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Navegaon Nagzira Tiger Reserve : 15 दिनों में 3 बाघों( Tigers) की मौत

Gondia Tiger Death News

गोंदिया। बेहद शानदार और रौबदार Tiger के लिए नागझिरा और नवेगांवबांध अभ्यारण को गौरव हासिल हुआ है लेकिन अब इस तमगे पर दाग लगने शुरू हो गए हैं । दरअसल गोंदिया- भंडारा जिले के टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े में 3 बाघों की यहां मौत हो चुकी है , लिहाज़ा वन्य प्राणियों के सुरक्षा और संवर्धन के मामले में वन विभाग की कार्यशैली की भूमिका पर अब सवाल उठ रहे है।

कोहका-भानपुर जंगल परिसर में मिला Tiger का शव

गोंदिया शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित दासगांव बीट के कोहका- भानपुर जंगल परिसर के कक्ष क्रमांक 1020 में एक बाघ मंगलवार 14 जनवरी के दोपहर मृत अवस्था में पाया गया।
मृत बाघ के संदर्भ में जानकारी ग्राम नीलागोंदी के सरपंच जगदीश लिल्हारे ने वनपाल संतोष श्रीवास्तव को दी , उन्होंने वन अधिकारियों को मामले से अवगत कराया।

Tiger Death Gondia
Tiger Death Gondia

सूचना मिलते ही वन विभाग के उपवन संरक्षक , उपविभागीय वन अधिकारी, सहायक वन संरक्षक और मानद वन्य जीव रक्षक तथा वन परिक्षेत्र अधिकारी , पशु वैद्यकीय अधिकारी और तहसीलदार मौके पर पहुंचे। मृत बाघ की पहचान टी-14 बाघिन के 20 माह के शावक के रूप में की गई , हालांकि जिस जगह शव मिला वह इलाका नवेगांव- नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प के बफर जोन क्षेत्र के बाहर है लेकिन वह मार्ग बाघों के आवागमन का गलियारा है।

Tiger की मौत इन्फेक्शन या फिर कुछ और ?

राष्ट्रीय प्राधिकरण के दिशा निर्देशों के तहत मृत बाघ के शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया और विसरा को जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया है। प्राथमिक जांच में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बाघ की मौत प्राकृतिक कारणों , तबीयत खराब होने या ठंड लगने ( इंफेक्शन ) से हुई होगी हालांकि मौत की असल वजहों का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगा ।


बता दें कि गत सप्ताह भंडारा जिले के तुमसर वन परिक्षेत्र अंतर्गत लेंडेझरी गांव में विद्युत प्रवाहित तारों का जाल बिछाकर , करंट लगाकर शिकारीयों द्वारा चार टुकड़ों में बाघ की हत्या कर दी गई थी , फिर झन्जेरिया जंगल परिसर में बाघ के मौत की खबर सामने आई और अब भानपुर गांव के कोहका वनपरि क्षेत्र में आज दोपहर एक बाघ मृत अवस्था में पाया गया है इस तरह पिछले 15 दिनों के भीतर गोंदिया भंडारा जिले में 3 बाघों की मौत वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रही है।

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