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Rekha और Amitabh Bachchan: अनकही दास्तान
बॉलीवुड की दुनिया में कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो वक़्त के साथ धुंधली नहीं पड़तीं, बल्कि हर कुछ साल में और ज़्यादा चमककर सामने आ जाती हैं। Rekha और Amitabh Bachchan की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। इस हफ्ते एक बार फिर ये क़िस्सा मीडिया की सुर्ख़ियों में है और लोग फिर से उसी पुराने सवाल पर ठहर गए हैं आख़िर इन दोनों के बीच था क्या?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेखा की एक क़रीबी दोस्त ने ऐसा खुलासा किया है, जिसने इस कहानी को फिर से ज़िंदा कर दिया। कहा गया है कि रेखा दिल से, बल्कि यूँ कहें कि रूह की गहराइयों से मानती थीं कि वो अमिताभ बच्चन की हैं और अमिताभ उनके।
ये रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, किसी एलान के साथ नहीं, बल्कि एहसास, जज़्बात और एक ख़ामोश समझदारी के साथ जुड़ा हुआ था। रेखा के लिए ये मोहब्बत सिर्फ़ दुनिया की नज़रों तक सीमित नहीं थी, बल्कि एक रूहानी रिश्ता था, जिसे उन्होंने उम्र भर महसूस किया।
हालाँकि, ये रिश्ता कभी खुलकर दुनिया के सामने कबूल नहीं हुआ। न कोई प्रेस कॉन्फ़्रेंस, न कोई आधिकारिक बयान। फिर भी रेखा के अंदाज़, उनकी बातों और उनके सन्नाटे ने बरसों तक अफ़वाहों को ज़िंदा रखा। लोगों ने इशारों में बहुत कुछ समझा और बहुत कुछ कहा भी। ये कहानी धीरे-धीरे बॉलीवुड की सबसे मशहूर अनकही दास्तान बन गई।
Times of India की रिपोर्ट में एक और अहम बात सामने आई है। कहा जा रहा है कि जब अमिताभ बच्चन ने फ़िल्मों के साथ-साथ राजनीति में क़दम रखा, उसी दौर में ये रिश्ता टूट गया। राजनीति की सख़्त दुनिया, नई ज़िम्मेदारियाँ और बदला हुआ जीवन इन सबके बीच वो रूहानी कनेक्शन कहीं पीछे छूट गया। यही वजह बताई जा रही है कि दोनों के रास्ते अलग हो गए।
आज भी जब Rekha और Amitabh Bachchan का नाम एक साथ लिया जाता है, तो एक अजीब सी ख़ामोशी छा जाती है। ना पूरी कहानी सामने आती है, ना पूरी तरह ख़त्म होती है। शायद इसी अधूरी मोहब्बत, इसी अनकहे रिश्ते ने इसे इतना ख़ास बना दिया है। ये सिर्फ़ दो सितारों की कहानी नहीं, बल्कि जज़्बात, तन्हाई और अधूरी चाहत की वो दास्तान है, जो सालों बाद भी दिलों को छू जाती है।
बॉलीवुड की एक अफ़वाह या वास्तविक भावना?
1970 और 80 के दशक में Rekha और Amitabh Bachchan की जोड़ी बॉलीवुड की सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली जोड़ियों में गिनी जाती थी। उस दौर में जब ये दोनों पर्दे पर साथ आते थे, तो दर्शकों की नज़रें अपने-आप स्क्रीन पर टिक जाती थीं। ऐसा लगता था जैसे दोनों के बीच कोई ख़ास जादू है, जो हर फ़िल्म में साफ़ दिखाई देता था।
दोनों ने साथ मिलकर कई यादगार और हिट फ़िल्में कीं। दो अंजाने (1976) हो या मुक़द्दर का सिकंदर (1978), सुहाग (1979), मिस्टर नटवरलाल (1979) और राम बलराम (1980) हर फ़िल्म में उनकी केमिस्ट्री कुछ अलग ही कहानी बयां करती थी। स्क्रीन पर उनकी नज़दीकियाँ, संवाद बोलने का अंदाज़ और एक-दूसरे को देखने का तरीका लोगों को ये सोचने पर मजबूर कर देता था कि कहीं ये सब सिर्फ़ एक्टिंग तो नहीं।

यही वजह थी कि दर्शकों के साथ-साथ मीडिया भी इन दोनों को असल ज़िंदगी के रिश्तों से जोड़कर देखने लगा। तरह-तरह की बातें होने लगीं, कयास लगाए जाने लगे और हर छोटी-सी मुलाक़ात भी सुर्ख़ियों में बदल जाती थी। हालाँकि, Rekha और Amitabh Bachchan दोनों ने कभी खुलकर अपनी निजी ज़िंदगी को लेकर कुछ नहीं कहा। न रिश्ते को कबूल किया और न ही इन अफ़वाहों पर कोई साफ़ बयान दिया। फिर भी उनकी बातचीत, उनका बर्ताव और उनकी ख़ामोशी बहुत कुछ कह जाती थी।
इन चर्चाओं को और हवा तब मिली, जब फ़िल्म सिलसिला रिलीज़ हुई। इस फ़िल्म में Amitabh Bachchan, रेखा और जया बच्चन तीनों ने साथ काम किया। उस वक़्त लोगों का मानना था कि फ़िल्म की कहानी कहीं न कहीं असल ज़िंदगी के जज़्बातों और रिश्तों की झलक दिखाती है। पर्दे पर जो कुछ दिखा, उसे लोग सच्चाई के क़रीब मानने लगे।
यही सब वजहें हैं कि रेखा और Amitabh Bachchan की कहानी आज भी अधूरी सी लगती है। न पूरी तरह कही गई, न पूरी तरह भुलाई गई। एक ऐसी दास्तान, जो सालों बाद भी लोगों की दिलचस्पी का मरकज़ बनी हुई है।
राजनीति में प्रवेश ने रिश्ते को क्यों बदला?
इस पूरे नए खुलासे में सबसे ज़्यादा दिलचस्प और ध्यान खींचने वाली बात यही सामने आई है कि अमिताभ बच्चन के राजनीति में आने के बाद ही ये रिश्ता टूट गया। कहा जा रहा है कि जैसे ही उन्होंने सियासत की दुनिया में क़दम रखा, उनकी ज़िंदगी का पूरा ढांचा ही बदल गया।
राजनीति में आने के बाद अमिताभ पर ज़िम्मेदारियों का बोझ बढ़ गया। अब सिर्फ़ फ़िल्में और शूटिंग नहीं थीं, बल्कि जनता की उम्मीदें, पार्टी की ज़िम्मेदारियाँ, भाषण, दौरे और हर वक़्त मीडिया की नज़र भी साथ चलने लगी। उनका सार्वजनिक चेहरा पहले से कहीं ज़्यादा सख़्त और मर्यादित हो गया। इसका असर सिर्फ़ उनके प्रोफेशनल करियर पर नहीं पड़ा, बल्कि उनकी निजी ज़िंदगी भी पूरी तरह बदल गई।
राजनीति की दुनिया अपने साथ कई तरह के दबाव लाती है सामाजिक बंदिशें, इमेज की चिंता, हर क़दम पर निगरानी और रिश्तों को लेकर सावधानी। ऐसे माहौल में वो रिश्ते सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं, जो पहले से ही सुर्ख़ियों में हों और जिन पर लोगों की नज़र टिकी रहती हो। हर बात को तौला जाने लगता है, हर मुलाक़ात पर सवाल उठने लगते हैं।
रेखा की क़रीबी दोस्त के मुताबिक, जैसे ही अमिताभ राजनीति में शामिल हुए, हालात पहले जैसे नहीं रहे। हालात बदले, फ़ासले बढ़े और जो भी उनके बीच था, वो उसी मोड़ पर आकर टूट गया। शायद वक़्त, ज़िम्मेदारियाँ और हालात उनके एहसासों से ज़्यादा ताक़तवर साबित हुए। यही वजह मानी जा रही है कि एक गहरा, ख़ामोश और रूहानी रिश्ता सियासत की सख़्त सच्चाइयों के आगे टिक नहीं पाया।
Bina Ramani का बयान: प्यार और राज़
समकालीन राजनीति और फ़िल्मी दुनिया के इस पूरे ज़िक्र ने एक बार फिर पुरानी बातों को ताज़ा कर दिया है। सोशलाइट और लेखिका Bina Ramani पहले भी इस बारे में खुलकर बात कर चुकी हैं। उनका कहना रहा है कि रेखा ने अमिताभ बच्चन से सच्चा प्यार किया था, लेकिन इसे दुनिया के सामने इसलिए कबूल नहीं किया जा सका, क्योंकि अमिताभ उस वक़्त शादीशुदा थे और उनकी ज़िंदगी एक अलग ही राह पर बढ़ रही थी।
Bina Ramani के मुताबिक, जब रेखा ने अपने दिल की बात अमिताभ से कही, तब उनकी ज़िंदगी में फ़िल्मों के साथ-साथ राजनीति और कामकाजी ज़िम्मेदारियाँ साफ़ तौर पर हावी हो चुकी थीं। उनका सार्वजनिक जीवन बहुत ज़्यादा नज़र में रहने लगा था और हर क़दम सोच-समझकर उठाना ज़रूरी हो गया था। ऐसे में वो अपने प्यार को खुले आम स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे। हालात, वक़्त और ज़िम्मेदारियाँ उनके जज़्बातों पर भारी पड़ गईं।
अब हाल ही में रेखा की एक क़रीबी दोस्त के हवाले से जो बात सामने आई है, उसने इस कहानी को एक बिल्कुल नया रुख़ दे दिया है। बताया गया है कि रेखा सालों से ये मानती रही हैं कि उनका और अमिताभ का रिश्ता सिर्फ़ दुनिया तक सीमित नहीं था, बल्कि रूह के स्तर पर जुड़ा हुआ था। रेखा का मानना था कि वो अमिताभ की आत्मा से जुड़ी हैं और अमिताभ उनकी आत्मा से।
ये बयान इस रिश्ते को एक आध्यात्मिक और भावनात्मक रंग में पेश करता है। ये सिर्फ़ दो मशहूर कलाकारों की प्रेम कहानी नहीं लगती, बल्कि एक ऐसा रिश्ता नज़र आता है जो ख़ामोशी, एहसास और तजुर्बों से बुना हुआ था। फ़िल्मी पर्दे से बाहर की ज़िंदगी, समाज की बंदिशें और निजी मजबूरियाँ इन सबके बीच ये कहानी आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर करती है और शायद इसी वजह से रेखा और अमिताभ का ये क़िस्सा कभी पूरी तरह ख़त्म नहीं होता।
मीडिया, अफ़वाहें और समय का प्रभाव
बॉलीवुड के इस रहस्य पर मीडिया ने बरसों तक दिल खोलकर लिखा है। कभी इसे एक अधूरी मोहब्बत की कहानी बताया गया, तो कभी एक छुपे हुए अफ़ेयर की तरह पेश किया गया। वक़्त-वक़्त पर अलग-अलग क़िस्से सामने आते रहे और हर बार ये कहानी नए रंग में लोगों के सामने आ खड़ी हुई। अब रेखा के उस बयान ने, जिसमें वो आत्मा के स्तर पर जुड़ाव की बात करती हैं, इस पूरे क़िस्से को एक नए नज़रिये से फिर से सामने ला दिया है।
लेकिन इन तमाम चर्चाओं और अफ़वाहों के बीच एक बात हमेशा साफ़ रही है Rekha और Amitabh Bachchan, दोनों ने ही कभी खुलकर, सार्वजनिक तौर पर अपने रिश्ते को कबूल नहीं किया। जो भी बातें सामने आती रहीं, वो ज़्यादातर किसी तीसरे शख़्स की ज़ुबानी थीं कभी किसी दोस्त की बात, कभी किसी टिप्पणीकार की राय, तो कभी किसी किताब या बायोग्राफ़ी का ज़िक्र। सीधे तौर पर दोनों की तरफ़ से कोई साफ़ बयान कभी नहीं आया।
Rekha और Amitabh Bachchan की कहानी सिर्फ़ एक रिश्ते के टूटने की कहानी नहीं लगती। इसमें प्यार भी है, शोहरत भी है, समाज की बंदिशें भी हैं, राजनीति का दबाव भी है और वो रूहानी एहसास भी, जिसकी बात रेखा करती हैं। जब रेखा कहती हैं कि “मैं उसकी आत्मा से जुड़ी हूं और वो मेरी”, तो ये शायद उनके दिल के अंदर चल रही जद्दोजहद, उनकी तन्हाई और उनके जज़्बातों का बहुत निजी इज़हार है।
दूसरी तरफ़, अमिताभ बच्चन का राजनीति में क़दम रखना और उसके बाद मीडिया को लेकर बढ़ी हुई सावधानी, उनकी ज़िंदगी की दिशा बदलने वाला मोड़ साबित हुआ। इस बदलाव ने उनके प्रोफेशनल जीवन को तो नई राह दी, लेकिन साथ ही उनके और रेखा के बीच जो भी संभावनाएँ थीं, उन पर भी एक आख़िरी विराम लगा दिया।
आख़िर में यही कहा जा सकता है कि इस कहानी की बहुत-सी परतें आज भी परदे में हैं। सच्चाई के कई पहलू शायद कभी सामने आएँ, या शायद हमेशा निजी ही रहें। आत्मा-स्तर के रिश्ते हों या उस दौर के फ़ैसले रेखा और अमिताभ की ज़िंदगी का ये अध्याय कई मतलबों और गहरी भावनाओं से भरा हुआ है, और शायद इसी वजह से ये क़िस्सा आज भी लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ में ज़िंदा है।
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