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Ethiopia का Volcano Hayli Gubbi विस्फोटक
Ethiopia के Afar Region में मौजूद Hayli Gubbi नाम का Volcano सालों नहीं बल्कि हज़ारों सालों से ख़ामोश पड़ा था। लोगों को लगता था कि अब ये कभी नहीं फटेगा, जैसे धरती के सीने में दफ़न हो चुका कोई पुराना राज़ हो। लेकिन अचानक बिल्कुल बेख़बर ये ज़िंदा हो गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि ये सब कुछ इतना तेज़ी से हुआ कि समझने का मौक़ा ही नहीं मिला। एक शख़्स ने कहा: “हम तो समझ भी नहीं पाए, बस यूँ लगा जैसे आसमान में कोई बड़ा बम फट गया हो। पहले ज़मीन हिली, फिर काला धुआँ और राख का एक बड़ा सा बादल आकाश की तरफ़ उठ गया। हर तरफ़ शोर, डर और अफरा-तफरी मच गई।”
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विस्फोट शायद इस Volcano का पहला रिकॉर्डेड विस्फोट है, क्योंकि इसके बारे में जो भी पुरानी जानकारी मिलती है वह 10,000 से 12,000 साल पुरानी है। यानी ये धरती की जुबान में कहें तो 10 सहस्राब्दी तक सोया रहा और फिर अचानक जागकर अपना ग़ुस्सा दिखा दिया।
Volcano Blast कब और कहाँ हुआ?
यह Volcano Blast 23 नवंबर 2025 की सुबह हुआ, जब लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में लगे हुए थे। यह जगह Eritrea की सीमा के क़रीब स्थित है और राजधानी Addis Ababa से लगभग 800 किलोमीटर दूर है यानी एकदम दूर-दराज़ का इलाका, जहाँ रेत, पहाड़ और सूखी धरती के अलावा ज़्यादा कुछ नहीं मिलता।
Volcano Blast इतना ताक़तवर था कि राख और धुएँ का बादल 10–15 किलोमीटर ऊँचाई तक पहुँच गया। ये राख हवा के साथ उड़ते-उड़ते Red Sea (लाल सागर) पार करके यमन और ओमान तक पहुँच गई। सोचिए, एक जगह पर आग की लपटें उठीं, और उसकी राख हज़ारों किलोमीटर दूर दूसरे देशों के आसमान को भी ढकने लगी ये धरती की ताक़त नहीं तो और क्या है?
अब आसपास के इलाक़ों में लोग डरे हुए हैं कोई अपनी जान बचाकर भाग रहा है, किसी को अपने मवेशियों की फ़िक्र है, और वैज्ञानिक अब इस रहस्यमयी Volcano पर नज़रें जमाए हुए हैं ताकि समझ सकें कि यह सिर्फ़ एक बार का विस्फोट था या आने वाले दिनों में इसका ग़ुस्सा और बढ़ेगा।
Volcano Blast: गवाहों की कहानी और कारण
स्थानीय लोगों में से एक शख़्स अहमद अब्देला ने उस वक़्त का मंजर याद करते हुए कहा: “वाकई ऐसा महसूस हुआ जैसे अचानक कोई बड़ा बम फट गया हो। पहले एक ज़ोरदार आवाज़ आई, फिर काले धुएँ और राख का एक बहुत बड़ा गुब्बारा आसमान की तरफ़ उड़ता हुआ दिखा। उस वक़्त लोगों के दिल की धड़कनें तेज़ हो गई थीं। बच्चे डर गए, और हर कोई समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।”
वहीं, सरकारी अधिकारी मोहम्मद सईद ने मीडिया को बताया कि शुक्र है अभी तक किसी इंसान की जान नहीं गई और कोई बड़ा नुकसान भी नहीं हुआ। लेकिन, राख इतनी फैली है कि आसपास के पशु, खेत और घास के मैदान यानी चरागाह बुरी तरह प्रभावित होने लगे हैं। कुछ इलाक़ों में जानवरों के खाने का सामान राख की वजह से ढक गया है और किसानों को भी डर है कि आने वाले दिनों में मवेशियों और फसल पर असर पड़ेगा।
यह इलाक़ा क्यों इतना संवेदनशील है?
Hayli Gubbi कोई आम ज्वालामुखी नहीं है यह Erta Ale Range नाम की ज्वालामुखीय पर्वतमाला का हिस्सा है। यह इलाका पहले से ही दुनिया के सबसे ज़्यादा सक्रिय और भूगर्भीय रूप से अस्थिर क्षेत्रों में माना जाता है।

इसे समझने के लिए एक आसान सी मिसाल लें धरती को एक बड़ी चादर समझिए, और उस चादर को कई बड़े-बड़े हिस्सों में बाँटा गया है जिन्हें हम tectonic plates कहते हैं। Hayli Gubbi वहीं स्थित है जहाँ तीन प्लेटें मिलती हैं इसे वैज्ञानिक भाषा में Triple Junction कहा जाता है।
इस जगह ज़मीन अंदर से खिंच रही है और जगह-जगह दरारें (fractures) बन रही हैं। जब ये दरारें बढ़ जाती हैं तो अंदर जमा मैग्मा (पिघली चट्टानें) बाहर निकलने का रास्ता ढूँढता है और फिर विस्फोट होता है, बिलकुल वैसे ही जैसे प्रेशर कुकर ज़्यादा गर्म होने पर सीटी बजाता है।
कितना लंबा था इसका सन्नाटा?
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस Volcano के बारे में अब तक बहुत कम जानकारी मौजूद थी। इसके पिछले विस्फोट का रिकॉर्ड 10,000 से 12,000 साल पहले का माना जाता है यानी यह ज्वालामुखी सदियों नहीं बल्कि हज़ारों सालों तक बिल्कुल चुप पड़ा रहा।
इसीलिए जब अचानक यह फटा, तो वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। ऐसा लग रहा था जैसे ज़मीन ने सदियों की ख़ामोशी और दबा हुआ गुस्सा एक साथ बाहर निकाल दिया हो।
प्रभाव और चुनौतियाँ
अब हालात कुछ यूँ हैं कि राख और धुएँ का फैलाव इतना ज़्यादा हो चुका है कि आस-पास रहने वाले लोग परेशान होने लगे हैं। जहाँ पहले खेतों और चरागाहों में घास आराम से उगती थी, आज वहाँ सब कुछ राख से ढका हुआ नज़र आ रहा है। लोगों के बीच अब ये चर्चा आम हो गई है कि अगर इसी तरह राख गिरती रही, तो मवेशियों के लिए खाना और चारा कम पड़ सकता है क्यूँकि मिट्टी पर राख जमने से घास बढ़ ही नहीं पा रही।
हवा में तैरते राख के छोटे-छोटे कण (tiny particles) अब सांस लेने में दिक़्क़त पैदा कर सकते हैं। स्थानीय लोग बता रहे हैं कि हवा में अजीब सी बदबू और भारीपन महसूस हो रहा है जैसे कोई बड़ा जंगल या पहाड़ जल रहा हो। डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर हालात सुधरे नहीं, तो मास्क पहनना या घरों में रहना ही बेहतर होगा।
सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि ट्रांसपोर्ट और हवाई सेवा पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। जी हाँ एयरपोर्ट और एविएशन विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी है कि राख हवा में बहुत ऊपर तक जा चुकी है, और इससे विमान के इंजन को नुकसान पहुँच सकता है। कुछ उड़ानों को डायवर्ट किया गया है और कुछ को कैंसल करने की तैयारी चल रही है।

पर्यटन (tourism) पर भी ज़बरदस्त मार पड़ रही है। ये इलाक़ा वैसे तो अपने ख़ूबसूरत ज्वालामुखी पहाड़ों और लावा से बने पुरानी जमीनी संरचनाओं की वजह से मशहूर था और दुनिया भर से लोग यहाँ घूमने आया करते थे। लेकिन अब वो सारे रास्ते, ट्रेकिंग स्पॉट्स और व्यू पॉइंट्स राख की मोटी परतों में दफ़्न हो चुके हैं। जहाँ कभी प्रकृति की खूबसूरती थी, अब वहाँ सन्नाटा और राख के बादल तैर रहे हैं।
अब बात सिर्फ इथियोपिया तक सीमित नहीं रही वैज्ञानिकों के मुताबिक़, इस ज्वालामुखी से निकली राख और धुआँ तेज़ हवाओं के साथ दूर-दूर तक जा रहा है और भारत, पाकिस्तान और मध्य एशिया (Central Asia) तक इसका असर देखने को मिल सकता है।
रिपोर्ट्स के हिसाब से राख का कुछ हिस्सा हवा के रुख़ के साथ पूर्व दिशा (Eastward direction) की तरफ जा रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि आने वाले कुछ दिनों में मौसम में हल्का बदलाव, आसमान में धुंध या एयर क्वालिटी में गिरावट देखने को मिल सकती है।
ऐसे volcanic eruptions का असर मौसम पर भी पड़ता है कभी-कभी बारिश के पैटर्न बदल जाते हैं, तापमान कुछ समय के लिए कम हो सकता है और कई इलाकों में मौसम असामान्य व्यवहार करने लगता है।
पूरी दुनिया की निगाहें अब इस घटना पर टिकी हैं क्योंकि ये सिर्फ एक ज्वालामुखी फटना नहीं है बल्कि 10,000 साल की चुप्पी के बाद आया एक अचानक और ताक़तवर विस्फोट है। लोग कह रहे हैं कि प्रकृति ने मानो अपनी नींद तोड़ी है और एक ही पल में पूरी दुनिया को याद दिला दिया कि धरती के अंदर अब भी कितनी कुदरती ताक़त और रहस्य छुपे हुए हैं।
आगे की राह: शोध एवं चेतावनी
अब हालात ये हैं कि वैज्ञानिकों को तुरंत सैटेलाइट की मदद लेनी पड़ी, क्योंकि जिस जगह ये ज्वालामुखी फटा है, वो इलाक़ा बहुत दुर्गम, ऊँचा और मुश्किल पहाड़ी क्षेत्र है। वहाँ पहुँचना आसान नहीं, इसलिए अभी पूरे हालात आसमान से ली गई तस्वीरों के ज़रिए समझे जा रहे हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने लंबे समय तक शांत रहने के बाद अचानक ऐसा सक्रिय होना एक बहुत बड़ा संकेत है। इससे पता चलता है कि दुनिया में मौजूद ऐसे और भी ज्वालामुखी, जो आज ख़ामोश बैठे हुए हैं, कभी भी अचानक फट सकते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि ऐसे क्षेत्रों पर निगरानी बढ़ाई जाए और पहले से चेतावनी देने वाली सिस्टम को मज़बूत किया जाए ताकि आने वाले समय में जान-माल का बड़ा नुक़सान ना हो।
प्रशासन अब अलर्ट मोड पर
स्थानीय प्रशासन ने भी हालात को देखते हुए कई अहम कदम उठाए हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है, मेडिकल टीम्स एक्टिव कर दी गई हैं, और हवा में मौजूद राख से होने वाली बीमारियों के बारे में संदेश जारी किए जा रहे हैं। कई जगहों पर लोगों को मास्क बाँटे जा रहे हैं और स्कूल-कॉलेज अस्थायी तौर पर बंद कर दिए गए हैं।
पशुओं और पशुपालकों की सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा बन गई है। क्योंकि राख खेतों और चरागाहों में फैल चुकी है, और अगर ये हालात ऐसे ही रहे तो जानवरों के लिए खाना-पानी का संकट पैदा हो सकता है। इसलिए प्रशासन पशुधन के लिए अलग आहार और सुरक्षित जगहों की व्यवस्था भी कर रहा है।
ये घटना सिर्फ एक विस्फोट नहीं बल्कि एक याददिहानी है
ये पूरा Volcano Blast हमें एक बहुत गहरी बात याद दिलाता है कि धरती बाहर से भले ही शांत, मासूम और सुकून देने वाली लगे, लेकिन उसके अंदर अब भी ऐसी ताक़तें मौजूद हैं, जो कभी भी अपनी ख़ामोशी तोड़ सकती हैं।
Hayli Gubbi ज्वालामुखी सैकड़ों–हज़ारों साल चुप रहा। लोगों ने सोचा था कि अब ये शायद हमेशा के लिए सो गया है। लेकिन अचानक आए इस विस्फोट ने न सिर्फ वहाँ के लोगों को, बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों और सरकारों को झकझोर दिया।
इस Volcano Blast से सीख क्या है?
ये Volcano Blast हमें सिखाता है कि प्रकृति को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। चाहे वो पहाड़ों की चुप्पी हो, सागर की लहरें हों, या जमीन के भीतर की आग हर चीज़ अपनी जगह जिंदा है और कभी-कभी अचानक अपना असर दिखा देती है।
दुआ बस यही है कि इस विस्फोट से कोई बड़ा नुकसान ना हो और दुनिया इस घटना से सीख लेकर ऐसे क्षेत्रों में और ज़्यादा रिसर्च, सतर्कता और तैयारी बढ़ाए ताकि अगर भविष्य में ऐसा कुछ फिर हो, तो हम डरें नहीं बल्कि तैयार हों।
इस पूरे मामले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी अब ध्यान दे रहा है। कई देशों के जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट और रिसर्च संस्थान इस विस्फोट से जुड़े डाटा को इकट्ठा करने में लगे हुए हैं। NASA, European Space Agency और Ethiopia Geological Survey मिलकर इस घटना का अध्ययन कर रहे हैं। सैटेलाइट्स से मिली ताज़ा इमेजरी में साफ दिखाई दे रहा है कि ज्वालामुखी के आसपास लावा की पतली धाराएँ जमीन पर बहती नज़र आ रही हैं, हालांकि अभी ये धाराएँ बड़े पैमाने पर फैलने की स्थिति में नहीं हैं।
मौसम वैज्ञानिकों ने भी चेतावनी दी है कि राख का बादल अगर तेज़ हवाओं में बहा तो पड़ोसी देशों यमन, सऊदी अरब, ओमान, पाकिस्तान और भारत के वायुमार्ग पर भी इसका असर पड़ सकता है। अगर राख के कण (Ash Particles) 30,000 फीट से ऊपर पहुँच गए तो विमान संचालन अस्थायी रूप से रोकना पड़ सकता है, ताकि हादसों से बचा जा सके।
लोगों के मन में डर है लेकिन curiosity भी है। बहुत से लोग इस घटना को एतिहासिक कह रहे हैं, क्योंकि ऐसी विस्फोटक प्रकृति हर दिन नहीं दिखाई देती। वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि यह विस्फोट धरती की गहराई में चल रही प्रक्रियाओं का संकेत है जो हमें बताती हैं कि प्रकृति अब भी जिंदा है, चल रही है और अपनी भाषा में हमें चेतावनियाँ दे रही है।
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