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AIIMS दिल्ली का नया App लॉन्च
आजकल हिंदुस्तान में पढ़ाई करने वाले नौजवानों के बीच तनाव (stress), अकेलापन (loneliness) और ज़हन पर बोझ (mental pressure) बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। क्लास का प्रेशर, एग्ज़ाम्स का डर, घरवालों की उम्मीदें और आगे के करियर की टेंशन – सब मिलकर स्टूडेंट्स की ज़िंदगी को बहुत मुश्किल बना देती हैं। कई बार हालात इतने खराब हो जाते हैं कि बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं, या फिर उन्हें लगता है कि उनकी बातें सुनने वाला कोई नहीं है।

इसी बड़ी समस्या को देखते हुए AIIMS दिल्ली ने एक बेहतरीन हल (solution) निकाला है। उन्होंने एक नया AI-बेस्ड (Artificial Intelligence आधारित) प्रोग्राम लॉन्च किया है जिसका नाम है “Never Alone”। नाम से ही साफ़ है – अब कोई भी स्टूडेंट अकेला नहीं रहेगा। ये प्रोग्राम और ऐप खासकर कॉलेज और यूनिवर्सिटी के बच्चों के लिए बनाया गया है, ताकि वो किसी भी वक़्त – चाहे दिन हो या रात – अपने मानसिक हालात के बारे में मदद ले सकें, वो भी बिना किसी शर्म, हिचक या डर के।
इस ऐप का लॉन्च भी बहुत खास दिन पर किया गया – World Suicide Prevention Day यानी विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर। इसका मक़सद यही है कि किसी भी नौजवान को अब हालात से तंग आकर इतने बड़े कदम उठाने की नौबत ना आए।
कैसे काम करता है “Never Alone”
“Never Alone” कोई आम ऐप नहीं है, बल्कि ये एक वेब-बेस्ड और सिक्योर प्लेटफ़ॉर्म है। इसे आप सीधे WhatsApp के ज़रिये या फिर एक QR कोड स्कैन करके आसानी से ऐक्सेस कर सकते हो। सबसे बड़ी बात ये है कि ये सेवा 24×7 यानी चौबीसों घंटे, सातों दिन उपलब्ध होगी। दिन हो या रात, सुबह हो या आधी रात – अगर किसी स्टूडेंट को मदद चाहिए तो वो तुरंत इसमें कनेक्ट हो सकता है।
इस प्लेटफ़ॉर्म पर आपको दोनों तरह की काउन्सलिंग मिलेगी –
Virtual (ऑनलाइन): घर बैठे मोबाइल या लैपटॉप से
Offline (ऑफलाइन): चाहो तो सामने बैठकर भी सेशन कर सकते हो
सबसे पहला स्टेप है Screening (स्क्रींनिंग)। इसमें देखा जाएगा कि स्टूडेंट की मानसिक हालत कैसी है, उसके दिमाग़ी हालात (symptoms) कहाँ तक जा चुके हैं – जैसे स्ट्रेस, ऐंग्ज़ाइटी, डिप्रेशन वगैरह। उसके बाद अगर ज़रूरत हो तो Intervention (हस्तक्षेप) किया जाएगा – यानी उसे काउन्सलिंग, थेरेपी या डॉक्टर की मदद दिलाई जाएगी। और बात यहीं खत्म नहीं होगी – स्टूडेंट्स के लिए लगातार Follow-up (फॉलो-अप) भी किया जाएगा, ताकि वो अकेलेपन या परेशानी में फिर से न फँसें।
अब सबसे खास बात आती है खर्चे (cost) की। ये सेवा इतनी किफ़ायती (affordable) है कि अगर किसी प्राइवेट कॉलेज या यूनिवर्सिटी में इसे यूज़ किया जाए तो प्रति स्टूडेंट सिर्फ़ 70 पैसे रोज़ाना का ख़र्च आएगा। यानी महज़ कुछ रुपए में बच्चों को पूरी मानसिक हेल्थ सपोर्ट मिल जाएगी।
और सुनो – अगर ये सेवा AIIMS संस्थानों (जैसे AIIMS Delhi, AIIMS Bhubaneswar आदि) में इस्तेमाल की जाएगी तो वहाँ के स्टूडेंट्स के लिए ये बिल्कुल फ्री (मुफ़्त) होगी। इसकी वजह है कि इसे सपोर्ट कर रहा है Global Centre of Integrative Health (GCIH) – जो कि एक non-profit (ग़ैर-नफ़ा) इनिशिएटिव है।
क्यों जरूरी है AIIMS की यह पहल
भारत में स्टूडेंट्स की ज़िंदगी पर मानसिक दबाव इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि अब ये एक बड़ी चिंता का सबब बन चुका है। हालात इतने गंभीर हैं कि NCRB (National Crime Records Bureau) की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ़ साल 2022 में ही करीब 1,70,924 लोगों ने आत्महत्या (suicide) कर ली थी।
इनमें से बड़ी तादाद (संख्या) उन नौजवानों की थी जिनकी उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। ये वही उम्र होती है जब इंसान पढ़ाई, करियर और ज़िंदगी बनाने में सबसे ज़्यादा मेहनत करता है – और अफ़सोस की बात है कि यही दौर सबसे भारी भी पड़ रहा है।
लेकिन असली मसला ये है कि जब किसी स्टूडेंट को डिप्रेशन, ऐंग्ज़ाइटी या किसी भी तरह की मानसिक बीमारी होती है, तो वो अक्सर मदद लेने से कतराते हैं। वजहें भी साफ़ हैं –
सबसे पहले तो समाज का कलंक (stigma), यानी ये डर कि लोग क्या कहेंगे।
दूसरा, अपने दोस्तों या फैमिली के सामने खुलकर बोलने में शर्म आना।
और तीसरा, ये सोच कि “क्या फ़ायदा होगा, इससे कुछ बदलेगा भी या नहीं?”
यही वो मुश्किलें हैं जो बच्चों को और भी अकेला कर देती हैं।
यहीं पर आता है “Never Alone” – ये सिर्फ़ एक ऐप नहीं, बल्कि एक कोशिश है उस कलंक को तोड़ने की। इस प्लेटफ़ॉर्म की सबसे बड़ी ताक़त यही है कि ये तुरंत (instant), सुरक्षित (secure), निजी (anonymous) और हर किसी तक आसानी से पहुँचने वाली (accessible) सेवा देता है। मतलब, कोई भी बच्चा बिना अपना नाम बताए, बिना जजमेंट का डर रखे, कभी भी इसमें मदद ले सकता है।
इसका सबसे बड़ा मक़सद यही है कि कोई भी स्टूडेंट ये महसूस ना करे कि वो अकेला है। अब चाहे हालत कितने ही बुरे क्यों न हों, “Never Alone” उसके साथ खड़ा है – बिलकुल एक दोस्त की तरह, जो हर वक़्त सुनने और सहारा देने के लिए तैयार है।
कौन-कौन इस सेवा का हिस्सा है
इस प्रोग्राम की शुरुआत सबसे पहले AIIMS-दिल्ली, AIIMS-भुवनेश्वर और IHBAS शाहदरा (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) में की गई है। यानी अभी ये पहल कुछ चुनिंदा जगहों से शुरू हुई है, ताकि स्टूडेंट्स पर इसका असर देखा जा सके और इसे बेहतर बनाया जा सके।
लेकिन प्लान सिर्फ़ यहीं तक सीमित नहीं है। आने वाले वक़्त में इसे पूरे AIIMS नेटवर्क में फैलाया जाएगा, ताकि देशभर के AIIMS से जुड़े स्टूडेंट्स और यूथ इस सुविधा का फायदा उठा सकें। और सिर्फ़ AIIMS ही क्यों, इसे आगे चलकर दूसरे शैक्षणिक संस्थानों (educational institutions) में भी पहुँचाने की तैयारी की जा रही है।
जहाँ तक प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ की बात है, वहाँ के लिए ये सेवा institutional subscription (संस्थागत सब्सक्रिप्शन) के ज़रिये दी जाएगी। यानी अगर कोई यूनिवर्सिटी या कॉलेज चाहे तो अपने सभी स्टूडेंट्स के लिए इसे एक्टिवेट कर सकता है, और बच्चे बहुत ही मामूली खर्च में 24×7 मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट ले पाएँगे।
सीधी बात है भाई – शुरुआत भले ही छोटी हो, मगर इरादा बड़ा है। आने वाले समय में “Never Alone” लाखों-करोड़ों नौजवानों के लिए एक ऐसा सहारा बन सकता है, जो उन्हें तनहाई और डिप्रेशन से निकालकर उम्मीद और हिम्मत की नई रोशनी देगा।
Never Alone के फायदे और चुनौतियाँ
इस प्रोग्राम की शुरुआत फिलहाल AIIMS-दिल्ली, AIIMS-भुवनेश्वर और IHBAS शाहदरा (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) से की गई है। यानी अभी ये सेवा पायलट प्रोजेक्ट की तरह कुछ चुनिंदा जगहों पर शुरू हुई है, ताकि देखा जा सके कि बच्चों को इससे कितना फ़ायदा मिल रहा है।
लेकिन प्लान यही है कि आने वाले वक़्त में इसे पूरे AIIMS नेटवर्क में फैलाया जाए। मतलब, देशभर के AIIMS हॉस्पिटल्स और इंस्टीट्यूट्स में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स इस सुविधा का इस्तेमाल कर पाएँगे। और यही नहीं, आगे चलकर इसे दूसरे शैक्षणिक संस्थानों (educational institutions) तक भी पहुँचाने की तैयारी है।
जहाँ तक प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी की बात है – वहाँ भी ये सर्विस दी जाएगी, लेकिन उनके लिए एक तरह का institutional subscription (संस्थागत सब्सक्रिप्शन) होगा। यानी कॉलेज अगर चाहे तो ये सेवा सब बच्चों को दिला सकता है, और स्टूडेंट्स को बहुत ही मामूली चार्ज में mental health support मिल जाएगा।
सीधी सी बात ये है कि अभी ये छोटा कदम है, लेकिन बहुत जल्द ये एक बड़ा नेशनल प्रोग्राम बन सकता है – जो हिंदुस्तान के लाखों-करोड़ों स्टूडेंट्स को अकेलेपन और मानसिक तनाव से बाहर निकालने में मदद करेगा।
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