Table of Contents
The Bads of Bollywood आज रिलीज हुई
“The Bads of Bollywood” (या “द बैड्स ऑफ बॉलीवुड”) एक नई वेब-सीरीज़ है जो बॉलीवुड के भीतर छुपी हक़ीक़तों और उसकी चमक-दमक के पीछे छुपे संघर्षों को सामने लाती है। इस सीरीज़ को शाहरुख़ ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान ने डायरेक्ट किया है, और ये उनका पहला डायरेक्शनल प्रोजेक्ट है। सीरीज़ 18 सितम्बर 2025 को Netflix पर रिलीज़ हुई है।

सीरीज़ की कहानी असल में उन नौजवान लड़के-लड़कियों के इर्द-गिर्द घूमती है जो बाहर से, यानि “आउटसाइडर्स” के तौर पर बॉलीवुड इंडस्ट्री में क़दम रखते हैं। देखने वालों को यह साफ़ महसूस होता है कि बाहर से आने वाले आर्टिस्ट्स को इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए किस क़दर मेहनत, संघर्ष और सब्र करना पड़ता है।
यहाँ सिर्फ़ ग्लैमर और शोहरत की बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे की सियासत, रिश्तों की राजनीति, ग्रुपिज़्म और मानसिक दबाव को भी बड़े ख़ुलूस के साथ दिखाया गया है। आम बोलचाल में कहें तो ये सीरीज़ बता रही है कि बॉलीवुड सिर्फ़ रोशनी और गानों की दुनिया नहीं है, बल्कि एक ऐसी जगह है जहाँ हर क़दम पर चुनौतियाँ हैं।
Aryan Khan ने अपने डायरेक्शन के ज़रिये कोशिश की है कि “नेपोटिज़्म” जैसे मुद्दों को साफ़ तौर पर उठाया जाए। सीरीज़ में ये दिखाया गया है कि इंडस्ट्री में जिनके माँ-बाप बड़े स्टार हैं, उन्हें आसानी से मौके मिल जाते हैं। वहीं जिनका कोई गॉडफ़ादर नहीं है, उन्हें सालों मेहनत करके भी बस छोटे-मोटे रोल या साइड करैक्टर्स तक सीमित रहना पड़ता है।
इस वेब-सीरीज़ में कई ऐसे किरदार दिखाए गए हैं जो दर्शकों को असल ज़िंदगी से जुड़े लगते हैं। एक स्ट्रगलिंग एक्टर है जो सालों से ऑडिशन दे रहा है, लेकिन कामयाबी अब तक हाथ नहीं लगी। एक और कहानी एक ऐसी लड़की की है जो छोटे शहर से आई है और यहाँ अपने सपनों को पूरा करना चाहती है, मगर उसे कास्टिंग काउच और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
The Bads of Bollywood में यह भी दिखाया गया है कि कैसे शोहरत की तलाश में कई लोग अपनी असली पहचान खो बैठते हैं। रिश्ते, दोस्तियाँ और मोहब्बत सब इंडस्ट्री की सियासत और स्वार्थ के आगे बिखर जाते हैं। कई बार लोग अपनी जड़ों से कटकर एक नकली दुनिया में जीने लगते हैं।
भाषा और अंदाज़ की बात करें तो सीरीज़ में नाटकियता कम और हक़ीक़त ज़्यादा है। कुछ सीन बहुत ही रियल लगते हैं जैसे कि आप अपने आसपास देख रहे हों।
Aryan Khan का पहला डायरेक्शनल प्रोजेक्ट होने की वजह से इसमें एक्साइटमेंट भी थी और थोड़ी शंका भी कि वो इसे कितना अच्छे से पेश कर पाएँगे। लेकिन उनका विज़न साफ़ झलकता है — वो बॉलीवुड की उस साइड को दिखाना चाहते थे जिस पर अब तक कम ही बातें हुई हैं।
The Bads of Bollywood कलाकार और किरदार
The Bads of Bollywood की कास्टिंग काफ़ी दिलचस्प है और यही वजह है कि सीरीज़ को देखते हुए हर किरदार अपनी अलग छाप छोड़ता है।
सबसे पहले बात करते हैं लक्ष्य लालवानी की, जो इस सीरीज़ में मुख्य किरदार आसमान सिंह की भूमिका निभा रहे हैं। आसमान एक होनहार, जज़्बाती और सपनों से भरा हुआ नौजवान है जो बॉलीवुड की बड़ी और चमकदार दुनिया में अपना नाम बनाने आया है। उसकी आँखों में शोहरत के सपने हैं लेकिन राह में आने वाली मुश्किलें भी वही हैं जो हर स्ट्रगलर झेलता है।
उनके साथ हैं सहर बम्बा, जो आसमान की प्रेमिका का किरदार निभा रही हैं। उनका रोल न सिर्फ़ रोमांटिक टच देता है बल्कि ये भी दिखाता है कि जब कोई लड़का सपनों के पीछे भागता है, तो मोहब्बत और रिश्तों को सँभालना कितना मुश्किल हो जाता है।
बॉबी देओल इस सीरीज़ में नज़र आते हैं एक सुपरस्टार के रूप में, जिनका नाम है अजय तलवार। बॉबी देओल का यह अंदाज़ देखने में काफी दमदार लगता है। उनका किरदार दर्शाता है कि स्टारडम पाने के बाद एक इंसान के अंदर कितनी ताक़त भी होती है और कितनी अकेलापन भी।
इसके अलावा राघव जुयाल भी अहम रोल में हैं। वो आसमान के दोस्त बने हैं, और उनके हल्के-फुल्के मस्तीभरे सीन सीरीज़ को एक मज़ेदार ताज़गी देते हैं। गहरी और इमोशनल कहानी में उनका ह्यूमर दर्शकों को रिलेट करने का मौका देता है।
दूसरे अहम किरदारों में मनीष चौधरी, मनोज पाहवा, मोना सिंह, गौतमी कपूर और राजत बेदी शामिल हैं। ये सब अपनी-अपनी जगह कहानी को गहराई और असलीपन देते हैं। इनके बिना कहानी अधूरी लगती।
सबसे मज़ेदार बात है कि सीरीज़ में कई बड़े-बड़े नामों के कैमियो भी रखे गए हैं। सलमान ख़ान, रणवीर सिंह, करण जौहर जैसे नाम सीरीज़ में अचानक नज़र आकर सरप्राइज़ देते हैं। और सबसे बड़ा सरप्राइज़ तो आख़िरी एपिसोड में है — जब ख़ुद शाहरुख़ ख़ान स्क्रीन पर एंट्री करते हैं। ये पल फ़ैंस के लिए किसी तोहफ़े से कम नहीं है।
The Bads of Bollywood निर्देशन और कहानी
Aryan Khan ने अपने डायरेक्शन करियर की शुरुआत करते हुए “The Bads of Bollywood” में काफ़ी बड़ा और साहसी क़दम उठाया है। पहली ही सीरीज़ में उन्होंने ऐसा विषय चुना है, जो इंडस्ट्री के अंदरूनी हालात, उसकी राजनीति और चमक-दमक दोनों को सामने लाता है।
इसकी कहानी एक तरह से satire (व्यंग्य) है, जिसमें बॉलीवुड की नेपोटिज़्म की बहस, ताक़त और पावर की राजनीति, इमेज बनाने-बिगाड़ने का खेल और रिश्तों की पेचीदगियाँ साफ़-साफ़ दिखाई देती हैं। आर्यन ने कोशिश की है कि दर्शक सिर्फ़ पर्दे की चमक देखें ही नहीं, बल्कि उस पर्दे के पीछे छिपी हक़ीक़त भी समझें।
सीरीज़ का लहज़ा काफ़ी दिलचस्प है। कहीं-कहीं हल्का-फुल्का ह्यूमर और व्यंग्य है, तो कहीं गहरी इमोशनल बातें और संघर्ष दिखाई देते हैं। ख़ासकर जो लोग बाहर से (outsiders) इंडस्ट्री में आते हैं, उनके सामने आने वाली मुश्किलों को काफ़ी अच्छे से दिखाया गया है। कई जगह आपको लगेगा कि ये कहानी किसी स्ट्रगलर की ज़िंदगी से बिल्कुल मैच करती है।
लेकिन, ये भी सच है कि सीरीज़ का टोन हर एपिसोड में एक जैसा नहीं रहता। कुछ एपिसोड ऐसे हैं जहाँ कॉमेडी का तड़का ज़्यादा है और दर्शक हँसते-हँसते मज़ा लेते हैं, वहीं कुछ एपिसोड में सिर्फ़ ड्रामा और गहरे संघर्ष देखने को मिलते हैं। यह बदलाव कभी-कभी बहुत शार्प लगता है और दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि आख़िर सीरीज़ का मूड क्या है।
आलोचकों की एक बड़ी राय यह भी है कि सीरीज़ कई बार ज़्यादा “चमक-दमक” और बड़े नामों के कैमियो (guest appearances) पर निर्भर हो जाती है। जब सलमान ख़ान, रणवीर सिंह या शाहरुख़ ख़ान जैसे नाम स्क्रीन पर आते हैं, तो फ़ोकस सीरीज़ की असली कहानी से हटकर बस इन स्टार्स की मौजूदगी पर चला जाता है। ऐसे में मुख्य किरदारों और उनके स्ट्रगल की गहराई थोड़ी कमज़ोर पड़ जाती है।
यानी, कहानी में दम है, भावनाएँ भी हैं, और आर्यन ख़ान का नज़रिया भी नया है, लेकिन execution (पेशकश) में थोड़ी inconsistency (अनियमितता) रह जाती है।
The Bads of Bollywood सीरीज़ कहां काम करती है
“The Bads of Bollywood” का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट इसका कॉन्सेप्ट और आइडिया है। नेपोटिज़्म, इंडस्ट्री की अंदरूनी राजनीति और वहाँ की जटिलताएँ दिखाना आज के वक़्त का बेहद ज़रूरी मुद्दा है। आजकल हर कोई ये जानना चाहता है कि बॉलीवुड की चमकदार दुनिया के पीछे असली सच्चाई क्या है, बाहर से आने वाले कलाकार किन मुश्किलों का सामना करते हैं, उनकी असुरक्षाएँ (insecurities) क्या होती हैं, और कैसे वो उम्मीदों के सहारे आगे बढ़ते हैं। इसी वजह से यह सीरीज़ दर्शकों को जुड़ने का पूरा मौका देती है।
कहानी को और असरदार बनाती है इसकी प्रोडक्शन वैल्यू और स्टाइल। चाहे वह पटकथा (script) हो, संगीत हो या सेट-डिज़ाइन — हर जगह एक चमक-दमक और ग्लैमर दिखाई देता है। बड़े-बड़े नामों की मौजूदगी ने भी इस शो को एक अलग क्लास दी है।
म्यूज़िक की बात करें तो “Badli Si Hawa Hai” जैसे ट्रैक्स ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। गाने कहानी से मेल खाते हैं और सीरीज़ के मूड को और मज़बूत बनाते हैं।
इसके अलावा, शो में कई जगह कैमियो और स्टार पावर का जादू भी देखने को मिलता है। जब सलमान ख़ान, रणवीर सिंह, करण जौहर या आख़िरी एपिसोड में ख़ुद शाहरुख़ ख़ान स्क्रीन पर आते हैं, तो वो पल सीरीज़ को और भी हाईलाइट बना देते हैं। उनके छोटे-छोटे अंदाज़ और इंट्रीज़ दर्शकों को खींच लेती हैं।
सीरीज़ के डायलॉग्स भी अच्छे लिखे गए हैं। कई जगह आपको ऐसा लगेगा कि ये डायलॉग सीधे सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए ही लिखे गए हैं। और हुआ भी वही — ट्रेलर और प्रीव्यू आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर इस सीरीज़ ने जबरदस्त चर्चा (buzz) बटोरी है। लोग इसके व्यंग्यात्मक अंदाज़ की तारीफ़ कर रहे हैं और ये साफ़ हो रहा है कि दर्शक अब ऐसी सामग्री चाहते हैं जो सिर्फ़ चमक-धमक न दिखाए, बल्कि इंडस्ट्री की असली तस्वीर भी पेश करे।
यानी, आइडिया नया है, स्टाइल ग्लैमरस है, और प्रेजेंटेशन में वो दम है जो सीरीज़ को चर्चा में बनाए रखता है
The Bads of Bollywood कमियाँ और चुनौतियाँ
“The Bads of Bollywood” की सबसे बड़ी अच्छाई ये है कि इसमें एक दमदार कहानी है, लेकिन इसके साथ-साथ कुछ ऐसी कमियाँ भी हैं जिन पर लोग चर्चा कर रहे हैं।
सबसे पहले बात करते हैं किरदारों की गहराई की। कहानी अच्छी है, पर कई जगह लगता है कि कुछ पात्र बस चमक-दमक या सजावट (gloss) के लिए रखे गए हैं। वो असली इमोशनल जुड़ाव नहीं बना पाते। दर्शक उन्हें देख तो लेते हैं, पर उनसे दिली रिश्ता नहीं जुड़ता। ऐसा लगता है जैसे कई किरदार ज़्यादा सोच-समझ के बजाय जल्दी-जल्दी डाल दिए गए हों।
फिर आता है कैमियो का मामला। इस सीरीज़ में सलमान ख़ान, रणवीर सिंह, करण जौहर और यहाँ तक कि शाहरुख़ ख़ान जैसे बड़े नाम कैमियो में आते हैं। अब कैमियो बेशक़ मज़ेदार होते हैं और दर्शकों को सरप्राइज़ देते हैं, लेकिन जब इनकी तादाद बढ़ जाती है, तो कभी-कभी असली कहानी पीछे छूट जाती है। चमक-दमक और स्टार पावर इतनी भारी हो जाती है कि लोग मुख्य पात्रों को भूलकर सिर्फ़ कैमियो ही याद रखते हैं। कैमियो की भूमिका छोटी और तड़का लगाने वाली होनी चाहिए, न कि पूरी थाली पर छा जाने वाली।
अब बात करते हैं टोन के उतार-चढ़ाव की। सीरीज़ में हास्य है, व्यंग्य है, ड्रामा है, और कुछ दमदार डायलॉग्स भी हैं। लेकिन ये सब कभी-कभी एकदम से बदल जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक एपिसोड में आपको गहरा ड्रामा दिखेगा जो भावनाओं को हिला दे, और अगले ही एपिसोड में हल्के-फुल्के मज़ाक और कॉमेडी भर दी जाएगी। ये अचानक बदलाव दर्शकों की भावनात्मक पकड़ को थोड़ा ढीला कर देता है।
एक और चीज़ है — आत्म-सम्मिलित व्यंग्य (self-referential satire)। सीरीज़ में कई हिस्से ऐसे हैं जहाँ लगता है कि आर्यन ख़ान ने अपने निजी अनुभवों या परिवार से जुड़े विवादों को भी कहानी में छिपाकर शामिल किया है। जैसे जेल, कोर्ट-हाउस या ड्रग्स से जुड़े सीन। ये क़दम साहसी है, लेकिन कुछ दर्शकों को लगेगा कि ये थोड़ा “स्वयं में डूबा हुआ” (self-indulgent) हो गया है। यानी, कहानी कहीं-कहीं पर्सनल जर्नल जैसी लगती है।
फिर भी, The Bads of Bollywood को आप उन सीरीज़ की लिस्ट में रख सकते हैं जो बॉलीवुड के पर्दे के पीछे की असली दुनिया को सामने लाती हैं। ये सितारों का दबाव, उनकी असुरक्षा, नेपोटिज़्म की राजनीति और इंडस्ट्री की कट-थ्रोट प्रतियोगिता दिखाती है।
हाँ, इस विषय पर पहले भी कई फिल्में और सीरीज़ बन चुकी हैं, लेकिन ये शो इसे मॉडर्न और स्टाइलिश अंदाज़ में पेश करता है। इसमें यंग किरदार हैं, ग्लैमर है और सोशल मीडिया के ज़माने की झलक भी है।
ऊपर से, सोशल मीडिया और दर्शकों की प्रतिक्रिया ने इस सीरीज़ को और मज़बूत किया है। ट्रेलर रिलीज़ होते ही ट्विटर, इंस्टा और यूट्यूब पर लोग इसके डायलॉग्स और म्यूज़िक पर चर्चा करने लगे। कैमियो और बड़ी हस्तियों की भागीदारी ने तो मानो इसके चार चाँद लगा दिए।
यह भी पढ़ें –
Neeraj Chopra World Athletics Championship 2025 में भारत के Golden बॉय
I Love Muhammad Conspiracy 2025: Faith और law के बीच टकराव का पूरा मामला



