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भारतीय शटलर Tanvi Sharma ने रचा इतिहास
भारत की नई बैडमिंटन स्टार Tanvi Sharma ने वो कर दिखाया है, जो हर नौजवान खिलाड़ी का सपना होता है दुनिया के मंच पर तिरंगा लहराना। BWF World Junior Championships 2025 के सेमीफ़ाइनल में तन्वी ने एक बेहद रोमांचक और सख़्त मुकाबले में जीत हासिल कर ली और अब वो फाइनल में पहुँच चुकी हैं।

सिर्फ 17 साल की उम्र में ऐसा मुक़ाम हासिल करना कोई आसान बात नहीं होती। Tanvi Sharma की यह कामयाबी न सिर्फ उनके अपने सफर की बड़ी जीत है, बल्कि भारत के बैडमिंटन इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ती है।
छोटे से शहर की गलियों से निकलकर, धूल भरे बैडमिंटन कोर्ट पर दिन-रात मेहनत करने वाली यह लड़की आज पूरे मुल्क की शान बन चुकी है। उनके खेल में एक साथ तेज़ी, आक्रामकता और सुकून नज़र आता है हर शॉट में जोश भी है और सोच-समझ भी। यही वजह है कि अब लोग उन्हें प्यार से “भारत की नई बैडमिंटन क्वीन” कह रहे हैं।
तन्वी ने अपनी जीत के बाद जो बातें कहीं, वो हर भारतीय के दिल को छू गईं। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा “मैंने हमेशा ख़्वाब देखा था कि एक दिन भारत के लिए फाइनल खेलूँगी। अब वो ख़्वाब हक़ीक़त बन गया है… और अब मेरा अगला मक़सद है देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना।”
उनकी आवाज़ में वो भरोसा था जो मेहनत से आता है, और आँखों में वो चमक थी जो माँ-बाप, कोच और पूरे देश की दुआओं से मिलती है।Tanvi Sharma की यह कहानी सिर्फ खेल की नहीं है यह कहानी है इरादे, जुनून और सपनों को हक़ीक़त में बदलने की। अब जब वो फाइनल में उतरेंगी, तो पूरा हिंदुस्तान उनकी तरफ़ से दुआ कर रहा होगा “चलो तन्वी, अब सोना (Gold) लेकर ही लौटो!”
सेमीफ़ाइनल मुकाबला: Tanvi Sharma की जुझारू जीत
सेमीफ़ाइनल के मुकाबले में Tanvi Sharma ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो सिर्फ टैलेंटेड नहीं, बल्कि दिल और दिमाग से भी कमाल की खिलाड़ी हैं। सामने थीं इंडोनेशिया की जबरदस्त खिलाड़ी किराना पुत्री, जिनका अनुभव और ताक़त दोनों ही काबिल-ए-तारीफ़ माने जाते हैं। लेकिन तन्वी ने हिम्मत नहीं हारी उन्होंने पूरे मैच में ऐसा खेल दिखाया कि दर्शक तक अपनी सीटों से उठ खड़े हुए।
मैच तीन गेमों तक चला और हर पल रोमांच से भरा था। पहला गेम तन्वी ने शानदार अंदाज़ में 21-15 से जीत लिया। उनका हर शॉट नपा-तुला और आत्मविश्वास से भरा हुआ था। लेकिन दूसरे गेम में किराना ने वापसी की और तन्वी को 18-21 से मात दी। स्कोर बराबर हो गया और अब पूरा नतीजा तीसरे गेम पर टिक गया था।
अब आया असली जोश और जज़्बा तीसरे गेम में तन्वी ने जो खेल दिखाया, वो बस लाजवाब था। उन्होंने 21-13 से गेम जीतकर मैच अपने नाम कर लिया। आख़िरी पलों में उनके लगातार चार स्मैश विनर ने तो जैसे पूरा माहौल बदल दिया। विपक्षी खिलाड़ी संभल ही नहीं पाई और दर्शकों की तालियाँ गूंज उठीं “तन्वी, तन्वी, तन्वी!”
लेकिन Tanvi Sharma का खेल सिर्फ ताक़त या स्पीड तक सीमित नहीं है। वो कोर्ट पर रणनीति और समझदारी से भी खेलती हैं। जहाँ ज़रूरत होती है, वहाँ वो नरम नेट ड्रॉप लगाकर विपक्षी को उलझा देती हैं, और जैसे ही मौका दिखता है, बिजली जैसी तेज़ स्मैश से पॉइंट खत्म कर देती हैं।
उनकी कोच गायत्री भट्टाचार्य ने भी तन्वी की तारीफ़ करते हुए कहा “Tanvi Sharma की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वो दबाव में टूटती नहीं। वो हर पल मैच को पढ़ती हैं, समझती हैं कि कब रुकना है और कब वार करना है।” और यही बात उन्हें बाकी जूनियर खिलाड़ियों से अलग और खास बनाती है। Tanvi Sharma अब सिर्फ एक नाम नहीं वो इरादे, जुनून और हौसले की मिसाल बन चुकी हैं।
भारत के लिए गौरव का पल
BWF वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप 2025 में इस बार भारत का झंडा फिर से ऊँचा लहराने की पूरी उम्मीद जग चुकी है और इस उम्मीद की वजह हैं हमारी नन्ही शेरनी Tanvi Sharma। पिछले कुछ सालों में भारत का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में काफी बेहतर हुआ है।
पहले सायना नेहवाल (2008) और लक्ष्य सेन (2018) जैसे दिग्गजों ने यहाँ अपनी जीत से देश को गर्व महसूस कराया था। अब वही विरासत तन्वी अपने कंधों पर लेकर चल रही हैं और बड़ी खूबसूरती से आगे बढ़ा भी रही हैं।
अगर Tanvi Sharma फाइनल में जीत जाती हैं, तो वो भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन जाएँगी जो जूनियर वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीतेंगी। सोचिए, कितना बड़ा पल होगा वो जब पूरी दुनिया के सामने तिरंगा लहराएगा और नेशनल एंथम बजेगा। यह जीत सिर्फ एक मेडल नहीं होगी, बल्कि भारतीय बैडमिंटन की नई पहचान बन जाएगी।
आज जब सीनियर स्तर पर पी.वी. सिंधु और लक्ष्य सेन जैसे खिलाड़ी पहले से ही भारत का नाम रोशन कर रहे हैं, वहीं अब तन्वी जैसी युवा खिलाड़ी यह दिखा रही हैं कि अगली पीढ़ी भी किसी से कम नहीं।
अब बात करते हैं फाइनल मुकाबले की जो Tanvi Sharma के लिए सबसे बड़ा इम्तिहान होगा। उनका सामना होगा चीन की नंबर 1 खिलाड़ी ली वेंग शियाओ से। ये वही खिलाड़ी हैं जो अपनी तेज़ स्मैशिंग और लंबी रैलियों के लिए जानी जाती हैं। लेकिन तन्वी भी पीछे नहीं उनका खेल बहुत संतुलित, समझदार और शांत है। उनकी डिफेंस और नेट प्ले इतनी मजबूत है कि किसी भी टॉप खिलाड़ी को परेशान कर सकती है।
तन्वी की कोचिंग टीम का कहना है कि फाइनल में तन्वी को सिर्फ ताक़त नहीं, बल्कि “माइंड गेम” यानी मानसिक संतुलन पर ज़्यादा ध्यान देना होगा। क्योंकि चीनी खिलाड़ी अक्सर शारीरिक तौर पर मज़बूत होती हैं, लेकिन तन्वी की दिमागी चपलता और रणनीति उनकी सबसे बड़ी ताक़त है।
अभ्यास सत्र के बाद तन्वी ने भी मुस्कराते हुए कहा “मैं हर पॉइंट को एक नई चुनौती की तरह खेलूँगी। जीत या हार बाद की बात है, लेकिन मैं कोर्ट पर अपना सब कुछ दूँगी।” उनके इस बयान में नम्रता, आत्मविश्वास और जज़्बा तीनों झलकते हैं।
वो जानती हैं कि यह मौका उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा पड़ाव हो सकता है, और वो इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। अब पूरा हिंदुस्तान यही कह रहा है “चलो Tanvi Sharma, अब इतिहास रच दो… गोल्ड हमारा होना चाहिए!”
भारत में उमड़ी खुशी की लहर
Tanvi Sharma की इस ऐतिहासिक जीत ने पूरे भारत में जैसे खुशी की लहर दौड़ा दी है। सोशल मीडिया से लेकर स्पोर्ट्स जगत तक, हर तरफ बस एक ही नाम गूंज रहा है “Tanvi Sharma”।
भारत की खेल मंत्री, बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, और कई दिग्गज खिलाड़ियों ने तन्वी को दिल से बधाई दी है। हर किसी के दिल में गर्व और उमंग की एक अलग ही चमक है।
पी.वी. सिंधु, जो खुद भारतीय बैडमिंटन की सबसे बड़ी पहचान हैं, उन्होंने एक्स (Twitter) पर लिखा “Tanvi Sharma, तुमने देश का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया। आगे बढ़ो, गोल्ड हमारा इंतज़ार कर रहा है!”
वहीं लक्ष्य सेन ने भी एक खूबसूरत पोस्ट शेयर करते हुए लिखा “जूनियर सर्किट में ऐसा आत्मविश्वास देखकर दिल खुश हो गया। तन्वी जैसी खिलाड़ी ही भारत का भविष्य हैं।”
इन बधाइयों के बाद सोशल मीडिया पर तो जैसे #TanviSharma का तूफ़ान आ गया है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लाखों लोग उनके नाम के साथ पोस्ट, वीडियो और शुभकामनाएँ शेयर कर रहे हैं।
युवाओं में तन्वी को लेकर जबरदस्त जोश देखने को मिल रहा है हर कोई उनके फाइनल मैच का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है। किसी ने लिखा, “अब गोल्ड पक्का है!” तो कोई कह रहा है, “हमारी तन्वी देश का नाम रौशन करेगी।”
तन्वी अब सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं रहीं वो हर युवा की प्रेरणा, हर लड़की का सपना और हर भारतीय का गर्व बन चुकी हैं। उनकी मुस्कराहट में मेहनत की चमक है, और उनकी रैकेट से निकलती हर शॉट में देश का जज़्बा झलकता है।
तन्वी शर्मा की यात्रा: संघर्ष से सफलता तक
तन्वी शर्मा का ये सफ़र जितना खूबसूरत है, उतना ही मुश्किलों से भरा भी रहा है। वो किसी बड़े शहर की नहीं, बल्कि हरियाणा के एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखती हैं जहाँ स्पोर्ट्स की सुविधाएँ आज भी सीमित हैं। लेकिन जब जज़्बा सच्चा हो, तो राहें खुद बन जाती हैं।
बहुत छोटी उम्र में ही तन्वी ने बैडमिंटन रैकेट हाथ में उठा लिया था। तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि यही नन्ही सी लड़की एक दिन भारत का नाम पूरी दुनिया में रौशन करेगी। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं और माँ एक गृहिणी। घर में बहुत ज़्यादा साधन नहीं थे, लेकिन इच्छाशक्ति और हौसला इतना था कि तन्वी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
परिवार ने भी हमेशा तन्वी का साथ दिया चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न रहे हों। उन्होंने हर टूर्नामेंट, हर ट्रायल में बेटी को आगे बढ़ने का हौसला दिया। माँ अक्सर कहती थीं, “पैसे फिर आ जाएँगे, लेकिन मौका दोबारा नहीं मिलेगा।” और शायद यही सोच तन्वी के अंदर एक अटूट आत्मविश्वास बनकर बस गई।
तन्वी ने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग पटियाला के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (NIS) में की। वहीं उन्होंने अपने फिटनेस लेवल और गेम टेक्निक पर गहराई से काम किया| सुबह से लेकर रात तक की मेहनत, पसीना, चोटें और लगातार सीखने की चाह यही वो चीज़ें थीं जिनसे आज की तन्वी शर्मा बनी हैं।
आज जब वो वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप के फाइनल में पहुँच चुकी हैं, तो कहा जा सकता है कि उनकी मेहनत ने सच में रंग ला दिया है। चाहे फाइनल का नतीजा कुछ भी हो, तन्वी ने ये साबित कर दिया है कि भारत में टैलेंट की कोई कमी नहीं।
उनकी कोच गायत्री भट्टाचार्य कहती हैं “Tanvi Sharma अब सिर्फ जूनियर लेवल की खिलाड़ी नहीं रहीं। उनका गेम अब इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को छू रहा है। आने वाले दो साल में वो सीनियर सर्किट में ज़रूर बड़ा धमाका करेंगी।”
यह बात साफ़ है कि तन्वी का सफ़र अब बस शुरू हुआ है। उनके खेल में वो परिपक्वता है, वो आत्मविश्वास है जो किसी बड़े मंच पर टिकने के लिए चाहिए। अब उनका ध्यान सीनियर लेवल की ओर है, जहाँ उनके सामने और भी बड़े नाम होंगे लेकिन तन्वी के इरादे भी उतने ही बुलंद हैं।
तन्वी शर्मा की यह उपलब्धि सिर्फ एक जीत नहीं है यह प्रेरणा की कहानी है। जब एक 17 साल की भारतीय लड़की दुनिया की टॉप शटलर्स को हराकर फाइनल तक पहुँच सकती है, तो यह बताता है कि भारत की बेटियाँ अब किसी से कम नहीं। आज पूरा देश एक सुर में यही पुकार रहा है “चलो तन्वी, गोल्ड घर लाओ!”
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