझने का मौका देती है।

अभिनय – रिषभ शेट्टी और बाकी कलाकारों का अभिनय शानदार है, हर किरदार में जान है।

संगीत और विजुअल्स – संगीत और तस्वीरें ऐसा माहौल बनाते हैं कि दर्शक पूरी तरह उस दुनिया में खो जाते हैं।

कमियाँ – फिल्म कुछ जगह थोड़ी लंबी लग सकती है। लोककथाओं और धार्मिक निशानों को समझने में कुछ लोगों को मुश्किल हो सकती है। यह फिल्म सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए नहीं, बल्कि आर्टिस्टिक अंदाज में बनाई गई है।

Kantara Chapter 1 दर्शकों की प्रतिक्रिया

रिलीज़ होते ही सोशल मीडिया पर कांतारा चैप्टर 1 छा गई है। एक यूज़र ने लिखा: “ये सिर्फ फिल्म नहीं, बल्कि एक पूरा अनुभव है।” किसी और ने कहा: “रिषभ शेट्टी ने भारतीय सिनेमा को एक नया मुकाम दिया है।” थिएटर्स में लोग भावुक होकर फिल्म देख रहे थे और कई सीन पर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।

बॉक्स ऑफिस की रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म ने पहले ही दिन 40 करोड़ रुपये कमाकर शानदार शुरुआत कर दी है। क्रिटिक्स और ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फिल्म आसानी से 500 करोड़ क्लब में शामिल हो सकती है।

सबसे खास बात यह है कि फिल्म सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों में भी शानदार रिस्पॉन्स पा रही है। कांतारा चैप्टर 1 सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और लोककथाओं का बड़ा महाकाव्य है।

रिषभ शेट्टी ने यह दिखा दिया कि जब सिनेमा हमारी जड़ों से जुड़ता है, तो यह सीधे दर्शकों की आत्मा तक छू सकता है। यह फिल्म उन लोगों के लिए है जो सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति, अध्यात्म और हकीकत का संगम देखना चाहते हैं।

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐⭐ (5/5)

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