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Piyush Goyal ने India-America Trade Deal को दिया नया मोड़, अगर India-America की यह Trade Deal हुई तो इंडिया की economy को मिलेगा ₹5 Billion का Boost

Piyush Goyal ने India-America Trade Deal को दिया नया मोड़, अगर India-America की यह Trade Deal हुई तो इंडिया की economy को मिलेगा ₹5 Billion का Boost

India America Trade Deal पर गरमाई बहस

India America Trade Deal की ये लंबी खींचतान एक बार फिर बेहद तेज़ी से सुर्ख़ियाँ बटोर रही है। दोनों देशों के बीच पिछले कई महीनों से चल रही बातचीत कभी आगे बढ़ती दिखाई देती है तो कभी किसी नए मसले पर अटक जाती है। ऐसे माहौल में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल साहब ने अमेरिका की तरफ़ से आए ताज़ा बयान पर बड़ा ही दो-टूक, बेबाक और असरदार जवाब दिया है।

America के ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में कहा था कि भारत की तरफ़ से जो offer दिया गया है, वह अब तक का “best ever” offer है यानी सबसे बेहतर, सबसे बड़ा और सबसे संतुलित। इस बयान ने जैसे ही मीडिया में रफ़्तार पकड़ी, भारत की ओर से माहौल और भी दिलचस्प हो गया।

Piyush Goyal ने बिना किसी लाग-लपेट के, बेहद साफ़, सटीक और शानदार लहजे में कहा कि “अगर America को हमारा दिया हुआ offer वाक़ई इतना पसंद आया है, अगर वो लोग इसे truly best ever समझते हैं, तो फिर इंतज़ार किस बात का? Please come forward… और फ़ौरन समझौते पर sign कर दीजिए।”

उनका ये बयान आते ही सियासी हलकों, कूटनीतिक गलियारों और मीडिया में चारों तरफ़ चर्चा होने लगी। और एक चीज़ बिल्कुल साफ़ नज़र आई कि आज का भारत, वो पुराना भारत नहीं रहा जो trade table पर झुककर, दबाव में आकर या मजबूरी में कोई भी agreement sign कर ले।

आज का भारत एक ऐसी मज़बूत economy है जो दुनिया के बड़े-बड़े देशों के साथ बराबरी से बात करता है। एक ऐसा मुल्क जो self-reliant manufacturing, global supply chain, और strategic partnerships में अपना असर और अपनी मौजूदगी साफ़-साफ़ दिखा चुका है।

गोयल के इस बयान ने ये संदेश भी दे दिया कि भारत अब किसी भी तरह के एकतरफ़ा दबाव में आने वाला नहीं है। भारत कह रहा है हमारी terms साफ़ हैं, हमारा offer table पर रखा हुआ है, और हमें किसी भी तरह की जल्दबाज़ी या मजबूरी नहीं है।

अगर अमेरिका तैयार है, तो दोनों देश आगे बढ़ सकते हैं और अगर नहीं, तो भारत के पास और भी कई रास्ते, कई partners और कई global opportunities मौजूद हैं। ये पूरा मामला दिखाता है कि आज भारत negotiation table पर बराबरी का किरदार निभाता है इज़्ज़त के साथ, दमख़म के साथ और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखकर।

India-America Trade Deal की पृष्ठभूमि

भारत और अमेरिका कई सालों से इस mini trade deal या limited trade package को लेकर आपस में बातचीत कर रहे हैं, मगर मामला हर बार किसी न किसी नई दिक्कत पर आकर अटक जाता है। अमेरिका बार-बार भारत पर दबाव बनाता रहा है|

कभी market access, कभी medical devices की कीमतों पर, तो कभी agriculture tariffs और e-commerce rules को लेकर। उनकी कोशिश हमेशा यही रही कि भारत अपने बाज़ार को और ज़्यादा खोल दे और अमेरिकी कंपनियों को ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा मिले।

वहीं भारत ने भी अपना रुख़ बहुत साफ़ रखा अमेरिकी कृषि उत्पादों के मामले में पूरी सावधानी बरतना, भारत की IT और tech services को ज़्यादा visas देना, GSP (Generalised System of Preferences) की बहाली और medical devices पर अनावश्यक दबाव को खत्म करना|

इन तमाम मुद्दों पर कई दौर की लंबी बातचीत हुई, कई बैठकों में चर्चा चली, लेकिन फिर भी डील कभी अंतिम मुक़ाम तक नहीं पहुँच सकी। इसी बीच अमेरिका की तरफ़ से एक बेहद चर्चित बयान सामने आया ट्रंप प्रशासन के एक बड़े अधिकारी ने कहा: “India has given the best ever offers we have received from them.”

यानी कि भारत ने अब तक का सबसे बेहतर और सबसे मज़बूत offer दिया है। इस एक बयान ने माहौल में अचानक गर्मी भर दी। यह साफ़ दिखा कि भारत ने इस बार कुछ व्यावहारिक रियायतें दी थीं, मगर साथ ही अमेरिका ने यह इशारा भी किया कि डील में अभी कुछ और “improvements” की ज़रूरत है।

यहीं से असली टकराव शुरू होता है क्योंकि भारत की नज़र में अब गेंद पूरी तरह America के court में है। और फिर आता है पीयूष गोयल का दो-टूक, बेबाक और दिलेर जवाब उन्होंने कहा: “भारत ने अमेरिका को एक संतुलित, न्यायपूर्ण और पूरी तरह reasonable offer दिया है। अगर US इससे वाक़ई खुश है, तो फिर फ़ौरन आकर agreement पर sign कर दीजिए। और अगर खुश नहीं हैं, तो भारत किसी भी तरह के दबाव में आकर अपने राष्ट्रीय हितों से कभी समझौता नहीं करेगा।”

गोयल के इस बयान के कई बड़े मायने हैं पहला, भारत अब पहले जैसा नहीं रहा; भारत आज आत्मविश्वासी, सक्षम और अपने पैरों पर मज़बूती से खड़ा हुआ देश है। उसे किसी भी विदेशी दबाव में झुकने या अपनी policies बदलने की ज़रूरत नहीं।

दूसरा, भारत ने एक तरह से साफ़ इशारा कर दिया कि अगर डील लटक रही है, तो इसकी ज़िम्मेदारी अब सिर्फ़ और सिर्फ़ अमेरिका की है क्योंकि भारत ने अपनी तरफ़ से पूरा काम कर दिया है। और तीसरा, भारत ये भी दिखा रहा है कि उसके पास अब कई विकल्प मौजूद हैं Europe, UAE, UK, East-Asia जैसे कई बड़े देशों और क्षेत्रों के साथ भारत की बड़ी-बड़ी deals पहले ही pipeline में हैं।

मतलब साफ़ है आज का भारत “one-sided dependency” पर नहीं चलता। अब भारत हर बात बराबरी से करता है, इज़्ज़त से करता है और अपने national interest को सबसे ऊपर रखकर करता है।

भारत की आर्थिक ताकत और क्यों बदल गया समीकरण?

पिछले कुछ सालों में भारत ने ऐसी-ऐसी बड़ी तब्दीलियाँ देखी हैं, जिनकी गूंज पूरी दुनिया तक पहुँची है। आज भारत world की 5th सबसे बड़ी economy बन चुका है, जहाँ लगातार record foreign investment आ रहा है। हमारी manufacturing पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत हुई है, और PLI scheme ने इंडस्ट्री को एक नई रफ़्तार, नया हौसला और नई पहचान दी है।

इसके साथ ही भारत धीरे-धीरे global supply chain में चीन का एक भरोसेमंद और मज़बूत विकल्प बनकर उभर रहा है यह बात अब सिर्फ़ बयान नहीं, बल्कि हक़ीक़त है। दुनिया भर की कंपनियाँ भारत को एक सुरक्षित, स्थिर और किफायती production base मानने लगी हैं।

अमेरिका के लिए भी भारत अब सिर्फ़ एक “emerging market” नहीं रहा बल्कि एक strategic partner, एक भरोसेमंद साथी और एक ऐसा देश बन चुका है जिस पर वे लंबे समय तक टिके रहने वाला आर्थिक सहयोगी समझते हैं।

यही वजह है कि आज भारत का आत्मविश्वास पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत, स्थिर और दमदार है। भारत अब global मंच पर बराबरी की बातचीत करता है झुककर नहीं, बल्कि सिर उठाकर, अपने दम पर और अपनी क़ाबिलियत पर भरोसा करके।

America क्यों चाहता है तगड़ी Trade Deal?

अमेरिका के भी इस पूरी ट्रेड डील में अपने कई बड़े और गहरे हित जुड़े हुए हैं। सबसे पहले तो यह कि अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ बाज़ार है। अमेरिकन कंपनियाँ चाहती हैं कि उनके बादाम, अखरोट, गेहूँ, मकई और दूसरे कृषि सामान भारत में बिना रुकावट के बिकें।

दूसरा, अमेरिका की बड़ी-बड़ी technology और medical equipment बनाने वाली कंपनियाँ भारत में अपनी मौजूदगी को और भी तेज़ी से बढ़ाना चाहती हैं। उन्हें पता है कि भारत जैसा विशाल, स्थिर और तेज़ी से बढ़ता हुआ बाजार दुनिया में कहीं और मिलना मुश्किल है।

तीसरा, चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भारत की भूमिका आज बेहद अहम मानी जाती है। अमेरिका अच्छी तरह समझता है कि एशिया में अगर किसी देश पर भरोसा किया जा सकता है, तो वो भारत है मज़बूत, लोकतांत्रिक और स्थिर।

और चौथा, भारत का 1.4 billion consumers वाला विशाल उपभोक्ता बाज़ार अमेरिका के लिए किसी खजाने से कम नहीं। इतने बड़े मार्केट तक पहुंचना किसी भी global power के लिए बेहद कीमती मौका होता है।

इसी वजह से अमेरिका चाहता तो है कि किसी न किसी शक्ल में ये trade deal पूरी हो जाए।
लेकिन दिक्कत ये है कि अमेरिका की पुरानी आदत रही है – “deal making with maximum pressure” यानी हर समझौता दबाव डालकर, दूसरे देश को झुकाकर, अपनी शर्तों पर करवाने की कोशिश।

मगर अब हालात बदल गए हैं। भारत ने भी साफ़ कर दिया है कि अब वो पुराना India नहीं रहा अब वही रणनीति अपनाई गई है: equal partnership, no one-sided deal. यानी अब समझौता तभी होगा जब दोनों देश बराबरी की कुर्सी पर बैठकर, इज़्ज़त के साथ, संतुलित शर्तों पर बात करेंगे। किसी एक की चलेगी और दूसरे की नहीं वो दौर ख़त्म। “equal partnership, no one-sided deal.”

Trade Deal साइन होने की संभावना—कब तक?

विशेषज्ञों का मानना है कि अभी जो हालात बने हुए हैं – जैसे कि US का चुनावी माहौल, वहाँ की अंदरूनी domestic political pressure, और दुनिया भर में हो रहे global supply chain के बड़े-बड़े बदलाव इन सबकी वजह से अमेरिका चाहता है कि यह trade deal जल्द से जल्द किसी नतीजे तक पहुँचे। अमेरिका के लिए समय बहुत अहम है, और वो कोशिश में है कि कहीं भी उसकी पकड़ ढीली न पड़े।

अगर भारत और अमेरिका किसी balanced point पर पहुँच जाते हैं जहाँ दोनों देशों के हित बराबर नज़र आएँ तो यह deal अगले कुछ महीनों में ही पूरी हो सकती है। भारत ने भी बहुत साफ़ और दो-टूक लहजे में कह दिया है: “हमने जितना offer देना था, दे दिया… अब फ़ैसला अमेरिका का है।”

भारत को क्या मिलेगा?

अगर यह deal साइन होती है, तो भारत को कई सीधे और बड़े फ़ायदे मिल सकते हैं
भारतीय IT कंपनियों को visa rules में कुछ राहत मिल सकती है,
steel और aluminium tariffs में सुधार हो सकता है
अमेरिकी बाजार में भारत के agriculture products की पहुँच बढ़ सकती है
medical devices पर जो सालों से अनावश्यक दबाव बनाया जाता रहा है
वो कम हो सकता है और भारतीय tech और service sector को नए मौके और नई रफ़्तार मिल सकती है

इसके अलावा सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दुनिया को एक संदेश जाएगा कि भारत अब वैश्विक शक्तियों के साथ बराबरी की शर्तों पर, सम्मान के साथ और आत्मविश्वास के साथ trade करता है।

अमेरिका को क्या मिलेगा?

इस समझौते से अमेरिका को भी कई अहम फायदे मिलेंगे
उनके बादाम, अखरोट, डेयरी और दूसरे agricultural products को भारत जैसा विशाल market मिलेगा
उनकी medical और high-end tech equipment कंपनियों के लिए भारत में तेज़ी से entry और expansion के रास्ते खुलेंगे
global supply chain में भारत के साथ मजबूत साझेदारी बनेगी
और सबसे महत्वपूर्ण चीन पर उनकी dependency कम करने में भारत की बड़ी भूमिका होगी

अब गेंद अमेरिका के पाले में पीयूष गोयल साहब के बयान ने पूरी तस्वीर बिल्कुल साफ कर दी है भारत अब झुकने या दबाव में आने वाला मुल्क नहीं है। आज का भारत negotiation table पर बराबरी का खिलाड़ी है इज़्ज़त से, दमख़म से और आत्मविश्वास के साथ बातचीत करने वाला देश।

उनका संदेश भी साफ़ था: “अगर US खुश है तो deal sign करे और अगर नहीं है, तो भारत अपने रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।” भारत के इस मजबूत रुख़ ने global trade दुनिया में एक बेहद ताक़तवर संदेश भेजा है “नया भारत मजबूत भारत।”

भारत के इस स्पष्ट और मज़बूत तेवर ने न सिर्फ़ अमेरिका को सोचने पर मजबूर किया है, बल्कि दुनिया के बाकी देशों को भी यह एहसास दिलाया है कि भारत अब हर global negotiation में अपनी शर्तों और अपने हितों की रक्षा पूरी दृढ़ता के साथ करेगा। भारत यह भी दिखा रहा है कि वह किसी भी समझौते के लिए बेताब नहीं है बल्कि वह वही deal करेगा जिसमें दोनों देशों का बराबर फ़ायदा हो, और किसी भी तरह की one-sided शर्तें भारत को कतई मंज़ूर नहीं।

दुनिया भर की नज़रें अब इस बात पर टिकी हैं कि अमेरिका इस नई परिस्थित‍ि में किस तरह प्रतिक्रिया देता है। क्या वह भारत के इस आत्मविश्वासी और व्यावहारिक रुख के साथ आगे बढ़ेगा? या फिर मामले को एक बार फिर लटकाकर रख देगा? जो भी हो, इतना तय है कि आज का भारत global मंच पर अपनी terms पर, अपनी dignity के साथ और अपने दम पर खड़ा है और यही नया भारत की असली पहचान है।

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