Nagpur News: सोमवार को नागपुर आए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने Dikshabhumi विकास आंदोलन के मामले पर बयान दिया है, कि Dikshabhumi के विकास की मांग स्मारक समिति द्वारा की गई थी इस मांग के चलते डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक समिति ने हमें प्रस्ताव दिया था।
कि इसी के अनुसार विकास और सौंदर्यकरण का कार्य के लिए निधि जारी की गई। इस बात को लेकर कई लोगों के मन में शक है, तो हमारा उनसे निवेदन है कि आंदोलन करने वाले लोग और समिति आपस में बैठकर निर्णय ले और हमें बताएं सरकार आपके निर्णय के अनुसार ही काम करेगी।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा अभी जो विकास आप देख रहे हैं और इससे पहले जो विकास आपने देखा है वह हमारी सरकार ने ही किया है और समिति के अनुसार ही यह विकास किया गया था।
पहले भी और अब भी सरकार अपनी मर्जी से कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है। समिति ने विकास को लेकर जो ब्लूप्रिंट तैयार किया है और सरकार को भेजा है। उसी के अनुरूप विकास की निधि सरकार द्वारा जारी की गई है।
आगे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी का कहना है, कि इस निर्माण को लेकर कई लोगों के मन में शक है। इस शक को दूर किया जाना जरूरी है।
इसलिए सरकार ने अभी इस निर्माण पर रोक लगा दी है और सारे कामों को रद्द कर दिया है। इसी के साथ उपमुख्यमंत्री का कहना है कि स्मारक समिति और आंदोलनकारी मिलकर बैठकर आपस में सहमति से निर्णय ले और फिर उप मुख्यमंत्री को बताएं ताकि उसके हिसाब से काम आगे बढ़ाया जा सके।
आईए जानते हैं कि आखिर यह Dikshabhumi मामला है क्या,
जैसे कि आपको पता है, राज्य सरकार ने Dikshabhumi के विकास के काम और उसको और ज्यादा सुंदर बनाने के काम का निर्णय लिया था।
जिसको लेकर राज्य सरकार ने 200 करोड़ की राशि खर्च करने का फैसला लिया था। पिछले साल यह निर्माण का काम शुरू हुआ था। इस निर्माण कार्य के पहले चरण में पार्किंग और Dikshabhumi की सुरक्षा की दीवार बनाने का निर्णय लिया गया था। परंतु इस पर भी कई लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा था।
सोमवार की सुबह एक बड़ी संख्या में अंबेडकर अनुयाई Dikshabhumi पर पहुंचे और अपना आंदोलन शुरू कर दिया यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक को गया।
पहले तो आंदोलनकारियो ने निर्माण कार्य में लगे उपकरणों को तोड़फोड़ करके उसमें आग लगा दी। इस बढ़ते हुए हिंसक आंदोलन को देखते हुए पुलिस कर्मियों को तैनात भी किया गया था।
आंदोलन की गति देखते हुए पुलिस आयुक्त डॉ रविंद्र सिंघल तुरंत मौके पर पहुंचे। बहुत दुविधा के बाद आंदोलनकारियो को शांत कराया गया।
इस घटना से परिसर में काफी तनाव का माहौल बन गया है। आंदोलनकारियो का कहना है कि यह काम आम लोगों की सहमति के बिना ही शुरू किया गया है।