Inder Kumar Gujral: भारतीय राजनीति के भद्र पुरुष कहलाए जाने वाले Inder Kumar Gujral एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक थे। इंद्र कुमार गुजराल नारी निकेतन न्यास के अध्यक्ष रह चुके थे और जालंधर के ए एन गुजराल मेमोरियल स्कूल के अध्यक्ष थे।
इन्होंने भारत-पाक मैत्री संस्था की अध्यक्षता निभाई। दिल्ली कल थिएटर के संस्थापक एवं अध्यक्ष लोक कल्याण समिति के उपाध्यक्ष 1960 में दिल्ली के रोटरी का क्लब के अध्यक्ष और 1961 में एशियाई रोटरी सम्मेलन के उपाध्यक्ष रह चुके थे।
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Inder Kumar Gujral का निजी जीवन
इंद्र कुमार गुजराल का जन्म 4 दिसम्बर, 1919 झेलम जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है में हुआ था। इनका जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा इन्होने डीएवी कॉलेज से प्राप्त की। हरी कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स और फॉर्मल क्रिश्चियन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। उनके व्यक्तित्व में शुरू से ही लीडरशिप की भावना देखी जाती थी।
इनके पिता का नाम अवतार नारायण गुजराल था एवं उनकी माता का नाम पुष्पा गुजराल था इनका विवाह 26 मैं हुआ उनकी पत्नी का नाम शीला देवी था। उन्होंने लाहौर छात्र संघ की अध्यक्षता और पंजाब छात्र संघ के महासचिव के रूप में कार्य किया।
Inder Kumar Gujral ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता निभाई
1964 में, इंद्र कुमार गुजराल ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता निभाई। मैं राज्यसभा में शामिल हुए जहां उन्होंने 1976 तक सेवा प्रदान की। इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में रहकर कांग्रेस सरकार में कई कैबिनेट स्तर के मंत्री पदों पर काम किया।
1975 में गुजराल सूचना और प्रसारण मंत्री थे।
1976 से 1980 तक भी सोवियत संघ में राजदूत बनाए गए।
1989 में गुजराल का चुनाव लोकसभा में हुआ जहां वे प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार में विदेश मंत्री के पद पर कार्यरत रहे। इस पद पर उन्होंने 1989 से 1990 तक सेवा की। संयुक्त मोर्चा सरकार की सत्ता में उन्हें 1996 में पुनः विदेश मंत्री बनाया गया।
Inder Kumar Gujral ने 21 अप्रैल को 1997 प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
अप्रैल 1997 में संयुक्त मोर्चे ने गुजराल को नेता चुना। जब वर्तमान प्रधानमंत्री देवी घोडा ने लोकसभा में विश्वास मत खो दिया और उनकी जगह गुजराल ने। 21 अप्रैल को गुजराल ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
इनके कार्यकाल की अवधि संक्षिप्त रही क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने ना समर्थन वापस ले लिया और जिस कारण गुजराल ने इस्तीफा दे दिया। इस संक्षिप्त कार्यकाल के बावजूद गुजराल ने राजनीतिक क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ दी उन्होंने गुजराल सिद्धांत की पेशकश की।
Inder Kumar Gujral का गुजराल सिद्धांत
दरअसल गुजराल सिद्धांत, भारत का उसके पड़ोसी देशों के मध्य मैत्रीपूर्ण और शांतिपूर्ण समझौते को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था यह एक विदेश नीति सिद्धांत है। इसे इंद्र कुमार गुजराल ने 1996 से 1997 के बीच अपने केंद्रीय विदेश मंत्री के कार्यकाल में विकसित किय
Inder Kumar Gujral बीमारियों से घिरे
इंद्र कुमार गुजराल लंबे समय से डायलिसिस के सहारे पर थे चल रहे थे 19 नवंबर 2012 को इन्हें छाती में संक्रमण होने के कारण हरियाणा स्थित गुड़गांव के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया इसी दौरान उनकी हालत गंभीर होती गई।
30 नवंबर 2012 को उनका निधन हो गया इसी इसकी खबर सुनते ही भारत में शोक की लहर दौड़ गई। इंद्र कुमार गुजराल ने अपनी आत्मकथा अंग्रेजी भाषा में अपने जीवन काल में ही प्रकाशित की थी।
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