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Pakistan vs Afghanistan Air Strike 46 की Death, तालिबान ने दी Warning

Pakistan vs Afghanistan Air Strike 46 की Death, तालिबान ने दी Warning

Pakistan vs Afghanistan Air Strike: एक गहरी झलक

Pakistan vs Afghanistan के बीच की सरहद (सीमा) पर तनातनी कोई आज की बात नहीं है, बल्कि ये मसला कई सालों से चल रहा है। दोनों मुल्कों के रिश्ते वैसे तो कभी बहुत गहरे नहीं रहे, लेकिन हालिया दिनों में जो खबरें आई हैं, उन्होंने हालात को और ज़्यादा नाज़ुक बना दिया है।

India Today की रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान के कुछ इलाक़ों में Air Strike किए हैं। पाकिस्तान का कहना है कि उसने ये कार्रवाई आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए की, ताकि उसकी सरज़मीं पर हो रहे आतंकी हमले रोके जा सकें। लेकिन अफ़ग़ानिस्तान की हुकूमत (सरकार) ने इस पर सख़्त ऐतराज़ जताया है। उनका कहना है कि ये हमले उनकी आज़ादी और संप्रभुता का खुला उल्लंघन हैं, और इनमें बेगुनाह लोग औरतें, बच्चे और बुज़ुर्ग जान गंवा रहे हैं।

इन्हीं सब सवालों और हालात की तह तक जाने के लिए हम इस लेख में बात करेंगे इस Air Strike की पृष्ठभूमि, दोनों देशों के आरोप-प्रत्यारोप, इसके असर, और आने वाले दिनों में होने वाले संभावित नतीजों पर यानी कि ये मामला कहाँ तक जा सकता है और इसका आम लोगों की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा।

Pakistan vs Afghanistan क्यों संवेदनशील है सीमा क्षेत्र

Pakistan vs Afghanistan की सरहद पर, खास तौर पर पक्तिका (Paktika) और खोस्त (Khost) जैसे इलाक़ों में, अक्सर झड़पों और हमलों की खबरें आती रहती हैं। ये इलाक़े वैसे भी काफी संवेदनशील माने जाते हैं, क्योंकि यहाँ पर टीटीपी (Tehreek-e-Taliban Pakistan) और दूसरे मिलिटेंट (आतंकी) ग्रुप्स का मज़बूत असर बताया जाता है।

पाकिस्तान का कहना है कि इन ग्रुप्स के लोग अफ़ग़ानिस्तान की सरहद के आस-पास रहते हैं, वहीं से अपनी प्लानिंग करते हैं और फिर पाकिस्तान के इलाक़ों में घुसकर हमले करते हैं। पाकिस्तान की हुकूमत का दावा है कि ये कार्रवाई उसी के जवाब में की जाती है ताकि आतंकी ठिकानों को तबाह किया जा सके और देश में फैल रही दहशत को रोका जा सके।

लेकिन दूसरी तरफ़ अफ़ग़ानिस्तान की तालीबान सरकार का कहना कुछ और ही है। उनका इल्ज़ाम है कि पाकिस्तान इन हमलों के नाम पर बेगुनाह लोगों को निशाना बना रहा है। अफ़ग़ान हुकूमत के मुताबिक, इन एयर स्ट्राइक्स में अक्सर औरतें, बच्चे और बुज़ुर्ग मारे जाते हैं जो किसी भी किस्म के आतंकवाद या लड़ाई से ताल्लुक़ नहीं रखते।

अफ़ग़ानिस्तान का ये भी कहना है कि पाकिस्तान बिना इजाज़त (अनुमति) के उनकी सरहद के अंदर घुस आता है और बिना किसी ठोस जांच या सबूत के Air Strike कर देता है। उनके मुताबिक, ये सिर्फ़ सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि उनकी संप्रभुता (sovereignty) का खुला उल्लंघन है यानी किसी आज़ाद मुल्क के अंदर इस तरह की दखलअंदाज़ी न सिर्फ़ गैर-क़ानूनी है, बल्कि एक तरह से एलान-ए-जंग (युद्ध की घोषणा) जैसा है।

इन आरोपों और जवाबी बयानों के बीच अब हालात और भी पेचीदा हो गए हैं। दोनों तरफ़ के लोग डर और बेचैनी में हैं सरहदी गाँवों के लोग रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अब भी धमाकों की आवाज़ों के बीच जीने को मजबूर हैं।

Air Strike की ताज़ा जानकारियाँ

Times of India के मुताबिक, Pakistan Afghanistan के पक्तिका प्रांत में बॉर्डर के पास बर्मल ज़िले (Barmal district) के कई इलाक़ों को Air Strike निशाना बनाया। बताया जा रहा है कि इन एयर स्ट्राइक्स में पाकिस्तान ने चार अलग-अलग जगहों पर बमबारी की, जिन इलाक़ों को उन्होंने आतंकी ठिकाने बताया।

पाकिस्तानी हुकूमत का कहना है कि इन हमलों का मक़सद (उद्देश्य) सिर्फ़ टीटीपी (Tehreek-e-Taliban Pakistan) के आतंकियों को खत्म करना था। उनके मुताबिक, ये वही लोग हैं जो अफ़ग़ानिस्तान की सरहद के आस-पास छिपे रहते हैं और पाकिस्तान के अंदर घुसकर फौजी ठिकानों व पुलिस पोस्ट्स पर हमले करते हैं।

पाकिस्तान के सुरक्षा अफ़सरों ने तो यहाँ तक कहा कि इस कार्रवाई में करीब 20 आतंकवादी मारे गए, और हमले सिर्फ़ terrorist hideouts (आतंकी ठिकानों) को निशाना बनाकर किए गए थे।

मगर कहानी का दूसरा पहलू कहीं ज़्यादा दर्दनाक है। अफ़ग़ानिस्तान की सरकार, जो अब तालीबान के नियंत्रण में है, उसने इन हमलों पर शदीद एतराज़ (कड़ा विरोध) जताया है। अफ़ग़ान हुकूमत का कहना है कि ये कोई आतंकी नहीं बल्कि बेगुनाह नागरिक थे औरतें, बच्चे, बुज़ुर्ग जो अपनी रोज़ की ज़िंदगी में मसरूफ़ थे।

अफ़ग़ानिस्तान के मुताबिक, इस Air Strike में कुल 46 लोग मारे गए, जिनमें ज़्यादातर औरतें और बच्चे शामिल थे। दर्जनों लोग बुरी तरह ज़ख़्मी हुए हैं, कई घर मलबे में तब्दील हो गए, और गाँवों में खौफ़ और मातम का माहौल है।

अफ़ग़ान सरकार ने पाकिस्तान के इस कदम को “जघन्य आक्रमण” (heinous attack), “मानवाधिकारों का उल्लंघन”, और “संप्रभुता की बेइज़्ज़ती” बताया है। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि ये हमले उनकी सरहद की पवित्रता को ठेस पहुँचाते हैं और उनके देश की आज़ादी पर सीधा हमला हैं।

तालीबान सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान ने इस तरह की कार्रवाई दोबारा की, तो “हम चुप नहीं बैठेंगे”। उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान अब किसी भी बाहरी हमले का जवाबी कार्रवाई के ज़रिए जवाब देगा।

वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान की तरफ़ से इस पर कोई नरमी नहीं दिखाई गई उनके अफ़सरों का कहना है कि “जो लोग पाकिस्तान के अंदर खून-खराबा करेंगे, उन्हें कहीं भी छिपने नहीं दिया जाएगा”।

दोनों देशों के बयानों से ये साफ़ दिखता है कि सरहद पर अब हालात बेहद नाज़ुक और ख़तरनाक हो गए हैं। एक तरफ़ बम और गोलियाँ, दूसरी तरफ़ आँसू और लाशें और बीच में फँसे हैं बेगुनाह लोग, जिनका इस लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं, मगर सबसे ज़्यादा दर्द वही झेल रहे हैं।

राजनीतिक और रणनीतिक समीक्षा

अब बात करते हैं संप्रभुता (sovereignty) और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों (international laws) की। किसी भी देश के लिए ये बहुत बड़ा मसला होता है कि कोई दूसरा मुल्क उसकी ज़मीन पर बिना इजाज़त घुसकर Air Strike करे। दुनिया के नियमों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से ये चीज़ बहुत संवेदनशील और नाज़ुक मानी जाती है। हर मुल्क को अपनी सरहदों की हिफ़ाज़त और अपने लोगों की सुरक्षा का पूरा हक़ है ये उसका बुनियादी अधिकार है।

अफ़ग़ानिस्तान की हुकूमत का कहना है कि पाकिस्तान ने जो हमले किए, वो बिना किसी बातचीत, बिना किसी संयुक्त जांच के किए गए। उनका तर्क है कि अगर सच में पाकिस्तान को आतंकियों के ठिकानों का शक था, तो उसे पहले अफ़ग़ान सरकार से बात करनी चाहिए थी, ताकि कोई साझा कार्रवाई (joint operation) की जा सके। मगर ऐसा नहीं हुआ। नतीजा ये हुआ कि दो मुल्कों के बीच का भरोसा (trust) और भी कमज़ोर पड़ गया, और रिश्तों में कड़वाहट (कटुता) बढ़ गई।

अब ज़रा पाकिस्तान की तरफ़ का नज़रिया समझते हैं। पाकिस्तान का कहना है कि टीटीपी (Tehreek-e-Taliban Pakistan) और दूसरे आतंकी ग्रुप्स की हरकतें उसके लिए गंभीर सुरक्षा खतरा हैं। इन ग्रुप्स ने पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के कई शहरों में धमाके और फौजी ठिकानों पर हमले किए हैं|

जिनमें कई सिपाही और आम लोग मारे गए। पाकिस्तान का कहना है कि अगर इन आतंकियों के ठिकाने सच में अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी इलाक़ों में हैं, तो सीमा पार कार्रवाई (cross-border operation) करना उसकी मजबूरी बन जाती है।

मगर सवाल ये है कि क्या इस तरह की कार्रवाई हर बार सही निशाने पर लगती है? कई बार खुफ़िया जानकारी (intelligence inputs) पूरी तरह पक्की नहीं होती, और हमलों में बेगुनाह लोग मारे जाते हैं। यही वजह है कि ऐसी कार्रवाई से पहले बहुत सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए जैसे कि जानकारी की पुष्टि, नागरिकों को नुकसान से बचाने की तैयारी, और संभावित जवाबी हमले (retaliation) के ख़तरे का जायज़ा।

अब बात करें Air Strike के बाद क्षेत्रीय तनाव (regional tension) की तो इस तरह के Air Strike सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके में तनाव और बेचैनी बढ़ा देते हैं। आसपास के मुल्क जैसे ईरान, चीन, भारत, और यहाँ तक कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस पर अपनी नज़र रखे हुए हैं। ऐसे हमलों के बाद मानवाधिकार संगठनों की आलोचना तेज़ हो जाती है हर जगह यही सवाल उठता है कि क्या आतंकियों को मिटाने के नाम पर आम लोगों की ज़िंदगी तबाह करना जायज़ है?

इन सबके बीच सबसे ज़्यादा दर्द झेलता है आम इंसान वो जो न तो आतंकवादी है, न सियासतदान। औरतें, बच्चे, बुज़ुर्ग जिनका इस लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं, वही सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ और नुक़सान में हैं। कई गाँवों में घर तबाह हो गए, स्कूल और अस्पताल बमबारी की वजह से बंद पड़े हैं। इलाज की सुविधाएँ कम हो गई हैं, और लोग मजबूरी में अपने घर छोड़कर शरणार्थी (refugee) बनने पर मजबूर हैं।

इन सबका असर सिर्फ़ आज तक सीमित नहीं रहता ये आने वाली पीढ़ियों के दिमाग़ और दिल पर गहरी चोट छोड़ देता है। एक तरफ़ राजनीतिक बयानबाज़ी, दूसरी तरफ़ आम जनता का दर्द यही इस जंग का सबसे बड़ा फर्ज़ी चेहरा है

संभावित परिणाम और भविष्य की दिशा

जवाबी कार्रवाइयाँ (retaliation) और आने वाले हालात। अफ़ग़ानिस्तान की तालीबान हुकूमत पहले ही साफ़ कह चुकी है कि वो ऐसी घटनाओं को यूँ ही नहीं छोड़ेंगे। उनका कहना है कि अगर पाकिस्तान ने दोबारा ऐसी हरकत की, तो जवाब ज़रूर मिलेगा|

चाहे वो सीमा पर सीमित सैन्य कार्रवाई (limited military response) के रूप में हो, या फिर डॉक्युमेंटेड विरोध (official protest) के ज़रिए। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान की तरफ़ से आर्टिलरी (तोपों) या मिसाइल फायरिंग जैसी छोटी पर असरदार प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल सकती हैं, जिससे सीमा पर तनाव और बढ़ने का ख़तरा है।

दूसरी तरफ़, दुनिया भी चुप नहीं बैठी है।
संयुक्त राष्ट्र (UN), मानवाधिकार संगठन (Human Rights bodies) और पड़ोसी मुल्कों की नज़र अब इस पूरे मामले पर टिक गई है। अगर अफ़ग़ानिस्तान के दावे सच साबित होते हैं कि इन हमलों में महिलाओं और बच्चों की मौत हुई है, तो पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना (global criticism) तेज़ हो सकती है।
दुनिया के कई देश पहले भी कह चुके हैं कि आतंकवाद के नाम पर नागरिकों की जान लेना किसी भी हाल में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।

अब सबसे बड़ी चुनौती है स्थिरता (stability) की।
अगर इस तरह की घटनाएँ बार-बार होती रहीं, तो दोनों मुल्कों के बीच स्थायी संघर्ष (permanent conflict) की स्थिति बन सकती है। सरहदी इलाक़ों में विकास के काम रुक जाएंगे, लोग डर के मारे घर छोड़कर पलायन (migration) करेंगे, और ऐसे माहौल में युवा तबका खुद को आतंकवाद की तरफ़ झुकता हुआ पा सकता है। ये स्थिति न सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया (South Asia) के लिए ख़तरनाक होगी।

अब सवाल ये है कि इसका हल क्या है?
दरअसल, बातचीत और समझौते (dialogue and negotiation) ही इस मसले का सबसे टिकाऊ रास्ता हैं। हिंसा और आक्रमण (violence and aggression) से सिर्फ़ खून बहता है, लेकिन संवाद से रास्ते खुलते हैं।

दोनों मुल्क अगर चाहें तो सीमा सुरक्षा (border management), आतंकवाद-रोधी रणनीति (counter-terror cooperation) और खुफ़िया साझेदारी (intelligence sharing) जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम कर सकते हैं। इससे न सिर्फ़ शांति बढ़ेगी, बल्कि एक-दूसरे पर भरोसा भी बनेगा।

कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि अगर दोनों मुल्क राज़ी हों, तो भारत जैसे अन्य देश या क्षेत्रीय संगठन (regional mediators) इस पूरे मामले में मध्यस्थ की भूमिका (mediation role) निभा सकते हैं। आख़िरकार, बात सिर्फ़ सीमा की नहीं है बात है इंसानी ज़िंदगी, आम लोगों की सुरक्षा, और पूरे इलाके की अमान (शांति) की।

सच तो ये है कि Pakistan vs Afghanistan के बीच हुआ ये Air Strike कोई नई कहानी नहीं है ये उस पुराने जख्म का ताज़ा सबूत है जो सीमा पार आतंकवाद, सुरक्षा के डर, और संप्रभुता की जंग से बना है। जहाँ एक तरफ़ पाकिस्तान की अपनी सुरक्षा चिंताएँ हक़ीक़त हैं वो टीटीपी जैसे आतंकी ग्रुप्स से निपटना चाहता है|

वहीं दूसरी तरफ़ अफ़ग़ान नागरिकों की जान और इज़्ज़त की हिफ़ाज़त भी उतनी ही ज़रूरी है| अब देखना यह है कि इस Air Strike के बाद महिलाओं और बड़ों के लिए पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की सरकारें आगे क्या करती हैं।

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