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Google Meet Down: पूरी तरह से ठप Google Meet
Google Meet Down: आज 26 नवंबर 2025 की सुबह भारत समेत कई मुल्कों में अचानक Google Meet पूरी तरह से ठप पड़ गया। जैसे ही सर्वर बंद हुआ, सेकड़ों नहीं बल्कि हज़ारों लोगों की मीटिंग्स एक झटके में रुक गईं। दफ्तरों की ज़रूरी कॉल्स, स्कूल-कॉलेज की ऑनलाइन क्लासें और कई लोगों के इंटरव्यू सब कुछ अचानक बीच में ही थम गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कराची का नहीं, बल्कि हमारे हिन्दुस्तानी टाइम के हिसाब से करीब 11:30 बजे समस्या शुरू हुई। उस वक़्त तक किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि कुछ बड़ा होने वाला है लेकिन थोड़ी ही देर में सोशल मीडिया पर लोग लिखने लगे कि Google Meet खुल ही नहीं रहा।
Downdetector, जो इंटरनेट पर ऐसी आउटेज शिकायतों को ट्रैक करता है, उसके ग्राफ़ में मिनट-दर-मिनट रिपोर्ट्स बढ़ती चली गईं। 1,700 से 1,760 से भी ज़्यादा यूज़र्स ने शिकायत दर्ज की, यानी मामला कोई छोटा-मोटा नहीं था पूरी सर्विस लड़खड़ा गई थी।
यह भी सामने आया कि करीब 62–65% लोगों को वेबसाइट (meet.google.com) बिल्कुल भी नहीं खुल रही थी, लगभग 33–35% लोगों को सर्वर कनेक्शन एरर मिल रहा था, और बाकी 2–3% लोगों को वीडियो क्वालिटी और ऑडियो जैसी टेक्निकल दिक्कतें थीं।
कई लोगों के स्क्रीन पर एक ही लाइन बार-बार चमक रही थी: “502. That’s an error.” अब जिसको टेक्निकल नॉलेज हो या न हो इतना तो सब समझ ही गए कि गड़बड़ सर्वर वाली तरफ से है, यानी मसला यूज़र वाले सिस्टम में नहीं बल्कि Google के गेटवे/सर्वर कॉन्फ़िगरेशन में था।
इस गड़बड़ी की वजह से कंपनियों की मीटिंग्स स्कूल-कॉलज की क्लासें चल रहे इंटरव्यू वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और डॉक्टर/काउंसलिंग जैसी ऑनलाइन सेशन सब के सब ठप हो गए। कई लोग परेशान हो गए, कई मायूस हुए, और कुछ ने तो बेबस होकर इंतज़ार किया कि शायद अभी सर्विस वापस आ जाए। सच कहें तो आज के दौर में ज़िंदगी इतनी ऑनलाइन और डिजिटल हो गई है कि एक ऐप के बंद होते ही कामकाज, तालीम और कम्युनिकेशन सब का सिस्टम हिलकर रह जाता है।
Google Meet Down पर यूज़र्स की प्रतिक्रिया
जैसे ही Google Meet में दिक्कत शुरू हुई, सोशल मीडिया ख़ास तौर पर X (जो पहले Twitter था) पर यूज़र्स की प्रतिक्रियाएँ बारिश की तरह बरसने लगीं। कोई गुस्से में था, कोई मायूस था, कोई मज़ाक में मीम बनाकर परेशानी जताने लगा यानी पूरा इंटरनेट एकदम हलचल में आ गया। लोगों ने तरह-तरह की बातों से अपनी नाराज़गी निकाली। किसी ने ताना मारा: “Google Meet मेरे काम से पहले ही क्रैश हो गया।”
किसी ने हँसते हुए लिखा: “पूरे ऑफिस में सबके Google Meet बंद हैं, लेकिन मेरा ही चल रहा है यह किस क़िस्म की सज़ा है?” कुछ ने तो उल्टी राहत ही महसूस की
क्योंकि हफ़्तेभर की बोरिंग मीटिंग अचानक रद्द हो गई, क्लास बंद हो गई और काम एक झटके में रुक गया। एक यूज़र ने खुशी छुपाए बिना लिखा: “Google Meet खुल ही नहीं रहा… ज़िंदगी में पहली बार मैंने इतनी आज़ादी महसूस की!”

लेकिन यह सच्चाई भी है कि थोड़े मज़ाक और मीम्स के बीच में ज़्यादातर लोग बेहद परेशान और टेंशन में थे। जो लोग नौकरी की ऑनलाइन मीटिंग्स कॉलेज/स्कूल की क्लास जॉब इंटरव्यू क्लाइंट प्रेज़ेंटेशन पर पूरी तरह Google Meet पर निर्भर थे उनके लिए आउटेज किसी बुरे सपने से कम नहीं था।
कई दफ़्तरों में मेहत्वपूर्ण वर्चुअल मीटिंग्स अचानक रद्द हो गईं, कुछ जगहों पर मिनट-मिनट पर समय बदलकर मीटिंग री-शेड्यूल करनी पड़ी, लोग इधर-उधर WhatsApp और ई-मेल पर पूछते रहे “लिंक खुल रहा है क्या? आपका चल रहा है क्या? क्या मीटिंग पोस्टपोन हो गई?”
ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं की भी मुश्किलें बढ़ गईं। क्लास में अटेंडेंस भी रह गई, लेक्चर का सिलसिला टूट गया, कई की प्रैक्टिकल या टेस्ट की डेट भी आज ही थी इसलिए मानसिक दिक्कत और अनिश्चितता साफ़ झलक रही थी।
इंटरव्यू वाले सबसे ज़्यादा घबराए बैठे थे। कुछ के लिए यह करियर का पहला इंटरव्यू था, कोई महीनों से तैयारी कर रहा था और जैसे ही इंटरव्यू शुरू होने का वक़्त आया, Google Meet बंद पड़ गया। कई लोगों को मजबूरी में
इंटरव्यू रुकवाना पड़ा टाइम बदलवाना पड़ा या घंटों इंतज़ार करना पड़ा इस आउटेज ने साफ़ दिखा दिया कि हमारी आज की ज़िंदगी रिमोट वर्किंग, ऑनलाइन एजुकेशन और वर्चुअल कम्युनिकेशन पर कितनी ज़्यादा निर्भर हो चुकी है।
एक ऐप के रुकते ही पूरा सिस्टम हिल जाता है काम रुक जाता है, पढ़ाई ठहर जाती है और लोगों की दिनभर की प्लानिंग गड़बड़ा जाती है। लोगों ने मज़ाक में कहा हो या मीम बनाए हों, लेकिन अंदर ही अंदर चिंता, परेशानी और बेबसी का एहसास हर किसी पर था।
Google का रुख क्या कहा गया?
Google ने फाइनली इस मामले को स्वीकार कर लिया है यानी यह साफ़ हो गया कि दिक्कत सिर्फ यूज़र्स की तरफ़ से नहीं थी बल्कि समस्या असल में Google Meet की तरफ़ से थी। Google की टेक टीम ने बताया कि वे पूरा जोर लगाकर इस गड़बड़ी को ठीक करने में लगी हुई है और आउटेज को जल्द से जल्द सामान्य करने की कोशिश कर रही है।
लेकिन फिलहाल Google ने यह खुलकर नहीं बताया कि परेशानी सिर्फ भारत में हुई, या दुनिया के दूसरे देशों में भी सर्विस डाउन हुई, और यह भी साफ़ नहीं किया गया कि आउटेज का असल कारण क्या था।
टेक एक्सपर्ट्स का कहना है कि अक्सर ऐसे मामले सर्वर-साइड गड़बड़ी की वजह से होते हैं जैसे cache में खराबी, gateway error, server configuration में fault, जिसकी वजह से पूरी सर्विस गड़बड़ा जाती है और फिर सिस्टम को reset, reboot या restore करना पड़ता है। ऐसी समस्याएँ देखने में भले टेक्निकल लगें, लेकिन असर सीधे आम लोगों की मीटिंग्स और काम पर पड़ता है और यह सबसे बड़ा सिरदर्द बन जाता है।
इस बार आउटेज में एक चीज़ अलग देखने को मिली वेब ब्राउज़र पर Google Meet सबसे ज़्यादा ठप पड़ा, जबकि मोबाइल ऐप पर कुछ लोगों के लिए मीटिंग्स चलती रहीं।यानी अगर लैपटॉप या ब्राउज़र से लिंक नहीं खुल रहा था, तो फोन के ऐप में मीटिंग थोड़ी बहुत चल पा रही थी।
हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं कि ऐप बिलकुल परफेक्ट था कई यूज़र्स ने मोबाइल पर भी सर्वर कनेक्शन की दिक्कत, स्क्रीन फ्रीज़, वीडियो फीड न चलने, ऑडियो कटने जैसी शिकायतें कीं। फिर भी, ज़्यादातर लोगों के लिए उस वक़्त मोबाइल ऐप एक दूसरी रास्ता या कह लें एक “बचाव का जरिया” बन गया।
इसलिए जब ब्राउज़र पर Google Meet खुलने का नाम तक नहीं ले रहा था, तब लोगों ने कहा “अगर लैपटॉप जवाब दे रहा है तो मोबाइल ही चलाते हैं।” यानी हालात थोड़े मुश्किल थे लेकिन लोगों ने जितना हो सकता था उतना एडजस्ट किया।
ऑनलाइन निर्भरता और टेक्नोलॉजी के भरोसे का सच
आज Google Meet के आउटेज ने एक बहुत बड़ी बात बिल्कुल साफ़ करके दिखा दी हमारी ज़िंदगी अब कितनी ज़्यादा टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो चुकी है। काम हो, पढ़ाई हो, इंटरव्यू हो, बिज़नेस मीटिंग हो हर छोटी-बड़ी चीज़ अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर टिक चुकी है। ऐसा लगता है जैसे हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी की धड़कन ही इंटरनेट और डिजिटल ऐप्स पर चलती है।
जब आज Google Meet रुका, तो सिर्फ कोई वेबसाइट नहीं रुकी लोगों का समय रुक गया, काम रुक गया, क्लास रुक गई, प्रोजेक्ट अटक गए, उम्मीदें थम गईं। और सबसे ज़्यादा असर भरोसे पर पड़ा क्योंकि बड़े-बड़े काम इस सोच पर होते हैं कि “Google, Zoom, Teams जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स कभी फ़ेल नहीं होंगे।”
लेकिन आज का दिन याद दिला गया कि कितनी भी बड़ी कंपनी क्यों ना हो टेक्निकल दिक्कतें कहीं भी, कभी भी आ सकती हैं। Google जैसी अंतरराष्ट्रीय और करोड़ों यूज़र्स वाली कंपनी से भी आउटेज हो सकता है तो बाकी प्लेटफॉर्म्स के बारे में क्या ही कहना।
इसीलिए समझदारी यही कहती है कि काम या मीटिंग के लिए हमेशा एक बैकअप ऐप, या फोन कॉल, या पहले से अल्टरनेटिव प्लान रखकर चलना चाहिए। क्योंकि आज के आउटेज ने बताकर मानो यह कहा: “Online duniya बहुत सुविधाजनक है लेकिन पूरी तरह भरोसा इसी पर छोड़ देना भी रिस्क है।”
अगर किसी का आज इंटरव्यू था, मीटिंग थी, प्रेज़ेंटेशन था, या क्लास थी तो उनके लिए यह आउटेज सिर्फ एक टेक्निकल issue नहीं था, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव भी था।
कई लोग घबरा गए कि “कहीं HR को लगा ना हो कि मैं कॉल में जानबूझकर नहीं आया?” “कहीं टीचर अटेंडेंस पर असर ना डाल दें?” “कहीं क्लाइंट नाराज़ ना हो जाए?”
यानी डिजिटल दिक्कत एक स्क्रीन पर आई लेकिन झटका लोगों के दिमाग और दिल पर लगा। इसीलिए आने वाले वक्त के लिए यह आउटेज मानो एक “सीख” की तरह है: सिर्फ एक ऐप पर निर्भर नहीं रहना, जरूरी मीटिंग्स के लिए बैकअप लिंक या दूसरे ऐप रखें, नेटवर्क और समय को पहले से प्लान करें, और सबसे ज़रूरी, अगर सर्वर डाउन हो जाए तो घबराने की जरूरत नहीं यह आपकी गलती नहीं।
क्योंकि आज जिस तरह हज़ारों लोग परेशान हुए इससे अंदाजा लग गया कि टेक बहुत मददगार है, लेकिन टेक पर पूरी दुनिया लटक जाए, यह भी उतना ही खतरनाक है। और ईमानदारी से कहें तो टेक हमें सहारा देती है, लेकिन वह कभी-कभी हमें आज़माती भी है। आज की घटना उसी इम्तिहान का एक हिस्सा थी।



