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Instagram का बड़ा फ़ैसला Hashtags को “मिथ” कहा
2025 के आख़िरी महीनों में Instagram ने ऐसा बड़ा फ़ैसला लिया है जिसने क्रिएटर्स, ब्रांड्स और आम यूज़र्स तीनों की सोच और स्ट्रैटेजी हिला कर रख दी है। Instagram के मुखिया Adam Mosseri ने हाल ही में साफ़ शब्दों में कहा कि हैशटैग अब कोई जादू की छड़ी नहीं हैं। उनका कहना है कि लोग जितनी अहमियत हैशटैग्स को देते रहे हैं, असल में उतनी ताक़त अब उनमें नहीं बची है यानी हैशटैग्स को लेकर जो सोच बनी हुई थी, वो काफ़ी हद तक एक मिथक निकली।
इसके तुरंत बाद Instagram ने अपनी पोस्टिंग पॉलिसी में बड़ा बदलाव कर दिया। अब कोई भी यूज़र चाहे वो क्रिएटर हो, बिज़नेस अकाउंट हो या आम इंसान एक पोस्ट या Reel में सिर्फ़ 5 हैशटैग ही इस्तेमाल कर सकता है। पहले जहाँ लोग 20–30 हैशटैग ठूंस-ठूंस कर डालते थे, अब वो दौर ख़त्म हो चुका है। ये नया नियम अब सब पर लागू हो गया है, इसमें कोई छूट नहीं है।
Instagram का साफ़ कहना है कि प्लेटफ़ॉर्म अब क्वालिटी कंटेंट, सही कैप्शन और असली एंगेजमेंट को ज़्यादा अहमियत देगा। मतलब ये कि अब बिना मतलब के हैशटैग लगाने से कुछ होने वाला नहीं। अगर आपका कंटेंट लोगों को पसंद नहीं आया, तो 5 क्या, 50 हैशटैग भी उसे नहीं चला पाएंगे।
सीधी-सी बात ये है कि अब Instagram पर कामयाबी का रास्ता बदल गया है। अब खेल है अच्छे आइडिया, सच्ची स्टोरी और दिल से बने कंटेंट का। हैशटैग्स सहारा हो सकते हैं, मगर सहारे के भरोसे पूरा सफ़र तय नहीं किया जा सकता और यही बात Adam Mosseri ने इशारों-इशारों में नहीं, बल्कि खुले तौर पर कह दी है।
Hashtags का युग: शुरू से अब तक
Instagram ने हैशटैग्स की शुरुआत साल 2011 में की थी, ताकि लोग अपनी पसंद के हिसाब से फ़ोटो और वीडियो आसानी से ढूंढ सकें। उस वक़्त हाल ये था कि जितने ज़्यादा हैशटैग, उतनी ज़्यादा पहुंच इसलिए #travel, #photography, #love जैसे टैग हर पोस्ट में आम बात हो गई थी। लोग मानते थे कि हैशटैग्स डाल दिए तो पोस्ट अपने आप चल पड़ेगी।
लेकिन वक़्त के साथ खेल बदलता गया। धीरे-धीरे Instagram का AI वाला Recommendation System मज़बूत होता गया और कंटेंट दिखाने का तरीक़ा भी स्मार्ट हो गया। अब प्लेटफ़ॉर्म ये नहीं देखता कि आपने कितने हैशटैग लगाए हैं, बल्कि ये देखता है कि आपका कंटेंट किसको पसंद आ सकता है, किससे लोग रुक कर देख रहे हैं, लाइक कर रहे हैं, शेयर कर रहे हैं या सेव कर रहे हैं। यानी सब कुछ ज़्यादा पर्सनलाइज़्ड हो गया है।
अब जब खुद Adam Mosseri ये कह रहे हैं कि हैशटैग्स पहले जैसी reach नहीं देते, तो इसमें कोई शक़ नहीं रह जाता। ये Instagram की तरफ़ से एक साफ़ सा इशारा है कि अब उसकी पहली प्राथमिकता algorithm के ज़रिए कंटेंट discovery है, न कि ढेर सारे हैशटैग्स।
सीधी ज़ुबान में कहें तो अब Instagram पर चलने के लिए हैशटैग्स नहीं, बल्कि कंटेंट की जान, उसकी सच्चाई और लोगों की दिलचस्पी मायने रखती है। हैशटैग्स अब बस एक छोटा सा सहारा हैं असली ताक़त अब algorithm के हाथ में है, और वही तय करता है कि आपका कंटेंट किस तक पहुंचेगा और किस तक नहीं।
हैशटैग लिमिट में बड़ा बदलाव अब सिर्फ 5
अब Instagram ने खुलकर एलान कर दिया है कि एक पोस्ट या Reel में ज़रूरत से ज़्यादा हैशटैग्स लगाने का दौर ख़त्म हो चुका है। नए नियम के मुताबिक़, अब आप अपनी caption में ज़्यादा से ज़्यादा सिर्फ़ 5 हैशटैग ही डाल सकते हैं। पहले जहाँ 30 तक की इजाज़त थी, वहाँ से सीधे 5 पर आ जाना अपने आप में बहुत बड़ा बदलाव है।
पहले क्या होता था? ज़्यादातर क्रिएटर्स सोचते थे कि जितने ज़्यादा हैशटैग, उतनी ज़्यादा reach। इसी वजह से caption के आख़िर में 20–30 टैग ठूंस दिए जाते थे, ताकि हर तरह के लोग कंटेंट तक पहुँच सकें। मगर अब Instagram ने साफ़ कर दिया है कि ये पुरानी चाल अब काम नहीं करेगी।
Instagram का कहना बिल्कुल सीधा है — अब खेल क्वालिटी का है, क्वांटिटी का नहीं। मतलब ये कि पाँच सोच-समझ कर लगाए गए, सही और आपके कंटेंट से जुड़े हैशटैग, उन 30 बेकार और बेमतलब टैग्स से कहीं ज़्यादा फ़ायदा देंगे।
आसान लफ़्ज़ों में कहें तो अब Instagram ये चाहता है कि आपका कंटेंट साफ़-सुथरा हो, caption मतलब की बात करे, और हैशटैग बस सहारा बनें भीड़ नहीं। अब कम शब्दों में सही बात कहने का ज़माना है, और यही नई Instagram स्ट्रैटेजी की असली रूह है।
क्यों Instagram ने ये बदलाव किया?
Instagram ने ये सख़्त क़दम इसलिए उठाया है ताकि हैशटैग स्पैम पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके। पहले क्या होता था कि बहुत से लोग बिना सोचे-समझे #reels, #explore, #viral जैसे irrelevant और generic हैशटैग्स डाल देते थे, बस इस उम्मीद में कि पोस्ट ज़्यादा लोगों तक पहुँच जाएगी। मगर Instagram का साफ़ कहना है कि ऐसे टैग्स ज़्यादातर वक़्त reach बढ़ाने के बजाय नुकसान करते हैं और प्लेटफ़ॉर्म को स्पैम जैसा बना देते हैं। यही वजह है कि अब Instagram इस तरह की practice को बिल्कुल पसंद नहीं कर रहा।

आज का Instagram पूरी तरह algorithm और AI के भरोसे चल रहा है। इसका recommendation engine दुनिया भर से अरबों डेटा को समझकर ये तय करता है कि किस यूज़र को किस तरह का कंटेंट दिखाना है। इसका मतलब ये हुआ कि अब सिर्फ हैशटैग्स नहीं, बल्कि आपके फोटो या वीडियो में क्या दिख रहा है, आपने caption में क्या लिखा है, लोग उस पर कितना वक़्त बिता रहे हैं, लाइक, कमेंट, शेयर और सेव कर रहे हैं — ये सारी चीज़ें कहीं ज़्यादा अहम हो गई हैं।
Instagram ये भी मानता है कि लंबे-लंबे हैशटैग्स captions को अक्सर भारी, उलझा हुआ और बेमतलब बना देते हैं। यूज़र को ऐसा लगता है जैसे वो कंटेंट नहीं, बल्कि टैग्स की लिस्ट देख रहा हो। इसलिए Instagram चाहता है कि लोग एक-दूसरे के लिए साफ़, समझ में आने वाला और मतलब का कंटेंट देखें — न कि बस टूल्स के ज़रिए tagging की हुई पोस्ट्स।
अब क्रिएटर्स को कौन-सी रणनीति अपनानी चाहिए?
Instagram की इस नई नीति का मतलब सिर्फ इतना नहीं है कि हैशटैग्स की संख्या कम कर दी गई है, बल्कि इसका सीधा सा मतलब ये है कि पुरानी ट्रेंडिंग स्ट्रैटेजी अब खत्म हो चुकी है। अब आपको नए तरीक़ों पर ध्यान देना पड़ेगा:
प्रासंगिक और niche हैशटैग्स का इस्तेमाल करें
अब हर पोस्ट में सिर्फ 5 ऐसे हैशटैग्स लगाइए जो सीधे आपके कंटेंट से जुड़े हों। जैसे अगर आप स्ट्रीट फ़ोटोग्राफ़ी करते हैं तो #StreetPhotography, ट्रैवल से जुड़ा कंटेंट है तो #TravelBlogger, खाने की रेसिपी है तो #VeganRecipes जैसे टैग्स ज़्यादा फ़ायदेमंद होंगे।
fun, #love, #instagood जैसे generic टैग्स अब लगभग बेअसर हो चुके हैं।
AI और algorithm के हिसाब से सोचें
अब Instagram आपकी पोस्ट उन्हीं लोगों तक पहुँचाता है जिनकी रुचि आपके कंटेंट से मिलती-जुलती होती है। इसलिए Reels का watch time, comments, saves और shares बहुत मायने रखते हैं। जितना ज़्यादा लोग आपके कंटेंट से जुड़ेंगे, उतना algorithm उसे आगे बढ़ाएगा।
कंटेंट की क्वालिटी पर सबसे ज़्यादा ध्यान दें
साफ़ लफ़्ज़ों में कहें तो अगर आपका पोस्ट या Reel दमदार, दिलचस्प और engaging नहीं है, तो चाहे आप 5 हैशटैग लगाएँ या 30 reach अपने आप नहीं बढ़ेगी। अब ज़रूरी है कि आप creative storytelling करें, अच्छे visuals इस्तेमाल करें और audience से सच्चा रिश्ता बनाएँ।
आख़िर में बात इतनी सी है Instagram अब shortcuts नहीं, बल्कि सच्चे, मेहनत से बने और audience-centric कंटेंट को आगे बढ़ा रहा है। हैशटैग्स अब बस एक छोटा सा सहारा हैं, असली खेल आपके कंटेंट की ताक़त में है। जो ये बात समझ गया, वही आने वाले वक़्त में Instagram पर टिकेगा और आगे बढ़ेगा।
निष्कर्ष: क्या हैशटैग्स की दुनिया खत्म हो रही है?
हालाँकि Adam Mosseri ने ये कहा है कि आज के दौर में हैशटैग्स किसी मिथक जैसे हो गए हैं और पहले जैसी reach नहीं देते, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि हैशटैग्स अब पूरी तरह बेकार हो चुके हैं। सच ये है कि आज भी हैशटैग्स सर्च में और कंटेंट को सही कैटेगरी में रखने में थोड़ी-बहुत मदद करते हैं।
फ़र्क़ बस इतना है कि अब Instagram की AI से चलने वाली algorithm इतनी ज़्यादा स्मार्ट और ताक़तवर हो गई है कि वही तय करती है कौन-सा कंटेंट किस तक पहुँचेगा। इसलिए अब हैशटैग्स का असली काम बस इतना रह गया है कि वो आपके कंटेंट को context दें और सही तरह की audience तक पहुँचाने में हल्की सी मदद करें न कि ढेर सारे टैग डालकर algorithm को चकमा दिया जाए।
Instagram का ये नया अपडेट सिर्फ एक छोटा सा बदलाव नहीं है, बल्कि इसने पूरी दुनिया की social media strategy को ही बदल कर रख दिया है। जो लोग अभी भी पुराने ज़माने वाली hashtag-stuffing की सोच पर चल रहे हैं, उनके लिए ये तरीका अब काम का नहीं रहा।
अब Instagram साफ़ तौर पर ये चाहता है कि कंटेंट real हो, मतलब वाला हो और audience के दिल से जुड़ा हो। दिखावे और shortcuts का दौर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। जो क्रिएटर इस बात को समझ लेगा और अपने कंटेंट में सच्चाई, मेहनत और सोच डालेगा — वही आगे चलेगा, बाक़ी सब पीछे छूटते चले जाएंगे।
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