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Airbus A320 glitch ने create किया “Serious Flight Risk Situation” भारत में 338 विमान पड़े प्रभावित, India में delays कम करने के लिए सबसे बड़ी दौड़ जारी

Airbus A320 glitch ने create किया “Serious Flight Risk Situation” भारत में 338 विमान पड़े प्रभावित, India में delays कम करने के लिए सबसे बड़ी दौड़ जारी

Airbus A320 glitch क्या है?

यूरोपीयन हवाई जहाज़ बनाने वाली बड़ी कम्पनी Airbus ने 28–29 नवम्बर 2025 को एक बहुत ही ज़रूरी और फ़ौरी नोटिस जारी किया। इस नोटिस में कहा गया कि उनके A320 परिवार के जहाज़ों जिसमें A319, A320 और A321 जैसे पॉपुलर एयरक्राफ्ट शामिल हैं में एक ख़तरनाक सॉफ्टवेयर/फ्लाइट-कंट्रोल समस्या पाई गई है।

सरल ज़बान में समझें तो जहाज़ उड़ाते वक़्त जो सिस्टम ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ मोड़ने और कंट्रोल बनाए रखने का काम करते हैं यानी ELAC सिस्टम (Elevator & Aileron Control) उनके डाटा में तेज़ सौर विकिरण (Solar Radiation) की वजह से दख़लअंदाज़ी हो सकती है।

यानी सूरज की तेज़ किरणें जहाज़ के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के अंदर ऐसे डेटा को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे जहाज़ ग़लत दिशा में या अचानक नीचे की तरफ़ जा सकता है बिना पायलट के आदेश के।

यह मामला अचानक और मज़ाक में नहीं आया, बल्कि एक खौफ़नाक हादसे के बाद सामने आया। 30 अक्टूबर 2025 को विदेश में उड़ रहे एक A320 विमान ने अचानक “Pitch Down” कर लिया मतलब जहाज़ सीधे नीचे गिरने जैसा झटका देकर ऊँचाई खो बैठा, जबकि पायलट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था। इस दौरान विमान में बैठे मुसाफ़िरों और क्रू में जबरदस्त दहशत फैल गई लेकिन कंट्रोल वापस मिल जाने से बड़ा हादसा टल गया।

उस घटना के बाद यूरोप की सुरक्षा संस्था EASA (European Union Aviation Safety Agency) ने बिल्कुल देर न करते हुए सख़्त आदेश जारी कर दिए कि सभी प्रभावित विमानों में software reset और ज़रूरत पड़े तो ELAC hardware की पूरी replacement की जाए।

और ये काम कोई ऑप्शन नहीं, बल्कि अनिवार्य (लाज़मी) है — यानी अपडेट/मरम्मत किए बिना जहाज़ उड़ान नहीं भर सकते। साफ़-साफ़ कहें तो Airbus ने दुनिया की तमाम एयरलाइनों को अलर्ट कर दिया है कि पहले जहाज़ ठीक करो, फिर उड़ाओ। क्योंकि सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं।

भारत में असर: IndiGo और Air India फ्लाइट्स पर

भारत में इस वक़्त कुल लगभग 560 A320-परिवार वाले विमान चलाए जा रहे हैं यानी A319, A320 और A321 जैसे मॉडल, जिन्हें सबसे ज़्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से ज्यादातर IndiGo, Air India और Air India Express के पास हैं, और रोज़ाना लाखों यात्रियों को एक शहर से दूसरे शहर ले जाते हैं।

शुरुआत में जब Airbus का सॉफ्टवेयर/फ्लाइट-कंट्रोल वाला मामला सामने आया था, तब मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि शायद 200–250 विमान प्रभावित हैं।
लेकिन जैसे-जैसे टेक्निकल जाँच पूरी हुई, और एयरलाइनों ने अपनी पूरी लिस्ट Airbus को भेजी, तब असली आंकड़ा सामने आया यानि कुल 338 विमान को सॉफ्टवेयर /हार्डवेयर अपडेट की ज़रूरत है। मतलब साफ़ है कि समस्या पहले सोचे से कहीं बड़ी निकली।

इन 338 विमानों में से सुबह 10 बजे तक लगभग 189 विमान पूरी तरह अपडेट होकर फिर से उड़ान के लिए तैयार हो चुके थे। यानी कुल प्रभावित विमानों का लगभग 56% कामयाबी से ठीक कर लिया गया है।

ये अपडेट होने के बाद विमान बिना रोक-टोक सामान्य तरीक़े से उड़ान भर सकते हैं। लेकिन दूसरी तरफ़ बाकी 44% विमानों पर अभी भी काम चल रहा है। और जब तक सॉफ्टवेयर/हार्डवेयर अपडेट पूरी तरह इंस्टॉल और टेस्ट नहीं हो जाता, इन विमानों को आसमान में उड़ने की इजाज़त नहीं है।

तो इसका मतलब ये भी है कि कुछ रूट्स पर फ्लाइट डिले हो सकती हैं, कुछ विमानों को अस्थायी रूप से ग्राउंड भी रखना पड़ सकता है, एयरलाइंस को फ़्लाइट शेड्यूल बार-बार री-प्लान करना पड़ रहा है।

सरल ज़बान में एयरलाइंस ये झटका तो झेल रही हैं, लेकिन सुरक्षा सबसे पहले है। कम्पनियाँ और टेक्निकल टीमें दिन-रात काम कर रही हैं ताकि हर विमान बिल्कुल सुरक्षित और भरोसेमंद हालत में उड़ान भरे।

और जनाब, बात सच भी है आसमान में अगर एक छोटा सिस्टम भी गड़बड़ करे तो उसका अंजाम बड़ा ख़तरनाक हो सकता है, इसलिए एयरलाइंस भी यही कह रही हैं कि “देरी से उड़ायेंगे, लेकिन बिल्कुल सुरक्षित उड़ायेंगे।”

Airbus में A320 software अपडेट क्यों ज़रूरी ?

Airbus और EASA ने हाल ही में एक बहुत अहम और गंभीर बात बताई है। उनका कहना है कि जब अंतरिक्ष में सूरज की तेज़ किरणें यानी intense solar radiation होती हैं, तब विमान के अंदर लगे कुछ कंप्यूटरों पर असर पड़ सकता है।

खास तौर पर ELAC (Elevator Aileron Computer) नाम का सिस्टम जो प्लेन को ऊपर-नीचे ले जाने और दाएं-बाएं मोड़ने का काम करता है। यानी आसान अल्फ़ाज़ में समझें तो यह वही सिस्टम है जो पायलट को विमान को काबू में रखने में मदद करता है।

अब मसला यह है कि अगर aircraft में ज़रूरी software या hardware का update/repair नहीं किया गया, तो इस ELAC सिस्टम का data corrupt यानी खराब हो सकता है। और अगर डेटा खराब हुआ तो प्लेन का control पायलट के हाथ से निकल सकता है यही सबसे बड़ा खतरा है।

मतलब उड़ान के दौरान अगर यह गड़बड़ी हो गई तो प्लेन उठे-गा नहीं, गिरे-गा नहीं, मुड़े-गा नहीं यानी पायलट अचानक बेबस हो सकता है। सोचिए, 40,000 फीट की ऊंचाई पर बैठे यात्री और पायलट और अचानक नियंत्रण खत्म हो जाए कितना बड़ा risk है। इसलिए EASA ने साफ आदेश जारी किया है कि: अगली फ्लाइट से पहले ही यह अपडेट करना अनिवार्य है बिना अपडेट किए विमान उड़ान की इजाज़त नहीं दी जाएगी

यानी यह कोई सलाह या सुझाव नहीं यह एक सख़्त नियम है, जान बचाने वाला कदम है। EASA के मुताबिक दुनियाभर में जो भी Airbus विमान इस समस्या से प्रभावित हैं, उन सबको तुरंत software/hardware update करना ही पड़ेगा। तभी उन्हें उड़ान की मंजूरी मिलेगी।

Airbus की ओर से भी कहा गया है कि यह कदम सिर्फ सतर्कता के लिए नहीं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और पायलट के भरोसे का मामला है। सूरज की तीव्र किरणों के दौरान एलैक सिस्टम पर एफ़ेक्ट होने की संभावना बिल्कुल हल्की नहीं, बल्कि असली और तकनीकी तौर पर प्रूव्ड है। इसलिए कंपनी नहीं चाहती कि ज़रा-सा भी रिस्क लिया जाए। update कर दिया → विमान 100% सुरक्षित update नहीं किया → विमान उड़ाना ख़तरनाक

आज के समय में जब विमानों में हर चीज़ तकनीक पर चलती है एक छोटी-सी कंप्यूटर गड़बड़ी भी बड़े हादसे में बदल सकती है। इसलिए यह अपडेट कागज़ी औपचारिकता नहीं, बल्कि लाइफ-सेवर की तरह है।

और अच्छी बात यह है कि एयरलाइंस इस निर्देश को गंभीरता से ले रही हैं। बड़े पैमाने पर अपडेट शुरू भी हो चुके हैं, ताकि जब आगे फिर से solar radiation बढ़े तो यात्रियों की सुरक्षा पर कोई साया तक न पड़े।

यात्रियों और उड़ान शेड्यूल पर असर

Airbus अपडेट की वजह से इस वक़्त भारत में कई फ्लाइट्स की टाइमिंग पर असर पड़ रहा है। बहुत ज़्यादा दिक्कत नहीं है, लेकिन कई उड़ानें डिले हो रही हैं या उनके टाइम में थोड़ा-बहुत बदलाव किया जा रहा है।

वजह यह है कि जिन विमानों में ये नया तकनीकी अपडेट लगना है, उन्हें ग्राउंड करके चेक किया जा रहा है, या फिर टर्नअराउंड की पूरी प्रोसेस यानी एक फ्लाइट पूरी करके वापस आने के बाद उसे फिर से उड़ाने के लिए तैयार करने में अब पहले से ज़्यादा समय लग रहा है।

अच्छी बात यह है कि अभी तक कोई बड़ी उड़ान कैंसिल होने की खबर नहीं आई है। लेकिन एयरलाइंस ने यात्रियों को पहले से ही एहतियात बरतने और अपनी फ्लाइट की टायमिंग चेक कर लेने की सलाह दी है। ताकि एयरपोर्ट पर पहुंचकर परेशान न होना पड़े।

एयरलाइंस की तरफ से भी कोशिश की जा रही है कि री-शेड्यूलिंग तेजी से हो फ्लाइट स्टेटस बार-बार अपडेट होता रहे कस्टमर सपोर्ट हमेशा उपलब्ध रहे ताकि पैसेंजर्स को कम से कम दिक्कत हो और सफर आरामदायक और तनाव-रहित रहे।

लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि यह समस्या सिर्फ भारत की नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में महसूस की जा रही है। करीब 6,000 Airbus A320-परिवार के विमानों जो बाज़ार में सबसे ज़्यादा बिकने वाली नैरो-बॉडी कैटेगरी मानी जाती है को यह अपडेट जरूरी बताया गया है। इसी वजह से अमेरिका, यूरोप, एशिया और दूसरे क्षेत्रों में भी कई एयरलाइंस प्रभावित हुई हैं। कहीं विमान ग्राउंड करने पड़े, कहीं फ्लाइट्स रद्द हुईं और कई जगह टाइमिंग बदली गई।

भारत में खास तौर पर IndiGo और Air India जैसी बड़ी एयरलाइंस के पास A320 की भारी संख्या है। इसलिए उनके लिए यह अपडेट समय पर पूरा करना बेहद ज़रूरी था, वरना यात्रियों की सुरक्षा, पायलट के कंट्रोल और पूरा एयर ट्रैफिक सिस्टम सब पर असर पड़ सकता था।

यानी मामला सिर्फ तकनीकी अपडेट का नहीं है यह मुसाफ़िरों की सुरक्षा, उड़ानों की भरोसेमंदी और हवा में उड़ते हर विमान की सलामती का मामला है। अब असली बात ये है कि यह काम कितनी तेज़ी से पूरा होता है कितने दिनों में पूरी फ्लीट अपडेट हो जाती है और यात्रियों पर इसका असर कितने समय तक रहता है यह आने वाला वक़्त बताएगा।

फिलहाल, यात्रियों के लिए सबसे समझदारी भरी सलाह यही है: यात्रा से पहले फ्लाइट स्टेटस ज़रूर चेक करें एयरलाइन के मैसेज/नोटिफिकेशन पर ध्यान रखें जरूरत पड़े तो कस्टमर सपोर्ट से बात करें ताकि सफर में कोई टेंशन या परेशानी न हो, और यात्रा आराम से, सुकून के साथ पूरी हो सके।

Airbus: सुरक्षा पहली प्राथमिकता चुनौतियाँ और उम्मीदें

इस पूरे मामले ने एक चीज़ बिल्कुल साफ़ कर दी है आज के ज़माने में हवाई जहाज़ सिर्फ इंजन, पंख और लोहे-स्टील से नहीं चलते, बल्कि software, electronics और digital control systems भी उतने ही ज़रूरी होते हैं। अगर इनमें ज़रा सी भी खराबी आ जाए, तो असर सीधा विमान की सुरक्षा और पायलट के कंट्रोल पर पड़ता है।

इसलिए DGCA (भारत की विमानन संस्था) और EASA (यूरोप की विमानन सुरक्षा संस्था) ने जिस तेजी से कदम उठाया और update को अनिवार्य कर दिया, वह बिल्कुल सही समय पर लिया गया फ़ैसला था। अगर ये संस्थाएँ तुरंत अलर्ट न होतीं, तो जो समस्या सामने आई थी, वह आगे चलकर बहुत बड़ा ख़तरा बन सकती थी।

अभी की स्थिति यह है कि भारत के करीब 56% प्रभावित विमान अपडेट करवाकर दोबारा उड़ान के लिए तैयार हो चुके हैं। बाक़ी बचे विमानों पर भी अपडेट और चेकिंग का काम तेज़ी से चल रहा है। थोड़ी असुविधा तो यात्रियों को हो रही है टाइमिंग बदली जा रही है, फ्लाइट्स में थोड़ा डिले हो रहा है लेकिन एयरलाइंस का साफ़ कहना है कि “सुरक्षा पहले” है। और ये बात बिल्कुल ठीक भी है।

क्योंकि अगर यह अपडेट न किया जाता, तो फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से पायलट का विमान पर पूरा कंट्रोल खो जाना भी संभव था। सोचिए 30,000 फीट की ऊँचाई पर, तेज़ रफ्तार से उड़ते हुए विमान में अगर elevator या aileron जैसे कंट्रोल सिस्टम जवाब दे दें, तो न सिर्फ यात्री बल्कि पूरा विमान ख़तरे में पड़ सकता था।

इसीलिए यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि यह अपडेट “ज़्यादा कागज़ी औपचारिकता” नहीं, बल्कि एक बेहद ज़रूरी यहाँ तक कि संभावित तौर पर जान बचाने वाला सुधार था।

समय रहते कदम उठाया गया, नहीं तो यात्री भी खतरे में पड़ सकते थे, और हवाई ट्रैफ़िक में भी अफरा-तफरी हो सकती थी। इसलिए मशीन चाहे कितनी भी आधुनिक क्यों न हो उसकी सलामती software से भी जुड़ी होती है, और सुरक्षा की कीमत कभी भी समय से ज़्यादा नहीं होती।

इसके अलावा इस पूरे घटनाक्रम से एक और हक़ीक़त सामने आई है एविएशन इंडस्ट्री को अब भविष्य में सिर्फ हार्डवेयर पर नहीं बल्कि सॉफ़्टवेयर पर भी लगातार निगरानी रखनी होगी। पहले जहाँ विमान कंपनियाँ इंजन सर्विसिंग, पार्ट्स रिप्लेसमेंट और सामान्य मेंटेनेंस पर ज्यादा ध्यान देती थीं, वहीं अब digital safety, firmware checks और radiation-proof systems भी उतने ही अनिवार्य हो चुके हैं।

आने वाले समय में संभव है कि एयरलाइंस AI-बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम और self-diagnostic software का इस्तेमाल और बढ़ाएँ, ताकि किसी भी त्रुटि को पहले ही पकड़ लिया जाए और हवा में कोई जोखिम पैदा न हो।

अंत में, यात्रियों के नजरिये से देखा जाए तो थोड़ी देरी और शेड्यूल बदलाव परेशान कर सकते हैं, लेकिन अगर ये कदम उनकी जान और सुरक्षा के लिए उठाया जा रहा है तो यह इंतज़ार बिल्कुल जायज़ है। सुरक्षित सफर ही असली सफर है और जहाज़ चाहे कितना भी बड़ा हो, इंसानी ज़िंदगी से ऊपर कुछ नहीं।

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