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Dada Saheb Phalke Awards 2025
भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी और सबसे इज़्ज़तदार पहचान माने जाने वाला Dada Saheb Phalke Awards इस साल मलयालम फ़िल्मों के सुपरस्टार Mohanlal को मिला है। ये अवॉर्ड ऐसे लोगों को दिया जाता है जिनका फ़िल्मी सफ़र न सिर्फ़ लंबा बल्कि बेहद असरदार भी रहा हो।

मोहनलाल की सिनेमाई दुनिया में मौजूदगी चार दशक से भी ज़्यादा पुरानी है। इतने लंबे अरसे में उन्होंने ना सिर्फ़ मलयालम बल्कि पूरी भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी मेहनत, अदाकारी और कामयाबी का झंडा बुलंद किया है। उनके किरदार, उनका अंदाज़ और उनका जादू लोगों के दिलों पर ऐसा असर डालता है कि हर पीढ़ी उन्हें अपने हिसाब से याद करती है।
ये बात भी क़ाबिल-ए-गौर है कि मोहनलाल इस अवॉर्ड को पाने वाले दूसरे मलयाली शख़्स बने हैं। उनसे पहले मशहूर फ़िल्मकार अडूर गोपालकृष्णन को ये इज़्ज़त बख़्शी गई थी।
मोहनलाल को ये सम्मान मिलना सिर्फ़ उनकी जीत नहीं है, बल्कि पूरे केरल और मलयालम सिनेमा की कामयाबी का जश्न भी है
Mohanlal का Dada Saheb Phalke Awards
केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शनिवार को एलान किया कि मशहूर अदाकार मोहनलाल को 2023 का दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया जाएगा। ये वही अवॉर्ड है जिसे भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा और सबसे इज़्ज़तदार सम्मान माना जाता है।
ये अवॉर्ड मोहनलाल को 23 सितम्बर 2025 को दिल्ली के विज्ञान भवन में होने वाले 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाएगा। इस मौके पर ख़ुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें अपने हाथों से ये सम्मान अता करेंगी।
यानी ये दिन न सिर्फ़ मोहनलाल के लिए, बल्कि पूरे मलयालम सिनेमा और उनके लाखों चाहने वालों के लिए भी बहुत यादगार बनने वाला है।
Mohanlal की फिल्मी यात्रा पुरस्कार
Mohanlal का फ़िल्मी सफ़र किसी ख़्वाब से कम नहीं है। साल 1978 में उन्होंने फ़िल्म ‘थिरक्किलक्किलु’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। उस वक़्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये नौजवान एक दिन भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी पहचान बन जाएगा।
आज तक का उनका सफ़र देखिए तो हैरत होती है—400 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम कर चुके हैं वो। और सिर्फ़ मलयालम ही नहीं, बल्कि तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी जैसी अलग-अलग ज़बानों की फ़िल्मों में भी उन्होंने अपनी अदाकारी का जादू बिखेरा है। यही वजह है कि उनकी पहचान सिर्फ़ केरल या दक्षिण भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे मुल्क और बाहर तक फैली।
अगर उनकी मशहूर फ़िल्मों की बात करें तो नाम ख़ुद ही बहुत कुछ कह देते हैं—‘नरसिंहम’, ‘स्पाडिकम’, ‘वणप्रस्थम’, ‘ड्रिश्यम’ और ‘कृष्णन’ जैसी फ़िल्में न सिर्फ़ हिट रहीं बल्कि लोगों के दिलों में आज तक जगह बनाए हुए हैं। खासकर ‘ड्रिश्यम’ तो इतनी कामयाब हुई कि उसे कई भाषाओं में रीमेक किया गया।
पुरस्कारों की फेहरिस्त भी किसी सितारे का मुक़म्मल सबूत है। साल 2001 में उन्हें पद्म श्री से नवाज़ा गया। साल 2019 में मिला पद्म भूषण, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार उन्हें अब तक 5 बार मिल चुके हैं, जिनमें से 2 बार बेस्ट एक्टर का ख़िताब अपने नाम किया। केरल राज्य फ़िल्म पुरस्कार वो 9 बार जीत चुके हैं।और फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स तो उनकी झोली में गिनती से कहीं ज़्यादा हैं।
मोहनलाल की शख़्सियत सिर्फ़ एक अदाकार तक सीमित नहीं है, बल्कि वो एक ऐसे फ़नकार हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और हुनर से भारतीय सिनेमा में सुनहरे अक्षरों में अपना नाम लिखवा दिया है।
Dada Saheb Phalke Awards का महत्व
Dada Saheb Phalke Awards भारतीय सिनेमा की दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे इज़्ज़तदार सम्मान माना जाता है। ये अवॉर्ड उन शख़्सियतों को दिया जाता है जिन्होंने अपने हुनर, मेहनत और लगन से फ़िल्म इंडस्ट्री में कुछ ऐसा कर दिखाया हो जो बाक़ियों के लिए मिसाल बन जाए। इसमें अदाकारी हो, फ़िल्म निर्माण हो या फिर कहानी कहने का नया अंदाज़—हर वो योगदान जो सिनेमा को आगे बढ़ाए, इस अवॉर्ड के क़ाबिल समझा जाता है।
ये सिर्फ़ एक अवॉर्ड नहीं, बल्कि एक तरह से फ़िल्म जगत का “सलाम” है उन लोगों को जिन्होंने अपनी ज़िंदगी फ़िल्मों के नाम कर दी। इसमें उत्कृष्टता (excellence), नवाचार (innovation) और समर्पण (dedication)—तीनों चीज़ों को बराबर अहमियत दी जाती है।
मोहनलाल की शख़्सियत बिल्कुल ऐसे ही फ़नकार की है। उनकी अदाकारी कभी आम आदमी का दर्द दिखाती है तो कभी हीरो का जज़्बा, कभी घर-परिवार की मासूमियत तो कभी समाज का आईना। उनकी बहुमुखी यानी मल्टी-टैलेंटेड प्रतिभा ने भारतीय सिनेमा को ना सिर्फ़ नए किरदार दिए, बल्कि कहानी कहने का नया अंदाज़ भी दिया।
इसी वजह से जब उन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है, तो हर कोई यही कह रहा है कि “अगर किसी को ये अवॉर्ड मिलना चाहिए था, तो वो मोहनलाल ही हैं।” उनकी फ़िल्में और उनका सफ़र ये साबित करता है कि वो इस पुरस्कार के बिल्कुल हक़दार हैं
केरल में खुशी की लहर
मोहनलाल को जब दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिलने की खबर आई तो पूरे केरल में जैसे खुशी का तूफ़ान सा आ गया। उनके चाहने वालों के लिए ये सिर्फ़ एक अवॉर्ड नहीं, बल्कि उनकी अपनी मेहनत और लगन की जीत है। सोशल मीडिया पर तो मानो बधाइयों और दुआओं की बारिश शुरू हो गई—लोगों ने पोस्ट्स लिखकर, वीडियोज़ शेयर करके और तस्वीरें डालकर अपने पसंदीदा सुपरस्टार को दिल से मुबारकबाद दी।
सिर्फ़ आम दर्शक ही नहीं, बल्कि मलयालम फ़िल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े कलाकार और फ़िल्मकार भी आगे आए और मोहनलाल को शुभकामनाएँ दीं। सबने एक सुर में कहा कि उनका यह अवॉर्ड पूरी इंडस्ट्री के लिए फ़ख़्र की बात है।
असल में ये सम्मान सिर्फ़ मोहनलाल का नहीं है, बल्कि पूरे केरल और भारतीय सिनेमा का भी है। उनकी चार दशक लंबी फ़िल्मी यात्रा, उनका हुनर, उनका जुनून और उनकी लगन ने उन्हें वो मुक़ाम दिया है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा एक मिसाल बना रहेगा।
ये अवॉर्ड इस बात की निशानी है कि अगर इंसान अपनी कला से सच्चा मोहब्बत करे, उस पर जी-जान से मेहनत करे, तो एक दिन पूरी दुनिया उसे सलाम करती है। मोहनलाल का यह सफ़र यही पैग़ाम देता है कि असली शोहरत उसी को मिलती है जो दिल से अपने काम से इश्क़ करता है।
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