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Rise and Fall शो Season 1 Winner Arjun Bijlani ने साबित किया कि grit ग्लैमर से बेहतर है, जाने अर्जुन का सफर और जीत की दास्तान

Rise and Fall शो Season 1 Winner Arjun Bijlani ने साबित किया कि grit ग्लैमर से बेहतर है, जाने अर्जुन का सफर और जीत की दास्तान

Rise and Fall OTT शो Season 1

“Rise and Fall” एक ऐसा OTT रियलिटी गेम शो है जिसने लोगों का ध्यान खींच लिया है और इसकी सबसे बड़ी वजह है इसके होस्ट अशनीर ग्रोवर। हाँ वही, जो अपनी बेबाकी और साफ़गोई के लिए जाने जाते हैं। इस शो का कॉन्सेप्ट थोड़ा हटकर है यहाँ सिर्फ टैलेंट या लक काम नहीं आता, बल्कि दिमाग़, स्ट्रैटेजी और सर्वाइवल स्किल्स भी उतने ही ज़रूरी हैं।

इस सीज़न में प्रतियोगियों (contestants) को दो हिस्सों में बाँटा गया “रूलर्स (Rulers)” और “वर्कर्स (Workers)”। अब नाम से ही अंदाज़ा लगा लो रूलर्स वो हैं जो ऊपर की मंज़िल यानी पेंटहाउस में रहते हैं, जहाँ सब कुछ आरामदायक है, AC, स्वादिष्ट खाना, लग्ज़री लाइफ़। वहीं दूसरी तरफ़ वर्कर्स हैं जो नीचे बेसमेंट जैसे हालातों में रहते हैं बिना आराम, बिना सुख-सुविधाओं के, बस मेहनत और संघर्ष।

लेकिन मज़ेदार बात ये है कि ये कोई स्थायी स्थिति नहीं है। यहाँ वर्कर्स को ऊपर उठने का मौका भी मिलता है अगर वो अपने टास्क, मेहनत और चालाकी से गेम खेलें। और रूलर्स को भी टिके रहने के लिए दिन-रात रणनीतियाँ बनानी पड़ती हैं, वरना पलभर में नीचे गिरा दिए जाते हैं। मतलब, जो आज बादशाह है, वो कल मज़दूर भी बन सकता है और जो नीचे है, वो कल राजा भी बन सकता है।

हर एपिसोड में कुछ नया ट्विस्ट आता है कभी वोटिंग होती है, कभी एलिमिनेशन, कभी कोई कठिन टास्क जो सबकी हिम्मत की परीक्षा लेता है। वहीं कुछ कंटेस्टेंट्स चालाकी से गेम खेलते हैं, तो कुछ अपनी ईमानदारी और मेहनत से दिल जीत लेते हैं।

अशनीर ग्रोवर की होस्टिंग शो में जान डाल देती है उनका अंदाज़ थोड़ा सख़्त, थोड़ा मज़ाकिया और पूरा दिलचस्प है। वो जहाँ ज़रूरत हो वहाँ डांट भी देते हैं, और जहाँ कोई सही खेलता है, वहाँ तारीफ़ करने में भी पीछे नहीं रहते।

कुल मिलाकर “Rise and fall” सिर्फ़ एक गेम शो नहीं, बल्कि एक ज़िंदगी का आईना है जहाँ हर किसी को अपनी जगह के लिए लड़ना पड़ता है। यहाँ किस्मत पलभर में बदलती है, दोस्त दुश्मन बनते हैं और दुश्मन दोस्त। यह शो दिखाता है कि ऊँचाई पर पहुँचना मुश्किल नहीं, वहाँ टिके रहना मुश्किल है।

अगर आप ड्रामा, स्ट्रैटेजी, इमोशन और पावर गेम्स देखना पसंद करते हैं, तो ये शो आपके लिए एकदम सही है। इसमें थोड़ा रियलिटी है, थोड़ा रियल लाइफ़ का तज़ुर्बा, और ढेर सारा एंटरटेनमेंट।

Arjun Bijlani विजय घोषणा

“Rise and Fall” सीज़न-1 का विजेता बनकर उभरे हैं मशहूर एक्टर Arjun Bijlani। जी हाँ, आपने बिलकुल सही सुना वही Arjun Bijlani जिन्होंने अपनी समझदारी, धैर्य और दिमाग़ से बाक़ी सबको पीछे छोड़ दिया।

ग्रैंड फिनाले में Arjun Bijlani का मुकाबला दो मज़बूत दावेदारों से था आरुष भोला और अब्बाज़ पटेल। तीनों ने आख़िरी तक दिल से गेम खेला, लेकिन अंतिम जीत का ताज Arjun Bijlani के सिर सजा।

फिनाले का माहौल किसी जश्न से कम नहीं था रोशनी, तालियाँ, इमोशन्स और सरप्राइज़ से भरा हुआ। जब अशनीर ग्रोवर ने विजेता का नाम पुकारा, तो अर्जुन की आँखों में खुशी और यक़ीन दोनों झलक रहे थे। उन्होंने कहा कि ये जीत सिर्फ़ उनकी नहीं, बल्कि उन सबकी है जिन्होंने उन पर भरोसा किया।

Arjun Bijlani को इस जीत के साथ मिला ₹28,10,000 (यानी लगभग अट्ठाईस लाख दस हज़ार रुपये) का नकद इनाम और साथ ही एक खूबसूरत ट्रॉफ़ी, जो उनकी मेहनत और संघर्ष का प्रतीक बन गई। इसके अलावा शो की तरफ़ से उन्हें कई गिफ़्ट हैंपर्स और सौग़ातें भी दी गईं जो उनकी इस शानदार यात्रा की याद को और ख़ास बना देंगी।

लोगों को Arjun Bijlani की ये जीत दिल से पसंद आई, क्योंकि पूरे शो के दौरान उन्होंने न तो अपना संयम खोया, न ही अपनी इंसानियत। उन्होंने हर टास्क में मेहनत की, हर कंटेस्टेंट के साथ इज़्ज़त से पेश आए और यही बात दर्शकों के दिलों में उतर गई।

कह सकते हैं कि “Rise and fall” का ये पहला सीज़न Arjun Bijlani के नाम रहा। उन्होंने साबित कर दिया कि असली जीत सिर्फ़ ताक़त या चालाकी से नहीं मिलती बल्कि दिमाग़, इरादे और दिल की सफ़ाई से मिलती है।

अब देखना ये होगा कि अगले सीज़न में कौन उठेगा और कौन गिरेगा लेकिन इतना तय है कि अर्जुन बिजलानी ने अपने नाम का झंडा ऊँचा कर दिया है।

Arjun Bijlani का संघर्ष और उनकी रणनीति

Arjun Bijlani की “राइज़ एंड फॉल (Rise and Fall)” की सफ़र एकदम आसान नहीं थी इसमें उतार-चढ़ाव, मुश्किलें और कई बार ऐसे मोड़ आए जहाँ हिम्मत टूट सकती थी। मगर अर्जुन ने हर बार अपने जज़्बे से हालात पलट दिए।

बेसमेंट से शुरुआत: अर्जुन ने अपनी शुरुआत वर्कर के तौर पर की थी। नीचे वाले फ्लोर पर रहना आसान नहीं होता वहाँ न आराम, न सुविधा, बस मेहनत और संघर्ष। लेकिन अर्जुन ने कभी शिकायत नहीं की। उन्होंने हर टास्क को पूरे दिल से किया और साबित किया कि असली ताक़त जगह से नहीं, इंसान के इरादे से आती है।

रूलर बनने की कोशिशें: जैसे-जैसे शो आगे बढ़ा, अर्जुन ने ऊपर उठने की ठान ली। उन्होंने रणनीतियाँ बनाईं, रिश्ते संभाले, और हर मौके को समझदारी से इस्तेमाल किया। जब उन्हें पेंटहाउस में जाने का मौका मिला, तो उन्होंने रूलर की भूमिका भी शालीनता और सूझ-बूझ से निभाई।

संबंध और टकराव: गेम के दौरान अर्जुन ने कुछ लोगों से गठबंधन बनाए, तो कुछ से मतभेद भी हुए। लेकिन उनकी सबसे बड़ी खूबी ये रही कि उन्होंने कभी नीचा नहीं दिखाया। वो स्मार्टली खेले, मगर इंसानियत और इज़्ज़त बनाए रखी यही वजह थी कि दर्शकों का भरोसा उन पर बढ़ता गया।

मानसिक मज़बूती: शो के कई एपिसोड ऐसे थे जब हालात बहुत भारी थे ताने, आलोचनाएँ, और दबाव, सब कुछ था। मगर अर्जुन का धैर्य और हिम्मत कभी नहीं डगमगाई। उन्होंने बार-बार खुद को साबित किया और कहा कि “मैं यहाँ तक आया हूँ, तो जीतकर ही जाऊँगा।”

फिनाले की जंग: फिनाले में अर्जुन टॉप 6 कंटेस्टेंट्स में शामिल थे। वहाँ कुछ बेहद कठिन टास्क, वोटिंग और तीखी चर्चाएँ हुईं, जिनसे शो का ड्रामा अपने चरम पर था। हर कोई अपनी पूरी ताक़त लगा रहा था लेकिन आख़िर में विजेता की कुर्सी अर्जुन बिजलानी के नाम हो गई।

जब अशनीर ग्रोवर ने उनका नाम लिया, तो वो पल सच में दिल छू लेने वाला था। अर्जुन की आँखों में आँसू थे थकान और खुशी दोनों के। मंच पर तालियों की गड़गड़ाहट थी, और परिवार के चेहरे पर गर्व की मुस्कान। वो दृश्य इतना भावनात्मक (emotional) था कि देखने वाले भी कुछ पल के लिए सन्न रह गए।

अर्जुन बिजलानी की यह यात्रा हमें सिखाती है कि नीचे से ऊपर जाने का सफ़र आसान नहीं होता, लेकिन अगर इरादे मज़बूत हों, तो कोई बेसमेंट आपको रोक नहीं सकता।

आलोचनाएँ, बहस और दर्शकों की प्रतिक्रिया

जैसा हर बड़ी जीत के साथ होता है, वैसे ही “राइज़ एंड फॉल” की इस सफलता के पीछे भी विवाद और चर्चाएँ कम नहीं रहीं। शो ख़त्म होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने कई सवाल उठाए।

कुछ दर्शकों का कहना था कि विजेता के चयन की प्रक्रिया पूरी तरह साफ़ और पारदर्शी नहीं थी। कई लोगों ने इस बात पर शक जताया कि वोटिंग सिस्टम और निर्णायक वोटिंग (judges’ voting) सही तरीके से हुई या नहीं। कुछ ने ये भी कहा कि जिन कंटेस्टेंट्स को जनता ज़्यादा पसंद कर रही थी, वो पहले ही बाहर कर दिए गए जिससे लोगों को थोड़ा निराशा भी हुई।

इंटरनेट पर कई जगह डिबेट्स और मीम्स तक चल पड़े। किसी ने कहा कि शो पहले से तय (pre-decided) था, तो किसी ने अर्जुन की जीत को उनकी लोकप्रियता और मेहनत का इनाम बताया।

इसके अलावा एक और चर्चा खूब चली कि क्या शो में ड्रामा और कंट्रोवर्सी ज़रूरत से ज़्यादा थी? कुछ दर्शकों को लगा कि टास्क के डिज़ाइन ज़्यादा टीआरपी बढ़ाने वाले थे, न कि असली टैलेंट को दिखाने वाले। वहीं कुछ को शो का एंटरटेनमेंट लेवल और ट्विस्ट्स इतने पसंद आए कि उन्होंने इसे “साल का सबसे रोमांचक रियलिटी शो” कह दिया।

मतलब, शो ने पसंद करने वालों और आलोचना करने वालों, दोनों का ध्यान खींचा। लेकिन एक बात साफ़ है “Rise and fall” ने अपनी जगह बना ली है, और लोगों को सोचने पर मजबूर किया कि असली जीत क्या होती है दर्शकों का दिल जीतना या ट्रॉफी पाना?

Rise and fall शो की सफलता और खामियाँ

“राइज़ एंड फॉल (Rise and Fall)” का पहला सीज़न हर मायने में अलग और दिलचस्प रहा। इस शो ने रियलिटी टीवी की दुनिया में एक नया फॉर्मेट पेश किया जहाँ ऊपर था पेंटहाउस और नीचे बेसमेंट, ऊपर वाले थे रूलर्स (Rulers) और नीचे वाले वर्कर्स (Workers)। ये आइडिया बिल्कुल नया और ताज़ा था, और दर्शकों को ये कांसेप्ट काफ़ी पसंद आया। हर एपिसोड में ये देखने का मज़ा था कि कौन ऊपर जाएगा और कौन नीचे आएगा एकदम ज़िंदगी जैसा खेल।

प्रतियोगियों की विविधता भी शो की बड़ी ताक़त रही। इसमें सिर्फ़ टीवी एक्टर्स ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, मॉडल्स और पब्लिक फिगर्स तक शामिल थे। इस वजह से शो में हर तरह की पर्सनैलिटी देखने को मिली कोई बहुत स्ट्रेटेजिक था, कोई इमोशनल, तो कोई सीधा मगर दिल से खेलने वाला। इस मिक्स ने शो को और रंगीन बना दिया।

मनोरंजन और टकराव दोनों की भरमार रही। कहीं रणनीतियों का खेल चला, कहीं दोस्ती और धोखे का तड़का लगा। कई बार झगड़े हुए, कई बार इमोशनल पल आए और यही उतार-चढ़ाव इस शो को ड्रामा और इंटेंसिटी से भर देते हैं। दर्शक हर हफ़्ते किसी न किसी नई कहानी में उलझे रहे।

लेकिन जैसा हर चीज़ में होता है, यहाँ भी कुछ कमियाँ और सुधार की गुंजाइश रही। कुछ दर्शकों को लगा कि फिनाले की तैयारी और उसका प्रस्तुतीकरण (execution) उतना ग्रैंड नहीं था, जितनी उम्मीद थी। वोटिंग प्रक्रिया पर भी सवाल उठे कई लोगों ने कहा कि आख़िरी परिणाम में पारदर्शिता (transparency) की कमी दिखी।

इसके अलावा, कुछ टास्क और ड्रामेटिक सीन ऐसे भी थे जिन्हें लोगों ने “थोड़ा ज़्यादा दिखावटी” कहा मतलब, TRP के लिए थोड़ा ओवर कर दिया गया। मगर बावजूद इसके, शो ने लोगों को बांधे रखा और चर्चा का विषय बना रहा।

इस पूरे सीज़न की कहानी यही बताती है कि ज़िंदगी और गेम दोनों में उतार-चढ़ाव, संघर्ष और समझदारी साथ-साथ चलते हैं। और अर्जुन बिजलानी ने इस मंच पर ये साबित किया कि असली जीत सिर्फ़ शोहरत से नहीं मिलती बल्कि मेहनत, रिश्तों की समझ और दबाव में खुद को संभालने की काबिलियत से हासिल होती है।

अर्जुन की जीत सिर्फ़ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि उस हर पल की निशानी है जब उन्होंने गिरकर भी खुद को उठाया, हार के बाद भी मुस्कुराए, और हर चैलेंज को खुले दिल से अपनाया। ऐसे रियलिटी शो में जहाँ भावनाएँ, उम्मीदें, चालें और रहस्य सब कुछ मिल जाता है, वहाँ अर्जुन बिजलानी ने ये साबित कर दिया कि वो सिर्फ़ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि सबसे योग्य विजेता हैं।

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