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Maharashtra Winter Session 2025 Day 1 Nagpur में
जैसे कि तय हुआ था कि इस साल महाराष्ट्र विधानसभा का विंटर सेशन यानी Maharashtra Winter Session 2025, 8 दिसंबर से 14 दिसंबर 2025 तक चलेगा, और हमेशा की तरह इसे Nagpur में ही आयोजित किया जाना था।
पूरे हफ्ते चलने वाला ये सत्र राज्य की राजनीति के लिए बहुत अहम माना जा रहा है, क्योंकि Nagpur का सेशन वैसे भी फैसलों और बड़े ऐलानों के लिए मशहूर रहता है।
Maharashtra Winter Session 2025 शुरू होने से पहले ही यानी 28 नवंबर से, विधानमंडल सचिवालय ने Nagpur में अपने ऑफिस की व्यवस्था, आवास, सुरक्षा, मीडिया सेट-अप, ट्रैफिक कंट्रोल और अन्य तैयारियों को पूरी तरह फाइनल करने के आदेश दे दिए थे।
मतलब साफ था Maharashtra Winter Session 2025 शुरु होते ही सब कुछ स्मूथ और बिन किसी रुकावट के चले। सरकारी महकमों से लेकर स्थानीय प्रशासन तक सब पर तैयारियों का प्रेशर बराबर था।इस बार का Maharashtra Winter Session 2025 सिर्फ सात दिन का रखा गया है 8 दिसंबर से 14 दिसंबर तक जो कि पिछले वर्षों की तुलना में काफी छोटा माना जा रहा है।
आमतौर पर Maharashtra Winter Session 2025 लंबे चलते रहे हैं, लेकिन इस बार सप्ताह भर में ही बहसें, प्रस्ताव, कानून और सरकारी कामकाज निपटाना है, इसलिए सदन में हर दिन काफी ज़्यादा हलचल रहने वाली है।
उधर, सियासत का माहौल भी पहले से ही गर्म है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि सत्र छोटा होने और विधानसभा में विपक्ष की संख्या कम होने के कारण यह सेशन काफी संवेदनशील और तगड़ी राजनीति वाला रहने वाला है।
ऊपर से स्थानीय निकाय चुनाव भी सिर पर हैं, तो सरकार और विपक्ष दोनों ही इस सत्र को अपने-अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी कोशिश करने वाले हैं। यानी हल्की-फुल्की बहस नहीं, बल्कि तेज़ जुबानी जंग और बड़े आरोप-प्रति आरोप देखने को मिल सकते हैं।
साफ शब्दों में कहा जाए तो यह Maharashtra Winter Session 2025 छोटा ज़रूर है, लेकिन सियासी तूफ़ान लाने की पूरी क़ाबिलियत रखता है।सरकार अपनी योजनाओं और प्रस्तावों को आगे बढ़ाना चाहती है, जबकि विपक्ष कमज़ोर संख्या के बावजूद तेज़ आवाज़ में सवाल उठाकर अपनी ताक़त दिखाने के मूड में है।कह सकते हैं पहला ही दिन बताएगा कि आगे खेल कैसा चलेगा।
पहले दिन की शुरुआत — सम्मान, परंपरा और जज़्बा
Maharashtra Winter Session 2025 के पहले दिन की शुरुआत बिल्कुल गंभीर और शान वाले माहौल में हुई। जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सभी सदस्यों ने खड़े होकर “वंदे मातरम्” का पाठ किया।इस बार की बात कुछ खास थी क्योंकि वंदे मातरम् के 150 साल पूरे हो रहे हैं, इसलिए सिर्फ पहले दो अंतरों तक सीमित रहने की पुरानी परंपरा के बजाय पूरा गीत पूरा सम्मान के साथ गाया गया।

पूरा सदन एक सुर में, एक एहसास के साथ… वंदे मातरम् की भावनाओं में डूबा हुआ नजर आया। उस पल में हर किसी के चेहरे पर राष्ट्रभक्ति, जोश और अपनापन साफ दिखाई दे रहा था — मानो पूरा सदन एक ही धड़कन से चल रहा हो।
वंदे मातरम् के बाद, महाराष्ट्र राज्य के आधिकारिक गीत — “जय जय महाराष्ट्र माझा” का भी पूरा गायन किया गया। गाने के साथ सदन में एक अलग ही गर्व का लम्हा पैदा हुआ अपनी मिट्टी का गौरव, अपनी संस्कृति का मान और अपने राज्य की पहचान… सब कुछ एक ही पल में सिमट आया।
इन दोनों गीतों के बाद पूरा माहौल बहुत सकारात्मक, गरिमामय और भावनात्मक हो चुका था। ऐसा महसूस हो रहा था कि सत्र की शुरुआत राज्य और देश दोनों के सम्मान के साथ, बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में की गई —जहाँ कानून, चर्चा और राजनीति से पहले, देश की भावनाओं और प्रदेश के अभिमान को जगह दी गई।
पहले दिन की शुरुआत में ही ऐसा लगा कि“आज सिर्फ सियासत नहीं, सदन में जज़्बा भी होगा।”इज़्ज़त, तहज़ीब और परंपरा से सत्र की शुरुआत हुई, और उसी के साथ एक बेहद खुशनुमा और असरदार माहौल बन गया।
सुरक्षा और तैयारियाँ — Nagpur में सख़्त इंतज़ामात
वैसे तो विधानसभा का सत्र एक सरकारी और नियमित प्रक्रिया होती है, लेकिन इस बार हालात कुछ ज़्यादा संवेदनशील और नाज़ुक माने जा रहे थे। इसलिए सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने बिल्कुल चौकन्ना और सख़्त रुख अपना लिया था।
नागपुर शहर में इस Maharashtra Winter Session 2025 के लिए 8000 से भी ज़्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए। सिर्फ लोकल पुलिस ही नहीं दूसरे जिलों से आई फ़ोर्स, होमगार्ड, रिज़र्व यूनिट्स, ट्रैफिक कंट्रोल टीमें, और स्पेशल सिक्योरिटी स्क्वॉड सबको डुटी पर लगा दिया गया था।
मतलब पूरे शहर को मानो एक हाई-सिक्योरिटी ज़ोन सा बना दिया गया था।ये सब इंतज़ाम इसलिए बेहद ज़रूरी थे क्योंकि सत्र के दौरान विधायक, मंत्री, बड़े अधिकारी, मीडिया, स्टाफ, और दूसरे राज्यों तक से आने वाले जिम्मेदार लोग बड़ी तादाद में शहर में मौजूद रहते हैं।
भीड़, राजनीतिक हलचल और वीवीआईपी मूवमेंट के बीच किसी भी तरह की गड़बड़ी या रुकावट की गुंजाइश बिल्कुल नहीं छोड़ी गई।कुल मिलाकर प्रशासन ने पहले ही दिन से पूरी तैयारी, पूरा अमला और पूरा नियंत्रण कायम कर दिया था।

ताकि कार्यवाही बिना तनाव के चले, शहर में अमन बना रहे, और हर आने-जाने वाला इंसान खुद को महफूज़ महसूस करे।सीधे शब्दों में कहें तो सत्र की शुरुआत से पहले ही सुरक्षा इतनी मजबूत कर दी गई कि हवा भी बिना अनुमति के पास न जाए।
राजनीतिक पारा — विरोध, बहिष्कार और तल्ख़ माहौल
पहले ही दिन से सदन का राजनीतिक तापमान आसमान छूता हुआ नज़र आया। माहौल ऐसा था जैसे हर पार्टी अपने-अपने मोर्चे पर पहले से ही तैयार बैठी हो।विपक्ष की तरफ़ से शुरूआती ही कदम काफी सख़्त और नाराज़गी भरा रहा।
कुछ दल और कई विधायक, जिन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे सत्र शुरू होने से पहले होने वाली चाय पार्टी (pre-session tea party) में शामिल नहीं होंगे, उन्होंने उसी फ़ैसले पर डटकर बहिष्कार किया।
यह बहिष्कार सिर्फ़ चाय पार्टी का नहीं था यह सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी और तटस्थता का सियासी इशारा भी था।इस पूरे माहौल को और भी अजीब और असामान्य बना देने वाली बात यह थी कि सत्र की शुरुआत बिना Leader of Opposition (LoP) के हुई।
ये बहुत कमीयाब और नोट करने वाली परिस्थिति थी क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में विपक्ष की सीटें इतनी कम हो गईं कि वे आधिकारिक विपक्ष के नेता तक नहीं चुन पाए।यानी सरकार के सामने कोई औपचारिक ताकतवर विरोधी चेहरा मौजूद ही नहीं था और फिर भी सदन में तकरार अपने चरम पर थी।
इधर Maharashtra Winter Session 2025 शुरू होते ही सरकार ने संसद वाली शैली में Supplementary Demands (यानी बजट या खर्च की अतिरिक्त मांगें) सीधे टेबल पर रख दीं।इसके साथ ही सरकार की तरफ़ से कई नए विधेयकों और अध्यादेशों को आगे बढ़ाने का भी संकेत दिया गया जिसे विपक्ष ने तुरंत तीखे अंदाज़ में खारिज कर दिया।
विरोधी दलों ने यह कहते हुए कड़ा ऐतराज़ जताया कि“चुनावी आचार संहिता चल रही है, और ऐसे समय में बड़े वित्तीय और विधायी फैसले आगे बढ़ाना उचित या नैतिक नहीं है।”
उनके मुताबिक यह कदम चुनावी नियमों और लोकतांत्रिक शुचिता की खुलेआम अवहेलना था।नतीजा पहले ही दिन सदन में शब्दों की टकराहट, आरोप-प्रति आरोप और तल्ख़ हालात साफ देखे जा रहे थे।
एक तरफ सरकार अपने फैसलों को “नीतिगत और आवश्यक” बता रही थी, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे “ग़ैर-ज़रूरी, ग़ैर-समय और चुनावी लाभ के लिए उठाया गया कदम” बता रहा था।एक लाइन में कहें तो सत्र की शुरुआत सम्मान के साथ हुई लेकिन कुछ ही घंटों में हवा में सियासी गर्मी और तल्ख़ी भी घुल गई।
चर्चा के मुद्दे — किस पर चलेगी सबसे ज़्यादा बहस?
पहले ही दिन की कार्यवाही ने यह बिल्कुल साफ़ कर दिया कि इस पूरे Maharashtra Winter Session 2025 में कौन-कौन से मुद्दे सबसे ज़्यादा सुर्खियों में रहने वाले हैं, और किस बात पर सदन में गर्मागर्म बहस होगी।सबसे पहला और बड़ा मुद्दा है पुरवठा / वितरण की पूरक मांगें (Supplementary Demands)यानि राज्य के बजट और सरकारी विभागों के खर्चों की समीक्षा।
सरकार चाहती है कि इन वित्तीय मांगों को तेज़ी और प्राथमिकता के साथ मंज़ूरी मिले, जबकि विपक्ष चाहता है कि हर खर्च का जवाब, हिसाब और पारदर्शिता सामने रखी जाए।यहीं से टकराव का माहौल पहले दिन ही बन गया था।
दूसरा अहम मुद्दा है नए विधेयक और सरकारी प्रस्ताव सरकार की ओर से संकेत साफ़ हैं कि इस सत्र में कई कानून और अध्यादेश बहुत जल्दी पास कराने की तैयारी है। विपक्ष को लगता है कि सरकार बहस और समय से बचकर सबकुछ जल्दबाज़ी में पूरा करना चाहती है जबकि सरकार इसे विकास की रफ़्तार और जनहित के नाम पर ज़रूरी बता रही है।
तीसरा मसला विपक्ष के सवाल और जनता के मुद्देविपक्ष की योजना साफ़ दिखाई दे रही है वे सरकार से नीतियों, चुनावी व्यवस्थाओं, लोककल्याण योजनाओं, कृषि, महँगाई, बेरोज़गारी, विकास परियोजनाओं और आम आदमी से जुड़े हर मुद्दे पर जवाब मांगने वाले हैं।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों ने भी पहले ही दिन से कह दिया कि सरकार इस सत्र में “जनहित और विकास” पर ही पूरी ऊर्जा के साथ बात करेगी।यानी दोनों पक्ष एक ही मंच पर खड़े हैं, लेकिन एजेंडा और नज़रिए बिल्कुल अलग-अलग।
कुल मिलाकर, Maharashtra Winter Session 2025 की शुरुआत ने ही बता दिया कि आगामी दिनों में सदन में ज़बरदस्त बहसें, आरोप-प्रति आरोप, आंकड़ों का खेल और राजनीतिक दांव-पेंच देखने को मिलेंगे।प्रस्ताव और मांगें जीतने-हारने का खेल नहीं, बल्कि सियासी इम्तिहान बनते नज़र आ रहे हैं।एक लाइन में पहले दिन ने ही साफ कर दिया कि इस सत्र में हर मुद्दा चर्चा भी बनेगा और टकराव भी।
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