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Healthy Women, Empowered Family Campaign क्या है?
आज के हिन्दुस्तान में अगर तरक़्क़ी की सच्ची राह बनानी है, तो सबसे पहला क़दम यही होगा कि हमारी Healthy Women, पढ़ी-लिखी और अपने पैरों पर खड़ी हों। औरत सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी की ज़िम्मेदार नहीं होती, बल्कि वो तो पूरे ख़ानदान की बुनियाद होती है। एक माँ, एक बेटी, एक बहन या एक बीवी – अगर वो मज़बूत और तंदुरुस्त है, तो पूरा घर रोशन रहता है।

इसी सोच को हक़ीक़त बनाने के लिए “Healthy Women, Empowered Family Campaign” शुरू किया गया है। ये कोई मामूली सा हेल्थ प्रोग्राम नहीं है, बल्कि एक बड़ा इंक़लाब है जो सिर्फ़ औरतों की सेहत तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे समाज और ख़ानदान की तरक़्क़ी से जुड़ा हुआ है।
Healthy Women, Empowered Family अभियान हमें ये एहसास दिलाती है कि औरत की सेहत, उसके पोषण, उसके आराम और उसके अनुभव को नज़रअंदाज़ करके कभी भी ख़ुशहाल ख़ानदान की निर्माण नहीं हो सकती। अगर नारी कमज़ोर है, तो घर भी कमज़ोर होगा, और अगर नारी मज़बूत है, तो घर भी मज़बूत होगा और देश भी मज़बूत होगा।
“Healthy Women, Empowered Family” का असल मक़सद यही है कि औरतों को अच्छे सेहतमंद माहौल मिले, उन्हें सही खाना, सही इलाज और सही शिक्षा मिले, ताकि वो न सिर्फ़ अपने बच्चों और ख़ानदान का ख़याल रख सकें बल्कि समाज की तरक़्क़ी में भी बराबर का हिस्सा निभा सकें|
नारी और परिवार का संबंध
औरत को हमेशा से ही ख़ानदान की रीढ़ माना गया है। असल में उसकी सेहत ही पूरे घर के हर शख़्स की सेहत से सीधी तरह से जुड़ी होती है। अगर बीवी, माँ या बेटी तंदुरुस्त है, तो वो बच्चों की सही परवरिश कर सकती है, बुज़ुर्गों की अच्छी तरह से देखभाल कर सकती है और साथ ही घर की आमदनी और तरक़्क़ी में भी बराबर का हाथ बँटा सकती है।
लेकिन अगर वही औरत बीमारियों से जूझ रही हो, उसका शरीर कमज़ोर हो, तो पूरा घर असंतुलित हो जाता है। बच्चे कम ध्यान पाते हैं, बुज़ुर्गों की देखभाल अधूरी रह जाती है, और घर के काम-काज से लेकर आमदनी तक सब पर असर पड़ता है। यानी, औरत की कमज़ोरी पूरे ख़ानदान को कमज़ोर बना देती है।
इसी सच्चाई को सामने रखते हुए “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान” शुरू किया गया है। इस अभियान का मक़सद साफ़ है – औरतों की सेहत को सब से पहली प्राथमिकता दी जाए। क्योंकि जब नारी तंदुरुस्त होगी, तो उसका असर बच्चों पर, ख़ानदान पर और पूरे समाज पर साफ़-साफ़ नज़र आएगा।
Healthy Women, Empowered Family Campaign का उद्देश्य
“Healthy Women, Empowered Family” के कुछ बड़े और अहम मक़सद रखे गए हैं। इनका ताल्लुक़ सीधे औरतों की ज़िंदगी, उनके तंदुरुस्त जिस्म और पूरे ख़ानदान की भलाई से है।
महिलाओं की सेहत की हिफ़ाज़त
सबसे पहला मक़सद है औरतों की सेहत की पूरी तरह से सुरक्षा करना। बहुत सी बीमारियाँ औरतों को अक्सर जकड़ लेती हैं – जैसे ख़ून की कमी (एनीमिया), कमज़ोरी और कुपोषण, हड्डियों का कमज़ोर होना, हार्मोन का असंतुलन और बच्चा जनने के दौरान आने वाली मुश्किलें। इस तहरीक (अभियान) का इरादा है कि औरतों को इन परेशानियों से बचाया जाए और उन्हें बेहतर इलाज और सलाह दी जाए।
पोषण पर ज़ोर
औरत के जिस्म को सबसे ज़्यादा ज़रूरत है अच्छे पोषण की। इसलिए अभियान में खास तौर पर संतुलित खाना, आयरन और फॉलिक एसिड की गोलियाँ, कैल्शियम और विटामिन जैसी चीज़ों की जानकारी और उनकी आसान उपलब्धता पर ज़ोर दिया गया है। ताकि औरतें कमज़ोरी से बाहर निकलकर ज़्यादा तंदुरुस्त रह सकें।
सेहत की जागरूकता
कई बार औरतें अपनी बीमारी को नज़रअंदाज़ कर देती हैं, या उन्हें सही जानकारी नहीं होती। इस वजह से बड़ी दिक़्क़तें पैदा हो जाती हैं। इसलिए इस अभियान में गाँव-गाँव और शहर-शहर जाकर सेहत की जागरूकता फैलाई जाएगी। महिलाओं को सिखाया जाएगा कि वो अपनी नियमित जांच करवाएँ, ज़रूरी टीके लगवाएँ और सेहतमंद आदतों को अपनाएँ।
परिवार की खुशहाली
अगर औरत तंदुरुस्त होगी, तो उसका सीधा असर पूरे घर पर पड़ेगा। घर पर दवाइयों और इलाज का बेकार खर्च नहीं होगा, बच्चे मज़बूत और होशियार बनेंगे और पूरा ख़ानदान आर्थिक रूप से भी सशक्त हो जाएगा। यानी औरत की तंदुरुस्ती ही ख़ानदान की असली खुशहाली है।
सबकी बराबर ज़िम्मेदारी
इस अभियान का एक और अहम पैग़ाम है कि औरत की सेहत को सिर्फ़ औरत की अपनी ज़िम्मेदारी न माना जाए। ये पूरे ख़ानदान का, पूरे समाज का फ़र्ज़ है कि वो औरत की सेहत का ख़याल रखें। ख़ास तौर पर मर्दों और बच्चों को ये समझना होगा कि माँ, बहन या बीवी की सेहत का ध्यान रखना उन्हीं का भी फ़र्ज़ है।
महिलाओं की स्वास्थ्य चुनौतियाँ
भारत जैसा बड़ा और विशाल मुल्क है, वहाँ औरतों के सामने सेहत से जुड़ी कई बड़ी मुश्किलें खड़ी रहती हैं। ये मुश्किलें सिर्फ़ उनकी ज़िंदगी को ही नहीं, बल्कि पूरे घर और समाज को भी प्रभावित करती हैं।
एनीमिया यानी ख़ून की कमी
हमारे यहाँ की आधी से ज़्यादा औरतें इस बीमारी से परेशान हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि तक़रीबन 50% से भी ज़्यादा महिलाएँ एनीमिया का शिकार हैं। यानी उनके जिस्म में ख़ून की कमी है, जिसकी वजह से वो हमेशा थकान, कमज़ोरी और चक्कर जैसी परेशानियाँ महसूस करती हैं।
कुपोषण
गर्भावस्था के दौरान बहुत-सी औरतों को सही खाना और ज़रूरी पोषण नहीं मिल पाता। नतीजा ये होता है कि उनकी अपनी सेहत भी बिगड़ जाती है और पेट में पल रहे बच्चे की जान और तंदुरुस्ती भी ख़तरे में आ जाती है। सही खुराक की कमी आने वाली पीढ़ी पर भी गहरा असर डालती है।
मानसिक स्वास्थ्य
आज के दौर में औरतें सिर्फ़ घर के कामों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बाहर नौकरी और अलग-अलग ज़िम्मेदारियों को भी निभा रही हैं। ऐसे में घर के तनाव, काम की चुनौतियाँ और समाज का दबाव – सब मिलकर उनकी मानसिक सेहत पर बोझ डालते हैं। बहुत-सी औरतें उदासी, चिंता और तनाव में घिरी रहती हैं, मगर खुलकर इसका इज़हार नहीं कर पातीं।
साफ़-सफ़ाई और मासिक धर्म से जुड़ी मुश्किलें
गाँव-कस्बों में आज भी बहुत सी औरतों के पास मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान इस्तेमाल करने के लिए साफ़-सुथरे साधन नहीं होते। इसके साथ ही जागरूकता की कमी और पुरानी सोच की वजह से औरतें कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। ये उनकी सेहत और इज़्ज़त दोनों पर बुरा असर डालता है।
इन तमाम मुश्किलों को जड़ से मिटाने के लिए “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान” ठोस और कारगर योजनाओं पर काम कर रहा है। इसका मक़सद है कि औरतों को सही इलाज, सही पोषण, सही जानकारी और सबसे बढ़कर – समाज में वो इज़्ज़त और तवज्जो (ध्यान) मिले जिसकी वो असल में हक़दार हैं।
Healthy Women, Empowered Family Campaign की मुख्य रणनीतियाँ
“Healthy Women, Empowered Family अभियान” को कामयाब बनाने के लिए कई तरह की कोशिशें की जा रही हैं, जो सीधे आम औरतों तक पहुँचती हैं।
सेहत के मुफ़्त कैंप (स्वास्थ्य शिविर)
गाँव-गाँव और शहर-शहर में मुफ़्त हेल्थ कैंप लगाए जा रहे हैं, जहाँ औरतों की पूरी तरह से जाँच होती है। ख़ून की कमी, हड्डियों की मज़बूती, गर्भावस्था की दिक़्क़तें या कोई और बीमारी – सबका इलाज और सलाह वहीं दी जाती है। ये शिविर औरतों के लिए बड़ी राहत साबित हो रहे हैं।
पोषण किट का बाँटना
गर्भवती औरतों और किशोरियों को ख़ास तौर पर पोषण किट दी जाती है। इसमें आयरन, कैल्शियम, फॉलिक एसिड की गोलियाँ और सेहतमंद आहार का सामान शामिल होता है। ताकि औरतें मज़बूत रहें और आने वाली नस्लें (पीढ़ियाँ) भी सेहतमंद पैदा हों।
जागरूकता रैली और वर्कशॉप
स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर रैलियाँ और कार्यशालाएँ होती हैं। इनमें औरतों और लड़कियों को ये सिखाया जाता है कि तंदुरुस्त रहने के लिए क्या खाना चाहिए, किस तरह सफ़ाई रखनी चाहिए और बीमारी की शुरुआती निशानियों को कैसे पहचानना चाहिए।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल
आजकल मोबाइल और इंटरनेट हर हाथ में है। इसी वजह से मोबाइल ऐप और सोशल मीडिया के ज़रिए औरतों तक सेहत की अहम जानकारी पहुँचाई जा रही है। ताकि शहर ही नहीं, बल्कि दूर-दराज़ गाँव की महिलाएँ भी फ़ायदा उठा सकें।
सामुदायिक भागीदारी
ये अभियान सिर्फ़ औरतों तक सीमित नहीं है। इसमें मर्दों और बच्चों को भी शामिल किया गया है। ताकि औरत की सेहत को पूरे घर की ज़िम्मेदारी माना जाए। मर्द अगर सहयोग करेंगे, तो औरतों को दोगुना सहारा मिलेगा।
सरकारी योजनाएँ
सरकार की कई योजनाएँ इस अभियान की बुनियाद हैं – जैसे आयुष्मान भारत योजना, जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान। ये सब मिलकर औरतों को मुफ़्त इलाज, सही पोषण और सुरक्षित मातृत्व देती हैं।
एनजीओ और समाजसेवी संगठन
कई ग़ैर-सरकारी संगठन (NGO) और समाजसेवी ग्रुप गाँव-गाँव जाकर औरतों को जागरूक करते हैं, उन्हें सही जानकारी और ज़रूरी संसाधन पहुँचाते हैं।
परिवार और समाज का फ़र्ज़
सबसे अहम ज़िम्मेदारी परिवार की है। बेटियों को बचपन से ही अच्छा पोषण दिया जाए, माँओं को आराम और संतुलित खाना मिले, और बहू-बेटियों की सेहत को घर की सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाया जाए। तभी ख़ानदान असली मायनों में सशक्त होगा।
Healthy Women, Empowered Family Campaign के लाभ
अगर औरत तंदुरुस्त रहेगी, तो सबसे पहले असर पूरे घर पर दिखाई देगा। बच्चे उसकी सही देखभाल पाएँगे, बुज़ुर्गों को वक़्त और मोहब्बत मिलेगी और घर का माहौल भी अच्छा रहेगा। यानी औरत की सेहत ही पूरे ख़ानदान की असली तंदरुस्ती की ज़मानत है।
तालीम और रोज़गार में तरक़्क़ी
जब नारी मज़बूत और स्वस्थ होगी, तो वो पढ़ाई में भी आगे बढ़ेगी और नौकरी या कारोबार में भी कामयाबी हासिल करेगी। एक तंदुरुस्त जिस्म और दिमाग़ ही इंसान को ज़िंदगी की हर चुनौती से निपटने का हौसला देता है।
माली मज़बूती (आर्थिक मजबूती)
अगर घर की औरत बार-बार बीमार पड़ती है, तो घर की आमदनी का बड़ा हिस्सा दवाइयों और इलाज में ख़र्च हो जाता है। लेकिन जब औरत स्वस्थ रहेगी, तो बेकार का इलाज वाला ख़र्च बच जाएगा और वही पैसा बच्चों की पढ़ाई, घर की ज़रूरतों और ख़ुशहाली पर लगाया जा सकेगा।
सामाजिक संतुलन
एक सेहतमंद औरत अपने घर को मोहब्बत, सहयोग और अनुशासन से जोड़कर रखती है। वो पूरे ख़ानदान को इकठ्ठा रखने वाली कड़ी होती है। उसके मज़बूत होने से घर में सुकून, अमन और तरक़्क़ी आती है।
“Healthy Women, Empowered Family अभियान” कोई मामूली सी सरकारी स्कीम नहीं है, बल्कि ये तो असल में एक आंदोलन है, जो समाज को बदलने का इरादा रखती है। ये हमें याद दिलाती है कि अगर औरत मज़बूत होगी, तो घर मज़बूत होगा, और जब घर मज़बूत होगा, तो पूरा राष्ट्र मज़बूत बनेगा।
हमें ये समझना होगा कि औरत की सेहत सिर्फ़ उसकी अपनी ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे घर, पूरे समाज और पूरे मुल्क का फ़र्ज़ है।
आज की सबसे बड़ी ज़रूरत यही है कि हम सब मिलकर इस अभियान को हर गली, हर मोहल्ले और हर गाँव तक पहुँचाएँ और सबको ये पैग़ाम दें –
“स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार और सशक्त भारत की असली नींव है।”
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