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Prasidh Krishna शुरुआत और पृष्ठभूमि
क्रिकेट की दुनिया में कभी-कभी ऐसे पल आ जाते हैं जब कोई नौजवान खिलाड़ी अपने हुनर से सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेता है। वो एक ऐसा लम्हा होता है, जब किस्मत भी साथ देती है और मेहनत का रंग भी दिखता है। ऐसा ही कुछ हुआ है भारत के तेज़ गेंदबाज़ Prasidh Krishna के साथ जिन्होंने मैदान पर अपनी रफ्तार और जज़्बे से सबका दिल जीत लिया।

उनका हालिया प्रदर्शन ऐसा रहा कि हर तरफ बस उन्हीं की चर्चा है। लोग कह रहे हैं “भई, ये लड़का कुछ खास है!” और सच भी है, क्योंकि जिस अंदाज़ में उन्होंने गेंदबाज़ी की, वो किसी अनुभवी खिलाड़ी से कम नहीं थी।
मौका मिला और कमाल कर दिखाया
Prasidh Krishna को जब मौका मिला, उन्होंने उसे पूरी तरह भुना लिया। कई बार खिलाड़ियों को मौका तो मिलता है, मगर वो उस पर खरे नहीं उतर पाते लेकिन Prasidh Krishna ने दिखा दिया कि वो सिर्फ टीम में जगह बनाने नहीं, बल्कि अपनी पहचान छोड़ने आए हैं।
उनकी तेज़ रफ्तार, सटीक लाइन और लेंथ, और विकेट लेने की भूख ने सबका ध्यान खींच लिया। मैच में उन्होंने ऐसी गेंदें फेंकीं कि बल्लेबाज़ों के पैर क्रीज़ में जम नहीं पाए। हर विकेट के साथ मैदान में उनका जोश देखते ही बनता था।
संघर्ष से सितारों तक का सफ़र
Prasidh Krishna का सफर आसान नहीं था। तेज़ गेंदबाज़ी का रास्ता हमेशा मुश्किल होता है एक तरफ चोटों का डर, दूसरी तरफ फिटनेस बनाए रखने का दबाव। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में कड़ी मेहनत की, IPL में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, और धीरे-धीरे भारतीय टीम तक का सफर तय किया। हर स्तर पर उन्होंने साबित किया कि अगर जुनून हो, तो कोई मंज़िल दूर नहीं।
Prasidh Krishna की दस्तक: सिडनी में एक अहम मुकाबला
सिडनी का आसमान उस दिन हल्की ठंडी हवा से भरा था, जब भारत और ऑस्ट्रेलिया तीसरे वनडे में आमने-सामने आए। जगह थी मशहूर Sydney Cricket Ground (SCG) जहाँ हर गेंद, हर रन और हर विकेट का एक अपना किस्सा बनता है।
भारत ने टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाज़ी का न्योता दिया और फिर शुरू हुआ एक ऐसा खेल, जिसमें कई पल भारतीय गेंदबाज़ी के नाम लिखे गए। लेकिन इस कहानी में एक चेहरा खास तौर पर उभरा Prasidh Krishna।
पहला मौका, पहली चमक
Prasidh Krishna को इस मैच में प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया और यह मौका उनके लिए किसी इम्तिहान से कम नहीं था। हर नए गेंदबाज़ के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरज़मीं पर खेलना आसान नहीं होता। पिच की उछाल अलग, हालात सख़्त, और सामने वर्ल्ड क्लास बल्लेबाज़ मगर Prasidh Krishna के हौसले बुलंद थे।
ऑस्ट्रेलिया की पारी की शुरुआत थोड़ी तेज़ रही, लेकिन भारत के गेंदबाज़ों ने जल्द ही गति पकड़ ली। शुरुआती विकेट गिरने के बाद भी एक वक्त ऐसा आया जब ऑस्ट्रेलिया की रन रेट तेज़ होने लगी। टीम को ज़रूरत थी एक ऐसे गेंदबाज़ की जो इस रफ्तार पर ब्रेक लगा सके और वही वक्त था जब Prasidh Krishna ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
43वां ओवर चल रहा था। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान Nathan Ellis क्रीज़ पर थे और उम्मीद थी कि वे आख़िरी ओवरों में कुछ रन जोड़ेंगे। लेकिन Prasidh Krishna के मन में कुछ और चल रहा था। उन्होंने रन-अप लिया, लय बनाई, और गेंद फेंकी गेंद ने हवा में हल्का सा स्विंग लिया और सीधा ऑफ स्टंप की ओर बढ़ी। Ellis ने शॉट लगाने की कोशिश की, लेकिन गेंद उनके बल्ले को छूकर विकेटकीपर के दस्तानों में जा समाई।
एक पल के लिए स्टेडियम में सन्नाटा, और अगले ही पल भारतीय खिलाड़ियों की ख़ुशी की आवाज़ें गूंज उठीं। वो विकेट सिर्फ़ एक बल्लेबाज़ का आउट होना नहीं था, बल्कि पूरी टीम में नई जान डालने वाला मोड़ था। Prasidh Krishna की मुस्कान, झुके हुए कंधे और साथियों की थपकियाँ यह सब एक जज़्बे की झलक थी, एक नई पहचान की शुरुआत थी।
सांख्यिकीय तौर पर नहीं, पर असर में बड़ा प्रदर्शन
अगर आप सिर्फ़ आँकड़ों की बात करें, तो शायद कृष्णा का ये मैच बहुत चमकदार नहीं दिखेगा। ना कोई पाँच विकेट, ना कोई रिकॉर्ड तोड़ आंकड़ा। लेकिन क्रिकेट सिर्फ़ नंबरों का खेल नहीं होता ये तो उन पलों का खेल है जो मैच की दिशा बदल देते हैं।
Prasidh Krishna का वो विकेट बिल्कुल ऐसा ही पल था। उसके बाद भारतीय गेंदबाज़ी यूनिट में एक नई ऊर्जा आ गई। सभी गेंदबाज़ और ज़्यादा धारदार हो गए, फील्डर्स चुस्त हो गए, और नतीजा ये हुआ कि ऑस्ट्रेलिया की पारी 236 रनों पर सिमट गई। भारत ने ना सिर्फ़ मैच पर पकड़ बनाई, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाया।
बुमराह की छाया में उभरता हुआ सितारा
अब बात करें तुलना की तो कोई भी भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह के नाम को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। बुमराह भारत के लिए उस दीवार की तरह हैं, जो हर हालात में मज़बूती से खड़ी रहती है। लेकिन इसी दीवार के पीछे से अब एक नया नाम धीरे-धीरे सिर उठा रहा है Prasidh Krishna।
Prasidh Krishna के पास वो लय, वो ऊँचाई और वो गति है जो एक बड़े तेज़ गेंदबाज़ की पहचान होती है। उनकी गेंद में “bounce” और “movement” दोनों हैं। बस ज़रूरत है निरंतरता की यानी लगातार अच्छा प्रदर्शन करने की। अगर वो इस दिशा में मेहनत करते रहे, तो आने वाले समय में भारत को एक और भरोसेमंद स्ट्राइक गेंदबाज़ मिल सकता है।
Prasidh Krishna: गेंदबाज़ की कहानी सिर्फ़ मैदान तक नहीं होती
हर गेंदबाज़ के पीछे एक कहानी होती है मेहनत, संघर्ष और इंतज़ार की।Prasidh Krishna ने भी लंबा रास्ता तय किया है। घरेलू क्रिकेट से लेकर IPL तक उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे। कभी चोटों ने रोका, तो कभी टीम में जगह पाने का इंतज़ार लंबा खिंच गया।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, और हर बार वापसी की। इस मैच में जब उन्हें मौका मिला, तो उन्होंने साबित किया कि वो सिर्फ़ बेंच पर बैठने वाले खिलाड़ी नहीं हैं बल्कि वो उस टीम का हिस्सा हैं जो भारत को भविष्य में जीत दिला सकती है।
टीम इंडिया के लिए संकेत बेंच स्ट्रेंथ अब भी मज़बूत है
भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी राहत यही रही कि नए चेहरे मौका मिलने पर असर दिखा रहे हैं। हर मैच में बुमराह या सिराज ही नहीं, बल्कि Prasidh Krishna जैसे खिलाड़ी भी योगदान दे रहे हैं।
इससे ये साबित होता है कि भारत की बेंच स्ट्रेंथ अब भी बेहद गहरी है। किसी खिलाड़ी के आराम पर जाने के बाद भी टीम की धार कम नहीं होती। कोच और कप्तान के लिए यह संकेत साफ़ है अगर सही समय पर सही खिलाड़ी को मौका दिया जाए, तो टीम के पास हमेशा नए विकल्प रहते हैं।
प्रसिद्ध की ताकत आत्मविश्वास और धैर्य
Prasidh Krishna की एक खासियत है व जल्दी घबराते नहीं। उनका शरीर लंबा है, रन-अप में जोश है, और गेंद फेंकते वक्त एक रिदम साफ़ झलकती है। वो जानते हैं कि हर गेंद विकेट नहीं दिलाती, लेकिन हर गेंद सही दिशा में फेंकना ज़रूरी है। यह धैर्य ही किसी तेज़ गेंदबाज़ का सबसे बड़ा हथियार होता है।
उनके चेहरे पर वो आत्मविश्वास दिखता है जो किसी भी गेंदबाज़ को बड़ा बनाता है। वो जानते हैं कि वक़्त लगेगा, मगर वो अपनी पहचान खुद बनाएँगे। मैदान के बाहर सीख और संदेश इस मैच ने सिर्फ़ क्रिकेट नहीं सिखाया, बल्कि एक सीख भी दी कि मौके छोटे हों या बड़े, उन्हें पूरी ईमानदारी से निभाना चाहिए। Prasidh Krishna ने यही किया।
वो मैदान में उतरे, अपना रोल समझा, और जो काम मिला, उसे शिद्दत से निभाया। कई बार सफलता का मतलब सिर्फ़ “अंक” नहीं होता, बल्कि “असर” होता है। और इस मैच में उनका असर साफ़ महसूस हुआ टीम की बॉडी लैंग्वेज बदली, पिच पर रवैया बदला, और माहौल में जोश लौट आया।
भारत ने ये मैच शानदार गेंदबाज़ी की बदौलत अपने नाम किया। लेकिन असली जीत उस आत्मविश्वास की थी जो टीम में वापस लौटी। Prasidh Krishna जैसे खिलाड़ी इस आत्मविश्वास की नई वजह बने हैं।
उनका प्रदर्शन ये बताता है कि भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी का भविष्य सिर्फ़ सुरक्षित ही नहीं, बल्कि रोशन है। अगर वह अपनी फिटनेस और लय को बनाए रखें, तो आने वाले समय में वे बुमराह के साथ मिलकर एक ख़तरनाक जोड़ी साबित हो सकते हैं।
कभी-कभी एक विकेट भी बहुत कुछ कह जाता है और Nathan Ellis का विकेट वही एक पल था जिसने Prasidh Krishna को सुर्ख़ियों में ला दिया। वो पल छोटा था, पर असर बड़ा। वो गेंद एक विकेट लेकर गई, लेकिन साथ ही एक नए सपने को जन्म दे गई।
Prasidh Krishna की यह कहानी हमें यही सिखाती है कि मेहनत और सब्र का कोई शॉर्टकट नहीं होता। किस्मत तभी साथ देती है जब इंसान अपनी कोशिशों में ईमानदार हो।
दिवाली की रौशनी की तरह, यह जीत भी टीम इंडिया के लिए नई उम्मीद लेकर आई। और शायद आने वाले वक्त में, जब लोग बुमराह की बात करेंगे, तो प्रसिद्ध कृष्णा का नाम भी उसी साँस में लिया जाएगा क्योंकि हर चमकते सितारे के पीछे एक स्याह रात होती है, और Prasidh Krishna अब उस रात से निकल कर अपने उजाले की ओर बढ़ चले हैं।
Prasidh Krishna vs बुमराह
किसी भी तेज़ गेंदबाज़ के लिए उसकी खेलने की काबिलियत, सिक्स को रोकने की कला, नाम की पहचान और आंकड़े सब कुछ मायने रखते हैं। यहाँ अगर हम थोड़ा गहराई से देखें तो कुछ दिलचस्प बातें सामने आती हैं।
जसप्रीत बुमराह ने इंटरनेशनल क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक, सालों की मेहनत और तजुर्बे से अपनी एक अलग पहचान बना ली है। वहीं प्रसिद्ध कृष्णा अभी अपने करियर के उस मुकाम पर हैं जहाँ वो खुद को साबित करने की राह पर चल पड़े हैं।
अगर आईपीएल के रिकॉर्ड्स पर नज़र डालें तो Prasidh Krishna की शुरुआत काफी दमदार रही है, मगर बुमराह के आंकड़े उनसे एक कदम आगे नज़र आते हैं। फिर भी, इतना ज़रूर कहना चाहिए कि कृष्णा में वो चिंगारी है जो आने वाले वक्त में बड़ी आग बन सकती है।
एक रिपोर्ट में तो यह तक कहा गया है कि भारत के लिए पहले आठ वन-डे मैचों में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वालों में अजित अग्रकर, Prasidh Krishna और बुमराह के नाम शामिल हैं। इससे साफ़ झलकता है कि कृष्णा ने शुरुआत में ही ऐसा प्रदर्शन दिखाया है जिसकी तुलना क्रिकेट के एक बड़े और स्थापित नाम से की जा सकती है।
यानी आसान लफ़्ज़ों में कहें तो Prasidh Krishna ने अपने शुरुआती कदमों में ही यह एहसास करा दिया है कि वो आने वाले वक्त में भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी का बड़ा नाम बन सकते हैं। उनकी रफ़्तार में जो जूनून है, और लय में जो नज़ाकत है, वही उन्हें दूसरों से अलग बनाती है।
कुल मिलाकर, बुमराह आज जहाँ हैं वहाँ पहुँचने में उन्हें वक़्त और मेहनत लगी और Prasidh Krishna उसी मंज़िल की तरफ़ तेजी से बढ़ रहे हैं। वक्त आने पर शायद लोग कहें,“जहाँ कभी बुमराह का जलवा था, अब वहाँ कृष्णा की तूफ़ानी गेंदें चल रही हैं।”
Prasidh Krishna: आगे की राह है?
Prasidh Krishna ने अपने करियर का एक शानदार मौका भुनाया है लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती, असली सफ़र तो अब शुरू हुआ है। उन्हें अभी बहुत कुछ सीखना, समझना और साबित करना बाकी है। सिर्फ़ एक-दो अच्छे मैच से किसी खिलाड़ी का नाम बड़ा नहीं होता, बल्कि निरंतरता ही वो चीज़ है जो किसी को “काबिल” से “कमाल” बना देती है।
अब बात सिर्फ़ तेज़ गेंद डालने की नहीं है, बल्कि हर मैच की परिस्थितियों के हिसाब से अपनी प्लानिंग और गेंदबाज़ी में बदलाव लाने की है। कभी धीमी पिच पर सटीक लाइन, तो कभी तेज़ विकेट पर उछाल का इस्तेमाल ये सब वो बातें हैं जो एक गेंदबाज़ को बेमिसाल बनाती हैं।
साथ ही, मानसिक मज़बूती, फिटनेस और तकनीकी सुधार पर लगातार काम करना होगा। क्योंकि जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ी कोई एक दिन में नहीं बने उन्होंने हर मैच में खुद को बेहतर किया, हर गलती से कुछ नया सीखा। अगर Prasidh Krishna भी उसी रास्ते पर डटे रहे, तो दोनों के बीच का फर्क जल्दी ही कम हो जाएगा।
टीम इंडिया को ऐसे गेंदबाज़ चाहिए जो बड़े मौकों पर बड़ा खेल दिखाएँ, जब दबाव बढ़े तो वही आगे आकर विकेट निकालें। प्रसिद्ध कृष्णा में वो काबिलियत नज़र आती है बस उसे तराशने की ज़रूरत है।
आज जो उन्होंने किया है, वो सिर्फ़ एक विकेट या एक स्पेल नहीं था, बल्कि एक इशारा था उनके आने वाले वक्त का। उन्होंने दिखा दिया है कि “मौका मिलते ही चमकने” वाले खिलाड़ी वो हैं जो अपनी पहचान खुद बनाते हैं।
उनकी तुलना बुमराह से इसलिए की जा रही है क्योंकि बुमराह वहाँ पहुँच चुके हैं जहाँ पहुँचने का सपना आज Prasidh Krishna देख रहे हैं। अगर उन्हें ऐसे ही मौके मिलते रहे और उन्होंने हर मैच को एक नया सबक समझकर खेला, तो आने वाले वक्त में क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक में उनका नाम सुनहरी लफ़्ज़ों में लिखा जाएगा।
आज का दिन उनके लिए एक प्रेरणा की तरह है पीछे मुड़कर देखने का नहीं, बल्कि आगे बढ़ते जाने का वक़्त है। क्रिकेट के दीवानों को अब बस इंतज़ार रहेगा उस पल का जब Prasidh Krishna अपनी अगली पारी में फिर से वो जादू बिखेरें, क्योंकि अब ये लड़का सिर्फ़ गेंद नहीं डालता ये इरादे फेंकता है।
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