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Gujarat Politics Update: Harsh Sanghavi की Blockbuster एंट्री बतौर Deputy CM, भाजपा का नया दांव

Gujarat Politics Update: Harsh Sanghavi की Blockbuster एंट्री बतौर Deputy CM, भाजपा का नया दांव

Harsh Sanghavi बने Gujarat के नए उपमुख्यमंत्री

Harsh Sanghavi ये नाम अब सिर्फ गुजरात की राजनीति तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ये युवा और ऊर्जावान नेता अपनी मेहनत, लगन और जज़्बे की वजह से आज गुजरात के उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) बन चुके हैं। उनकी यह तरक्की यूँ ही नहीं हुई, बल्कि यह सालों की मेहनत, जनता से जुड़ाव और राजनीतिक समझदारी का नतीजा है।

राजनीति में Harsh Sanghavi का सफ़र

Harsh Sanghavi का राजनीतिक सफर एक साधारण कार्यकर्ता से शुरू होकर उपमुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचा है। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही राजनीति की राह चुनी थी। भाजपा के युवा मोर्चा से जुड़े रहने के दौरान उन्होंने संगठन में गहराई से काम किया और युवाओं के बीच अपनी पकड़ मज़बूत की।

उनकी साफ़-सुथरी छवि, तेज़ बोलचाल और जनता से जुड़ने का अंदाज़ उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाता है। लोग कहते हैं कि हर्ष संघवी का काम बोलता है। वे हमेशा ज़मीनी स्तर पर जाकर लोगों की समस्याएँ सुनते हैं, चाहे वो सुरक्षा का मसला हो, युवाओं की बेरोज़गारी हो या फिर शहरों के विकास की बात।

17 अक्टूबर 2025 – गुजरात की सियासत में बड़ा दिन

17 अक्टूबर 2025 का दिन Gujarat Politics के लिए बेहद अहम रहा। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने अपने मंत्रिमंडल में बड़े स्तर पर फेरबदल (Cabinet Reshuffle) किया। इस मौके पर कुल 26 नए मंत्रियों ने शपथ ली। इस पूरे फेरबदल में सबसे ज़्यादा सुर्खियाँ बटोरीं Harsh Sanghavi ने, जिन्हें राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

पहले वे गृह राज्य मंत्री (Minister of State for Home) के पद पर कार्यरत थे और अपने सख़्त लेकिन संतुलित निर्णयों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहे। कानून-व्यवस्था को मज़बूत करना, पुलिस विभाग में सुधार लाना और प्रशासन को पारदर्शी बनाना उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धियाँ रही हैं।

कैबिनेट विस्तार की रणनीति

इस बार के कैबिनेट विस्तार में भाजपा ने बड़ी सोच-समझ के साथ कई नए चेहरे जोड़े हैं। यह सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं था, बल्कि इसके पीछे राजनीति की गहरी रणनीति छिपी हुई थी।

भाजपा ने इस फेरबदल से यह साफ़ संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी हर वर्ग और हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देना चाहती है। सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए अलग-अलग इलाकों के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।

भाजपा की आगामी रणनीति

गुजरात में अगले विधानसभा चुनाव करीब हैं, और यह फेरबदल उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा चाहती है कि राज्य में अपनी पकड़ और भी मज़बूत करे, और इसके लिए युवा चेहरों को आगे लाना ज़रूरी था।

Harsh Sanghavi जैसे चेहरे पार्टी के लिए दोहरी ताकत हैं एक ओर प्रशासनिक अनुभव, दूसरी ओर जनता के बीच लोकप्रियता। उनकी छवि एक “क्लीन एंड डायनेमिक पॉलिटिशियन” के रूप में उभर रही है।

Harsh Sanghavi की राजनीतिक भूमिका और छवि

Harsh Sanghavi का नाम आज गुजरात की सियासत में किसी पहचान का मोहताज नहीं है। पार्टी के अंदर और जनता के बीच वे लंबे वक्त से भाजपा के एक सक्रिय, करिश्माई और मेहनती युवा नेता के तौर पर जाने जाते हैं। उनका अंदाज़ थोड़ा हटकर है न तो बहुत सख़्त, न बहुत नरम; लेकिन जो बात कहनी हो, वो पूरे आत्मविश्वास के साथ कहते हैं।

संगठन से सियासत तक का सफ़र

Harsh Sanghavi ने अपनी राजनीति की शुरुआत बहुत नीचे से की थी। वे शुरू से ही भाजपा के संगठनात्मक ढाँचे से जुड़े रहे और पार्टी के अंदर एक भरोसेमंद, ईमानदार और जनता के बीच लोकप्रिय नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। चाहे पार्टी का कोई छोटा सा आयोजन हो या फिर कोई बड़ा जनसंपर्क अभियान Harsh Sanghavi हमेशा सबसे आगे नज़र आते हैं।

सख़्त कानून व्यवस्था और साफ़ सोच

Harsh Sanghavi की पहचान एक ऐसे नेता के रूप में है जो कानून व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के मामलों में बेहद सख़्त रुख़ रखते हैं। गृह राज्य मंत्री के रूप में उन्होंने कई बार यह साबित किया कि वे सिर्फ़ बातें करने वाले नहीं हैं, बल्कि काम करके दिखाने वाले नेता हैं।

उन्होंने “लव जिहाद” जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी साफ़ कहा था कि “भाजपा प्रेम विवाहों के खिलाफ नहीं है, लेकिन अगर कोई धोखे से, झूठी पहचान के साथ किसी को छलने की कोशिश करता है, तो कानून अपने आप सख़्ती से काम करेगा।”

2027 चुनावों की तैयारी – एक रणनीतिक कदम

Harsh Sanghavi को उपमुख्यमंत्री बनाना भाजपा की एक बड़ी और सोच-समझी रणनीति मानी जा रही है। गुजरात में 2027 के विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और पार्टी अब से ही अपनी जमीन मज़बूत करने में जुट गई है।

संघवी जैसे युवा, ऊर्जावान और जनता से जुड़े नेता को ऊँचा पद देकर पार्टी यह दिखाना चाहती है कि अब भाजपा का फोकस युवा नेतृत्व पर है ऐसा नेतृत्व जो प्रशासनिक तौर पर सक्षम हो और जनता से दिल का रिश्ता रखता हो।

सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन की राजनीति

इस बार के कैबिनेट विस्तार में भाजपा ने क्षेत्रीय और जातीय संतुलन पर ख़ास ध्यान दिया है। सौराष्ट्र, कच्छ, उत्तर गुजरात, दक्षिण गुजरात हर इलाके को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है, ताकि कोई वर्ग यह महसूस न करे कि उसे नज़रअंदाज़ किया गया है।

पार्टी की कोशिश है कि सभी सामाजिक वर्गों और समुदायों को साथ लेकर चला जाए, ताकि आने वाले चुनावों में विपक्ष को कोई मौका न मिले। हर्ष संघवी की उपमुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति इस रणनीति का सबसे अहम हिस्सा है।

युवा चेहरा, नई उम्मीद

भाजपा की राजनीति में हमेशा से युवा चेहरों को आगे बढ़ाने की परंपरा रही है, लेकिन Harsh Sanghavi इस दिशा में एक अलग मिसाल हैं। वे सिर्फ़ “युवा” नहीं, बल्कि एक आधुनिक, टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली और विज़न वाले लीडर हैं। उनका स्टाइल सीधा-सादा है बातों में उर्दू की नरमी, सोच में दृढ़ता, और काम में अनुशासन। यही मिश्रण उन्हें गुजरात की नई पीढ़ी के लिए “role model” बनाता है।

जनता की आवाज़

गुजरात के कई शहरों और कस्बों में लोग कहते हैं “हर्षभाई में वो बात है जो आज के नेताओं में कम दिखती है नीयत साफ़, नज़रिया सीधा।” सोशल मीडिया पर भी Harsh Sanghavi की नई भूमिका को लेकर ग़जब का उत्साह है। युवाओं का कहना है कि अब वे एक ऐसे उपमुख्यमंत्री देख रहे हैं जो उनकी भाषा बोलता है, उनके मुद्दों को समझता है और उनके सपनों जैसा सोचता है।

Harsh Sanghavi का उपमुख्यमंत्री बनना सिर्फ़ एक राजनीतिक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक संदेश है कि गुजरात की राजनीति अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। यह दौर होगा युवा सोच, साफ़ नीयत और जनता से सीधे जुड़ाव का। हर्ष संघवी इस नई कहानी के केंद्र में हैं वो चेहरा जो परंपरा और परिवर्तन, दोनों को साथ लेकर चलना जानता है।

कानून-व्यवस्था और सुरक्षा

Harsh Sanghavi जब से गुजरात के गृह मंत्री बने हैं, तब से उन्होंने अपने काम से यह साफ़ कर दिया है कि कानून और व्यवस्था के मामले में कोई समझौता नहीं होगा। वो ऐसे नेता हैं जो सिर्फ़ कुर्सी पर बैठकर आदेश नहीं देते, बल्कि मैदान में उतरकर काम करवाते हैं।

नशे के खिलाफ सख़्त मुहिम

गुजरात में नशे के खिलाफ हर्ष संघवी ने एक बड़ा और असरदार अभियान शुरू किया है। उनका साफ़ कहना है कि “जो भी राज्य में नशा फैलाने की कोशिश करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।” गृह मंत्री के रूप में उन्होंने गुजरात पुलिस को साफ़ निर्देश दिए कि नशे की तस्करी पर सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाए।

गांधीनगर, सूरत और कुछ अन्य इलाकों से नशे के मामले सामने आए, तो पुलिस ने ज़बरदस्त एक्शन लिया। कई गिरोह पकड़े गए, और बड़े पैमाने पर ड्रग्स ज़ब्त किए गए।
संघवी का कहना है “नशा सिर्फ़ शरीर को नहीं, समाज को भी खोखला कर देता है। इसलिए इसे जड़ से मिटाना ज़रूरी है।”

उनकी इस पहल को जनता और युवाओं से काफी समर्थन मिला है, क्योंकि लोग देख रहे हैं कि सरकार अब सिर्फ़ बातें नहीं कर रही, बल्कि वास्तव में नशे के कारोबार को खत्म करने की कोशिश कर रही है।

अवैध कब्जों और ढाँचों पर कार्रवाई

Harsh Sanghavi का एक और अहम एजेंडा है अवैध कब्जे और गैर-कानूनी ढाँचों को हटाना। इसमें झुग्गियाँ, कब्जे, और मजारें (Mazars़) भी शामिल हैं, जो बिना अनुमति के बनाई गई थीं।

उन्होंने विधानसभा में बताया कि राज्य में अब तक 108 मजारें तोड़ी गई हैं, जो गैरकानूनी रूप से बनी हुई थीं। उनका कहना था कि धर्म या आस्था की आड़ में कोई भी व्यक्ति कानून को तोड़ नहीं सकता। “कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वो किसी भी धर्म या वर्ग से जुड़ा हो।”

उनकी इस नीति को लेकर कभी-कभी विरोध भी हुआ, लेकिन उन्होंने साफ़ कहा कि यह कानून का मामला है, न कि किसी धर्म का। उनका मक़सद सिर्फ़ यह सुनिश्चित करना है कि गुजरात में कोई भी व्यक्ति या संस्था नियमों से ऊपर न बने।

RTI के दुरुपयोग पर सख़्त रुख़

RTI (Right to Information) यानी सूचना का अधिकार यह लोगों का हक़ है, लेकिन कुछ लोगों ने इसका ग़लत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। कुछ लोग RTI के ज़रिए सरकारी अफसरों और कर्मचारियों को धमकाने या ब्लैकमेल करने लगे थे।

Harsh Sanghavi ने इस पर भी सख़्त एक्शन लिया। उन्होंने ऐसे कई मामलों की पहचान करवाई और बताया कि जहाँ-जहाँ RTI का दुरुपयोग हुआ, वहाँ मुकदमे दर्ज किए गए हैं|उनका कहना है “RTI का मक़सद पारदर्शिता लाना है, डर फैलाना नहीं। जो लोग इसे हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाया जाएगा।”

साफ़ नीयत, सख़्त एक्शन

Harsh Sanghavi का स्टाइल साफ़ है जो गलत है, उसके खिलाफ़ कार्रवाई ज़रूर होगी। चाहे वो नशे का कारोबार हो, अवैध निर्माण हो या कानून का दुरुपयोग हर जगह उन्होंने अपनी सख़्ती और ईमानदारी से काम किया है।

उनकी बातों और कामों में एक “उर्दू टच” की नरमी भी दिखती है वो सख़्त फैसले लेते हैं, मगर बोलने का अंदाज़ मुलायम और समझदारी भरा होता है। यही वजह है कि लोग उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखते हैं जो दिल से भी जुड़ा है और सिस्टम से भी

विवाद और आलोचनाएँ

Harsh Sanghavi की पहचान वैसे तो एक सख़्त और साफ़-सुथरे नेता के रूप में है, लेकिन वो जब बोलते हैं, तो लफ़्ज़ों में वो जोश और आत्मविश्वास साफ़ झलकता है। हाल ही में उन्होंने एक ऐसा मुद्दा उठाया जिसने गुजरात की सियासत में हलचल मचा दी “फेक ED टीम” वाला मामला।

फर्जी ED टीम का खुलासा

संघवी ने आरोप लगाया कि कुछ लोग Enforcement Directorate (ED) के नाम पर फर्जी टीमें बनाकर आम लोगों को धमकाने और लूटने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों का तरीका बहुत चालाकी भरा है वे खुद को सरकारी अफ़सर बताकर लोगों के घरों या दफ़्तरों में रेड डालते हैं, फिर उनसे पैसों की वसूली करते हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि संघवी के मुताबिक, इनमें से एक आरोपी आम आदमी पार्टी (AAP) से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा “यह बहुत गंभीर मामला है। जब कोई पार्टी का कार्यकर्ता कानून के नाम पर जनता को ठगने लगे, तो यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा है।”

हालाँकि, AAP ने इन आरोपों को झूठा और भ्रामक बताते हुए पलटवार किया। पार्टी का कहना है कि भाजपा इस तरह के आरोप लगाकर सिर्फ़ अपनी नाकामियों से ध्यान हटाना चाहती है। इस पर संघवी ने जवाब दिया कि “यह राजनीति नहीं, कानून का मामला है अगर कोई निर्दोष है तो जाँच में साफ़ हो जाएगा, लेकिन अगर दोषी है, तो उसे सज़ा ज़रूर मिलेगी।”

विधानसभा में तीखी बहसें

गुजरात विधानसभा में हर्ष संघवी और विपक्षी दलों के बीच बहसें नई बात नहीं हैं। वो जिस आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखते हैं, उसी जोश में विपक्ष भी पलटकर सवाल करता है। कई बार उनके और कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली है।

एक बड़ी बहस तब हुई जब Scheduled Caste / Scheduled Tribe (SC/ST) अधिनियम की निगरानी समिति की बैठक लंबे समय से नहीं बुलाई गई थी। कांग्रेस ने इस पर सरकार की आलोचना की और कहा कि भाजपा सरकार सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर उतनी संवेदनशील नहीं है जितनी उसे होनी चाहिए। विपक्ष ने कहा कि “सरकार सिर्फ़ कानून बनाकर बैठ जाती है, ज़मीन पर उसका असर देखने को नहीं मिलता।”

इस पर Harsh Sanghavi ने जवाब दिया कि सरकार की मंशा साफ़ है और हर समाज के हक़ की रक्षा के लिए राज्य प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी वर्ग या समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा, और अगर किसी को शिकायत है तो उसके लिए पूरा सिस्टम खुला है।

विपक्ष से तकरार, जनता से ताल्लुक

संघवी की खासियत यह है कि वो विपक्ष से चाहे कितनी भी सख़्त बहस करें, लेकिन जनता से उनका लहजा हमेशा नरम और अपनापन भरा रहता है। विधानसभा में उनके भाषण अकसर आत्मविश्वास से भरे होते हैं थोड़ा सा उर्दू का रंग, थोड़ा सा गुजराती अंदाज़, और बहुत सारा विश्वास।

वो कहते हैं “राजनीति में बहस होना ज़रूरी है, लेकिन झूठ फैलाना और डर पैदा करना कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उनका यह बयान सीधे-सीधे जनता को भरोसा दिलाता है कि सरकार उनके साथ है और फर्जीवाड़े या भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेगी।

चुनौतियाँ और सवाल

Harsh Sanghavi के लिए उपमुख्यमंत्री का पद सिर्फ़ एक नई कुर्सी नहीं है, बल्कि यह नई जिम्मेदारियों और चुनौतियों का दरवाज़ा खोलता है। अब जनता की उम्मीदें उनसे पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई हैं, और हर कदम पर उनकी हरकतों पर निगाहें टिकी होंगी।

नई जिम्मेदारियाँ उपमुख्यमंत्री बनते ही संघवी के सामने कई अहम सवाल हैं जैसे कि:

प्रशासन और नेतृत्व की गति को कैसे बनाए रखें?

जाति, क्षेत्र और धर्म जैसे संवेदनशील मुद्दों को संतुलित और समझदारी से कैसे संभालें? विभागों के कामकाज को कैसे असरदार और पारदर्शी बनाएं? संघवी का अनुभव और कार्यशैली इस चुनौती में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन अब जिम्मेदारी का स्तर पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गया है।

विपक्ष का दबाव

हालांकि भाजपा इस बदलाव को एक रणनीतिक कदम मान रही है, लेकिन विपक्ष इसे आलोचना के नजरिए से देख रहा है। विपक्ष कह रहा है कि ये केवल दिखावे के लिए किए गए बदलाव हैं और असली सुधार या बदलाव तो अभी बाकी है। संघवी के लिए यह चुनौती भी है कैसे वे विपक्षी सवालों का जवाब दें और जनता के सामने विश्वास और परिणाम दोनों दिखाएँ।

भाजपा की रणनीति और संघवी की भूमिका

Harsh Sanghavi का उपमुख्यमंत्री बनना यह भी संकेत है कि भाजपा युवा नेताओं को आगे ला रही है। पार्टी बदलते राजनीतिक दौर और आगामी चुनावों को देखते हुए नए समीकरण बना रही है। Harsh Sanghavi की सख़्त और सक्रिय छवि चाहे वह कानून-व्यवस्था, नशे के खिलाफ अभियान, सामाजिक न्याय या धोखाधड़ी के मामलों में हो इस भूमिका में उन्हें लाभ दे सकती है।

अगर वे इस पद पर खुद को साबित कर देते हैं, तो न केवल उनकी राजनीतिक लोकप्रियता बढ़ेगी, बल्कि पार्टी के अंदर उनकी स्थिति भी और मज़बूत होगी। लेकिन यह पदोन्नति कितनी स्थायी होगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वे चुनावी, प्रशासनिक और जनता से जुड़े सभी मामलों में कितनी सफलता हासिल कर पाते हैं।

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