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MCX Silver ने बनाया Historic Record – ₹2,00,362/kg तक पहुंचने की वजहें, क्यों बढ़ रही है इंडस्ट्रियल Demand?

MCX Silver ने बनाया Historic Record – ₹2,00,362/kg तक पहुंचने की वजहें, क्यों बढ़ रही है इंडस्ट्रियल Demand?

Silver प्राइसेज़ ने बनाया नया इतिहास!

MCX Silver Futures ने ₹2 लाख प्रति किलो का जादुई आंकड़ा पार कर लिया और इसी के साथ पूरा बाज़ार जैसे हिल गया हो। भारत के बुलियन मार्केट में आज वाक़ई में एक ऐतिहासिक लम्हा देखने को मिला। पहली बार चांदी की क़ीमत ₹2,00,362 प्रति किलोग्राम तक पहुँच गई, और इस रिकॉर्ड ने घरेलू ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में भी हलचल मचा दी।

निवेशक हों, ट्रेडर्स हों, ज्वेलर्स हों या आम लोग हर किसी के लिए यह एक बड़ा इशारा है कि कीमती धातुओं की दुनिया में एक नया दौर शुरू हो चुका है। यह सिर्फ कोई साधारण उछाल नहीं है, बल्कि कई गहरे कारणों की वजह से चांदी की चमक अचानक तेज़ हो गई है।

दुनिया की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ती जा रही है, महंगाई का दबाव बन रहा है, कई देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है, और ऊपर से चांदी की सप्लाई कम हो रही है ये सब मिलकर दामों को ऊपर की तरफ धकेल रहे हैं। मतलब साफ है, चांदी की ये उड़ान अचानक नहीं, बल्कि कई ताक़तवर वजहों का नतीजा है। आइए, अब पूरे मसले को ज़रा तफ़सील से समझते हैं कि आख़िर ऐसी कौन-सी बातें हैं जिन्होंने चांदी को इतना बुलंद मुक़ाम दिला दिया।

Silver की कीमत ₹2 लाख के पार क्यों पहुँची?

दुनिया भर की आर्थिक हालत इस वक़्त काफ़ी अनिश्चित चल रही है। अमेरिका और यूरोप दोनों जगह मंदी का खतरा मंडरा रहा है, ऊपर से ब्याज़ दरें कब बढ़ेंगी और कब घटेंगी इसको लेकर भी पूरी दुनिया असमंजस में है। ऐसे माहौल में लोग अपने पैसे को कहीं सुरक्षित जगह लगाने की कोशिश करते हैं, यानी Safe Haven Assets में।

ऐसे वक़्त में सोना और चांदी हमेशा से ही सबसे ज़्यादा चमकते आए हैं यानी लोगों का भरोसा इन्हीं पर टिकता है। दूसरी तरफ़ दुनिया में बढ़ रहा भू-राजनीतिक तनाव भी कीमतों को ऊपर धकेल रहा है। मिडिल ईस्ट में लगातार हलचल है, यूरोप में हालात पहले से ही नाज़ुक हैं। इन तनावों की वजह से कमोडिटी मार्केट में तेज़ी आ गई है।

ऊर्जा संकट, तेल-गैस की महंगाई, और देशों के बीच बढ़ती व्यापारिक रुकावटें इन सबका सीधा असर ये हुआ कि धातुओं की मांग और कीमत दोनों बढ़ गईं। Silver की इंडस्ट्रियल मांग भी इस वक्त एकदम ज़बरदस्त लेवल पर है। Silver को सिर्फ ज्वेलरी की धातु नहीं माना जाता, बल्कि इसे “Industrial Metal” भी कहा जाता है।

आजकल इसकी सबसे ज़्यादा खपत इन सेक्टर्स में हो रही है –

इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV)

सोलर पैनल

सेमीकंडक्टर्स

मेडिकल इक्विपमेंट

भारत और चीन जैसे बड़े देशों में EV और सोलर सेक्टर बेतहाशा तेज़ी से बढ़ रहे हैं। यानी चांदी की मांग रोज़ाना नई ऊँचाइयों को छू रही है इसको आप रिकॉर्ड तोड़ खपत कह सकते हैं। उधर सप्लाई का हाल बिल्कुल उल्टा है। लैटिन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की कई चांदी की खदानों में प्रोडक्शन लगातार कम होता जा रहा है। मांग तो बढ़ती जा रही है, लेकिन सप्लाई उस रफ्तार से साथ नहीं दे पा रही। और जैसा कि मार्केट का उसूल है जब मांग ज्यादा और माल कम हो, तो दाम तो आसमान छुएंगे ही।

MCX पर सिल्वर फ्यूचर्स की रिकॉर्ड रैली

आज MCX यानी Multi Commodity Exchange पर Silver ने सचमुच नया रिकॉर्ड बना दिया। Silver Futures का दाम ₹2,00,362 प्रति किलो के अपने सबसे ऊँचे स्तर पर ट्रेड हुआ। पूरा दिन मार्केट में जबरदस्त हलचल रही ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बहुत भारी था।

ये साफ दिख रहा था कि बड़े-बड़े संस्थागत निवेशक और दिग्गज ट्रेडर्स पूरे दमख़म से मार्केट में एक्टिव थे। यानि मार्केट का माहौल बिल्कुल गरम था हर तरफ सिर्फ चांदी की ही चर्चा थी। अब बात करते हैं कि आखिर MCX पर ये तेज़ी आई कैसे?

ये रहे वो 5 बड़े कारण, जो पूरी रैली की रीढ़ बने:

रुपये की कमजोरी

रुपया पिछले कुछ हफ्तों से डॉलर के मुकाबले कमजोर चल रहा है। जब रुपये कमजोर पड़ता है तो इम्पोर्टेड चीज़ें जैसे चांदी अपने आप महंगी हो जाती हैं। यही वजह है कि कीमतें ऊपर की तरफ दौड़ गईं।

इंटरनेशनल मार्केट में चांदी का तगड़ा उछाल

ग्लोबल मार्केट में Silver ने एक हफ्ते में लगभग 10% की छलांग लगाई है। दुनिया भर में जो तेजी चल रही है, उसका सीधा फायदा भारतीय मार्केट को भी मिला। मतलब, ग्लोबल सेंटिमेंट ने घरेलू कीमतों को भी उड़ान दे दी।

इंडस्ट्रियल Silver की कमी (Shortage)

कारखानों, EV कंपनियों, सोलर इंडस्ट्री और मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों में चांदी की डिमांड बहुत बढ़ गई है। लेकिन सप्लाई उतनी नहीं है। जब माल कम और ज़रूरत ज़्यादा तो दाम बढ़ना तो लाज़मी है।

Gold–Silver Ratio पर निवेशकों का दांव

कई स्मार्ट निवेशक ये देख रहे हैं कि सोने के मुकाबले चांदी अभी भी सस्ती लग रही है। इसे कहते हैं Gold-Silver Ratio पर दांव लगाना। यानी उन्हें लगता है कि आगे चांदी सोने से ज़्यादा तेज़ दौड़ेगी और इसी उम्मीद में खरीदारों की भीड़ बढ़ गई।

त्योहार और शादी के सीजन की तगड़ी मांग

भारत में जब भी त्योहार या शादी का मौसम आता है, तो चांदी की खरीद अपने आप बढ़ जाती है। इस बार भी लोगों की खूब खरीदारी चल रही है ज्वेलरी हो, बर्तन हों, या निवेश वाला Silver, हर चीज़ की डिमांड बढ़ी हुई है। सीजनल डिमांड ने भी कीमतों को ऊपर धकेलने में बड़ा रोल निभाया।

Silver vs Gold: कौन ज्यादा चमक रहा है? एक्सपर्ट्स की राय

पिछले 6 महीनों में चांदी ने कमाल ही कर दिया है। अगर आंकड़ों को देखें तो

Silver की कीमत 34–38% तक बढ़ी

Gold सिर्फ 18–20% तक ही चढ़ पाया

यानी साफ-साफ दिख रहा है कि चांदी ने सोने के मुकाबले लगभग दोगुनी रफ़्तार पकड़ी है। इसी वजह से कई निवेशक अब गोल्ड से ध्यान हटाकर सिल्वर में ज्यादा पैसा लगाने लगे हैं। लोगों को लग रहा है कि चांदी आगे और भी चमक दिखाएगी।

बदलती दुनिया में चांदी की बढ़ती ताक़त

आज के समय में चांदी सिर्फ ज़ेवरों तक सीमित नहीं है। अब यह टेक्नोलॉजी, एनर्जी, मेडिकल और एयरोस्पेस जैसे बड़े सेक्टर्स की जान बन चुकी है। सोलर पैनल, EV, चिप्स, रोबोटिक्स हर जगह सिल्वर की जरूरत लगातार बढ़ रही है।

और सबसे बड़ी बात 2050 तक सोलर एनर्जी का ग्लोबल मार्केट 6 गुना तक बढ़ने का अनुमान है। इसका सीधा फायदा चांदी को मिलेगा, क्योंकि सोलर पैनलों में सिल्वर की खपत बहुत ज्यादा होती है।

आगे कीमतें कहाँ जा सकती हैं?

अगर रुपया और कमजोर हुआ, तो चांदी के दाम और ऊपर जाने की पूरी उम्मीद है। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि 2025 में सिल्वर ₹2.25 से ₹2.40 लाख प्रति किलो तक जा सकती है। इंडस्ट्रियल डिमांड अगले 5 साल तक लगातार बढ़ती रहेगी, यानी लॉन्ग टर्म में चांदी का ट्रेंड अब भी काफी मज़बूत है। हाँ, शॉर्ट टर्म में 3–5% का हल्का करेक्शन आ सकता है लेकिन ये मार्केट का सामान्य उतार-चढ़ाव है।

निवेशक क्या करें?

छोटे निवेशकों के लिए सलाह
SIP की तरह थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें
फिजिकल चांदी की जगह Silver ETFs या Silver Mini ज्यादा बेहतर और सुरक्षित रहता है

ट्रेडर्स के लिए सलाह

मार्केट में इस वक्त वोलैटिलिटी बहुत है, इसका फायदा उठाया जा सकता है
लेकिन स्टॉप-लॉस लगाना लाज़मी है, वरना नुकसान भी बड़ा हो सकता है

ज्वेलरी खरीदने वालों के लिए

अगर शादी या त्योहार के लिए खरीदारी करनी है, तो देर मत करें
आने वाले महीनों में दाम और बढ़ने की संभावना है

सरकार और RBI पर क्या असर पड़ेगा?

चांदी की तेजी का असर सिर्फ बाजार पर नहीं, देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है –

सिल्वर का इम्पोर्ट बढ़ेगा, तो ट्रेड डेफिसिट पर दबाव पड़ेगा
इंडस्ट्रियल कॉस्ट बढ़ेगी, यानी महंगाई पर असर पड़ेगा
लेकिन सोलर सेक्टर के बढ़ने में सिल्वर की भूमिका अब भी अहम रहेगी
भारत को धीरे-धीरे चांदी की रीसाइक्लिंग पर ज्यादा ध्यान देना होगा, ताकि हम आयात पर कम निर्भर रहें और घरेलू सप्लाई मजबूत हो सके।

क्या ₹2 लाख का स्तर नया नॉर्मल बनेगा?

दुनिया की मौजूदा हालत को देखते हुए ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि आने वाले महीनों में ₹2 लाख चांदी का नया ‘नॉर्मल’ बन सकता है। मतलब, यह लेवल आगे भी स्थिर रह सकता है। लेकिन साथ ही एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए मार्केट कभी भी सीधी लाइन में ऊपर नहीं जाता। कभी-कभी लंबी तेजी (रैली) के बाद लोग मुनाफा निकालते हैं, जिसे प्रॉफिट बुकिंग कहते हैं। इससे दाम थोड़े समय के लिए नीचे भी आ सकते हैं।

इसके बावजूद, चांदी की कीमतों को आगे भी जो चीजें ऊपर ले जाएंगी, वो हैं –

लगातार बढ़ती इंडस्ट्रियल मांग, सप्लाई की कमी, दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता और टेक्नोलॉजी सेक्टर का तेज़ विस्तार यानी ये सभी कारक मिलकर चांदी को आने वाले समय में और भी मजबूत बना रहे हैं।

सिल्वर की चमक अभी और बढ़ेगी

₹2 लाख प्रति किलो का यह स्तर सिर्फ एक नया रिकॉर्ड नहीं है ये एक इशारा है कि चांदी आने वाले पूरे दशक में सबसे दमदार और ताक़तवर एसेट बन सकती है। आज चांदी सिर्फ एक कीमती धातु नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी, एनर्जी और इंडस्ट्री का बहुत बड़ा हिस्सा बन चुकी है।

इसीलिए ग्लोबल अनिश्चितता हो, सप्लाई की दिक्कत हो या टेक्नोलॉजी का बूम हर चीज़ चांदी के पक्ष में काम कर रही है। यानी चांदी की चमक अभी रुकने वाली नहीं है, बल्कि आने वाले सालों में और भी तेज़ हो सकती है।

निवेश करने वालों के लिए यह समय क्यों खास है?

अगर आप सिल्वर में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो यह वाकई एक अहम टाइम है। ऐसा इसलिए क्योंकि –

मार्केट में ट्रेंड पॉजिटिव है
इंडस्ट्रियल यूज़ हर साल बढ़ रहा है
और लंबी अवधि में चांदी में तेज़ी के पूरे संकेत दिख रहे हैं
सही रणनीति, थोड़ा धैर्य और समझदारी से किया गया निवेश आने वाले वर्षों में बेहतरीन रिटर्न दे सकता है इसे आप एक तरह का लंबे सफ़र वाला निवेश समझ सकते हैं।

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