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Bengaluru “Anaesthesia of Death” Case
कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसा वक्त आता है जब जिस चीज़ पर हमें सबसे ज़्यादा भरोसा होता है, वही चीज़ हमें धोखा दे देती है। और अगर वो चीज़ “इलाज” या “डॉक्टर” जैसी भरोसे की निशानी हो, तो दिल पर जो चोट लगती है वो सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि एक गहरा ज़ख्म बन जाती है।

कुछ ऐसा ही सनसनीखेज़ और डराने वाला मामला हाल ही में बेंगलुरु (Bengaluru) में सामने आया, जहाँ एक डॉक्टर ने अपने मेडिकल ज्ञान का इस्तेमाल किसी को बचाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी ही पत्नी को मौत के घाट उतारने के लिए किया। और हैरानी की बात ये है कि उसने इस पूरी वारदात को “इलाज” का नाम देने की कोशिश की।
घटना की शुरुआत प्यार से ज़हर तक का सफ़र
इस कहानी के किरदार हैं डॉ. महेंद्र रेड्डी (Mahendra Reddy G S) जो Bengaluru के मशहूर विक्टोरिया हॉस्पिटल में एक जनरल सर्जन के तौर पर काम करते थे। उनकी पत्नी डॉ. Kritika एम रेड्डी (Dr. Kruthika M Reddy), 28-29 साल की एक युवा, समझदार और पेशेवर डर्मेटोलॉजिस्ट थीं। दोनों ने 26 मई 2024 को शादी की थी।
लोगों को ये जोड़ी “मेडिकल कपल” के तौर पर जानी जाती थी एक आदर्श जोड़ा, जो दूसरों को इलाज और उम्मीद देता था। लेकिन किसे पता था कि इसी रिश्ते में ज़हर पल रहा है।
शादी के कुछ ही महीनों बाद, रिश्ते में दरारें आने लगीं। Kritika का सपना था कि वो अपनी खुद की क्लिनिक शुरू करें “Skin & Scalpel” नाम से। लेकिन कहा जाता है कि महेंद्र को उनकी कामयाबी और स्वतंत्रता से जलन थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच झगड़े, मनमुटाव और अविश्वास बढ़ने लगा।
“इलाज” के नाम पर मौत का खेल
अप्रैल 2025 की बात है Kritika को कुछ पेट दर्द और गैस्ट्राइटिस जैसी तकलीफ़ महसूस हो रही थी। उन्होंने अपने पति से मदद मांगी, क्योंकि वो खुद डॉक्टर थीं और अपने पति पर भरोसा करती थीं। महेंद्र ने कहा कि वो उन्हें IV drip (इंट्रावेनस इंजेक्शन) के ज़रिए दवाइयाँ देंगे यानी नस के ज़रिए सीधे दवाई चढ़ाई जाएगी।
दो दिनों तक महेंद्र ने खुद यह ड्रिप लगाई। Kritika ने महसूस किया कि इंजेक्शन के बाद तबियत बिगड़ रही है, कमजोरी बढ़ रही है, और दर्द तेज़ हो रहा है। उन्होंने 23 अप्रैल को व्हाट्सऐप पर अपने पति को मैसेज किया “मुझे ये cannula (IV needle) निकालना है, बहुत दर्द हो रहा है।”
लेकिन महेंद्र ने मना कर दिया। उन्होंने कहा “थोड़ा और समय दो, ठीक हो जाओगी।” पर असलियत में वो “इलाज” नहीं, एक धीरे-धीरे असर करने वाला ज़हर था, जो शरीर को अंदर से खत्म कर रहा था।
मौत के करीब, लेकिन ज़िंदा सबूत
24 अप्रैल को Kritika की हालत अचानक बहुत बिगड़ गई। उन्हें उल्टियाँ होने लगीं, सांस लेने में तकलीफ़ हुई और वो बेहोश हो गईं। घरवालों को शक हुआ, तो तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया। वहीं डॉक्टरों को जब IV में डाली जा रही दवाइयों का सैंपल मिला, तो उन्होंने पाया कि उसमें कुछ ऐसा मिला हुआ था जो सामान्य उपचार का हिस्सा नहीं था एक “एनेस्थीसिया जैसा ड्रग” जो शरीर के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम को धीरे-धीरे बंद कर देता है।
Kritika को समय रहते बचा लिया गया, लेकिन मामला अब हत्या की कोशिश का बन चुका था। पुलिस ने जांच शुरू की और जो सच सामने आया, उसने सबको हिला दिया।
“Anaesthesia of Death” मौत का इलाज
महेंद्र ने अपनी पत्नी के शरीर में वही दवा दी जो ऑपरेशन से पहले मरीजों को बेहोश करने के लिए दी जाती है यानी एनेस्थीसिया (Anaesthesia)। लेकिन यहाँ इसका इस्तेमाल ऑपरेशन के लिए नहीं, बल्कि “साइलेंट किलिंग” के लिए किया गया था। यही कारण है कि इस केस को मीडिया ने नाम दिया “Anaesthesia of Death” यानी “मौत का बेहोशी वाला इलाज।”
महेंद्र ने अपनी मेडिकल ट्रेनिंग का इस्तेमाल अपराध छिपाने के लिए किया। उसने ना सिर्फ दवा की पहचान छिपाई, बल्कि इलाज का रिकॉर्ड भी खुद तैयार किया ताकि पुलिस को धोखा दिया जा सके।
कानूनी और नैतिक सवाल
इस केस ने देशभर में मेडिकल कम्युनिटी में हलचल मचा दी है। डॉक्टर का पेशा हमेशा से सेवा और भरोसे का प्रतीक माना जाता है जहाँ मरीज अपनी ज़िंदगी डॉक्टर के हाथों में सौंप देता है। लेकिन जब वही हाथ ज़हर का इंजेक्शन दे दें, तो समाज उस विश्वास को कैसे वापस पाएगा?
कानून के अनुसार, महेंद्र पर हत्या की कोशिश (Section 307 IPC), धोखाधड़ी (Section 420) और मेडिकल प्रोफेशन में दुरुपयोग (Misuse of Professional Power) जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। फिलहाल, वो पुलिस हिरासत में हैं और जांच जारी है।
रिश्तों में ज़हर पेशे से ज़्यादा, इंसानियत की हार
यह मामला सिर्फ एक पति-पत्नी का नहीं है, बल्कि उस “भरोसे” का मामला है जो हर इंसान अपने डॉक्टर पर करता है। जब प्यार में ईर्ष्या, शक और अहंकार का ज़हर घुल जाए, तो इंसान अपने पेशे की कसम भी भूल जाता है।
Kritika की हिम्मत और परिवार की सतर्कता की वजह से वो बच गईं लेकिन ये घटना समाज के लिए एक आईना है कि ज्ञान अगर गलत दिशा में चला जाए, तो वो इलाज नहीं, “मौत का उपकरण” बन सकता है।
डॉ. महेंद्र रेड्डी का केस हमें ये सोचने पर मजबूर करता है कि सिर्फ डॉक्टर बन जाना काफी नहीं इंसान रहना ज़रूरी है। तकनीकी ज्ञान अगर नैतिकता से अलग हो जाए, तो वो सबसे खतरनाक हथियार बन जाता है।
Kritika की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि किसी भी रिश्ते में, चाहे वो पति-पत्नी का हो या डॉक्टर-मरीज का भरोसे की बुनियाद सबसे मज़बूत चीज़ होती है। अगर वो हिल जाए, तो पूरा रिश्ता ढह जाता है।
मृत्यु और प्रारंभिक प्रतिक्रिया
24 अप्रैल की सुबह का वक्त था Bengaluru के डॉक्टर दंपती के घर से अचानक हलचल मच गई। डॉ. Kritika एम. रेड्डी बेहोश हालत में मिलीं। उन्हें फौरन कावेरी हॉस्पिटल (Cauvery Hospital) ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया (declared dead)।
शुरुआत में सबको यही लगा कि शायद यह कोई प्राकृतिक मौत है दिल का दौरा, या कोई अचानक मेडिकल इमरजेंसी। परिवार को बताया गया कि मौत “आकस्मिक” रही है, इसलिए पोस्टमार्टम की ज़रूरत नहीं है| लेकिन, ज़िंदगी भर दूसरों की बीमारियों का इलाज करने वाली यह डॉक्टर इतनी अचानक चली जाएं ये बात उनकी बहन को कुछ हज़म नहीं हुई।
बहन का शक “कुछ तो गड़बड़ है”
Kritika की बड़ी बहन, डॉ. निकिता एम. रेड्डी, जो पेशे से एक रेडियोलॉजिस्ट हैं, को इस मौत पर गहरा शक हुआ। उन्हें लगा कि कृतिका की मौत “नेचुरल” नहीं हो सकती। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पोस्टमार्टम (post-mortem) और फॉरेंसिक जांच की जाए।
पुलिस ने पहले तो इसे एक Unnatural Death Report (UDR) के तहत दर्ज किया यानी “अस्वाभाविक मौत” की शुरुआती एंट्री। लेकिन जैसे-जैसे रिपोर्ट्स आने लगीं, मामला धीरे-धीरे एक खौफनाक साजिश की तरफ मुड़ गया।
FSL रिपोर्ट का खुलासा “शरीर में मिला ज़हर जैसा एनेस्थेटिक”
Forensic Science Laboratory (FSL) की रिपोर्ट आई, और उसने सबकुछ बदल दिया। रिपोर्ट में सामने आया कि कृतिका के शरीर के कई अंगों (organs) जैसे कि लीवर, किडनी, ब्लड सैंपल और घर पर इस्तेमाल किए गए मेडिकल उपकरणों (medical equipment) में Propofol नामक दवा के अंश मिले हैं।
अब, Propofol कोई आम दवा नहीं है यह एक एनेस्थेटिक (बेहोशी की दवा) है, जो आम तौर पर सिर्फ ऑपरेशन थिएटर (OT) या ICU में इस्तेमाल होती है। इसे सिर्फ प्रशिक्षित एनेस्थेसियोलॉजिस्ट ही देते हैं, क्योंकि इसका ज़रा-सा भी ओवरडोज़ इंसान की सांस और दिल की धड़कन बंद कर सकता है।
तो सवाल उठता है घर पर ये दवा कैसे आई? और किसने दी?
सच्चाई सामने “इलाज” नहीं, मौत की साजिश – FSL की रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस को साफ समझ आ गया कि यह “इलाज की गलती” नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई हत्या (Murder) है। इसके बाद मामला हत्या की धाराओं के तहत दर्ज किया गया।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई गंभीर धाराएँ जोड़ीं जैसे कि: धारा 302 (Murder) जानबूझकर हत्या, धारा 328 (Poisoning or administering harmful substance) हानिकारक पदार्थ देने का अपराध, धारा 201 (Destroying evidence) सबूत मिटाने की कोशिश।
पुलिस ने पाया कि महेंद्र ने अपनी पत्नी को धीरे-धीरे मारने की साजिश पहले से रची थी। उसने मेडिकल रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की, और कुछ दवाओं को “इलाज का हिस्सा” बताकर छुपाया।
गिरफ्तारी डॉक्टर से “अपराधी” तक का सफर
FSL रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने तुरंत डॉ. महेंद्र रेड्डी के खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर (Look-Out Circular) जारी किया। दरअसल, वो पहले ही उडुपी (Udupi) या मणिपाल की तरफ निकल चुके थे। कुछ दिनों की तलाश के बाद उन्हें वहीं से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के वक्त, पुलिस को उनके पास से कुछ मेडिकल किट्स और इंजेक्शन वायल्स भी मिले जिनमें से कुछ पर “Propofol” का लेबल साफ़ दिख रहा था।
ये मामला सिर्फ एक पति-पत्नी के बीच झगड़े का नहीं था यह उस भरोसे की हत्या थी जो एक इंसान अपने डॉक्टर पर करता है। कृतिका ने अपने पति को डॉक्टर समझकर, साथी समझकर, अपने इलाज की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन वही भरोसा उनकी मौत का ज़रिया बन गया।
“Propofol” वही दवा जिससे माइकल जैक्सन की मौत हुई थी
एक दिलचस्प (और डराने वाला) तथ्य यह है कि Propofol वही दवा है जिससे साल 2009 में मशहूर पॉप स्टार माइकल जैक्सन की मौत हुई थी। उस वक्त भी उनके निजी डॉक्टर ने यह दवा दी थी, जो जानलेवा साबित हुई। यह दवा इतनी खतरनाक है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ अस्पताल के गहन देखभाल (ICU) वाले वातावरण में होना चाहिए, घर पर नहीं।
परिवार की हिम्मत से खुला सच
अगर Kritika की बहन डॉ निकिता ने आवाज़ न उठाई होती, तो यह केस शायद “अचानक मौत” कहकर बंद कर दिया जाता। लेकिन उनकी जिद्द और मेडिकल समझदारी ने सच्चाई सामने ला दी। आज पुलिस, FSL, और मेडिकल बोर्ड मिलकर इस केस की गहराई से जांच कर रहे हैं।
अदालत में इंसाफ़ की उम्मीद
अब मामला अदालत में जाएगा। महेंद्र रेड्डी पर हत्या, धोखाधड़ी, और प्रोफेशनल मिसकंडक्ट जैसे गंभीर आरोप हैं। अगर दोष साबित होता है, तो उन्हें आजीवन कारावास (life imprisonment) या यहां तक कि मृत्युदंड (death penalty) भी हो सकता है। यह केस न सिर्फ एक क्राइम स्टोरी है, बल्कि मेडिकल एथिक्स (Medical Ethics) और समाज के भरोसे पर भी बड़ा सवाल है।
डॉ. Kritika रेड्डी की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्यार और पेशा, जब अहंकार और लालच के नीचे दब जाएं, तो इंसान क्या कुछ नहीं कर बैठता। इलाज के नाम पर की गई यह हत्या सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि इंसानियत की हार है।
चिकित्सा और कानूनी आयाम: क्यों यह इतना गंभीर है
Propofol और एनेस्थेसिया का महत्व
Propofol एक बहुत ही ताक़तवर एनेस्थेटिक दवा है। इसका इस्तेमाल ऑपरेशन थिएटर और ICU में मरीज को सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में रखने के लिए किया जाता है। लेकिन अगर इसे गलत तरीके से या अधिक मात्रा में दिया जाए, तो इसके खतरनाक असर हो सकते हैं जैसे नसों पर गहरा असर, श्वसन शक्ति (respiratory) में गिरावट, और आखिरकार मृत्यु भी।
मेडिकल ज्ञान का दुरुपयोग
इस केस को अपराध की श्रेणी में लाने वाली सबसे बड़ी वजह यही है कि डॉक्टर के पास ऐसी ताक़त और ज्ञान होता है जो आम इंसान के पास नहीं होता। जब वही ज्ञान और उपकरण हत्या या नुकसान पहुँचाने के लिए इस्तेमाल हो, तो इसे विश्वासघात की चरम सीमा कहा जा सकता है।
प्रारंभिक छुपाने की कोशिश
पोस्टमार्टम ना कराने की कोशिश
मौत को प्राकृतिक घटना बताने का दावा
परिवार को भ्रमित करने की कोशिश
ये सारे कदम यह दर्शाते हैं कि यह हत्या पूर्व योजना (premeditated) के साथ की गई थी।
नैतिक और सामाजिक असर
एक डॉक्टर द्वारा अपनी पत्नी Kritika जो खुद भी डॉक्टर थी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार करना समाज में चिकित्सा पर भरोसा हिला देता है। परिवार का दुःख, उनकी उम्मीद और विश्वास जैसे “उसने मुझसे भरोसा किया, मैंने तुम पर भरोसा किया” सब टूट जाता है। यह घटना सिर्फ़ व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि सामाजिक चेतावनी भी है कि विश्वास और पेशेवर जिम्मेदारी का उल्लंघन कितना गहरा असर डाल सकता है।
कानूनी प्रक्रियाएँ
कानूनी जांच और साक्ष्य
इस मामले में कई कानूनी और फॉरेंसिक कदम उठाए गए:
UDR (Unnatural Death Report) दर्ज करना
SOCO (Scene of Crime Officers) द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण
FSL (Forensic Science Laboratory) की रिपोर्ट
मृतक के viscera यानी अंगों के नमूनों की जांच
IV cannula, syringes और अन्य उपकरणों का साक्ष्य संग्रह
ये सभी कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि घटना की पूरी तरह जांच हो और सबूत सुरक्षित रहें।
आरोपित का कथित दृष्टिकोण
पुलिस का मानना है कि डॉ. महेंद्र रेड्डी ने हत्या की पूर्व-योजना की थी। उनके कथित दृष्टिकोण में यह शामिल है: Kritika ने शादी से पहले अपनी कोई स्वास्थ्य समस्या छिपाई, जिससे महेंद्र नाराज़ थे।
आरोप है कि नाराज़गी और अपूर्ण पारदर्शिता ने उन्हें इस भयावह कदम की ओर प्रेरित किया। आर्थिक कारण: महेंद्र चाहते थे कि कृति का परिवार अस्पताल खोलने में मदद करे या अधिक धन उपलब्ध कराए। परिवार का आरोप है कि महेंद्र का किसी अन्य महिला के साथ affair या extramarital relationship था। इन सभी पहलुओं की गहन जांच अभी चल रही है।
सामाजिक और पेशेवर प्रभाव
इस तरह की घटनाएँ डॉक्टर और मेडिकल पेशे की प्रतिष्ठा पर गहरा असर डालती हैं। अधिकांश डॉक्टर ईमानदार हैं, लेकिन ऐसे मामलों से समाज में संदेह और भय पैदा होता है।
लोग खुद से सवाल करने लगते हैं: “क्या हम डॉक्टर पर पूरी तरह भरोसा कर सकते हैं?” यह घटना सिर्फ व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि चेतावनी भी है कि पेशेवर जिम्मेदारी और नैतिकता का उल्लंघन समाज में कितनी गहरी असुरक्षा पैदा कर सकता है।
न्याय की उम्मीद और समाज की ज़रूरत
कृतिका के परिवार की मांग और संदेश
Kritika के परिवार ने “कठोरतम सज़ा (harshest punishment)” की मांग की है। उनकी उम्मीद है कि न्याय प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो। पुलिस और अदालत को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषी को कानून के तहत सख्त सज़ा मिले, ताकि ऐसा अपराध फिर कभी न दोहराया जाए।
“Anaesthesia of Death” एक दर्दनाक सच
इस घटना को “Anaesthesia of Death” कहा गया क्योंकि इसने दिखा दिया कि कैसे इलाज पर भरोसा, डॉक्टर की पहुँच और चिकित्सा ज्ञान गलत हाथों में पड़ जाए तो जिंदगी तक खतरे में पड़ सकती है। यह अपराध केवल एक जीवन खत्म नहीं करता, बल्कि भरोसा भी तोड़ देता है।
सबक और चेतावनी
यह घटना हमें याद दिलाती है कि चिकित्सा पेशे में शक्ति के साथ बड़ी जिम्मेदारी आती है। हमारी कानूनी, नैतिक और सामाजिक व्यवस्था सुनिश्चित करे कि ऐसे मामलों में न्याय तुरंत हो। साथ ही, भरोसा, ईमानदारी और नैतिकता हमेशा चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास का मूल बने।
यह कहानी सिर्फ एक हादसा नहीं है, बल्कि एक सख्त चेतावनी है हमें चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवता की अहमियत कभी नहीं भूलनी चाहिए। डॉक्टर का ज्ञान और शक्ति समाज की सेवा के लिए है, इसे दुरुपयोग करना किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है। अपने ज्ञान का दुरुपयोग करके किसी मासूम की जान लेने के जुर्म में महेंद्र रेड्डी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए।
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