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Gold vs Crypto: Zoho के संस्थापक Shridhar Vembu
Gold vs Crypto: आज की इस डिजिटल दुनिया में जहाँ हर कोई क्रिप्टोकरेंसी को “भविष्य का सोना” कहकर आसमान तक चढ़ा रहा है, वहीं भारत के मशहूर उद्योगपति और Zoho Corporation के संस्थापक Shridhar Vembu ने एक बिल्कुल अलग रास्ता चुना है। हाल ही में उन्होंने एक बयान दिया जिसने सोशल मीडिया और बिज़नेस जगत दोनों में हलचल मचा दी।

Shridhar Vembu ने साफ़ कहा “क्रिप्टो सिर्फ़ सट्टा है, असली क़ीमत हमेशा सोने में ही रहेगी।” बस, फिर क्या था निवेशकों से लेकर फिनटेक एक्सपर्ट्स और टेक इंडस्ट्री के लोगों तक में बहस छिड़ गई कि आखिर डिजिटल युग में भी गोल्ड ही सबसे भरोसेमंद निवेश है क्या?
अब पहले ज़रा ये जान लेते हैं कि Shridhar Vembu हैं कौन। वेम्बू भारतीय टेक इंडस्ट्री के सबसे सम्मानित और सादगी पसंद उद्यमियों में से एक हैं। वो Zoho Corporation के फाउंडर और CEO हैं एक ऐसी कंपनी जो बिना किसी विदेशी निवेश के सिर्फ़ भारतीय टैलेंट और देसी सोच के दम पर दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुकी है।
वो बाक़ी टेक लीडर्स से बिल्कुल अलग सोच रखते हैं। जहाँ कई लोग मेटावर्स, क्रिप्टो और ब्लॉकचेन जैसी चमकदार चीज़ों के पीछे भाग रहे हैं, वहीं वेम्बू का फ़ोकस ग्रामीण भारत, असली संपत्ति (real assets) और सस्टेनेबल डेवलपमेंट यानी स्थायी विकास पर रहता है।
वो मानते हैं कि असली ताक़त उस चीज़ में है जिसे आप छू सकें, महसूस कर सकें जैसे ज़मीन, खेती, और सोना। उनका कहना है कि डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो जैसी चीज़ें बस काग़ज़ी खेल हैं, जिनकी कोई असली बुनियाद नहीं है।
Shridhar Vembu की सोच भले ही आज की टेक-ड्रिवन दुनिया के हिसाब से थोड़ी पुरानी लगती हो, लेकिन सच्चाई ये है कि वो एक बहुत गहरी बात कह रहे हैं कि वक़्त चाहे कितना भी बदल जाए, असली दौलत वही है जो टिकाऊ हो, जो हाथ में महसूस की जा सके। और शायद इसी वजह से लोग अब सोच में पड़ गए हैं क्या वाक़ई क्रिप्टो सिर्फ़ एक सट्टा है, और सोना ही हमेशा की तरह सुरक्षित निवेश बना रहेगा?

क्रिप्टो पर वेम्बू की राय: “ये असली संपत्ति नहीं, सिर्फ भ्रम है”
हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में Shridhar Vembu ने बहुत सीधी और सोचने वाली बात कही। उन्होंने कहा “मैंने क्रिप्टो को बहुत ध्यान से देखा है। इसकी कीमतें कभी ऊपर जाती हैं, कभी नीचे गिरती हैं लेकिन असल में इसमें कोई अंतर्निहित मूल्य (intrinsic value) नहीं है। सोना हजारों सालों से इंसान की सभ्यता का भरोसा रहा है और वही असली दौलत है।”
Shridhar Vembu का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी की कीमत सिर्फ़ ‘भरोसे’ पर टिकी होती है। यानी जब तक लोग इस पर विश्वास रखते हैं, तब तक इसकी वैल्यू है। लेकिन अगर वो भरोसा एक दिन टूट गया तो इसकी कीमत पल भर में शून्य भी हो सकती है।
वहीं दूसरी तरफ़, सोना एक असली, छूने लायक संपत्ति है। वो न तो नष्ट होता है, न मिटता है। चाहे ज़माना कितना भी बदल जाए, हर सभ्यता ने सोने को मूल्य और स्थायित्व का प्रतीक माना है।
Shridhar Vembu ने बड़ी सादगी से ये समझाया कि डिजिटल चीज़ों में जो अस्थिरता है, वो सोने में नहीं। क्रिप्टो हवा में है, पर सोना ज़मीन पर है। उनकी ये सोच शायद पुरानी लगे, मगर अगर ध्यान से देखा जाए तो बात में गहराई है टेक्नोलॉजी बदल सकती है, पर भरोसे की असली नींव हमेशा असली चीज़ों पर टिकी रहती है।
गोल्ड बनाम क्रिप्टो: दोनों निवेशों की वास्तविक तुलना
अगर हम Gold vs Crypto को साथ रखकर देखें, तो दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क नज़र आता है। एक तरफ़ सोना है जो भौतिक (Physical) है, असली है, हाथ में लिया जा सकता है। दूसरी तरफ़ है क्रिप्टोकरेंसी, जो पूरी तरह डिजिटल (Virtual) है यानी बस स्क्रीन पर दिखने वाली एक वैल्यू।
अब अगर बात करें मूल्य के आधार की, तो सोने की कीमत उसकी दुर्लभता और हज़ारों साल पुराने भरोसे पर टिकी होती है। दुनिया की हर सभ्यता ने सोने को हमेशा से “दौलत” का प्रतीक माना है। वहीं, क्रिप्टो की वैल्यू ज़्यादातर लोगों की मांग और धारणा पर चलती है आज लोग खरीद रहे हैं तो कीमत ऊपर, कल बेचने लगें तो नीचे।
अस्थिरता (Volatility) की बात करें तो सोने की कीमत सालों में थोड़ा ऊपर-नीचे होती है, लेकिन बहुत ज़्यादा उतार-चढ़ाव नहीं होता। जबकि क्रिप्टो की दुनिया में तो हर दिन तूफ़ान आता है एक दिन मुनाफ़ा, दूसरे दिन घाटा!
सरकारी नियंत्रण के मामले में भी फर्क साफ़ है सोना पूरी तरह से नियंत्रित और वैध है, जबकि क्रिप्टो को कई देशों में अनियमित या प्रतिबंधित भी कर दिया गया है। अगर आप दीर्घकालिक सुरक्षा (Long-term Security) की सोच रखें, तो सोना हज़ारों साल से सुरक्षित निवेश माना गया है। दूसरी तरफ़, क्रिप्टो अभी भी एक अनिश्चित खेल है, जहाँ भविष्य का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।
जोखिम (Risk Level) भी देख लीजिए सोने में रिस्क बहुत कम है, लेकिन क्रिप्टो में उतना ही ज़्यादा। और यही बात Shridhar Vembu बार-बार समझाने की कोशिश करते हैं। उनका कहना है कि निवेश हमेशा उस चीज़ में होना चाहिए जिसका असली, मूलभूत मूल्य (Intrinsic Value) हो न कि किसी “डिजिटल हाइप” में। उनके मुताबिक, सोना सिर्फ़ आपकी दौलत को बचाकर नहीं रखता, बल्कि जब दुनिया आर्थिक मुश्किलों में होती है, तब वो एक सुरक्षा कवच बन जाता है।
Gold vs Crypto लोकप्रियता और भ्रम
पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी जैसे Bitcoin, Ethereum, Dogecoin वगैरह ने दुनिया भर में जबरदस्त चर्चा बटोरी है। ख़ासकर युवाओं के बीच तो ये एक “जल्दी अमीर बनने का सपना” बन गई थी। हर कोई सोच रहा था कि थोड़े पैसे लगाकर वो रातों-रात करोड़पति बन जाएगा।
लेकिन जैसा कि इतिहास हमें बार-बार सिखाता है जब भी कोई निवेश भावनाओं या भीड़ के जोश पर चलता है, तो उसका अंजाम ज़्यादातर बुरा ही निकलता है।
याद कीजिए, साल 2022 में क्या हुआ था Bitcoin की कीमत जो कभी $68,000 तक पहुँच गई थी, वो गिरकर सिर्फ़ $16,000 रह गई। इस गिरावट ने लाखों लोगों की पूंजी मिट्टी में मिला दी। बहुत से निवेशक जिन्होंने सपने देखे थे, वो कर्ज़ और पछतावे में रह गए।
यहीं पर Shridhar vembu की सोच बहुत साफ़ है। उनका कहना है “अगर किसी चीज़ की कीमत इतनी तेजी से ऊपर जा सकती है, तो उतनी ही तेजी से नीचे भी आ सकती है। असली निवेश वो होता है जो स्थिर हो, न कि रोमांचक।”
अब सवाल ये उठता है कि क्या क्रिप्टो का कोई भविष्य नहीं? तो इसका जवाब इतना सीधा भी नहीं है। क्रिप्टो को पूरी तरह “बेकार” कहना भी ग़लत होगा। क्योंकि इसके पीछे की ब्लॉकचेन तकनीक वाक़ई में बहुत काम की चीज़ है। ये टेक्नोलॉजी डिजिटल कॉन्ट्रैक्ट्स, डेटा सिक्योरिटी, और स्मार्ट पेमेंट सिस्टम्स जैसे कई क्षेत्रों में बहुत उपयोगी साबित हो रही है।
मगर वेम्बू का कहना है कि हमें क्रिप्टो को एक “तकनीक” की तरह देखना चाहिए, न कि “पैसे” की तरह। उनके अपने शब्दों में “क्रिप्टो टेक्नोलॉजी फायदेमंद है, लेकिन निवेश के तौर पर भरोसेमंद नहीं। इसे करंसी की तरह मानना एक बड़ी गलती है।”
अगर इसे सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाए तो ठीक है, लेकिन अपना पैसा लगाने और अमीर बनने के सपने इसके सहारे देखना समझदारी नहीं।
ब्लॉकचेन टिकेगा, लेकिन बिटकॉइन का भरोसा कब डगमगा जाए, कोई नहीं जानता।
आर्थिक स्थिरता बनाम डिजिटल अस्थिरता
भारत में जब-जब आर्थिक तंगी या मंदी आई है चाहे वो 1991 का भुगतान संकट हो या 2008 की वैश्विक मंदी हर बार एक चीज़ ने लोगों को सहारा दिया है, और वो है सोना (Gold)। जब बाकी सारी चीज़ों की कीमतें गिर रही थीं, तब सोने की कीमत लगातार बढ़ती रही। इसने ना सिर्फ़ लोगों की बचत को बचाया बल्कि उन्हें मंदी के तूफ़ान से भी निकाल लिया।
इससे एक बात साफ़ होती है सोना हमेशा से मुद्रास्फीति (Inflation) और आर्थिक अस्थिरता से बचाव का सबसे भरोसेमंद ज़रिया रहा है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के साथ ऐसा कोई भरोसा नहीं है। सोचिए, अगर किसी दिन किसी देश की सरकार या रिज़र्व बैंक यह तय कर ले कि अब क्रिप्टो पर पाबंदी होगी, तो उसकी कीमत एक झटके में ज़ीरो हो सकती है। यही बात श्रीधर वेम्बू भी कहते हैं “जो चीज़ किसी असली नियम या भौतिक आधार पर नहीं टिकी, वो कभी स्थायी नहीं हो सकती।”
अब बात करें वेम्बू की सोच की वो हमेशा से ग्रामीण आत्मनिर्भरता के पैरोकार रहे हैं। वो तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में रहते हैं, और वहीं से Zoho जैसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी को चला रहे हैं।
उनका कहना है कि असली “मूल्य” (value) वही है जो उत्पादन, ज़मीन, मेहनत और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ा हो। मतलब जो चीज़ हकीकत में मौजूद हो, जिसे हाथ से बनाया जा सके, ज़मीन पर उगाया जा सके या किसी की मेहनत से तैयार हो। वो साफ़ कहते हैं “जो चीज़ सिर्फ़ स्क्रीन पर दिखने वाले नंबरों पर टिकी हो, वो असली दौलत नहीं वो बस डिजिटल जुआ है।”
उनके मुताबिक, अगर हम सोने, खेती-बाड़ी (agriculture) या रियल इकोनॉमी में निवेश करें, तो ये न सिर्फ़ हमें फायदा देता है बल्कि समाज को भी मजबूत बनाता है।
लेकिन अगर हम अपना पैसा क्रिप्टो जैसी अस्थिर और हवा में तैरती चीज़ों में लगाते हैं, तो ये हमारी मेहनत की कमाई को जोखिम में डाल देता है।
निवेशकों के लिए सबक: स्थायित्व ही असली ताकत
वेम्बू के इस बयान से हर निवेशक को तीन बड़ी सीखें मिलती हैं पहली बात असली चीज़ों में निवेश करो। ऐसी चीज़ें जिनका भौतिक अस्तित्व हो जैसे सोना, ज़मीन या कोई उद्योग (business)। जो चीज़ हाथ में पकड़ सकते हो, देख सकते हो, वही असली संपत्ति होती है। डिजिटल नंबर या ऐप पर दिखने वाला पैसा कभी भी मिट सकता है, लेकिन सोना या ज़मीन हमेशा कुछ ना कुछ मूल्य रखती है।
दूसरी बात – लालच से दूर रहो। “जल्दी अमीर बनने” का जोश कई बार बर्बादी का कारण बनता है। क्रिप्टो में बहुत लोगों ने यही गलती की सोचा कुछ महीनों में करोड़पति बन जाएंगे, पर जब मार्केट गिरा, तो सबकुछ हाथ से निकल गया। वेम्बू का कहना बिल्कुल सही है तेज़ मुनाफ़े का सपना अक्सर धीमी तबाही लाता है।
तीसरी बात लंबी सोच रखो। निवेश हमेशा सब्र और भरोसे से बढ़ता है। जो चीज़ स्थायी है, वही सच्चा रिटर्न देती है। सोना भले पुराना हो, लेकिन उसकी चमक आज भी अडिग है। वो पीढ़ी दर पीढ़ी मूल्य बढ़ाता है जबकि क्रिप्टो एक भावनात्मक रोलरकोस्टर है, कभी ऊपर, कभी नीचे।
अब बात करें डिजिटल युग की – आज जब हर कोई मेटावर्स, ब्लॉकचेन और क्रिप्टो की तरफ़ भाग रहा है, ऐसे में वेम्बू का सोने पर भरोसा एक तरह का “रियलिटी चेक” है। वो ये याद दिला रहे हैं कि “निवेश में टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि मूल्य (value) और स्थिरता (stability) मायने रखती है।”
यानि, सोना पुराना ज़रिया ज़रूर है, लेकिन उसकी चमक आज भी सबसे भरोसेमंद और स्थायी है। वो अब भी वो “संपत्ति” है जो वक्त, मंदी और बाज़ार की उथल-पुथल सब पर भारी पड़ती है। क्रिप्टो, अपनी जगह एक नया जोश और नवाचार लेकर आया है, लेकिन भरोसे की कसौटी पर वो अभी भी अधूरा है। वेम्बू की सोच यही कहती है “डिजिटल लहर में बहो मत, असली ज़मीन पर खड़े रहो।”
असली सोना ज़मीन से जुड़े होने की निशानी है, वहीं क्रिप्टो आकाश में उड़ने जैसा है जिसमें नीचे गिरने का खतरा हमेशा से होता है। हमें ज़्यादा से ज़्यादा ठोस और जो अपने हाथ में हो, उस पर भरोसा करना चाहिए। क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी पर ज़्यादा निर्भर होना हमारे लिए खतरा साबित हो सकता है।
वेंबु का भी यही कहना है कि क्रिप्टो का भरोसा नहीं किया जा सकता, इसकी कीमत कभी बहुत ऊपर तो कभी बहुत नीचे गिर सकती है, जिससे नुकसान का खतरा बना रहता है। इसी कारण से यहाँ दीर्घकालिक निवेश का बेहतर विकल्प नहीं है।
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