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Sameer Wankhede और Aryan Khan Defamation Case Latest News: Delhi HC ने जारी किया Red Chillies और Netflix के खिलाफ नोटिस 7 दिन बाद Hearing

Sameer Wankhede और Aryan Khan Defamation Case Latest News: Delhi HC ने जारी किया Red Chillies और Netflix के खिलाफ नोटिस 7 दिन बाद Hearing

जानें क्या है Aryan Khan और Sameer Wankhede का मामला

IRS अधिकारी और NCB के पूर्व ज़ोनल डायरेक्टर Sameer Wankhede एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है Netflix पर आने वाली एक वेब सीरीज़ — “The Bads of Bollywood” । Sameer Wankhede का कहना है कि इस सीरीज़ में उनकी छवि को गलत, भ्रामक और अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और इज़्ज़त को ठेस पहुँची है।

इस वजह से उन्होंने Red Chillies Entertainment (जो शाहरुख़ ख़ान की प्रोडक्शन कंपनी है), Netflix, और सीरीज़ से जुड़े अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मानहानि (Defamation) का मुकदमा दर्ज किया है। उनका साफ़ कहना है कि इस सीरीज़ में दिखाया गया कंटेंट उनकी वास्तविकता से बिलकुल अलग है और इससे उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर नुकसान पहुँचा है।

मामला पहुँचा दिल्ली हाईकोर्ट तक

8 अक्टूबर 2025, बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने इस केस पर सुनवाई करते हुए सभी प्रतिवादियों यानी Red Chillies, Netflix और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने साफ़ कहा कि सभी पक्षों को सात (7) दिन के भीतर जवाब दाखिल करना होगा, ताकि अगली सुनवाई में मामले को आगे बढ़ाया जा सके।

Sameer Wankhede ने अदालत से ये भी अनुरोध किया कि जब तक पूरा मामला कोर्ट में चल रहा है, तब तक वेब सीरीज़ से वो सारे सीन या डायलॉग हटा दिए जाएँ जो उनकी छवि को “Defame” (अपमानित) करते हैं। इसके लिए उन्होंने अदालत से “Interim Injunction” (अंतरिम रोक) लगाने की गुज़ारिश की है।

क्या यह मुकदमा दिल्ली में दायर करना सही है?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक तकनीकी सवाल भी उठाया क्या इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में दायर करना सही है? क्योंकि मानहानि से जुड़े मुकदमों में यह देखना ज़रूरी होता है कि घटना या नुकसान कहाँ हुआ, या प्रभावित व्यक्ति किस क्षेत्राधिकार (jurisdiction) में आता है।

इस पर समीर वानखड़े के वकीलों ने बताया कि उन्होंने अब अपनी याचिका (plaint) में ज़रूरी संशोधन कर दिए हैं और सभी कानूनी बिंदु साफ़ तौर पर जोड़ दिए हैं। यानी अब यह मामला Maintainable (विचारणीय) है यानी अदालत के पास इसे सुनने का पूरा अधिकार है।

अदालत ने वानखड़े की इस दलील को स्वीकार किया और कहा We appreciate that there is cause in your favour to approach this court, but there is a process to be followed.” (“हम समझते हैं कि आपके पास इस अदालत में आने का वाजिब कारण है, लेकिन आपको कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।”) इसका मतलब यह हुआ कि कोर्ट ने वानखड़े के मुकदमे को सुनवाई योग्य माना, लेकिन यह भी कहा कि प्रक्रिया के हर कदम का पालन ज़रूरी है।

समीर वानखड़े कौन हैं और विवाद क्यों बढ़ा?

समीर वानखड़े वो ही अधिकारी हैं जिन्होंने आर्यन ख़ान (शाहरुख़ ख़ान के बेटे) के खिलाफ़ 2021 में ड्रग्स केस में कार्रवाई की थी। उस वक़्त ये मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था। कई लोगों ने वानखड़े की तारीफ़ की थी कि उन्होंने बड़े नामों के खिलाफ भी सख़्ती दिखाई, वहीं कुछ लोगों ने उन पर राजनीतिक और व्यक्तिगत बदले के आरोप लगाए थे।

अब जब Netflix और Red Chillies (जो शाहरुख़ ख़ान की कंपनी है) की वेब सीरीज़ में उनकी छवि को लेकर विवाद हुआ है, तो मामला फिर से वानखड़े बनाम खान परिवार जैसा लगने लगा है। वानखड़े का कहना है कि इस सीरीज़ में उनके बारे में जो बातें दिखाई गई हैं, वो तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और जानबूझकर इस तरह पेश की गई हैं जिससे उनकी इमेज खराब हो।

कोर्ट में आगे क्या होगा?
अभी फिलहाल अदालत ने सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। अगर वानखड़े की दलीलें मज़बूत साबित होती हैं, तो कोर्ट Netflix और Red Chillies को आदेश दे सकता है कि वे सीरीज़ का विवादित हिस्सा हटाएँ या उसे रोक दें। साथ ही, अगर मानहानि साबित होती है तो वानखड़े को मुआवज़ा (compensation) भी मिल सकता है।

हालाँकि, Netflix और Red Chillies अपनी तरफ़ से यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि उन्होंने जो कुछ दिखाया, वो जनहित और रचनात्मक स्वतंत्रता (creative liberty) के दायरे में आता है।

समीर वानखेड़े के मुख्य आरोप

समीर वानखेड़े के मुख्य आरोप काफी गंभीर हैं। उनका कहना है कि Netflix पर रिलीज हुई वेब सीरीज़ “The Bads of Bollywood” में उन्हें एक ऐसे पुलिस अफ़सर की तरह दिखाया गया है जो आम कपड़ों (civil dress) में पार्टी पर रेड करता है और एक एक्टर को पकड़ लेता है जबकि उसके पास से कोई ड्रग्स नहीं मिलती। इस सीन से ऐसा लगता है जैसे वानखेड़े ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया हो या किसी को जानबूझकर फँसाया हो।

वानखेड़े का कहना है कि ये सब जानबूझकर किया गया है ताकि उनकी इज़्ज़त को ठेस पहुँचे और उनकी छवि को ख़राब किया जा सके। उन्होंने कहा, “इस सीरीज़ को इस तरह से प्लान किया गया है कि लोगों के मन में मेरे लिए ग़लत धारणा बने।”

सबसे ज़्यादा आपत्तिजनक हिस्सा, उनके अनुसार, वो सीन है जिसमें एक किरदार “Satyamev Jayate” कहने के तुरंत बाद मिडल फिंगर दिखाता है। वानखेड़े का कहना है कि ये सिर्फ़ उनका अपमान नहीं, बल्कि राष्ट्र के सम्मान से जुड़ा मुद्दा है, और ये Prevention of Insults to National Honour Act, 1971 का उल्लंघन है। उन्होंने इस पर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए कहा कि ऐसे सीन न सिर्फ़ असंवेदनशील हैं बल्कि भारत के राष्ट्रीय मूल्यों और प्रतीकों के प्रति असम्मानजनक भी हैं।

वानखेड़े ने अदालत से ₹2 करोड़ (दो करोड़ रुपए) के हर्जाने की मांग की है। हालांकि उन्होंने कहा है कि अगर यह मुआवज़ा उन्हें मिलता है तो वे पूरी रकम Tata Memorial Cancer Hospital को दान कर देंगे — ताकि समाज को इससे कुछ अच्छा मिल सके।

इसके अलावा, उन्होंने अदालत से ये भी आग्रह किया है कि इस सीरीज़ से उनके खिलाफ़ दिखाए गए सारे सीन को तुरंत हटाने का आदेश दिया जाए। यानी वो injunctive relief चाहते हैं — ताकि तब तक इस शो को स्ट्रीम न किया जाए जब तक विवादित कंटेंट हटा न दिया जाए।

उनका कहना है कि ये मामला सिर्फ़ उनकी प्रतिष्ठा का नहीं, बल्कि सच और झूठ के बीच की लड़ाई का है। उन्होंने कहा कि एक अधिकारी के तौर पर उन्होंने हमेशा अपने फर्ज़ को ईमानदारी से निभाया है, लेकिन इस सीरीज़ ने उनकी मेहनत और समर्पण पर सवाल उठा दिए।

उनके वकीलों ने भी कोर्ट में दलील दी कि Red Chillies Entertainment (जो शाहरुख़ ख़ान की कंपनी है) और Netflix जैसी बड़ी कंपनियों को ज़िम्मेदारी से कंटेंट बनाना चाहिए। “सिर्फ़ मनोरंजन के नाम पर किसी की साख के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता,” उन्होंने कहा।

वानखेड़े ने यह भी जोड़ा कि उन्हें इस सीरीज़ के रिलीज़ से पहले किसी तरह का नोटिस या इंटिमेशन नहीं दिया गया था। यानी बिना उनकी जानकारी या अनुमति के उन्हें एक ऐसे किरदार से जोड़ दिया गया जो विवादित है।

उनकी इस अर्जी के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों Netflix, Red Chillies Entertainment और अन्य को नोटिस जारी कर दिया है और 7 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि वानखेड़े का अदालत में आने का अधिकार है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन ज़रूरी है।

अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में ये मामला किस दिशा में जाता है। क्या अदालत वानखेड़े के पक्ष में अंतरिम आदेश देती है, या फिर Netflix और Red Chillies इस वेब सीरीज़ के कंटेंट को “artistic freedom” के नाम पर सही ठहराने की कोशिश करेंगे।

प्रतिवादियों की संभावित दबाव और बचाव तर्क

Netflix और Red Chillies अपनी तरफ़ से काफी मज़बूत दलीलें पेश कर सकते हैं। उनका कहना है कि इस वेब सीरीज़ का कहानी और पात्र पूरी तरह काल्पनिक (fictional) हैं। यानी, किसी भी किरदार का नाम या पहचान सीधे तौर पर समीर वानखड़े से नहीं जोड़ा गया है। इसे “dramatised / fictional presentation” कहा जा सकता है।

उनका तर्क होगा कि वानखड़े का दावा केवल “image resemblance” (कुछ मिलती-जुलती शक्ल या अंदाज़) पर आधारित है। मतलब ये कि कोई स्पष्ट नाम या पहचान का उल्लंघन नहीं हुआ है, इसलिए मानहानि साबित नहीं होती।

Netflix और Red Chillies यह भी कह सकते हैं कि उन्होंने इस कंटेंट को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) के दायरे में प्रस्तुत किया है। बशर्ते इसमें कोई साफ़ तथ्यात्मक झूठ या अपमानजनक सामग्री न हो। उनका कहना है कि कलाकारों और निर्माताओं को अपने काम में रचनात्मक आज़ादी का अधिकार है, और दर्शक खुद पहचान सकते हैं कि ये कहानी सिर्फ़ मनोरंजन और ड्रामा के लिए बनाई गई है।

साथ ही, वे यह भी तर्क देंगे कि अदालत ने पहले ही सवाल उठाया था कि यह मामला दिल्ली में दायर करना (maintainable) सही है या नहीं। इसलिए वे स्थान संबंधी चुनौती दे सकते हैं कि इस केस की सुनवाई शायद उसी राज्य में हो जहाँ घटना या नुकसान हुआ।

इन्हीं दलीलों के आधार पर उनका कहना होगा कि अगर injunctive relief (अंतरिम रोक) दे दिया गया, तो यह अनुपातहीन (disproportionate) होगा। क्योंकि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि सामग्री वास्तव में अपमानजनक या मानहानि करने वाली है, तब तक उसे रोकना सृजनात्मक स्वतंत्रता पर हनन माना जा सकता है।

सार यह है कि Netflix और Red Chillies इस मुकदमे में दो मुख्य आधार रख सकते हैं: कहानी और पात्र काल्पनिक हैं, नाम-उल्लेख नहीं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत सामग्री का अधिकार है। इस तर्क के बाद अदालत यह देखेगी कि क्या वाकई में वानखड़े की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है या यह सिर्फ रचनात्मक प्रस्तुतिकरण है।

दिल्ली HC का नोटिस जारी करना –

इस नोटिस के जारी होने का मतलब साफ़ है कि अदालत ने समीर वानखड़े के दावों को गंभीरता से लिया है। अदालत ने माना कि उनके आरोप सिर्फ़ हल्के-फुल्के नहीं हैं, बल्कि इस मामले में प्रतिवादियों यानी Netflix और Red Chillies को ज़वाब देना जरूरी है।

अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों को सिर्फ़ 7 दिन के भीतर जवाब दाखिल करना होगा, जो ये दिखाता है कि कोर्ट इसे त्वरित सुनवाई (fast-track) मामले के तौर पर देख रही है। इसका मतलब है कि अदालत इस मुद्दे को जल्दी से जल्दी निपटाना चाहती है।

अगली सुनवाई की तारीख 30 अक्टूबर 2025 तय की गई है। तब अदालत पूरे मामले की विस्तृत सुनवाई करेगी और देखेगी कि क्या वाकई वेब सीरीज़ ने वानखड़े की प्रतिष्ठा और इज़्ज़त को नुकसान पहुँचाया या नहीं।

ये मामला सिर्फ़ वानखड़े और श्रृंखला निर्माताओं के बीच संघर्ष नहीं है। इससे OTT प्लेटफ़ॉर्म्स, वेब सीरीज़ और पब्लिक फ़िगर्स के बीच की सीमाओं पर भी एक नया परीक्षण होने वाला है। अदालत को तय करना होगा कि व्यक्तिगत प्रतिष्ठा, अभिव्यक्ति की आज़ादी, और मीडिया कंटेंट की सीमा के बीच संतुलन कैसे बिठाया जाए।

यानी इस केस का नतीजा भविष्य में OTT और वेब सीरीज़ में कंटेंट बनाते समय निर्माताओं और पब्लिक फ़िगर्स के अधिकारों के लिए भी मिसाल बन सकता है।
ये मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स और कलाकारों की दुनिया में कौन-सी हदें पार करना मानहानि होगा और कौन-सी रचनात्मक आज़ादी में आएगा

संबंधित पृष्ठभूमि: Aryan Khan केस और मीडिया

याद रहे कि समीर वानखड़े पहले ही आर्यन ख़ान ड्रग केस में NCB ज़ोनल डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं। उस वक़्त आर्यन ख़ान एक विवादित गिरफ्तारी का हिस्सा बने थे, जो पूरे देश में सुर्ख़ियों में रहा और मीडिया में खूब चर्चा पैदा हुई। हालांकि बाद में अदालत और जांच एजेंसियों ने उन पर लगे सारे आरोप हटा दिए और उन्हें क्लीनचिट दे दी गई।

उस समय समीर वानखड़े की भूमिका को लेकर भी कई तरह की राय सामने आईं कुछ लोगों ने उनकी तारीफ़ की कि उन्होंने बड़े नामों के खिलाफ सख़्ती दिखाई, जबकि कुछ ने उन पर सवाल उठाए। यही पृष्ठभूमि अब “The Bads of Bollywood” सीरीज़ के विवाद में उनके पक्ष को और गंभीर बना रही है, क्योंकि सीरीज़ में कथित तौर पर उनकी छवि को उसी संदर्भ में दिखाया गया है।

अब जब “The Bads of Bollywood”* सीरीज़ आई, तो जनता और फैंस ने इसे ऐसे देखा कि इसमें कुछ हिस्से आर्यन ख़ान की कहानी से प्रेरित या जुड़ी हो सकते हैं। इसी संदर्भ में, इस सीरीज़ में वानखड़े की छवि को एक संदर्भ या कहानी का हिस्सा के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

समीर वानखड़े का कहना है कि इस सीरीज़ के बाद उनकी, उनकी पत्नी और बहन की सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग शुरू हो गई है। लोग उन्हें और उनके परिवार को ग़लत तरीके से निशाना बना रहे हैं। उन्होंने अदालत से पूछा है कि क्या SRK या आर्यन ख़ान इस ट्रोलिंग को सपोर्ट कर रहे हैं, यानी क्या इसके पीछे कोई बड़ी योजना या प्रेरणा है।

वानखड़े का कहना है कि यह मामला सिर्फ़ उनकी इज़्ज़त और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने वाला नहीं है, बल्कि इसके चलते उनके परिवार को भी मानसिक और सामाजिक रूप से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

संभावित परिणाम और आगे की राह

अगर अदालत समीर वानखड़े की दलीलों को मान लेती है, तो वह वेब सीरीज़ के कुछ हिस्सों को हटाने का या हानि की भरपाई (compensation) देने का आदेश दे सकती है। यानी सीरीज़ के निर्माताओं और प्लेटफ़ॉर्म को सख़्त निर्देश मिल सकते हैं कि ऐसे कंटेंट को अब स्ट्रीमिंग के लिए जारी न किया जाए।

लेकिन दूसरी तरफ़, अगर Netflix और Red Chillies साबित कर पाए कि उनका कंटेंट सिर्फ़ fictional portrayal / fair use के दायरे में है, तो उनका बचाव भी संभव है। इसका मतलब यह है कि वे कह सकते हैं “ये कहानी सिर्फ़ मनोरंजन और ड्रामा के लिए बनाई गई है, इसमें किसी की वास्तविक छवि को सीधे तौर पर चोट नहीं पहुँचाई गई।”

ये मुकदमा OTT और वेब कंटेंट में मानहानि (defamation) के लिए एक नई दिशा तय कर सकता है। अदालत यह तय कर सकती है कि निर्माता, प्लेटफ़ॉर्म और सार्वजनिक व्यक्ति के बीच संतुलन कैसे बना रहे।

अगर कोर्ट यह precedent बना दे कि सार्वजनिक व्यक्तियों की प्रतिष्ठा की सुरक्षा को विशेष ध्यान दिया जाए, तो आने वाले कई मामलों के लिए यह एक मिसाल बन जाएगा। वहीं, मीडिया और मनोरंजन उद्योग को भी यह देखना होगा कि वे कलात्मक स्वतंत्रता (creative freedom) और वास्तविक व्यक्तियों की इज़्ज़त के बीच सही संतुलन कैसे बनाएँ।

यह मुकदमा समीर वानखड़े, आर्यन ख़ान और Red Chillies / Netflix के बीच एक नए युग का संकेत हो सकता है, जहाँ वेब सीरीज़ की रचनात्मकता और संभावित विवादों में न्यायालयों की भूमिका और महत्वपूर्ण होती जाएगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिवादियों को नोटिस जारी करना इस केस को सिर्फ कलाकारों और अधिकारियों तक सीमित नहीं रखता। यह मीडिया, अभिव्यक्ति की आज़ादी, मानहानि और न्याय व्यवस्था की जटिलताओं का भी एक बड़ा परीक्षण बन गया है।

आने वाले हफ़्तों और महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस संवेदनशील विवाद को कैसे सुलझाती है और इससे भारतीय OTT कंटेंट निर्माण की दिशा पर किस तरह असर पड़ता है। साथ ही हम जानेंगे कि समीर वानखेड़े द्वारा लगाए गए आरोप कितने सही साबित हुए और कितने गलत। आगे इससे जुड़ी तमाम खबरों के लिए Info Source News से जुड़े रहें। हम आपको इससे जुड़ी सारी लेटेस्ट खबरें बताते रहेंगे।

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