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“European Club Cup में भारतीय शतरंज का परचम: D. Gukesh और Divya Deshmukh को Double Gold, निहाल सरीन और अभिमन्यु पुराणिक ने भी चमक बिखेरी”

"European Club Cup में भारतीय शतरंज का परचम: D. Gukesh और Divya Deshmukh को Double Gold, निहाल सरीन और अभिमन्यु पुराणिक ने भी चमक बिखेरी"

European Club Cup में भारतीय सितारों की चमक

शानदार प्रदर्शनी और गौरवशाली पल: चैस की दुनिया में यह समय हमारे लिए वाकई गर्व का है क्योंकि भारत के युवा सितारों ने European Club Cup 2025 में ऐसा दमदार प्रदर्शन किया है कि दुनिया के ग्रैंडमास्टर्स भी हैरान रह गए। नीचे जानिए कैसे –

डबल गोल्ड: D Gukesh और Divya Deshmukh

Gukesh ने ओपन सेगमेंट में शीर्ष बोर्ड पर गोल्ड मेडल जीता, साथ ही उनकी टीम SuperChess ने मैचों में 14 / 14 यानी पूर्ण विजयी स्कोर बनाकर खिताब जीता। Divya ने महिलाओं के सेगमेंट में दूसरे बोर्ड पर गोल्ड मेडल हासिल किया और उनकी टीम Cercle d’échecs de Monte‑Carlo ने खिताब अपने नाम किया। यह “डबल गोल्ड” इसलिए विशेष है क्योंकि एक ही प्रतियोगिता में पुरुष और महिला दोनों सेगमेंट में भारतीय खिलाड़ियों का शीर्ष स्थान लेना आसान नहीं होता।

Nihal Sarin और Abhimanyu Puranik

Nihal ने अपने क्लब Bayegan Pendik Chess Sports Club के लिए चौथे बोर्ड पर गोल्ड मेडल जीता। Abhimanyu ने अपने क्लब Alkaloid के लिए सातवें बोर्ड पर गोल्ड मेडल हासिल किया।

इन प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि भारत अब सिर्फ “शतरंज की जन्मभूमि” नहीं बल्कि भविष्य में शीर्ष पर रहने वाली ताकत भी है। यह टूर्नामेंट ग्राउंड ब्रेकिंग रहा क्योंकि Open सेक्शन में SuperChess ने 14 मात्र मैचों में 14 विजय दर्ज की एकदम परफेक्ट स्कोर।

महिलाओं की हिस्सा भी शानदार रहा Monte-Carlo क्लब ने 13 में से 14 अंक बनाकर खिताब उठाया। इस सफलता ने इन खिलाड़ियों को आने वाले बड़े टूर्नामेंटों, जैसे कि FIDE World Cup 2025 (गोवा में) के लिए भी आत्मविश्वास दिया है।

इस उपलब्धि के साथ भारत ने एक बार फिर वैश्विक शतरंज मानचित्र पर अपनी मौजूदगी को जोरदार तरीके से दर्ज किया है। हमारे ये युवा शेर न सिर्फ अपना बल्कि पूरे देश का नाम ऊँचा कर रहे हैं

D. Gukesh: विश्वनाथन आनंद की राह पर

D. Gukesh का नाम अब बस एक “यंग टैलेंट” का नहीं रह गया, बल्कि अब लोग उन्हें आने वाले वर्ल्ड चैंपियन के सबसे बड़े दावेदार के तौर पर देख रहे हैं। यूरोपियन क्लब कप में उनका खेल ऐसा था कि हर किसी की नज़र बस उन्हीं पर टिक गई। उन्होंने अपने क्लब Superchess Knights के लिए खेलते हुए जीत की ऐसी लहर चला दी कि यूरोप के कई दिग्गज ग्रैंडमास्टर्स उनके सामने टिक ही नहीं पाए।

Gukesh ने सातों राउंड में एक भी मैच नहीं हारा यानी पूरी तरह अपराजित रहे। उन्होंने अपनी टीम को गोल्ड मेडल जिताया और खुद भी बोर्ड गोल्ड अपने नाम कर लिया। मतलब, एक ही टूर्नामेंट में डबल गोल्ड! ये कोई मामूली बात नहीं है।

उनका खेल देखने वाले कहते हैं “वो जितनी शांति से बोर्ड पर बैठते हैं, उतनी ही सटीकता से चाल चलते हैं।” उनकी कैलकुलेशन, धैर्य और कूल माइंडसेट ने उन्हें “Indian Ice King” बना दिया है। जो ठंडे दिमाग से सोचकर, पलटवार करते हैं और सामने वाला समझ ही नहीं पाता कि कब हार गया।

शतरंज विशेषज्ञों का कहना है कि अब गुकेश ही वो खिलाड़ी हैं जो आने वाले वक़्त में मैग्नस कैरलसन को असली चुनौती दे सकते हैं। उनके हर गेम में वो “विज़ुअलाइज़ेशन” और “प्रिपरेशन” का ऐसा लेवल दिखता है, जो बहुत कम खिलाड़ियों में देखने को मिलता है।

उनका ये प्रदर्शन आने वाली वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप साइकिल के लिए भी बहुत अहम है। उन्होंने न सिर्फ अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाया है, बल्कि बाकी खिलाड़ियों को भी ये साफ़ मैसेज दे दिया है कि भारत अब सिर्फ आनंद (Viswanathan Anand) का नाम नहीं, बल्कि अब एक नई पीढ़ी का युग शुरू हो गया है और उस युग का लीडर डी. गुकेश है।

अब गुकेश का पूरा फोकस ग्रैंड चेस टूर, कैंडीडेट्स टूर्नामेंट, और वर्ल्ड कप जैसे बड़े इवेंट्स पर है। उनकी मौजूदा फॉर्म, मानसिक मजबूती और खेल की गहराई देखकर एक्सपर्ट्स का साफ़ कहना है“अगर आने वाले पाँच सालों में कोई भारतीय खिलाड़ी वर्ल्ड चैंपियन बन सकता है, तो वो सिर्फ डी. गुकेश ही है।”

चेस की दुनिया में गुकेश अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक राइजिंग लेजेंड बन चुके हैं जो अपने हर मूव से भारत का head ऊँचा कर रहे हैं।

Divya Deshmukh: भारतीय शतरंज की नई रानी

जहाँ एक तरफ़ पुरुष वर्ग में डी. गुकेश ने अपना जलवा बिखेरा, वहीं दूसरी तरफ़ Divya Deshmukh ने सच में “सोने पर सुहागा” कर दिया। उनका खेल ऐसा था कि देखने वाले दंग रह गए। उन्होंने अपने क्लब Monte Carlo Chess Club के लिए खेलते हुए जो प्रदर्शन किया, वो किसी इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर से कम नहीं था।

Divya Deshmukh ने अपने बोर्ड पर एक के बाद एक शानदार जीत हासिल कीं और आखिर में पर्सनल गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। ये कोई साधारण बात नहीं उन्होंने इतिहास रच दिया! वो पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं जिन्होंने European Club Cup में गोल्ड मेडल जीता।

Divya Deshmukh का खेल देखने वालों को साफ़ महसूस हुआ कि दिव्या के अंदर एक अनोखा कॉम्बिनेशन है सुकून और जोश का, आत्मविश्वास और संयम का। वो न तो जल्दी घबराती हैं, न ही किसी दबाव में आती हैं। हर चाल सोच-समझकर, बड़ी ठहराव के साथ चलती हैं। कई अनुभवी और नामी खिलाड़ियों को उन्होंने अपनी सूझबूझ और सटीक रणनीति से मात दी वो भी बिना किसी दिखावे के, एकदम सादगी के साथ।

Divya Deshmukh का ये प्रदर्शन ये साबित करता है कि अब भारतीय महिला शतरंज किसी से पीछे नहीं। अब हमारे यहाँ की लड़कियाँ सिर्फ सीखने नहीं, बल्कि लीड करने आई हैं।
और जिस आत्मविश्वास के साथ दिव्या बोर्ड पर बैठती हैं वो बताता है कि आने वाले वक्त में वो भारत की अगली बड़ी वर्ल्ड चैंपियन कंटेंडर बन सकती हैं।

वो अब सिर्फ “यंग टैलेंट” नहीं, बल्कि इंडियन क्वीन ऑफ़ चेस बन चुकी हैं जो अपनी हर चाल से ये दिखा रही हैं कि अब दुनिया को भारत की बेटियों से डरने की ज़रूरत है।

Nihal Sarin: स्थिरता और गति का अद्भुत संगम

ग्रैंडमास्टर निहाल सरीन, जिनकी चालें किसी बिजली की तरह तेज़ और कैलकुलेशन किसी मशीन की तरह सटीक मानी जाती हैं, उन्होंने भी इस टूर्नामेंट में ग़ज़ब का खेल दिखाया। निहाल ने अपने क्लब के लिए कई ऐसे मैच जीते जो टीम के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुए। उनके हर मूव में एक ठहराव, एक गहराई और एक भरोसा झलकता था जैसे उन्हें पहले से पता हो कि अगली पाँच चालों में क्या होने वाला है।

उन्होंने अपने टीम को पॉडियम फिनिश तक पहुँचाने में बहुत अहम रोल निभाया। कई मैचों में जब टीम मुश्किल में थी, तब निहाल ने अपने शांत दिमाग और अद्भुत समझ से गेम को पलट दिया। खास बात ये रही कि उनका एंडगेम तो मानो एक मास्टरक्लास था वो जो पोज़िशन दूसरों को ड्रॉ लगती थी, उसे जीत में बदल देना, ये निहाल की ख़ासियत है।

पहले निहाल को लोग “ऑनलाइन चेस स्टार” के तौर पर जानते थे जो इंटरनेट पर बुलेट और ब्लिट्ज़ में दुनिया के टॉप खिलाड़ियों को हराते हैं। लेकिन अब उन्होंने ये साबित कर दिया है कि वो सिर्फ स्क्रीन वाले चेसबोर्ड तक सीमित नहीं हैं। अब वो “ओवर द बोर्ड” यानी असली मुकाबलों में भी उतने ही खतरनाक हो गए हैं।

उनके अंदर वो ठहराव है जो बड़े खिलाड़ियों में होता है चेहरे पर कभी जल्दी या घबराहट नहीं दिखती, बस फोकस और शांति। यही वजह है कि आज निहाल सरीन को दुनिया के सबसे भरोसेमंद यंग ग्रैंडमास्टर्स में गिना जाता है। एक शब्द में कहें तो निहाल अब भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान हैं। और अगर उनका यही ग्राफ चलता रहा, तो आने वाले वक्त में वो भारत को किसी बड़े इंटरनेशनल खिताब तक ज़रूर ले जाएँगे।

Abhimanyu Puranik: चुपचाप खेलने वाला विजेता

Abhimanyu Puranik, जिन्हें प्यार से लोग “साइलेंट असैसिन” कहते हैं, उन्होंने भी यूरोप की धरती पर अपने खेल से सबको हैरान कर दिया। वो ज़्यादा बोलते नहीं, बस अपने चालों से जवाब देते हैं और यही उनकी सबसे बड़ी ताक़त है।

इस बार के European Club Cup में अभिमन्यु ने अपने बोर्ड पर लगातार शानदार नतीजे दिए। कई बार ऐसा हुआ जब उनकी टीम मुश्किल में थी, पर उन्होंने अपने ठहराव भरे खेल और कमाल की रणनीति से मैच पलट दिया। उनकी हर चाल में एक सोच झलकती है जैसे वो पहले से जान चुके हों कि विरोधी कब गलती करेगा।

उनका शांत स्वभाव और सटीक गेमप्लान विरोधियों को उलझा देता है। सामने वाला खिलाड़ी जब पूरी ताक़त झोंक देता है, तब अभिमन्यु बस मुस्कुराते हुए कोई ऐसी चाल चलते हैं कि सारा बैलेंस ही बदल जाता है। यही वजह है कि उन्हें “साइलेंट असैसिन” कहा जाता है वो बिना शोर किए, धीरे-धीरे जीत छीन लेते हैं।

उनका ये प्रदर्शन साफ़ दिखाता है कि भारत अब सिर्फ दो-चार टॉप खिलाड़ियों का देश नहीं रह गया। अब हमारे पास एक पूरी नई पीढ़ी तैयार है जो विश्व शतरंज का चेहरा बदलने के लिए तैयार बैठी है।

कभी ये टूर्नामेंट यूरोप के दिग्गज देशों रूस, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन का गढ़ माना जाता था। पर अब तस्वीर बदल रही है। आज हर बड़े यूरोपीय क्लब में आपको कोई न कोई भारतीय खिलाड़ी ज़रूर मिलेगा।

अब भारत सिर्फ चेस खेलने वाला देश नहीं रहा, बल्कि बन चुका है एक “Chess Talent Export Hub” यानी वो जगह जहाँ से दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी निकलते हैं।

यूरोपीय क्लब अब खुद आगे बढ़कर भारतीय खिलाड़ियों को अपनी टीमों में शामिल करना चाहते हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि भारतीय खिलाड़ी सिर्फ अच्छे चालबाज़ नहीं, बल्कि अनुशासित, टीम-ओरिएंटेड और गहरी रणनीतिक सोच वाले प्रोफेशनल्स हैं। सच कहें तो, अब यूरोप में हर कोई ये मान चुका है “अगर किसी देश ने चेस की दुनिया में नया युग शुरू किया है, तो वो भारत है।”

प्रतिक्रियाएँ: भारत में खुशी की लहर

भारतीय शतरंज महासंघ (AICF) ने सभी खिलाड़ियों को दिल से बधाई देते हुए ट्वीट किया “यह भारतीय शतरंज के लिए एक स्वर्णिम पल है। गुकेश और दिव्या की डबल गोल्ड उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी।”

वहीं भारत के लीजेंड ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने भी गर्व से कहा “मुझे इन बच्चों पर बेहद गर्व है। ये सिर्फ जीत नहीं रहे, बल्कि शतरंज के असली मूल्यों को पूरी दुनिया तक पहुँचा रहे हैं।”

सोशल मीडिया पर तो जैसे बधाइयों की बौछार ही लग गई। ट्विटर (अब X) पर #Gukesh, #DivyaDeshmukh, और #IndianChess जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। हर कोई इन युवा सितारों को दिल से सलाम कर रहा था कोई कह रहा था “यह तो बस शुरुआत है”, तो कोई लिख रहा था “अब दुनिया संभल जाए, भारत आ गया है!”

सच में, यह जीत सिर्फ पदकों की जीत नहीं थी, बल्कि सोच और मानसिकता की जीत थी। अब भारतीय खिलाड़ी किसी डर या दबाव में नहीं खेलते। अब वो खेलते हैं आत्मविश्वास, जुनून और यकीन के साथ कि वो किसी भी दिग्गज को टक्कर दे सकते हैं। यह वही आत्मविश्वास है जिसने भारत को पहले क्रिकेट में, फिर बैडमिंटन में और अब शतरंज में दुनिया की सबसे बड़ी ताक़तों में शामिल कर दिया है।

European Club Cup 2025 भारत के लिए वाकई एक ऐतिहासिक टूर्नामेंट साबित हुआ। गुकेश और दिव्या देशमुख के डबल गोल्ड ने ये साबित कर दिया कि भारतीय युवा अब सिर्फ “भविष्य” नहीं, बल्कि “वर्तमान” भी हैं और वो वर्तमान जो इतिहास लिख रहा है।

निहाल सरीन और अभिमन्यु पुराणिक जैसे खिलाड़ी इस नई यात्रा के मजबूत स्तंभ हैं जो भारतीय शतरंज को एक नए युग में ले जा रहे हैं। ये चारों युवा अब उस मशाल को थामे हुए हैं जो कभी विश्वनाथन आनंद ने जलायी थी।

आज भारत के लिए ये जीत सिर्फ एक खेल का नतीजा नहीं, बल्कि गर्व, प्रेरणा और पहचान का पल है। अगर यही सिलसिला जारी रहा, तो आने वाले सालों में विश्व शतरंज का ताज भारत के सिर पर होगा और दुनिया देखेगी कि कैसे शतरंज की जन्मभूमि ने एक बार फिर अपना राज वापस पा लिया।

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