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Big Warning: गलत डोमेन टाइप करते ही Perplexity की जगह सीधे Google Gemini पर पहुँच जाएंगे Users रहें Alert

Big Warning: गलत डोमेन टाइप करते ही Perplexity की जगह सीधे Google Gemini पर पहुँच जाएंगे Users रहें Alert

Perplexity AI क्या हुआ स्थिति का हाल

हाल ही में लोगों ने बड़ा अजीब सा अनुभव किया। जैसे ही उन्होंने अपने मोबाइल या लैपटॉप के ब्राउज़र में perplexity.in टाइप किया सामने Perplexity AI खुलने के बजाय सीधे Google Gemini की वेबसाइट खुल गई। अब सोचिए, कोई एक वेबसाइट खोल रहा हो और दूसरी ही खुल जाए तो थोड़ी हैरानी तो बनती है ना? इंटरनेट यूज़र्स के साथ यही हुआ।

इस अचनाक हुए बदलाव ने लोगों को पूरी तरह कन्फ्यूज़ कर दिया। और सोशल मीडिया पर तो जैसे अफ़वाहों का तांता लग गया। बहुत से लोग बोलने लगे “शायद Google ने चुपचाप Perplexity को ख़रीद लिया है, इसलिए ऐसी रीडायरेक्टिंग हो रही है।” एक वक़्त पर ये ख़बर इतनी फैल गई कि लोगों ने इसे सच मानना भी शुरू कर दिया। मगर असल कहानी इससे बिल्कुल अलग है।

अब ताज़ा रिपोर्ट्स में जो बात निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक Google और Perplexity के बीच कोई डील नहीं हुई, न ही कोई कंपनी दूसरी कंपनी को खरीद रही है। असल में मामला कुछ और है और थोड़ा मज़ेदार भी।

Perplexity अपनी सर्विस दुनिया भर में ज़्यादातर perplexity.ai और perplexity.com जैसे डोमेन्स पर चलाती है। लेकिन लगता है कि उन्होंने भारत वाला डोमेन (.in) यानी perplexity.in खरीदने की ज़रूरत या अहमियत महसूस ही नहीं की।

और इंटरनेट पर डोमेन न खरीदना कभी-कभी बड़ा महँगा सबक बन जाता है। यही हुआ संभावना है कि कोई तीसरा शख़्स या संगठन इस डोमेन को पहले ही खरीद चुका हो। और अब उसने इस डोमेन को Google Gemini की वेबसाइट पर रीडायरेक्ट कर दिया है।

यानी, जिसने भी डोमेन अपने नाम किया है वो चाहता है कि जो भी इंडिया में Perplexity ढूंढे, वो Gemini पर पहुँच जाए। सच्चाई ये भी है कि बहुत से इंटरनेट डोमेन्स ₹499 – ₹800 जैसी मामूली क़ीमत में मिल जाते हैं। बस जिसने तेज़ी दिखाई, उसने डोमेन ले लिया और कमाल कर दिया।

तो अभी तक जितना समझ में आ रहा है ये मामला किसी बड़ी टेक डील का नतीजा नहीं है, न ही Perplexity बिक गई है, बल्कि यह शायद डोमेन मैनेजमेंट में की गई एक लापरवाही या नज़रअंदाज़ी है, जिसके कारण भारत के यूज़र्स कन्फ्यूज़ हो रहे हैं।

और सच कहें तो आजकल AI की दुनिया जिस तेज़ी से आगे बढ़ रही है, वहाँ छोटे-से छोटा फ़ैसला जैसे डोमेन लेना या छोड़ देना भी बहुत बड़ा फर्क डाल सकता है। लोगों ने पेरप्लेक्सिटी खोलने की कोशिश की, लेकिन सामने जेमिनी खुल गई और इसी ने पूरा खेल बदल दिया।

इस रीडायरेक्ट से क्यों बन रही है चर्चा बड़े मायने

यूज़र ट्रैफ़िक और ब्रांड पहचान पर असर जब लोग जानबूझकर या गलती से perplexity.in खोलते हैं तो वो सीधे Google Gemini पर पहुँच रहे हैं।

अब इसका असर कुछ इस तरह से पड़ रहा है: कई लोग असल में Perplexity इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन redirect की वजह से ग़लती से Gemini पर चले जाते हैं। यानी इरादा कुछ और, और पहुंच कहीं और जैसे किसी दुकान पर जाना हो और वही रास्ता आपको दूसरी दुकान में पहुँचा दे।

इससे Perplexity को नए यूज़र्स मिलने में कमी आ सकती है। क्योंकि भारत में बहुत से लोग किसी भी वेबसाइट का .in वाला वर्ज़न ज़्यादा भरोसे से खोलते हैं। लोग सोचते हैं “.in लिखा है तो यही वाली वेबसाइट सही होगी” और वहीं ग़लती हो जाती है।

इस सबका सीधा असर ब्रांड पहचान पर भी पड़ रहा है। क्योंकि अब बहुत से लोगों के दिमाग में “Perplexity लिखो तो Gemini खुलता है” वाली इमेज बनने लगी है। यानी नाम तो Perplexity का याद रहे, लेकिन दिमाग में तस्वीर Gemini की बने ये किसी भी ब्रांड के लिए अच्छी बात नहीं होती।

साधी भाषा में कहें तो Perplexity इंडिया के यूज़र्स के लिए अपनी पहचान खोती हुई सी लग रही है, और Gemini उस पहचान को पकड़कर आगे निकल रहा है। यही वजह है कि कंपनियों के लिए डोमेन प्रबंधन + ब्रांड सुरक्षा सिर्फ तकनीकी काम नहीं, बल्कि बाज़ार में अपनी इज़्ज़त और पहचान बचाने का तरीका बन चुका है।

इंटरनेट में “डोमेन-गेमिंग” का नया चरण

कुछ टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये जो Perplexity.in वाली घटना हुई है ये सिर्फ एक छोटी-सी गलती नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में एक नए खेल की शुरुआत है। अब असली फ़र्क सिर्फ इस बात से नहीं पड़ेगा कि किस प्लेटफॉर्म का AI कितना तेज़ है, किसका फीचर कितना बढ़िया है बल्कि मामला इस बात से भी तय होगा कि इंटरनेट के दरवाज़े (gateways) किसके हाथ में हैं।

सीधी सी बात जिसके पास लोकप्रिय नाम वाला डोमेन होगा, जिसके पास यूज़र लॉजिक में आने वाला वेब एड्रेस होगा, वो यूज़र्स के ट्रैफ़िक को अपनी मर्ज़ी के मुताबिक घुमा सकता है।और आम इंसान को, जो बस जल्दी में क्लिक करता है |

उसे पता भी नहीं चलेगा कि वो किस प्लेटफॉर्म पर जा रहा था और कहाँ पहुँच गया। इंटरनेट की भीड़ में हर कोई इतना ध्यान नहीं रखता, ये “.in, .ai, .com” जैसी चीज़ें अक्सर नज़र ही नहीं आतीं।

यानी AI के यूज़र्स के लिए अब सिर्फ “कौन सा चैटबॉट बेहतर जवाब देता है” या “किसका इंटरफ़ेस सबसे सुंदर है” ही मायने नहीं रखेगा बल्कि अब डोमेन सुरक्षा और ब्रांड का कंट्रोल भी उतना ही ज़रूरी हो गया है। क्योंकि नाम और पहचान छिन जाए तो फ़ीचर्स भी काम नहीं आते।

अब बाज़ार की प्रतिस्पर्धा और तेज़ होती जाती है। ये redirect चाहे किसी तीसरे आदमी ने किया हो, चाहे कोई खेल या मज़ाक हो फायदा तो Google Gemini को ही हो रहा है। क्योंकि हर बार जब भारत में कोई यूज़र Perplexity.in खोल रहा है वो Perplexity तक पहुँचने से पहले ही Gemini की गोद में गिर रहा है। यानी, Perplexity कोशिश करे या ना करे, Gemini को यूज़र्स अपने-आप मिल रहे हैं।

और आज के AI ज़माने में जहाँ लोग सर्च इंजन को ही चैटबॉट, चैटबॉट को ही जवाब देने वाला दोस्त मानने लगे हैं ऐसी छोटी-छोटी चीज़ें भी बहुत बड़ा असर डाल देती हैं। कभी-कभी जंग में तोप और मिसाइल की ज़रूरत नहीं होती बस दुश्मन की सड़क का मोड़ घुमा दो, मंज़िल बदल जाती है।

क्या हो सकता है आगे संभावित परिदृश्य

अब बड़ा सवाल ये है कि आगे क्या होगा? यानी Perplexity इस पूरे मसले से कैसे निकलेगी और यूज़र्स को कैसे वापस सही रास्ते पर लाएगी?

कई संभावित रास्ते सामने दिख रहे हैं:

सबसे पहला और सीधा रास्ता Perplexity को भारत वाला .in डोमेन अपने नाम करना चाहिए। ताकि लोग जब “perplexity.in” टाइप करें तो वही Perplexity खुले जिसकी उन्हें उम्मीद है। ऐसा हो जाए तो redirect अपने-आप बंद भी हो सकता है और यूज़र्स का भरोसा भी लौट आएगा।

दूसरा तरीका लोगों को साफ़-साफ़ जानकारी देना Perplexity चाहे तो खुलकर बोल सकती है कि “हमारी असली वेबसाइट perplexity.ai या perplexity.com है .in हमारी साइट नहीं है।” इससे कम से कम यूज़र्स की गलतफहमी दूर होगी और लोग सही लिंक इस्तेमाल करना सीखेंगे। बेशक ये परफ़ेक्ट हल नहीं है, लेकिन कन्फ्यूज़न कम तो ज़रूर करेगा।

तीसरी दिशा कानून और बातचीत वाला रास्ता अगर सच में .in डोमेन किसी तीसरे शख़्स/कंपनी ने ले लिया है, तो Perplexity कानूनी प्रक्रिया के ज़रिए उस डोमेन को हटाने, वापस खरीदने या redirect बदलवाने की कोशिश कर सकती है। लेकिन ये रास्ता थोड़ा लंबा होता है इसमें समय भी लगेगा, पैसा भी लगेगा और थोड़ा सिरदर्द भी। आख़िर में मामला सिर्फ वेबसाइट का नहीं है ये पहचान का, भरोसे का और मार्केट में पकड़ बनाए रखने का है।

भारत जैसा बड़ा और विविधता भरा बाज़ार जहाँ भाषा अलग, पसंद अलग, और इंटरनेट आदतें भी अलग वहाँ ब्रांड्स को सिर्फ फीचर्स और टेक्नोलॉजी पर ही नहीं, बल्कि डोमेन प्रबंधन + लोकलाइजेशन पर भी पहले दिन से ध्यान देना चाहिए। सीधी बात नाम पर पकड़ रखोगे, तो मार्केट भी हाथ में रहेगा। नाम छूट गया तो यूज़र भी छूट जाएंगे।

यूज़र (हम) के लिए क्या मतलब क्या सावधानियां रखें

अगर आप भारत में रहते हैं और AI सर्च या चैटबॉट्स यूज़ करते हैं तो ज़रा एक छोटी-सी सावधानी रखिए। जब भी आप ब्राउज़र में “perplexity.in” लिखें तो ध्यान रहे कि हो सकता है आप गलती से Google Gemini पर पहुँच जाएँ। कई लोगों के साथ ऐसा हो चुका है|

इरादा Perplexity का होता है, लेकिन पहुँच Gemini के दरवाज़े पर जाते हैं। इससे बचने का सबसे आसान तरीका यही है कि अगर आप Perplexity इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो सीधे उनकी ऑफ़िशियल वेबसाइट perplexity.ai का ही इस्तेमाल करें। यही असली और सही लिंक है इससे कन्फ्यूज़न नहीं होगा।

और हाँ, ये बात सिर्फ अपने तक मत रखिए अपने दोस्तों, परिवार वालों, सहकर्मियों को भी बता दें। ख़ासकर वो लोग जो टेक्नोलॉजी में नए हैं, या बहुत गहराई से नहीं समझते, ताकि वो गलती से ग़लत प्लेटफॉर्म पर न पहुँच जाएँ। आजकल इतने सारे AI टूल्स आ गए हैं कि सिर्फ नाम देखकर या सुनी-सुनाई बात पर भरोसा करना ठीक नहीं।

जब भी कोई नया AI टूल इस्तेमाल करें उसका डोमेन, सोर्स, भरोसेमंदी (reliability) और असली वेबसाइट ज़रूर जाँच लें। Perplexity.in से Google Gemini पर रीडायरेक्ट होने वाली ये घटना हम सबको एक बहुत बड़ा संदेश देती है कि डिजिटल दुनिया में सिर्फ फीचर्स और टेक्नोलॉजी ही सब कुछ नहीं होते।

अब खेल में तीन और चीज़ें बहुत ताक़तवर “हथियार” बनती जा रही हैं डोमेन मैनेजमेंट ब्रांड कंट्रोल यूज़र गेटवे कोई कंपनी चाहे जितनी बड़ी हो, चाहे उसके फीचर्स कितने भी शानदार हों, लेकिन अगर यूज़र पहुँच ही न पाए, या रास्ता ग़लत घुमा दिया जाए, तो खेल पूरा बदल जाता है।

इस मामले में भले ही कोई बड़ी डील, मर्जर या अधिग्रहण न हुआ हो लेकिन एक साधारण-सी डोमेन ओवरसाइट, यानी डोमेन पर नियंत्रण न रखना, यूज़र्स को भी प्रभावित कर सकता है, ब्रांड को भी, और पूरे मार्केट को भी। छोटी बात लगती है लेकिन असर बहुत बड़ा होता है।

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