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क्या है Solar Eclipse?
नज़र बदलने वाला है आसमान का वो खूबसूरत मंजर — “Solar Eclipse 2025” कल होने वाला है। और ये सिर्फ़ साइंस का मामला नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, रिवायत और विज्ञान का खूबसूरत मेल भी है। चलिए जानते हैं सब ज़रूरी बातें — समय, जगह, अहमियत, सावधानियाँ और वो कुछ राज़ जो आप शायद नहीं जानते।

Solar Eclipse तब होता है जब चाँद हमारे और सूरज के बीच आ जाता है और सूरज की रोशनी का पूरा या कुछ हिस्सा छिप जाता है। इस वक़्त दिन में भी अँधेरा सा लगने लगता है, आसमान का रंग बदल जाता है और वातावरण में एक अजीब सी ख़ामोशी और सुकून महसूस होता है।
ग्रहण के अलग-अलग प्रकार होते हैं — पूर्ण ग्रहण (Total), आंशिक ग्रहण (Partial) और अन्नुलर ग्रहण (Annular)। हर एक का मंजर अलग होता है और अपनी अलग खूबसूरती रखता है।
कब और किन देशों में दिखाई देगा Solar Eclipse?
दोस्तों, 21 सितंबर 2025 की रात एक बहुत ही दिलचस्प खगोलीय घटना होने वाली है –Solar Eclipse (Surya Grahan) । वैसे तो ये ग्रहण पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बनेगा, लेकिन भारत के लोग इसे अपनी आँखों से आसमान में नहीं देख पाएँगे। आइए आपको पूरे सलीके से समझाते हैं।
ग्रहण का समय (भारतीय समयानुसार – IST)
शुरुआत: रात 10:59 बजे (21 सितंबर 2025)
चरम बिंदु (Maximum Eclipse): रात 1:11 बजे (22 सितंबर 2025)
समाप्ति: सुबह 3:23 बजे (22 सितंबर 2025)
यानि यह पूरा नज़ारा लगभग साढ़े चार घंटे चलेगा।
भारत में क्यों नज़र नहीं आएगा?
अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी बड़ी घटना हो रही है, तो भारत में क्यों नहीं दिखाई देगा? दरअसल, उस समय तक भारत में सूरज ढल चुका होगा, यानी हमारा आसमान अंधेरा हो चुका होगा। इस वजह से भारत के लोग इस ग्रहण को सीधे नहीं देख पाएँगे।
लेकिन मायूस होने की ज़रूरत नहीं है। आज के दौर में इंटरनेट और लाइव स्ट्रीमिंग ने सब आसान बना दिया है। NASA, ESA और कई इंटरनेशनल वेबसाइट्स इस पूरे नज़ारे को लाइव दिखाएँगी। तो आप अपने मोबाइल, लैपटॉप या स्मार्ट टीवी पर बैठकर आराम से इस खगोलीय शो का मज़ा ले सकते हैं।
किन जगहों से दिखेगा साफ़-साफ़?
यह ग्रहण ज़्यादातर दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) में साफ़ तौर पर नज़र आएगा।
कुछ प्रमुख जगहें जहाँ लोग इसे अपनी आँखों से देख पाएँगे:
ऑस्ट्रेलिया का पूर्वी हिस्सा
न्यूज़ीलैंड
अंटार्कटिका
दक्षिण प्रशांत महासागर (Pacific Islands) के कुछ हिस्से
इन इलाकों में आसमान बिल्कुल साफ़ रहेगा और लोग आसानी से इस अद्भुत घटना को देख पाएँगे।
धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
दोस्तों, इस बार 21 सितंबर 2025 का जो Solar Eclipse हो रहा है, उसकी अहमियत इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि यह Solar Eclipse सर्वपितृ अमावस्या के दिन पड़ रहा है। हिंदू पंचांग के हिसाब से, यह दिन पितृपक्ष (Pitru Paksha) का आख़िरी दिन माना जाता है।
इस दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं ताकि उनकी आत्माओं को शांति मिले।अब ऐसे शुभ-अशुभ मौके पर ग्रहण का होना अपने आप में एक अलग ही मायने रखता है।
धार्मिक मान्यता और ग्रहण का असर
भारतीय संस्कृति और ज्योतिष शास्त्र में Solar Eclipse को अक्सर “अशुभ संकेत” माना जाता है। हमारे बुज़ुर्ग हमेशा कहते आए हैं कि जब ग्रहण लगता है, तो उसके दौरान कई कामों से बचना चाहिए – जैसे खाना पकाना, खाना खाना, पूजा-पाठ करना वगैरह। इसे ही “सूतक-काल (Sutak Kaal)” कहते हैं।
लेकिन यहाँ एक दिलचस्प बात है – चूँकि यह ग्रहण भारत में दिखाई ही नहीं देगा, इसलिए ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूतक काल की मान्यताएँ भारत में लागू नहीं होंगी। यानी लोग सामान्य तरीक़े से अपना काम कर सकते हैं।
खगोल विज्ञान की नज़र से
धार्मिक पहलू अपनी जगह हैं, लेकिन अगर हम इसे खगोल विज्ञान (Astronomy) की आँख से देखें, तो यह ग्रहण हमें याद दिलाता है कि हमारा सूरज, चाँद और पृथ्वी कितने ग़ज़ब के तालमेल में चलते हैं। यह सब कुछ ऐसे लगता है जैसे ब्रह्मांड ने सब कुछ एकदम कस्टम ऑर्डर में बनाया हो।
जब चाँद धीरे-धीरे सूरज के सामने आता है और उसे आंशिक रूप से ढक देता है, तो आसमान का नज़ारा बेहद रोचक और रहस्यमयी हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे सूरज अपनी आभा (Glow) तो अभी भी फैला रहा है, लेकिन उसकी चमक पर किसी ने हल्का-सा पर्दा डाल दिया हो।
खगोलविदों के लिए सुनहरा अवसर
जहाँ आम लोगों के लिए यह एक दृश्य तमाशा है, वहीं वैज्ञानिकों और खगोलविदों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। वे इस समय सूरज की बाहरी परत, जिसे कोरोना (Corona) कहा जाता है, का अध्ययन कर सकते हैं।
सूर्य की रोशनी में जो कमी आती है, उसका असर धरती के माहौल पर कैसे पड़ता है, इसे भी मापा जाता है। इसके अलावा, ऐसे मौकों पर ग्रहों और तारों की गतिविधियों को भी नोट किया जाता है। वैज्ञानिकों के लिए यह दिन किसी प्रयोगशाला (Lab) से कम नहीं होता।
सावधानियाँ: क्या करें और क्या न करें
ग्रहण और हमारी सावधानियाँ – आस्था, विज्ञान और तजुर्बा
दोस्तों, जब भी Solar Eclipse या चंद्र ग्रहण आता है, तो हर किसी के मन में उत्सुकता भी होती है और थोड़ी-सी दहशत भी। लेकिन असल में यह आसमान का एक खूबसूरत करिश्मा है, जिसे अगर सही तरीके से समझा और देखा जाए, तो यह हमें डराने के बजाय हैरत में डाल देता है।
अब इस बार का ग्रहण भले ही भारत से नज़र नहीं आएगा, लेकिन उन देशों में जहाँ यह दिखेगा, वहाँ के लोगों को अपनी आँखों और सेहत की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखना होगा।
क्या करें (Do’s)
सुरक्षित चश्मा पहनें – Solar Eclipse देखने के लिए हमेशा स्पेशल eclipse glasses या फिर सोलर फिल्टर का इस्तेमाल करें। यह आपकी आँखों को नुकसान से बचाएगा। सीधे सूरज को मत घूरें – बिना सुरक्षा चश्मे के सूर्य की ओर देखना खतरनाक हो सकता है।
लाइवस्ट्रीम का मज़ा लें – NASA, ESA और कई खगोलविज्ञान संस्थान लाइव कवरेज करते हैं। मोबाइल या लैपटॉप पर बैठकर आराम से इस अद्भुत नज़ारे का मज़ा लिया जा सकता है।
ग्रहण से पहले और बाद में स्नान – कई परंपराओं में माना जाता है कि ग्रहण से पहले और बाद में हल्का स्नान करके आत्मा और शरीर की शुद्धि की जाती है। यह एक तरह से मानसिक सुकून भी देता है।
क्या न करें (Don’ts)
बिना चश्मे के सूर्य को सीधा मत देखें – यह आँखों की रोशनी के लिए बेहद ख़तरनाक हो सकता है। नया काम या खाना पकाना शुरू न करें – धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण के दौरान इन कामों से बचने की सलाह दी जाती है। डर और अंधविश्वास मत फैलाएँ – ग्रहण कोई बुरी या डरावनी चीज़ नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक घटना है। इसे लेकर डराने के बजाय ज्ञान और उत्सुकता फैलाएँ।
ग्रहण से जुड़ी पुरानी कहानियाँ
हमारी संस्कृति में Solar Eclipse सिर्फ़ खगोल विज्ञान का मामला नहीं, बल्कि धार्मिक और पौराणिक कहानियों से भी जुड़ा है।
राहु–केतु की कथा – सबसे मशहूर कहानी यही है कि राहु ने देवताओं का अमृत पीने की कोशिश की थी। जब सूर्य और चंद्रमा ने यह देख लिया, तो विष्णु भगवान ने उसका सिर काट दिया। तभी से राहु, सूर्य और चंद्रमा को निगलने की कोशिश करता है, जिसे हम ग्रहण कहते हैं।
अशुभ समय की मान्यता – बहुत-से समाजों में ग्रहण को अशुभ समय माना जाता रहा है। लोग इस दौरान पौधे तोड़ने, भोजन पकाने या पूजा करने से बचते थे। ग्रहण के बाद शुद्धिकरण – अलग-अलग जगहों पर लोग स्नान, दान और विशेष पूजा करके ग्रहण के बाद एक नएपन की शुरुआत मानते हैं।
2025 का आख़िरी Solar Eclipse
कल का यह ग्रहण साल 2025 का आख़िरी सूर्य ग्रहण होगा। यह एक अनोखा मौका है जो हमें याद दिलाता है कि हमारा ब्रह्मांड कितना विशाल और अद्भुत है। एक तरफ़ धार्मिक आस्थाएँ हैं, दूसरी तरफ़ वैज्ञानिक रिसर्च, और तीसरी तरफ़ प्रकृति की जादुई ख़ूबसूरती – ये तीनों मिलकर इस घटना को खास बना देते हैं।
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