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Riyadh Forum 2025 में दी गयी Baluchistan टिप्पणी ने बढ़ाया Salman Khan और भारत-पाकिस्तान के बीच Stress, जानिए Full मामला

Riyadh Forum में दी गयी Baluchistan टिप्पणी ने बढ़ाया Salman Khan और भारत-पाकिस्तान के बीच Stress, जानिए Full मामला

Baluchistan टिप्पणी के बाद Salman Khan कैसे बन गए विवाद के केंद्र में?

बॉलीवुड के दबंग स्टार Salman Khan एक बार फिर चर्चा में हैं लेकिन इस बार बात फिल्मों या किसी ब्लॉकबस्टर हिट की नहीं, बल्कि राजनीति और इंटरनेशनल सियासत तक पहुँच गई है। मामला इतना पेचीदा है कि लोग सोशल मीडिया पर अब इसे सिर्फ “Salman Khan विवाद” नहीं, बल्कि “रियाध फोरम झटका” कह रहे हैं। चलिए ज़रा आराम से समझते हैं कि ये पूरा किस्सा शुरू कहाँ से हुआ, सलमान ने ऐसा क्या कह दिया, और अब इसके असर कहाँ तक पहुँच गए हैं।

दिन था 24 अक्टूबर 2025, जगह सऊदी अरब की राजधानी रियाध, और मंच पर बॉलीवुड के तीन दिग्गज बैठे थे Salman Khan, शाहरुख खान और आमिर खान। मौका था “रियाध फोरम 2025” का, जहाँ चर्चा चल रही थी कि भारतीय सिनेमा की पहुँच मध्य-पूर्व यानी मिडिल ईस्ट के देशों में कितनी तेज़ी से बढ़ रही है।

सलमान, अपने हमेशा वाले बेफिक्र अंदाज़ में बोले “अगर आप हिंदी फिल्म यहाँ रिलीज़ करें, तो सुपरहिट होगी। अगर तमिल, तेलुगु या मलयाली फिल्म करेंगी, तो सैकड़ों करोड़ में कमाई होगी, क्योंकि बहुत से मुल्कों से लोग यहाँ काम करते हैं बलूचिस्तान से हैं, अफगानिस्तान से हैं, पाकिस्तान से हैं… हर कोई यहाँ काम कर रहा है।” अब सुनने में ये बात ज़्यादा बड़ी गलती नहीं लगती, लेकिन असली बवाल यहीं से शुरू हुआ।

Salman Khan की इस लाइन में जब उन्होंने कहा “बलूचिस्तान से हैं… पाकिस्तान से हैं”, तो पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसे “राजनीतिक बयान” बना दिया। वहाँ के कुछ पत्रकारों और नेताओं ने कहा कि सलमान खान ने “बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग बताया है”, जो उनके मुताबिक, “भारत की नीति के समर्थन जैसा है।”

कुछ चैनलों ने तो हेडलाइन चला दी “Salman Khan calls Balochistan a separate country!” और बस, फिर क्या था ट्विटर (अब X) पर ट्रेंड चल पड़ा BoycottSalmanKhan, #BalochistanRemark, और कुछ लोगों ने तो उन्हें “India’s propaganda tool” तक कह डाला।

भारत में कैसी प्रतिक्रिया आई

भारत में इस बयान को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कुछ लोगों ने कहा कि सलमान खान का इरादा राजनीतिक नहीं था, वो बस उदाहरण दे रहे थे कि मिडिल ईस्ट में अलग-अलग देशों के लोग काम करते हैं। वहीं कुछ ने माना कि एक ग्लोबल मंच पर इस तरह की संवेदनशील शब्दावली इस्तेमाल करना सावधानी मांगता है। कई विश्लेषकों ने कहा “Salman Khan को ये समझना चाहिए था कि ‘बलूचिस्तान’ शब्द पाकिस्तान में सिर्फ एक इलाका नहीं, बल्कि एक सियासी जख्म है।”

ये विवाद दिखने में छोटा है, लेकिन इसके पीछे भू-राजनीतिक साया बड़ा है। बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे उपेक्षित इलाका है। वहाँ अलगाववादी आंदोलन लंबे समय से चल रहा है, जो स्वतंत्र बलूचिस्तान की माँग करता है।

भारत का मीडिया और कुछ राजनेता भी कई बार बलूचिस्तान मुद्दे को पाकिस्तान की नीतियों के जवाब में उठाते रहे हैं। ऐसे में जब एक भारतीय सुपरस्टार किसी इंटरनेशनल मंच पर “बलूचिस्तान” को पाकिस्तान से अलग साउंड में ले आए, तो पाकिस्तान की सियासत में उसे “साजिश” की तरह लिया गया।

अब तक Salman Khan की टीम ने कोई आधिकारिक प्रेस स्टेटमेंट जारी नहीं किया है, लेकिन उनके करीबियों के मुताबिक, “सलमान ने किसी राजनीतिक मंशा से बात नहीं की थी, वो सिर्फ मिडिल ईस्ट में रहने वाले लोगों की विविधता पर ज़िक्र कर रहे थे।” हालाँकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कह रही हैं कि सलमान जल्द ही एक क्लैरिफिकेशन वीडियो डाल सकते हैं, ताकि मामला और न बढ़े।

भारत में फैंस ने अपने स्टार का बचाव किया “भाई ने कुछ गलत नहीं कहा, लोग बात का बतंगड़ बना रहे हैं।” जबकि पाकिस्तान के कुछ अकाउंट्स पर लिखा गया “Salman Khan को बैन करो, उसने हमारे मुल्क का अपमान किया है।”माहौल ऐसा बन गया है जैसे एक फिल्मी डायलॉग को राजनीतिक बयान समझ लिया गया हो।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

अब तो मामला वाकई बड़ा हो गया है Salman Khan का वो एक जुमला, जो शायद उन्होंने बिना किसी बुरे इरादे से कहा था, अब पाकिस्तान की सियासत और उसके कानून तक पहुँच गया है। जी हाँ, पाकिस्तान ने इस बात को अपनी “भौगोलिक एकता और इज़्ज़त” पर हमला मान लिया है।

Times of India रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने Salman Khan का नाम अपने Anti-Terrorism Act (1997) की चौथी अनुसूची (Fourth Schedule) में डाल दिया है। अब ये “Fourth Schedule” कोई मामूली बात नहीं होती इसमें वही लोग आते हैं, जिन पर राज्य-विरोधी गतिविधियों या आतंकवाद को बढ़ावा देने का शक हो।

16 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान के गृह विभाग (Home Department) ने एक नोटिफिकेशन जारी किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। उसमें Salman Khan को बताया गया “Azad Balochistan Facilitator” यानी “आज़ाद बलूचिस्तान का मददगार या समर्थक।” ये शब्द ही पाकिस्तान के लिए किसी लाल झंडे की तरह हैं, क्योंकि “Azad Balochistan” का मतलब वहाँ “पाकिस्तान से अलग बलूचिस्तान” माना जाता है।

क्या होता है Fourth Schedule में नाम आने का मतलब? अगर किसी का नाम Fourth Schedule में डाल दिया जाए, तो उस पर कई कानूनी और प्रशासनिक पाबंदियाँ लग जाती हैं उसकी गतिविधियों पर सख़्त नज़र रखी जाती है,

कहीं आने-जाने या देश छोड़ने पर रोक लगाई जा सकती है, और आर्थिक या कानूनी कार्रवाई का भी खतरा बना रहता है। यानी, Salman Khanअब पाकिस्तान की नज़र में सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक “संभावित ख़तरा” माने जा रहे हैं।

आखिर Salman Khan ने कहा क्या था?

अब ज़रा पीछे चलते हैं उस बयान पर जिसने ये सब शुरू किया। Riyadh Forum 2025 के दौरान Salman Khan ने कहा था “यहाँ (सऊदी अरब में) बहुत से देश के लोग काम कर रहे हैं बलूचिस्तान से हैं, अफगानिस्तान से हैं, पाकिस्तान से हैं… हर कोई यहाँ काम कर रहा है।”

अब यह बात सुनने में बिल्कुल नॉर्मल बातचीत जैसी लगती है, लेकिन पाकिस्तान के मीडिया और नेताओं ने इसमें से ये मतलब निकाल लिया कि “Salman Khan ने बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग बताया है।” बस, फिर क्या था उन्होंने इसे “देश की सम्प्रभुता और एकता के खिलाफ़” बयान करार दे दिया।

पाकिस्तान की सियासत में मचा बवाल

पाकिस्तान के कई टीवी चैनलों और अख़बारों ने इसे “भारत के एजेंडे का हिस्सा” बता दिया। कुछ नेताओं ने कहा “Salman Khan ने हमारे मुल्क की तौहीन की है। उसे पाकिस्तान में बैन किया जाए।” वहीं सोशल मीडिया पर भी ग़ज़ब का माहौल बन गया BanSalmanKhan और #AzadBalochistanFacilitator जैसे ट्रेंड चलने लगे।

भारत में कैसा रिएक्शन आया

भारत में ज़्यादातर लोगों को ये मामला ओवररिएक्शन लगा। फैंस का कहना था “भाई ने कुछ गलत नहीं कहा, बस बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।” कई लोगों ने तो ये भी कहा कि सलमान की एक मासूम सी लाइन को राजनीतिक रंग दे दिया गया है।

अब Salman Khan पर पाकिस्तान का यह “आतंकी एक्ट” वाला ठप्पा तो भारी पड़ ही सकता है, लेकिन भारत और मिडिल ईस्ट में उनकी फैन फॉलोइंग पर शायद इसका कोई असर न पड़े।

मीडिया में मचा हंगामा, लेकिन सच्चाई पर सवाल

अब इस पूरे मसले ने और दिलचस्प मोड़ ले लिया है क्योंकि जैसे-जैसे खबर फैली, वैसे-वैसे इसके सच और झूठ के बीच की दीवार धुंधली होती गई। मीडिया में आग की तरह फैलने के बाद अब कुछ बड़े न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स ने इस पर शक जताना शुरू कर दिया है।

हालाँकि मामला सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ, मगर कुछ मीडिया हाउसेज़ ने साफ़ कहा है कि “अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई”। उदाहरण के तौर पर, ABP Live ने रिपोर्ट के अनुसार “Salman Khan का नाम पाकिस्तान के एंटी-टेररिज़्म एक्ट की चौथी अनुसूची में डाले जाने की खबर की प्रमाण-सत्यता अभी तक पक्की नहीं है।

न तो पाकिस्तान की सरकार या उसके गृह विभाग ने कोई पुष्टि की है, और न ही वायरल नोटिफिकेशन की मौलिकता साबित हो पाई है।”यानि, अभी तक ये साफ़ नहीं है कि ये असली सरकारी कार्रवाई है, या फिर सोशल मीडिया पर फैला कोई मनगढ़ंत डॉक्यूमेंट।

परतें खोलें तो मामला सिर्फ बयान का नहीं

दरअसल, अगर थोड़ा गहराई से देखें तो ये विवाद सिर्फ एक बॉलीवुड स्टार की बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई बड़ी परतें हैं भू-राजनीतिक परत बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे संवेदनशील इलाका है।

वहाँ आज़ादी की माँग कई दशकों से चल रही है। जब Salman Khan ने कहा “बलूचिस्तान से लोग यहाँ काम कर रहे हैं, पाकिस्तान से भी लोग काम कर रहे हैं” तो पाकिस्तान ने इसे राजनीतिक टिप्पणी की तरह लिया, जैसे उन्होंने बलूचिस्तान को अलग देश बताया हो।अब सोचो, सिनेमा के मंच पर कही गई एक लाइन को सियासत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया।

सांस्कृतिक और सॉफ्ट-पावर की परत

असल में Salman Khan का मकसद शायद इंडियन सिनेमा की बढ़ती पहुँच पर बात करना था। उन्होंने कहा था कि तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्में भी अरब देशों में सुपरहिट हो सकती हैं, क्योंकि वहाँ हर मुल्क के लोग रहते हैं। यह बात भारत की सॉफ्ट पावर यानी “संस्कृति के ज़रिए असर” की तरफ़ इशारा करती है जहाँ बॉलीवुड एक सांस्कृतिक दूत (Cultural Ambassador) की भूमिका निभा रहा है।

सोशल मीडिया का तूफान

जैसे ही बयान वायरल हुआ, वैसे ही लोगों ने अपने-अपने मतलब निकालने शुरू कर दिए। किसी ने कहा “Salman Khan का यह बोल्ड बयान है,” तो किसी ने कहा “ये तो सिर्फ ज़ुबान फिसल गई थी।” देखते ही देखते मामला इतना बढ़ गया कि ट्रेंड्स में Salman Khan पूरे दिन टॉप पर रहे।

डिप्लोमैटिक (राजनयिक) हलचल

अब अगर ये खबर सच साबित होती, तो मामला सिर्फ फिल्मी नहीं बल्कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में नया तनाव बन सकता था। कई इंटरनेशनल मीडिया हाउसेज़ और एनालिस्ट्स ने कहा कि इस पर दोनों देशों की डिप्लोमैटिक एजेंसियाँ नज़र रखे हुए हैं। हालाँकि भारत की तरफ़ से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इस विवाद का असर सिर्फ सलमान खान तक सीमित नहीं

सिनेमा-कूटनीति की अहमियत
अब साफ़ हो गया है कि एक अभिनेता सिर्फ मनोरंजन करने वाला नहीं रह गया है। Salman Khan जैसे सितारे अब वैश्विक दृश्यता (Global Visibility) का हिस्सा बन गए हैं। उनके शब्द और बयान भी राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय असर रख सकते हैं।

सेलिब्रिटी टिप्पणी का जोखिम
पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि प्रसिद्ध हस्तियों के बोलने का असर सिर्फ फिल्म या ब्रांड तक नहीं रहता। उनकी बातें राजनीति, समाज और विदेश नीति तक पहुँच सकती हैं। इसलिए अब हर शब्द पर सावधानी और जिम्मेदारी की जरूरत है।

भू-राजनीतिक संवेदनशीलता और क्षेत्रीय स्थिरता
पाकिस्तान में बलूचिस्तान एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। ऐसी किसी भी टिप्पणी को वहां अस्थिरता का बीज माना जा सकता है। इसलिए यह मामला सिर्फ मीडिया ट्रेंड नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता से भी जुड़ा हुआ है।

सत्यापन और पत्रकारिता की चुनौती
जब तक पुख़्ता प्रमाण सामने नहीं आते, सोशल मीडिया और कुछ मीडिया हाउसेज़ में अफवाहों और गुमराह करने वाले दावों का बाज़ार गर्म रहता है। उदाहरण के लिए अभी तक नोटिफिकेशन की पुष्टि नहीं हो पाई है।

Salman Khan की स्थिति
अब तक Salman Khan ने सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया। बॉलीवुड-मीडिया और फैंस की नजरें उनके अगले कदम और बयान पर लगी हुई हैं। क्योंकि यह मामला अब सिर्फ सितारे और उनके विचार का नहीं रह गया, बल्कि यह क्षेत्र और राष्ट्र के दृष्टिकोण का भी मोर्चा बन गया है।

Salman Khan: टेररिस्ट’ की श्रेणी में???

Salman Khan का ये विवाद अब सिर्फ फिल्मी दुनिया तक सीमित नहीं रह गया है। यह पूरी तरह प्रमाण-निष्ठा, शब्दों का चयन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं का जाल बन गया है। एक साधारण टिप्पणी ने सामाजिक और सांस्कृतिक मंच से होते हुए सीधे भू-राजनीति की तहों तक अपनी पहुँच बना ली है।

अगर पुष्टि हो जाती है कि उनका नाम पाकिस्तान की चौथी अनुसूची में दर्ज हुआ है, तो यह एक अनोखी घटना होगी| जहाँ एक फिल्म स्टार को ‘टेररिस्ट’ की श्रेणी में रखा गया। लेकिन फिलहाल, तथ्य-जाँच जारी है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने का समय नहीं आया है।

इस पूरे मामले से यह साफ़ होता है कि आज के दौर में “एक शब्द” सोशल मीडिया, देशों की नीतियों और सेलेब्रिटी की छवि पर बड़ा असर डाल सकता है। विशेषकर भारत-पाकिस्तान जैसी परिस्थितियों में, जहाँ हर टिप्पणी को संदर्भ के अनुसार देखा जाता है, यह मामला कई सबक देता है:

स्टार्स को अपने शब्दों के चयन में सावधानी बरतनी होगी। मीडिया और नागरिकों को जल्दबाजी में किसी भी सूचना को सच मानने से बचना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक संवेदनशीलताओं को समझना ज़रूरी है।

इसलिए, Salman Khan का विवाद सिर्फ ग्लैमर या इवेंट का मामला नहीं है। यह समकालीन अंतरराष्ट्रीय संवाद, संस्कृति-शक्ति और शब्द-शक्ति का एक उदाहरण बन गया है। आने वाले दिनों में इस पर अधिक प्रमाण और प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

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