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VB G RAM G Bill: भारत की ग्रामीण रोजगार परंपरा में बड़ा परिवर्तन
आज 18 दिसंबर 2025 को दिल्ली में संसद के लोकसभा सदन में एक बहुत ही चर्चा में रहने वाला और विवादों से घिरा हुआ विधेयक VB G RAM G Bill पास कर दिया गया। इस बिल का पूरा नाम है “विकसित भारत – रोज़गार और आजीविका की गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025”। सरकार का कहना है कि यह बिल गांव-देहात के लोगों को रोज़गार देने की मौजूदा व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए लाया गया है।
यह नया कानून धीरे-धीरे MGNREGA यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 की जगह लेने वाला है। MGNREGA के ज़रिये अब तक करोड़ों ग्रामीण परिवारों को काम मिला है, लेकिन सरकार का मानना है कि बदलते वक्त के साथ एक नए और ज़्यादा प्रभावी ढांचे की ज़रूरत है। इसी सोच के तहत VB G RAM G Bill को संसद में पेश किया गया।
हालाँकि, इस बिल को लेकर विपक्ष ने ज़बरदस्त ऐतराज़ जताया। विपक्षी सांसदों का कहना था कि यह कानून गरीबों के हक़ को कमज़ोर कर सकता है और MGNREGA जैसी मजबूत योजना को हटाना सही नहीं है। इसी बात पर सदन के अंदर माहौल इतना गरम हो गया कि नारेबाज़ी, हंगामा और शोर-शराबा शुरू हो गया।
हालात ऐसे बन गए कि सदन की कार्यवाही ठीक से चल ही नहीं पाई। विपक्षी सांसद अपनी सीटों से उठकर विरोध करने लगे और सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने लगे। आखिरकार, भारी हंगामे और अव्यवस्था को देखते हुए लोकसभा को आज के पूरे सत्र के लिए स्थगित करना पड़ा।
कुल मिलाकर, VB G RAM G Bill का पास होना जितना बड़ा फैसला है, उतना ही बड़ा सियासी विवाद भी बन गया है। सरकार इसे ग्रामीण भारत के लिए एक नई शुरुआत बता रही है, जबकि विपक्ष इसे गरीबों के हक़ पर चोट मान रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद के बाहर भी ज़ोर-शोर से उठता नज़र आ सकता है।
VB G RAM G Bill क्या है?
सरकार ने VB G RAM G Billl की घोषणा इस सोच के साथ की है कि ग्रामीण भारत में रोज़गार और रोज़ी-रोटी की मौजूदा व्यवस्था को नए सिरे से मज़बूत किया जाए। सरकार का कहना है कि यह बिल “विकसित भारत @2047” के सपने के बिल्कुल मुताबिक है और इससे गांवों में रहने वाले लोगों के लिए काम के नए मौके पैदा होंगे।
असल में यह बिल MGNREGA की जगह लेने के लिए लाया गया है। MGNREGA पिछले करीब 20 सालों से गांव-देहात के गरीब और मेहनतकश लोगों को रोज़गार की गारंटी देता आ रहा है। अब सरकार का मानना है कि वक्त के साथ इसमें बदलाव ज़रूरी हो गया है, ताकि गांवों की ज़रूरतों के हिसाब से एक नया और बेहतर सिस्टम तैयार किया जा सके।
इस नए बिल का सबसे बड़ा मकसद यह है कि हर ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 125 दिन का कानूनी रोज़गार मिल सके, ताकि लोगों को काम के लिए दर-दर भटकना न पड़े। सिर्फ मज़दूरी ही नहीं, बल्कि सरकार चाहती है कि इसके ज़रिये आजीविका के साधन मजबूत हों और गांवों का समग्र विकास हो।

VB G RAM G Bill के तहत सरकार की कोशिश है कि ग्रामीण इलाकों से जुड़ी अलग-अलग योजनाओं को एक ही ढांचे में जोड़ा जाए, ताकि काम में तालमेल रहे और फायदा सीधे लोगों तक पहुंचे। साथ ही, इसमें डिजिटल तकनीक और आईटी सिस्टम का इस्तेमाल कर निगरानी को मजबूत करने और पारदर्शिता बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है, ताकि भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों पर लगाम लग सके।
कुल मिलाकर, सरकार इस बिल को ग्रामीण भारत के लिए एक नया रास्ता बता रही है, जिससे रोज़गार, रोज़ी-रोटी और विकास तीनों को एक साथ आगे बढ़ाया जा सके।
VB-G RAM G Bill और MGNREGA में मुख्य अंतर
VB-G RAM G Bill के आने से MGNREGA में कई बड़े और अहम बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सरकार का कहना है कि ये बदलाव वक्त की ज़रूरत को देखते हुए किए गए हैं, लेकिन इन्हीं बातों को लेकर सबसे ज़्यादा बहस भी हो रही है।
सबसे पहला और बड़ा बदलाव रोज़गार के दिनों को लेकर है। अब तक MGNREGA के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन काम देने की गारंटी थी, लेकिन नए VB-G RAM G Bill में इसे बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है। यानी पहले के मुकाबले 25 दिन ज़्यादा रोज़गार मिलने का दावा किया जा रहा है, ताकि गांव के लोगों की आमदनी कुछ और मज़बूत हो सके।
दूसरा बड़ा बदलाव पैसे की हिस्सेदारी को लेकर है। पहले MGNREGA में मज़दूरों की मज़दूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी। लेकिन अब VB-G RAM G के तहत केंद्र और राज्य दोनों मिलकर खर्च उठाएंगे, यानी सेंट्रल-स्टेट कॉस्ट शेयरिंग लागू की गई है। विपक्ष का कहना है कि इससे राज्यों पर ज़्यादा आर्थिक बोझ पड़ेगा, खासकर उन राज्यों पर जो पहले से ही पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं।
तीसरा अहम बदलाव है काम देने के तरीके में। MGNREGA एक मांग-आधारित योजना थी, मतलब अगर किसी गांव या इलाके में ज़्यादा लोग काम मांगते थे, तो सरकार को उसी हिसाब से काम देना पड़ता था। लेकिन VB G RAM G Bill में काम पहले से तय बजट और योजना के हिसाब से दिया जाएगा। यानी अब सिस्टम डिमांड-ड्रिवन से हटकर सप्लाई-ड्रिवन हो जाएगा। विपक्ष का डर है कि इससे ज़रूरतमंद लोगों को वक्त पर काम न मिल पाए।

इसके अलावा, नए बिल में कृषि पिक सीज़न को भी ध्यान में रखा गया है। इसके तहत 60 दिन का ऐसा समय तय किया गया है, जब खेती का काम ज़ोरों पर रहता है — जैसे बोवाई या कटाई के दिन। इस दौरान सरकारी सार्वजनिक कामों को रोका जा सकता है, ताकि मज़दूर खेती के काम में लग सकें और किसानों को मज़दूरों की कमी न झेलनी पड़े।
संसद में क्यों मचा बवाल?
जैसे ही VB G RAM G Bill को लोकसभा में पेश किया गया, विपक्ष ने ज़ोरदार विरोध शुरू कर दिया। सबसे बड़ा ऐतराज़ नाम बदलने को लेकर सामने आया। विपक्ष का कहना है कि MGNREGA से “महात्मा गांधी” का नाम हटाना गलत है और इससे राष्ट्रपिता गांधी-जी की इज़्ज़त और विरासत को ठेस पहुंचती है। उनका आरोप है कि यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि गांधी-जी के नाम और उनके विचारों को पीछे धकेलने की कोशिश है।
इन्हीं तमाम मुद्दों को लेकर संसद का माहौल गरमा गया, शोर-शराबा बढ़ता गया और आखिरकार बहस हंगामे में बदल गई। यही वजह रही कि यह बिल सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि सियासी तकरार का बड़ा मुद्दा बन गया है।
अधिकार-आधारित अधिकार कमजोर:
MGNREGA एक ऐसी योजना थी जो पूरी तरह कानूनी हक़ पर आधारित मानी जाती थी। मतलब यह कि गांव में रहने वाला कोई भी इंसान जब चाहे, सरकार से साल में 100 दिन काम की मांग कर सकता था और सरकार को उसे काम देना ही पड़ता था। यही वजह थी कि इसे गरीबों और मज़दूरों की सुरक्षा की ढाल कहा जाता था।
लेकिन विपक्ष का कहना है कि VB G RAM G Bill में यह हक़ वाली बात अब उतनी साफ़ और मज़बूत नहीं रही। उनके मुताबिक, नए कानून में रोज़गार देना ज़्यादा केंद्र और राज्य सरकारों के नियंत्रण में चला जाएगा। यानी अब मज़दूर की मांग से ज़्यादा सरकार की योजना और फैसले अहम होंगे। इसी बात को लेकर विपक्ष कह रहा है कि गरीबों का कानूनी अधिकार धीरे-धीरे कमज़ोर किया जा रहा है।
एक और बड़ी चिंता पैसे को लेकर सामने आ रही है। नए को-फंडिंग मॉडल में केंद्र के साथ-साथ राज्यों को भी ज़्यादा पैसा लगाना होगा। विपक्ष और कुछ राज्य सरकारों का कहना है कि इससे वित्तीय बोझ बढ़ेगा, खासकर उन छोटे और सीमांत राज्यों पर जो पहले से ही आर्थिक तंगी में हैं। उन्हें डर है कि अगर पैसा समय पर नहीं मिला, तो ज़मीन पर काम भी रुक सकता है।
संसद में मचा ज़ोरदार हंगामा
जब VB G RAM G Bill पर लोकसभा में चर्चा शुरू हुई, तो माहौल देखते ही देखते गरमा गया। विपक्षी सांसदों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। किसी ने नारे लगाए, तो किसी ने गुस्से में आकर बिल की कॉपियाँ फाड़ दीं। विपक्ष का आरोप था कि इतना बड़ा और संवेदनशील कानून बिना पूरी जांच-पड़ताल और गहरी चर्चा के जल्दबाज़ी में पास किया जा रहा है।
शोर-शराबा इतना बढ़ गया कि सदन की कार्यवाही चलाना मुश्किल हो गया। हालात काबू से बाहर होते देख लोकसभा को आज के पूरे सत्र के लिए स्थगित (अजर्न्ड) कर दिया गया। तय किया गया कि अब सदन की अगली बैठक 19 दिसंबर को होगी।
कुल मिलाकर, यह साफ़ है कि VB G RAM G Bill सिर्फ एक नया कानून नहीं, बल्कि ऐसा मुद्दा बन गया है जिसने संसद के अंदर और बाहर सियासी तूफ़ान खड़ा कर दिया है।
सरकार का पक्ष
सरकार ने VB G RAM G Bill का खुलकर बचाव करते हुए कहा है कि यह कानून गांव-देहात के लोगों के लिए नए और ज़्यादा रोज़गार के मौके लेकर आएगा। सरकार का दावा है कि इस बिल के लागू होने से ग्रामीण इलाकों में काम की कमी नहीं रहेगी और लोगों को अपने ही गांव में मेहनत-मज़दूरी का सहारा मिलेगा।
सरकार के मुताबिक, साल में 125 दिन काम की गारंटी मिलने से ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ेगी और उनकी ज़िंदगी में कुछ हद तक आर्थिक राहत आएगी। इससे गरीब और मेहनतकश परिवारों को रोज़मर्रा के खर्च चलाने में मदद मिलेगी और उन्हें शहरों की तरफ पलायन करने की मजबूरी भी कम होगी।
सरकार यह भी कह रही है कि यह बिल “Viksit Bharat @2047” के बड़े लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम है। उनका मानना है कि जब गांव मज़बूत होंगे, तभी देश तरक़्क़ी की राह पर आगे बढ़ेगा। इसी सोच के साथ इस कानून को तैयार किया गया है।
सरकार के अनुसार, VB G RAM G Bill से ग्रामीण विकास की सारी योजनाओं को एक सूत्र में पिरोया जाएगा, ताकि काम बिखरा हुआ न रहे और ज़्यादा असरदार ढंग से आगे बढ़े। इससे केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल बनेगा और योजनाओं का फायदा सीधे ज़मीन पर नज़र आएगा।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में कहा कि महात्मा गांधी के मूल विचार आज भी ज़िंदगी के हर पहलू में ज़िंदा हैं। उन्होंने साफ़ किया कि यह बिल गांधी-जी की सोच के खिलाफ नहीं है, बल्कि उसी भावना को आगे बढ़ाने की कोशिश है। उनके मुताबिक, इस कानून से देश के ग्रामीण लोगों को न सिर्फ़ काम मिलेगा, बल्कि उनकी रोज़ी-रोटी और आजीविका भी मज़बूत होगी, जिससे वे सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकेंगे।
अब आगे क्या होगा?
अब जब VB G RAM G Bill लोकसभा से पास हो चुका है, तो अगला क़दम यह है कि इसे राज्यसभा में भेजा जाएगा, जहाँ इस पर चर्चा होगी और फिर वोटिंग कराई जाएगी। अगर राज्यसभा से भी इस बिल को मंज़ूरी मिल जाती है, तो उसके बाद यह राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही यह विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा और फिर MGNREGA को औपचारिक तौर पर बदल दिया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ़, विपक्ष पहले ही अपना रुख साफ़ कर चुका है। विपक्षी दलों का कहना है कि इतने बड़े और संवेदनशील बिल को जल्दबाज़ी में पास करना ठीक नहीं है। उनकी मांग है कि इस विधेयक को संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाए, ताकि इसकी गहराई से जांच-पड़ताल हो सके और ज़रूरी सुझाव दिए जा सकें। लेकिन सरकार इस मुद्दे पर पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रही और वह इसे तेज़ी से लागू करने के पक्ष में है।
कुल मिलाकर, VB-G RAM G Bill को भारत के ग्रामीण रोज़गार और आजीविका के ढांचे में एक ऐतिहासिक बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार इसे ग्रामीण विकास की नई शुरुआत बता रही है और दावा कर रही है कि इससे गांव-देहात की तस्वीर बदलेगी। दूसरी ओर, विपक्ष का मानना है कि यह बिल अधिकार-आधारित सार्वजनिक रोज़गार की बुनियाद को कमज़ोर करता है, जो अब तक गरीबों का सबसे बड़ा सहारा रही है।
यह बिल सिर्फ़ काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नीति, सिद्धांत, पैसे की ज़िम्मेदारी और केंद्र-राज्य के रिश्तों में भी बड़े बदलाव लेकर आया है। यही वजह है कि इस बिल को लेकर संसद में इतना ज़ोरदार विरोध हुआ और हंगामा देखने को मिला। फिलहाल, यह मुद्दा देश की सियासत और राजनीतिक बहस का सबसे गर्म विषय बना हुआ है।
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